Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/1119

Executive Engeneer Electricety - Complainant(s)

Versus

Naresh Chandr Sharma - Opp.Party(s)

D Mehrotra

30 Oct 1998

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/1119
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Executive Engeneer Electricety
Sahzahanpur
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

  राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।

                                                          (सुरक्षित)

                          अपील सं0-1119/1997    

(जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0-१३३/१९९४ में पारित आदेश दिनांक २१/०५/१९९७ के विरूद्ध)

  1. एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन द्वितीय बहादुरगंज शाहजहांपुर।                                 
  2. असिसटेंट इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन द्वितीय बहादुरगंज शाहजहांपुर।                 .............अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                        बनाम

नरेश चन्‍द्र शर्मा पुत्र प्रकाश चन्‍द्र शर्मा  निवासी बी-1 इन्‍डस्‍ट्रीयल एस्‍टेट रोजा जिला शाहजहांपुर।

                                      ............प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2 मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍या।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री दीपक मेहरोत्रा अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री शरद कुमार अधिवक्‍ता।

दिनांक: १६/१२/२०१४

                        मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित।

                             निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण ने जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0-१३३/१९९४ नरेश चन्‍द्र शर्मा बनाम अधिशासी अभियन्‍ता में पारित आदेश दिनांक २१/०५/१९९७ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है। 

     ‘’ विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि एक माह के अन्‍दर परिवादी दिनांक १५/०३/१९९४ से केवल 11 हार्स पावर के भार पर ही फिक्‍स चार्ज वसूल करते हुए बिलों का सही आकलन कर परिवादी को नये बिल भेजे और यदि कोई रूपया परिवादी से अधिक लिया गया तो या तो वापस करें या समायोजित करें।’’

     संक्षेप में कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने सन् १९८६ में 21 हार्स पावर का कनेक्‍शन लिया था और बिलों का भुगतान भी किया था। दिनांक १६/१०/१९९३ को परिवादी ने १० हार्स पावर विद्युत सप्‍लाई कम करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। कोई कार्यवाही न होने पर १८/०१/१९९४ को रिमाइन्‍डर दिया। उनका कहना था कि परिवादी को २२/-रू0 प्रति हार्स पावर सरचार्ज देना पड़ता  है तथा विद्युत भार कम करना व बढ़ाना विपक्षीगण का कार्य है। परिवादी का यह भी कहना है कि  परिवादी पर विद्युत अधिभार गलत लगाया गया तथा अन्‍य चार्ज भी गलत

 

2

 लगाये गये तथा बढ़े हुए मूल्‍य की कोई सूचना परिवादी को नहीं दी गयी। विपक्षी द्वारा गलत चार्ज बिल बनाने के कारण परिवादी ने बिल अदा नहीं किया। विपक्षी के कार्य से परिवादी को मानसिक पीड़ा हुई । परिवादी ने 11 हार्सपावर का चार्ज लेने तथा बिल सही करने तथा मुआवजा का दावा किया है।

विपक्षी द्वारा जवाब दावा दायर किया गया तथा कहा गया कि दावा फोरम में पोषणीय नहीं है । परिवादी द्वारा भार कम करने की औपचारिकताएं नहीं की गयी।  इसलिए भार कम नहीं किया गया। उक्‍त औपचारिकताएं  विपक्षी ने वाद पत्र के पैरा २० में दर्ज की। उनका कहना था कि औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई। इसलिए भार कम नहीं किया गया। उनका कहना था कि परिवादी को समय-समय पर चार्ज के अनुसार ही बिल दिए गए तथा फुल चार्जर कोयले के मूल्‍य के अनुसार बदलते रहते हैं तथा परिवादी को सही बिल भेजे गए।

     अपीलार्थी की ओर से श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री शरद कुमार के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का परिशीलन किया गया। 

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत आदेश विधि अनुसार नहीं है तथा विद्वान जिला मंच ने जो अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया है उस पर भलीभांति विचारण नहीं किया है एवं परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने लोड कम करने के संबंध में औपचारिकताएं पूरी नहीं की । इस कारण उस पर कार्यवाही नहीं हो सकी।  

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किए गए अपने आदेश दिनांक ११/०३/१९९६ एवं ३०/०५/१९९६ जिसकी प्रति उसने दाखिल की है उससे विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने औपचारिकताएं पूरी नहीं की हैं।

अपीलकर्ता ने दि यूपी इलेक्ट्रिसिटी सप्‍लाई कोड के क्‍लाज ४.४१ की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट करते हुए तर्क दिया कि किसी भी लोड को कम करने के लिए प्रार्थना पत्र डुप्‍लीकेट में संबंधित अधिकारी को एनेक्‍चर ४.१० के फार्म पर दिए जाने का प्रावधान है जो कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने पूरानहीं किया। अत: ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किए जाने योग्‍य है एवं अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि  प्रत्‍यर्थी द्वारा विभिन्‍न तिथियों पर लोड कम करने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिए गए किन्‍तु अपीलकर्ता द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रत्‍यर्थी ने अपने द्वारा भेजे गए प्रार्थना पत्र दिनांक ०१/१०/१९९३, १८/०१/१९९४ एवं १३/०९/१९९४ की फोटो प्रति‍यां दाखिल की हैं तथा इसके अतिरिक्‍त विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किए गए आदेश दिनांक ११/०३/१९९६ एवं ३०/०५/१९९६ की फोटोप्रतियां दाखिल की हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा

