सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या 261 सन 2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2014 के विरूद्ध)
अपील संख्या 486 सन 15
1 रेलवे मेल सर्विस, रायबरेली द्वारा सुपरिन्टेंडेंट आफ पोस्ट आफिस, शहर एवं जिला रायबरेली ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
नरेन्द्र कुमार पुत्र श्री शंकर दयाल निवासी ग्राम राही पोल्क स्टेशन, मिल एरिया, जिला रायबरेली ।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - डा0 उदयवीर सिंह के सहयोगी
श्री कृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक:-02-09-2019
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या 261 सन 2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2014 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, परिवादी के कथनानुसार वह एक अनुसूचित जाति का बी0एड0 प्रशिक्षित बेरोजगार युवक है। बी0टी0सी0 प्रशिक्षण 2008 विशेष चयन हेतु उसने एक आवेदन पत्र दिनांक 19.12.2008 को जरिए स्पीट पोस्ट, प्राचार्य जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान, महोबा को निर्धारित शुल्क अदा करके भेजा। उक्त लिफाफा गन्तब्य तक 22.12.2008 तक अन्दर पहुचने की अनिवार्यता थी परन्तु अपीलार्थी विपक्षी द्वारा उक्त डाक 22.12.2008 को पहुचाई गयी जिसके कारण वह बी0टी0सी0 प्रशिक्षण 2008 विशेष चयन से वंचित हो गया और उससे कम अंक पाने वाले का चयन हो गया, अत: परिवादी ने 01 लाख क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया।
जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने डाक प्रेषण की कोई रसीद उपलब्ध नहीं करायी है और न ही विभाग में पंजीकृत पत्र वितरित न होने के संबंध में निर्धारित अवधि छह माह में कोई शिकायत दर्ज करायी। छह माह के अन्दर शिकायत करने पर ही जांच सम्भव है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर अपीलार्थी को विलम्ब का दोषी पाते हुए निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । परिवादी को विपक्षी से रू0 2000.00 क्षतिपूर्ति तथा रू0 500.00 वाद पाने का अधिकार है। विपक्षी परिवादी को दो माह के अंतर्गत उपरोक्त धनराशि अदा करे। दो माह के अंतर्गत संदर्भित धनराशि अदा न करने पर परिवादी विपक्षी से क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय की कुल धनराशि रू0 2500.00 पर वाद प्रस्तुत करने की तिथि 26.10.2009 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह के सहयोगी अधिवक्ता श्री कृष्ण पाठक के तर्क विस्तार पूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
बहस हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादी ने एक आवेदन पत्र दिनांक 19.12.2008 को जरिए स्पीट पोस्ट प्राचार्य जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान महोबा को निर्धारित शुल्क अदा करके भेजा। उक्त लिफाफा गन्तब्य तक 22.12.2008 तक अन्दर पहुचने की अनिवार्यता थी परन्तु अपीलार्थी विपक्षी द्वारा उक्त डाक 22.12.2008 को पहुचाई गयी जिसके कारण उसका चयन बी0टी0सी0 प्रशिक्षण 2008 विशेष चयन में नहीं हो सका तथा उससे कम अंक पाने वाले का चयन हो गया। जबकि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने डाक प्रेषण की कोई रसीद उपलब्ध नहीं करायी है और न ही विभाग में पंजीकृत पत्र वितरित न होने के संबंध में निर्धारित अवधि छह माह में कोई शिकायत दर्ज करायी। छह माह के अन्दर शिकायत करने पर ही जांच सम्भव है।अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि प्रश्नगत प्रकरण इण्डियन पोस्ट आफिस एक्ट की धाराधारा-06 से बाधित है] जो निम्नवत् अंकित है :-
Section 6 of the Indian Post Office Act. 1989 reads as under :
“6, Exemption from liability for loss, misdelivery, delay or damage - The Government shall not incur any liability by reason of the loss, misdelivery or delay of or damage to, any postal article in course of transmission by post, except insofar as such liability may in express terms be undertaken by the Central Government as hereinafter provided and no officer of the Post Office shall incur any liability by reason of any such loss, misdelivery, delay or damage, unless he has caused the same fraudulently or by his willful act or default.”
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली द्वारा 2009 (1) सीपीसी 360 (एनसी) रंजीत सिंह बनाम् सेक्रेटरी डिपार्टमेंट आफ पोस्ट्स गवर्नमेंट आफ इण्डिया, नई दिल्ली व अन्य, Revision Petition No. 2751of 2008 Decided on 17-09-2008 में पारित विधि व्यवस्था को सन्दर्भित किया, जिसके अन्तर्गत निम्नवत् अवधारित किया गया है :-
“ Section 6 – Postal service – A registered letter containing demand draft was sent by the complainant which was not delivered to addressee – Complaint filed – District Forum accepting the complaint directed OP to pay amount of bank draft with interest at the rate of 18 % p.a. and cost of Rs.5,000/- - State Commission set aside the order giving rise to present revision – Held, in view of the Post Office Act, postal employees cannot be held liable for mis-delivery of the registered letter in the absence of any willful act on their part – Order of State Commission upheld.”
उपरोक्त विश्लेषण के आधर पर पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि भारतीय डाक अधिनियम की धारा-06 एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग के द्वारा अवधारित विधि व्यवस्था के आलोक में जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि संगत एवं न्यायोचित नहीं है। फलस्वरूप अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त होने तथा परिवाद निरस्त किये जाने योगय है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या 261 सन 2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2014 अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की सत्य प्रति पक्षकारों को विधिवत उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)