राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-898/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्धारा परिवाद सं0-156/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.4.2009 के विरूद्ध)
Panchayat Udyog Manjoor Garhi, District Aligarh, through its authorized Signatory Ex-Manager Raj Pal Singh Chauhan Pargana and Tehsil Koil, Aligarh.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Narendra Kumar, S/o Late Moti Singh supplier of J.P. (I.S.I.) Mark Cement near Police Post Jamalpur, Anoopshahar Road, Aligarh.
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री ओ0पी0 दुबेल
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री विकास अग्रवाल
दिनांक : 21-12-2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्धारा परिवाद सं0-156/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.4.2009 के विरूद्ध योजित की गई है, उक्त निर्णय के द्वारा परिवादी का परिवाद खण्डित किया गया है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी तथा प्रत्यर्थी के मध्य वर्ष 1995 के माह सितम्बर, अक्टूबर तथा नवम्बर में भिन्न-2 दिनांक पर जे0पी0 (आई0एस0आई0) मार्का सीमेंट की 360 बोरियां पंचायत उद्योग मन्जूरगढ़ी, जनपद अलीगढ़ को अम्बेडकर ग्रामों में शौचालयों के पिटकवर निर्माण हेतु आपूर्ति के सम्बन्ध में करार हुआ था। प्रतिवादी द्वारा गैर (एस0आई0एस0) ए0सी0पी0 मार्का सीमेंट जो स्थानीय जनपद अलीगढ़ में निर्मित की जाती है, की 360 दोषपूर्ण बोरियों की आपूर्ति की गयी थी, जिसका प्रयोग परिवादी द्वारा शौचालयों के पिटकवर के निर्माण कार्य में किया गया, जिसके कारण पिटकवरों में दरारें पडकर चटक गये और नष्ट हो गया, जिसके परिणामस्वरूप परिवादी को मु0 64000.00 रू0 की आर्थिक क्षति हुई इसके
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अतिरिक्त परिवादी को भविष्य में संविदा पिटकवर निर्माण हेतु प्राप्त होती, उससे भी वंचित रह गया। परिवादी को इसकी जानकारी उस समय हुई जब पिटकवरों को जनपद अलीगढ़ के विभिन्न विकास खण्डों में परिवादी द्वारा वितरण करने के पश्चात पिटकवरों में दरार व टूटने की शिकायत परिवादी को विकास खण्डों से प्राप्त हुई। इस प्रकार प्रतिवादी द्वारा जो सीमेंट परिवादी को प्रदान करायी गयी और परिवादी के साथ प्रवंचना का कार्य किया गया। परिवादी द्वारा प्रतिवादी को एक चेक 35,000.00 रू0 का बतौर अधिदाय वास्ते अग्रिम पूर्ति दिया गया था, परन्तु जैसे ही परिवादी को निम्न स्तर की सीमेंट की आपूर्ति का ज्ञान हुआ उसी समय परिवादी ने बैंक को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके उक्त चेक का भुगतान न करने का निर्देश दिया और परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद प्रतिवादी के विरूद्ध आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,64,000.00 का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादी की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 18.9.1995 से दिनांक 13.12.1995 की अवधि के बीच 381 सीमेन्ट के बैग दर 140.00 प्रति बैग खरीदे थे, जो जे0पी0 मार्का, ए0सी0पी0 मार्का सीमेन्ट था, जिसके खराब होने की कोई शिकायत परिवादी द्वारा नहीं की गई एवं प्रतिवादी तथा परिवादी के बीच इस संदर्भ में कोई भी इकरारनामा निष्पादित नहीं हुआ एवं परिवादी द्वारा प्रतिवादी को दो चेक धनराशि 