 

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एक अन्‍य पत्र दिनांक १०/०९/१९९६ जो कि अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड २ शाहजहांपुर को संबांधित है, की फोटोप्रति भी दाखिल की है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि  उसके द्वारा समस्‍त औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी उसने विद्युत का भार कम नहीं किया। अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का निर्णय विधि अनुसार है जिसमें हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है।  

     प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखीय साक्ष्‍यों का परिशीलन किया गया।  विद्वान जिला मंच ने अपने निर्णय में यह अभिमत व्‍यक्‍त किया है कि बहस के समय परिवादी के अधिवक्‍ता ने बिल में कहीं अन्‍य गलती बावत कोई बहस नहीं की और न ही ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया कि बिल गलत बनाए गए है। विपक्षी/अपीलकर्ता की ओर से बिलों का पूर्ण विवरण दिया गया है और परिवादी द्वारा समय समय पर उपभोग की गयी बिजली के अनुसार बिल दिए गए हैं तथा परिवादी ने एक कागज दिनांक १०/०६/१९९६ भी दाखिल किया है जिससे विदित होता है कि परिवादी हमेशा औपचारिकताएं पूरी करने को तैयार है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने जो प्रार्थना पत्र दिनांक १०/०६/१९९६ अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड २ शाहजहांपुर को संबोधित है जिससे यह विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा यह शिकायत की गयी है कि अधिशासी अभियन्‍ता के कार्यालय का कोई भी व्‍यक्ति औपचारिकताएं पूरी नही करा रहा है। बिलों के संबंधमें परिवादी द्वारा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। विद्वान जिला मंच ने किसी आधार पर दिनांक १५/०३/१९९४ से केवल ११ हार्सपावर के भार पर फिक्‍स चार्जवसूल करते हुए बिलों का सही आकलन कर परिवादी को नये बिल भेजे जाने के लिए आदेशित किया है जिसका कोई न्‍यायोचित आधार नहीं है क्‍योंकि परिवादी द्वारा बिलों के संबंध में कोई साक्ष्‍य इस आशय का प्रस्‍तुत नहीं किया गया है कि बिल गलत बनाए गए हैं।  दूसरे यदि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने दिनांक १६/१०/१९९३ को १० हार्सपावर विद्युत सप्‍लाई कम करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था और दिनांक १८/०१/१९९४ को रिमाईण्‍डर दिया था तो किसी आधार पर विद्वान जिला मंच ने दिनांक १५/०३/१९९४ से ११ हार्सपावर के भार पर ही फिक्‍स चार्ज वसूल करते हुए बिलों का सही आकलन किए जाने का आदेश पारित किया है। अत: इस बिन्‍दु पर विद्वान जिला मंच का आदेश निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा लोड कम करने के लिए कार्यवाही किए जाने हेतु परिवाद दाखिल किया गया है एवं यह अनुतोष मांगा गया है कि फिक्‍स चार्ज ११ हार्सपावर का दिनांक ०६/१०/१९९३ से लिया जाए । परिवादी/प्रत्‍यर्थी यदि दिनांक ०६/१०/१९९३ से फिक्‍स चार्ज लिए जाने का अनुतोष मांग रहा है तो विद्वान जिला मंच ने किसी आधार पर दिनांक १५/०३/१९९४ से केवल ११ हार्सपावर के भार पर ही फिक्‍स चार्जवसूल करने का आदेश दिया है । इस प्रकार अभिलेखीय साक्ष्‍य पर ऐसा परस्‍पर विरोधाभास कथन प्रस्‍तुत किए गए

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 हैं। अपीलकर्ता द्वारा यह बात अपने उत्‍तर पत्र में बताई है कि परिवादी लोड कम कराने के लिए औपचारिकताएं पूरी करे किन्‍तु उसके द्वारा औपचारिकताएं पूरी न किए जाने के कारण परिवादी/प्रत्‍यर्थी का विद्युत का लोड कम नहीं किया जा सका। अत: उपरोक्‍त विवेचना आधार पर हम यह समीचीन पाते हैं कि यह अपील स्‍वीकार  किए जाने योग्‍य है एवं प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। इस प्रकरण में यह न्‍यायोचित है कि  उभयपक्ष को सुनवाई एवं साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए जाने का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्‍तारण गुण-दोष के आधार पर किया जाए।

                             आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0-१३३/१९९४ नरेश चन्‍द्र शर्मा बनाम अधिशासी अभियन्‍ता में पारित आदेश दिनांक २१/०५/१९९७ निरस्‍त किया जाता है। विद्वान जिला मंच को आदेशित किया जाता है कि वह उभयपक्ष को सुनवाई एवं साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए जाने का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्‍तारण गुण-दोष के आधार पर करे।  

     उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                                                                                                                                                                                                                 

     उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(अशोक कुमार चौधरी)                               (बाल कुमारी)

   पीठा0सदस्‍य                                      सदस्‍या

सत्‍येन्‍द्र

कोर्ट0 ३                

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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