मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1609/2010
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्या-96/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2010 के विरूद्ध)
फर्स्ट फ्लाइट कोरियर्स प्रा0लि0, रिजनल हेड आफिस स्थित 414-415, सहारा ट्रेड सेण्टर, फैजाबाद रोड, इन्दिरा नगर, लखनऊ द्वारा सीनियर मैनेजर श्री आर.एम. श्रीवास्तव।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
नरेन्द्र कुमार वर्मा पुत्र श्री लक्ष्मी चन्द्र वर्मा, निवासी-228/342, लक्खी गली, गोकुलपुरा, आगरा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 08.01.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्या-96/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी मेसर्स लक्ष्मी चन्द्र वर्मा के नाम से एक हस्तशिल्प निर्माता व आपूर्ति फर्म का संचालन करता है। परिवादी ने भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) द्वारा हैदराबाद (आन्ध्र प्रदेश) प्रदर्शनी स्थल पर दिनांक 03.05.2006 से दिनांक 09.05.2006 तक आयोजित एक हस्तशिल्प प्रदर्शनी
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में प्रतिभागिता हेतु चार पार्सल कन्साइनमेंट नम्बर एस.यू. 11156947 पर 562/- रूपये कोरियर शुल्क भुगतान करके अपीलकर्ता, कोरियर कम्पनी के सिंकदरा आगरा स्थित कार्यालय से हैदराबाद प्रदर्शनी स्थल पर पहुंचाये जाने हेतु बुक कराये। उक्त चारों पार्सलों में से एक पार्सल में डेमोस्ट्रेशन हेतु मशीनें थीं, जिनकी कीमत लगभग 50,000/- रूपये थी। अपीलकर्ता, कोरियर कम्पनी द्वारा उक्त चारों पार्सलों को गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाया गया, बल्कि तीन माह बाद तीन पार्सल अपीलकर्ता, कोरियर कम्पनी द्वारा परिवादी को प्राप्त कराये गये। एक पार्सल गायब था, जिसके अन्दर 20,000/- रूपये के मशीनी उपकरण थे। बाकी के तीनों पार्सलों में मौजूद हस्तशिल्प नमूने जो 50,000/- रूपये मूल्य के थे, उनमें से लगभग 5,000/- रूपये मूल्य के नमूने क्षतिग्रस्त हो चुके थे। परिवादी द्वारा अपीलकर्ता के कार्यालय में सम्पर्क करके क्षतिपूर्ति की मांग की गयी, किंतु अपीलकर्ता के कर्मचारियों द्वारा परिवादी के साथ अभद्रता की गयी। परिवादी का यह भी कथन है कि परिवादी के पत्र दिनांकित 02.06.2006 के जवाब में अपीलकर्ता ने अपने पत्र दिनांकित 28.06.2006 द्वारा यह स्वीकार किया कि एक पार्सल गुम हो चुका है, किंतु अपीलकर्ता द्वारा कोई क्षतिपूर्ति का भुगतान परिवादी को नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विधिक नोटिस भी अपीलकर्ता को प्रेषित की गयी, जिसका कोई उत्तर अपीलकर्ता द्वारा नहीं दिया गया। परिवादी के कथनानुसार सभी चारों पार्सलों को प्रदर्शनी स्थल हैदराबाद तक पहुंचाना अपीलकर्ता का दायित्व था, किंतु अपीलकर्ता द्वारा बुक किया गया एक पार्सल नहीं पहुंचाया गया तथा तीन पार्सल क्षतिग्रस्त स्थिति में पहुंचाकर सेवा में त्रुटि की गयी है।
अपीलकर्ता, कोरियर कम्पनी की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवादी मेसर्स लक्ष्मी चन्द्र वर्मा के नाम से कोई हस्तशिल्प निर्माता व आपूर्ति फर्म का संचालन नहीं
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करता है। अपीलकर्ता ने परिवादी द्वारा किसी भी दिवस पर चार पार्सल बुक कराये जाने से भी इंकार किया तथा इस तथ्य से भी इंकार किया कि परिवादी द्वारा कोई शिकायती पत्र प्रेषित नहीं किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवादी ने परिवाद अपीलकर्ता की शाख को कलंकित करने हेतु योजित किया है।
जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन करते हुए प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद स्वीकार किया तथा अपीलकर्ता को आदेशित किया कि वह परिवादी के द्वारा बुक कराये गये सामान के गायब होने व क्षतिपूर्ति सामान उपलब्ध कराये जाने के संबंध में धनराशि 20,000/- रूपये + 5,000/- रूपये, 25,000/- रूपये मय 06 प्रतिशत वार्षिक दर से परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से वास्तविक भुगतान की दिनांक तक इस निर्णय के एक माह के अंदर परिवादी को उपलब्ध करायें। इसके अतिरिक्त बतौर कोरियर बिल 562/- रूपये, एक व्यक्ति का किराया आना-जाना 1282/- रूपये, शारीरिक एवं मानसिक क्षति हेतु 10,000/- रूपये व परिवाद व्यय हेतु 2,000/- रूपये कुल 13,844/- रूपये भी उक्त अवधि में परिवादी को अदा करें।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपीलकर्ता की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। हमने प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपील के आधारों में अपीलकर्ता द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी ने एक पार्सल जो अपीलकर्ता द्वारा नहीं पहुंचाया जा सका, में स्थित मशीन के पार्ट्स का मूल्य 20,000/- रूपये परिवाद के अभिकथनों में अभिकथित किया है तथा अन्य तीन पार्सलों द्वारा भेजे गये उपकरणों में 5,000/- रूपये मूल्य के उपकरण की क्षति होना अभिकथित किया है, किंतु इस संबंध में कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं
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की गयी है। जिला मंच ने मात्र अनुमान के आधार पर प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपील के आधारों में अपीलकर्ता द्वारा यह भी अभिकथित किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 1282/- रूपये आने-जाने के किराये के रूप में बताया है, किंतु इस संदर्भ में भी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी है। अपील के आधारों में अपीलकर्ता द्वारा यह भी अभिकथित किया गया है कि प्रश्नगत पार्सल भेजे जाने के संदर्भ में जारी की गयी स्लिप पर अंकित शर्तों के अनुसार ही क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि अपील मेमों के साथ अपीलकर्ता ने अपीलकर्ता द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 28.06.2006 की फोटोप्रति प्रस्तुत की है, इस पत्र में अपीलकर्ता ने परिवादी द्वारा अपीलकर्ता के माध्यम से भेजे गये माल के संदर्भ में यह स्वीकार किया है कि भेजे गये चारों पार्सलों में से एक पार्सल गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाया जा सका तथा इस कार्य के लिए क्षमा की भी प्रार्थना की है। भेजे गये तीन अन्य पार्सलों के संदर्भ में परिवादी के अभिकथनों के अनुसार यह सभी पार्सल हैदराबाद में हस्तशिल्प प्रदर्शनी, जो दिनांक 03.05.2006 से दिनांक 09.05.2006 तक आयोजित थी, में प्रतिभागिता हेतु भेजे गये थे। शेष तीन पार्सल भी उक्त तिथि से लगभग तीन माह बाद क्षतिग्रस्त अवस्था में परिवादी को प्राप्त कराये गये। परिवादी के इन अभिकथनों के संदर्भ में अपीलकर्ता की ओर से जिला मंच में प्रस्तुत किये गये प्रतिवाद पत्र में इनको मात्र अस्वीकार किया गया है, किंतु विशिष्ट रूप से कोई अभिकथन अपीलकर्ता की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है कि शेष तीन पार्सल अपीलकर्ता को कब पहुंचाये गये न ही पत्र दिनांकित 28.06.2006 में अपीलकर्ता द्वारा स्थित स्पष्ट की गयी। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य है कि वास्तव में भेजे गये तीन पार्सल भी यथासमय परिवादी को प्राप्त नहीं कराये जा सके। स्वाभाविक रूप से सम्पूर्ण पार्सलों को न पहुंचाये जाने तथा मात्र तीन पार्सल प्रदर्शनी की अवधि के बाद
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पहुंचाये जाने के कारण परिवादी प्रदर्शनी में सम्मिलित होने के लाभ से वंचित रहा।
