Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/806

Unit Trust Of India - Complainant(s)

Versus

Naresh Kumar Nigam - Opp.Party(s)

U K Srivastava

18 Oct 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/806
( Date of Filing : 31 Mar 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Unit Trust Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Naresh Kumar Nigam
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Oct 2019
Final Order / Judgement

 

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-806/2006

(जिला मंच, सीतापुर द्वारा परिवाद संख्‍या-174/2004 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.02.2006 के विरूद्ध)

 

1. Unit Trust of India, Asset Management Company Pvt Ltd (formerly UTI), 6 Bahadur Shah Zafar Marg New Delhi through Zonal Manager.

2. Unit Trust of India, Asset Management Company Pvt Ltd (formerly UTI), Regency Plaza 4 Park Road, Lucknow through its Branch Manager.

                                   अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

 

Naresh Kumar Nigam R/O Mohalla 411 Alamnagar, Sitapur.

 प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से : श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : सुश्री तारा गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : 20.11.2019

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, सीतापुर द्वारा परिवाद संख्‍या-174/2004 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.02.2006 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार           परिवादी की पत्‍नी स्‍व0 श्रीमती प्रेमलता निगम ने अपीलकर्तागण की योजना यूनिट लिंट इंश्‍योरेंस प्‍लान 1971 के अन्‍तर्गत सदस्‍या संख्‍या-यू.एल. 940421017525 मु0 60,000/- रूपये दिनांक 08.11.1994 को ली थी, जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी नामित व्‍यक्ति था। उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत योजना में जमा धनराशि तथा उसी के साथ 60,000/- रूपये का परिवादी की पत्‍नी का जीवन बीमा का भी कवरेज था। परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दिनांक 13.09.2003 को हो गयी, जिसमें परिवादी को जीवन बीमा का भुगतान योजना के अन्‍तर्गत जो मिलना चाहिये था, वह अपीलकर्तागण द्वारा नहीं दिया गया। परिवादी अपीलकर्तागण से धनराशि प्राप्‍त करने के लिए लिखित रूप से शिकायत कर चुका है, किंतु परिवादी को धनराशि प्राप्‍त नहीं करायी गयी। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष बीमित धनराशि मय ब्‍याज के भुगतान तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया गया।

अपीलकर्तागण पर नोटिस की तामील के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत: परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय की गयी। परिवादी द्वारा दाखिल किये गये अभिलेखों के अवलोकन के उपरांत जिला मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्तागण को निर्देशित किया कि निर्णय की सूचना के दो माह के अन्‍दर अपीलकर्तागण परिवादी को जमा की गयी धनराशि 60,000/- रूपये का भुगतान करें तथा परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान तक परिवादी को उक्‍त धनराशि पर 09 प्रतिशत सालाना की दर से ब्‍याज भी भुगतान करें एवं 1,000/- रूपये वाद व्‍यय के रूप में भी भुगतान करें।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव  तथा प्रत्‍यर्थी की विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री तारा गुप्‍ता के तर्क सुने। उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क भी दाखिल किया गया है, जिनका अवकोकन किया गया।

अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत बीमाधारिका को 6,000/- वार्षिक प्रत्‍येक वर्ष मई माह में भुगतान करना था। यह भुगतान प्रत्‍येक वर्ष 31 मई तक किया जा सकता था, किंतु बीमाधारिका ने 6,000/- रूपये की दसवीं किस्‍त का भुगतान 31 मई 2003 को न करके दिनांक 02.06.2003 को किया, जिसके कारण पालिसी लैप्‍स हो गयी। दिनांक 02.06.2003 को दसवीं किस्‍त का भुगतान किये जाने पर पालिसी पुनर्जीवित की गयी। दिनांक 13.09.2003 को परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु पालिसी के पुनर्जीवन के 06 माह के अन्‍दर हो गयी। प्रश्‍नगत पालिसी की शर्तों के अन्‍तर्गत बीमाधारिका द्वारा किस्‍तों के भुगतान में चूक किये जाने की स्थिति में, बीमाधारिका की मृत्‍यु पालिसी के पुनर्जीवन के 06 माह के अन्‍दर हो जाने पर पालिसी के अन्‍तर्गत नामित व्‍यक्ति पालिसी के अन्‍तर्गत मात्र भुगतान किये गये प्रीमियम का अधिकारी होगा। अपीलकर्तागण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि बीमा पालिसी की शर्तों के अन्‍तर्गत परिवादी को देय कुल 99,273/- रूपये का भुगतान परिवादी को कर दिया गया, जिसे परिवादी ने बिना किसी आपत्‍ति‍ के प्राप्‍त कर लिया। अत: अब परिवादी इस संदर्भ में आपत्‍ति‍ प्रस्‍तुत करने का अधिकारी नहीं है। अपीलकर्तागण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी द्वारा परिवाद योजित किये जाने के उपरांत अपीलकर्तागण की ओर से अधिकृत व्‍यक्ति के शपथपत्र के साथ उत्‍तर दिनांक 17.01.2005 को मुम्‍बई कार्यालय से भेजा गया, जिसमें उपरोक्‍त तथ्‍य का उल्‍लेख किया गया, किंतु जिला मंच ने अपीलकर्तागण द्वारा शपथपत्र के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किये गये उत्‍तर पर ध्‍यान न देते हुए तथा प्रश्‍नगत पालिसी की शर्तों पर ध्‍यान न देते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया।

प्रत्‍यर्थी की ओर से प्रश्‍नगत निर्णय को उचित मानते हुए अपील निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी।

उल्‍लेखनीय है कि अपीलकर्तागण ने अपील मेमों के साथ जिला मंच के समक्ष श्री संतोष नेने, रिजनल मैनेजर, यूटीआई इन्‍वेस्‍टर सर्विसेज लिमिटेड, वेस्‍टर्न रिजनल आफिस, नवीं मुम्‍बई द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र के माध्‍यम से परिवाद के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी आपत्‍ति‍ की फोटोप्रति दाखिल की गयी, जिसके अवलोकन से अपीलकर्ता के तर्कों की पुष्टि हो रही है। प्रत्‍यर्थी की ओर से प्रस्‍तुत किये गये तर्क तथा लिखित तर्क में प्रश्‍नगत पालिसी के अन्‍तर्गत अपीलकर्तागण द्वारा अभिकथित शर्तों के संदर्भ में कोई तथ्‍य अंकित नहीं किया गया। अपीलकर्तागण द्वारा अभिकथित शर्तों को प्रत्‍यर्थी द्वारा अस्‍वीकार नहीं किया गया है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि अपीलकर्तागण ने शपथपत्र के माध्‍यम से परिवाद के विरूद्ध अपनी आपत्‍ति‍ जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की, किंतु जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय में अपीलकर्तागण द्वारा प्रस्‍तुत की गयी आपत्‍ति‍ पर विचार न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है।

जिला मंच को पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा में परिर्वतन करने का कोई अधिकार प्राप्‍त नहीं है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि बीमा पालिसी की शर्तों के अन्‍तर्गत देय भुगतान परिवादी द्वारा प्राप्‍त किया जा चुका है। सेवा में त्रुटि का कोई मामला विदित नहीं हो रहा है। जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है, अत: अपास्‍त किये जाने योग्‍य है। अपील तदनुसार स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.02.2006 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

                   

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                        (गोवर्द्धन यादव)

पीठासीन सदस्‍य                                सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2                   

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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