30,000.00 तथा 10000.00 के दिये गये, जो एनकेश हुए इसके अतिरिक्त तीसरा चेक मु0 35000.00 रू0 का बैंक द्वारा इस आधार पर वसुमार कर दिया गया कि परिवादी द्वारा इसके भुगतान पर रोक लगा दी गयी है। परिवादी के प्रतिवादी की तरफ मु0 38120.00 रू0 बकाया है, जिन्हें बावजूद तलब तकाजा के परिवादी द्वारा जानबूझकर अदा नहीं किया गया है। प्रतिवादी द्वारा इस संदर्भ में परिवादी को नोटिस भी दिया गया जिसका परिवादी द्वारा गलत जवाब दिया गया। परिवादी का यह कथन कि प्रतिवादी द्वारा उसे निम्न क्वालिटी का सीमेंट दिया गया जिसके कारण पिटकवरों में दरार आकर टूट गये, इस प्रकार का परिवादी का कथन गलत है। प्रतिवादी का अपने जवाब दावा में यह भी कथन है कि उसका कोई भी ब्याज दिनांक
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21.12.1995 को सहायक जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज नहीं किया गया और न ही उस पर प्रतिवादी के हस्ताक्षर है। प्रतिवादी का यह भी कथन है कि वह सीमेंट का निर्माता नहीं है, बल्कि महज ट्रेडर की हैसियत से कार्य करता है, इसलिए उसका कोई भी दायित्व नहीं बनता है। परिवादी ने ए0सी0पी0 मार्का सीमेंट निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया है, इस कारण परिवाद में पक्षकार बनाये जाने का दोष है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद गलत तथा बनावटी तथ्यों पर आधारित है, जिसको खण्डित किया जाय।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 30.04.2009 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दुबेल तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित आये। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया है।
मौजूदा केस में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह पाया है कि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में प्रतिवादी के साथ हुए जिस करार का उल्लेख किया है ऐसे किसी भी करार की प्रति पत्रावली पर दाखिल नहीं की गयी है। जहॉ तक प्रतिवादी द्वारा परिवादी को गैर (एस0आई0एस0) ए0सी0पी0 मार्का सीमेंट की आपूर्ति किए जाने का सम्बन्ध है, परिवादी को ही अपनी साक्ष्य से यह सिद्ध करना है कि प्रतिवादी द्वारा आपूर्ति की गयी सीमेंट गैर एस0आई0एस0, ए0सी0पी0 मार्का की थी, जब कि परिवादी तथा प्रतिवादी के बीच जो करार हुआ था उसमें जे0पी0आई0एस0आई0 मार्का सीमेंट की आपूर्ति करने का हुआ था। फोरम का मत है कि परिवादी को प्रस्तुत साक्ष्य से यह सिद्ध करना था कि आपूर्ति की गयी सीमेंट की बोरियां जे0पी0 (आई0एस0आई0) मार्का की नहीं थी, बल्कि गैर (एस0आई0एस0) ए0सी0पी0 मार्का सीमेंट की थी। परिवादी ने परिवाद दायर करने के उपरांत न तो आपूर्ति किए गये सीमेंट का कोई सैम्पल फोरम के समक्ष ही प्रस्तुत किया और न ही कोई आवेदन फोरम के समक्ष इस बात का किया कि आपूर्ति किए गये सीमेंट की जॉच किसी राजकीय प्रयोगशाला से अर्थात नेशनल टैस्ट हाउस राजकीय प्रयोगशाला से करायी जाय। परिवादी की तरफ से अपने केस के समर्थन में दिनांक 25.12.1995 के पत्र जिसको एस0के0 शर्मा मैसर्स घेर जी ईस्टर्न लि0 कैम्प