जहां तक अपीलकर्ता का यह कथन कि प्रश्नगत पार्सलों के परिवहन के संदर्भ में क्षतिपूर्ति की अदायगी परिवहन से संबंधित शर्तों के अनुसार ही की जा सकती है।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह स्पष्ट नहीं है कि जिला मंच के समक्ष उभय पक्ष द्वारा परिवहन से संबंधित कोई शर्त प्रस्तुत की गयी अथवा नहीं। अपीलीय स्तर पर अपीलकर्ता द्वारा शर्तें दाखिल की गयी हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन नहीं है कि यह शर्तें प्रश्नगत विवाद से संबंधित नहीं हैं। अपीलकर्ता की ओर से दाखिल की गयी शर्तों के अवलोकन से यह विदित होता है कि पार्सल के संबंध में अधिकतम 10,000/- रूपये का भुगतान प्रस्तावित है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी फर्म द्वारा बुक कराये गये चार पार्सल हैदराबाद भेजे जाने थे, जिनमें से एक पार्सल अपीलकर्ता द्वारा नहीं पहुंचाया गया तथा तीन पार्सल क्षतिग्रस्त स्थिति में तथा जिस प्रयोजन हेतु पार्सल भेजे जाने थे, उस प्रयोजन की अवधि समाप्त होने जाने के उपरांत यह पार्सल पहुंचाये गये। ऐसी परिस्थिति में निश्चित रूप से अपीलकर्ता द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है।
नि:संदेह प्रत्यर्थी/परिवादी ने भेजे गये पार्सल की वस्तुओं तथा उसके मूल्य के संबंध में कोई अभिलेखीय साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की, किंतु इस संदर्भ में शपथपत्र परिवादी फर्म की ओर से श्री नरेन्द्र कुमार वर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
जहां तक अपीलकर्ता के प्रश्नगत प्रकरण के संदर्भ में आचरण का प्रश्न है। अपीलकर्ता ने प्रत्यर्थी/परिवादी से यह स्वीकार करने के बावजूद कि उसका एक पार्सल पहुंचाया नहीं जा सका, परिवादी को कोई क्षतिपूर्ति का भुगतान
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करने का प्रयास नहीं साथ ही प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में चार पार्सल बुक कराने के तथ्य को भी अस्वीकार किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने 1282/- रूपये एक व्यक्ति का आगरा से हैदराबाद जाने का रेलवे का किराया बताया है, इसकी कोई रसीद अवश्य प्रस्तुत नहीं की है, किंतु अपीलकर्ता का भी यह कथन नहीं है कि आगरा से हैदराबाद जाने का एक व्यक्ति का रेलवे का किराया 1282/- रूपये नहीं है।
अपीलकर्ता द्वारा भेजे गये पार्सलों को सुरक्षित न पहुंचाकर तथा विलम्ब से पहुंचाने के कारण परिवादी की प्रदर्शनी स्थल पर भागेदारी निरर्थक हो गयी। निश्चित रूप से अपीलकर्ता के इस कृत्य के कारण परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडित भी होना पड़ा। अत: इस संदर्भ में भी प्रत्यर्थी/परिवादी की क्षतिपूर्ति कराया जाना न्यायसंगत होगा, क्योंकि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भेजे गये माल के मूल्य के संबंध में कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी है। अत: मामलें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्यर्थी/परिवादी को माल की क्षति एवं मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के संबंध में कुल 20,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान कराया जाना न्यायोचित होगा। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2010 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जता है।
अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्त किये जाने की तिथि से एक माह के अंदर प्रत्यर्थी/परिवादी को 20,000/- रूपये का भुगतान करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से सम्पूर्ण
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धनराशि की अदायगी तक प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलकर्ता से 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
उभय पक्ष को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध कर दी जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2