(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-294/2010
Bajaj Allianz General Insurance Company Ltd.
Versus
Narendra Upadhyaya Proprietor M/S Goswami Auto Agency G.T. Road Etta & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री दिनेश कुमार, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :16.04.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-106/2007, नरेन्द्र उपाध्याय बनाम मै0 बजाज एलाइन्स जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 18.12.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, यद्यपि लिखित बहस प्रस्तुत की गयी है, जिस पर विचार किया गया है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद पत्र के कथनों के अनुसार परिवादी द्वारा अपनी दुकान का बीमा विपक्षी सं0 1 से दिनांक 23.10.2006 से दिनांक 22.10.2007 तक की अवधि के लिए 20,00,000/-रू0 के लिए कराया गया। दिनांक 14/15.11.2006 की रात्रि में दुकान में आग लग गयी। फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर द्वारा अंकन 2,30,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया। परिवादी द्वारा 16,71,500/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए उदावा प्रस्तुत किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के आधार पर 15,60,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट को क्षति का आंकलन करते समय विचार में लिया है, जो अनुचित है। विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क विधि से समर्थित है। फायर ब्रिगेड का कार्य क्षति का आंकलन करना नहीं है, अपितु अग्नि को शांत करना है। अपनी कार्यगुजारी के उद्देश्य से फायर ब्रिगेड इस आशय की एक रिपोर्ट तैयार करती है कि उनके द्वारा कितने मूल्य के सामान के संबंध में अग्नि को शांत किया गया है।
4. यह रिपोर्ट कदाचित क्षति के आंकलन की रिपोर्ट नहीं मानी जा सकती। क्षति का आंकलन करने के संबंध में सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट को विचार में ली जा सकती है। यदि सर्वेयर द्वारा क्षति का विस्तृत आंकलन किया गया है। यद्यपि यह रिपोर्ट बाध्यकारी नहीं है। परिवादी स्वतंत्र रूप से क्षति का आंकलन आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रस्तुत केस में चूंकि परिवादी ने क्षति का कोई स्वतंत्र आंकलन प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए सर्वेयर रिपोर्ट के आंकलन को स्वीकार किया जाना चाहिए था। फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के आधार पर क्षति का आंकलन करना अनुचित है। तदनुसार अपील इस सीमा तक स्वीकार योग्य है कि परिवादी केवल उस राशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, जिसका आंकलन सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में किया गया है, जो अंकन 2,30,000/-रू0 है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति अंकन 2,30,000/-रू0 परिवादी, विपक्षीगण से प्राप्त करेगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3