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अलीगढ़ द्वारा श्री महेन्द्र सिंह मैनेजर मैसर्स हिन्द्र एग्रो इन्डस्ट्रीज लि0सी0डी0एफ0 कोम्पलैक्स, अलीगढ़ को लिखा गया है, को आधार मानते हुए इस बात पर बल दिया है कि चूंकि श्री महेन्द्र सिंह मैनेजर मैसर्स हिन्द एग्रो इन्डस्ट्री लि0सी0डी0एफ0 कोम्पलैक्स, अलीगढ़ द्वारा भी ए0सी0पी0 ब्राण्ड सीमेंट जिसको उनके द्वारा प्रतिवादी से खरीदा था और जिसको मैनेजर मैसर्स हिन्द एग्रो इन्डस्ट्रीज लि0 अलीगढ़ द्वारा जॉच हेतु मैसर्स घेर जी ईस्टर्न लि0 कैम्प, अलीगढ़ को भेजा था, उक्त जॉच रिपोर्ट में सीमेंट को अनउपयुक्त पाया गया था, इस कारण उसी रिपोर्ट को आधार मानकर यह निष्कर्ष निकाला जाये कि प्रतिवादी द्वारा आपूर्ति किया गया सीमेंट अनउपयुक्त श्रेणी का था, फोरम परिवादी के इस कथन/तर्क के कदापि सहमत नहीं है। फोरम की राय में श्री एस0के0 शर्मा, मैसर्स घेर जी ईस्टर्न लि0 कैम्प अलीगढ़ द्वारा श्री महेन्द्र सिंह मैनेजर, मैसर्स हिन्द एग्रो इण्डस्ट्रीज लि0 अलीगढ़ को सीमेंट टैस्टिंग की बातव लिखे गये पत्र दिनांक 25.12.1995 से परिवादी को कोई मदद नहीं मिलती है और न ही उक्त रिपोर्ट को आधार मानकर इस बात का ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रतिवादी द्वारा परिवादी को आपूर्ति की गयी सीमेंट अनउपयुक्त श्रेणी की अर्थात गैर एस0आई0एस0ए0सी0पी0 मार्का सीमेंट की थी। मैनेजर हिन्द एग्रो इन्स्ट्रीज लि0 अलीगढ़ द्वारा किस सीमेंट की जॉच मैसर्स घेरजी ईस्टर्न लि0 कैम्प अलीगढ़ से करायी उसका कोई भी सबल साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। फोरम का मत है कि परिवादी को फोरम के समक्ष आपूर्ति किए गये सीमेंट को बतौर सैम्पल प्रस्तुत करना चाहिए था तथा फोरम से इस बात का आग्रह करना चाहिए था कि प्रतिवादी द्वारा आपूर्ति किए गये सीमेंट के सैम्पल की जॉच किसी राजकीय प्रयोगशाला से कराये, परन्तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है, तब फिर किसी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष राजकीय प्रयोगशाला की जॉच रिपोर्ट के बगैर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि प्रतिवादी द्वारा परिवादी को आपूर्ति की गयी सीमेंट अनउपयुक्त एवं निम्न श्रेणी की थी अर्थात बिना एस0आई0एस0 मार्का की थी। प्रस्तुत परिवाद में जिस प्रकार का अनुतोष परिवादी ने प्रतिवादी के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की मॉग की है वह बिना किसी राजकीय प्रयोगशाला की जॉच रिपोर्ट के बगैर स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।
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मौजूदा केस में यह तथ्य स्पष्ट है कि परिवादी को पंचायत विभाग दर्शाया गया है, लेकिन उन्हें स्वयं पता होना चाहिए था कि वह जो सीमेंट प्रयोग कर रहे है और उसकी क्या गुणवत्ता होती है और ऐसा लगता है कि उक्त सीमेंट को यदि गलत मान भी लिया जाय, तो उक्त सीमेंट को बचाने के लिए पंचायत उद्योग द्वारा बिना मानक को तय हुए उक्त सीमेंट का प्रयोग किया गया और अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए उन्होंने केस का सहारा लिया और उक्त के सम्बन्ध में कही कोई सरकारी स्तर पर जॉच भी नहीं करायी गयी है एवं सीमेंट में कितनी बालू मिलानी चाहिए और उसका क्या अनुपात होना चाहिए, इसका कही जिक्र नहीं किया गया है और न ही कोई साक्ष्य दाखिल किया गया है।
इन सारे हालात, केस के तथ्यों व परिस्थितियों तथा जिला उपभोक्ता के निर्णय को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्मत और तर्क पूर्ण है एवं साक्ष्यों से समर्थित है और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार के हस्ताक्षेप की कोई गुनजाइश नहीं है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-5