Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1517

Sahara India - Complainant(s)

Versus

Nanka Khatoon - Opp.Party(s)

A K Srivastava

18 Jul 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1517
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sahara India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nanka Khatoon
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Jul 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1517/2010

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोण्‍डा द्वारा वाद संख्‍या-98/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.07.2010 के विरूद्ध)

 

1. सहारा इण्डिया, ब्रांच आफिस, बड़गांव, जिला गोण्‍डा, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

2. सहारा इण्डिया परिवार, कर्त्‍तव्‍य काउंसिल, सहारा इण्डिया, 7 कपूरथला काम्‍प्‍लेक्‍स, लखनऊ 2264024, द्वारा अथराइज्‍ड रिप्रेसेंटेटिव।

 

                            अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्      

श्रीमती ननका खातून पत्‍नी श्री बब्‍लू अली, उज्‍जैनी जमाल, पोस्‍ट बहलोलपुर, परगना तहसील व जिला गोण्‍डा।

                                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक 08.09.2016

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद सं0-98/2005, श्रीमती ननका खातून बनाम शाखा प्रबन्‍धक सहारा इण्डिया व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोण्‍डा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.07.2010 से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है:-

‘’ परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि गोल्‍डेन-7 वार्षिक योजना के अन्‍तर्गत परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि को योजना के नियमों के अनुसार 14,500/- परिपक्‍वता धनराशि का भुगतान निर्णय के दो माह के अन्‍दर सुनिश्‍चित करें। विपक्षीगण को उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान परिवादिनी को 15.03.04 को कर देना चाहिये था, परन्‍तु विपक्षीगण ने उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान नहीं किया, ऐसी स्थिति में 14,500/- पर भुगतान की तिथि तक 8 (आठ) प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज का भी भुगतान करेंगे।

वाद व्‍यय के रूप में परिवादिनी विपक्षीगण से दो हजार रूपये तथा मानसिक तथा शारीरिक कष्‍ट के लिए 10,000/- रूपये क्षतिपूर्ति भी प्राप्‍त करेंगी। विपक्षीगण उपरोक्‍त क्षतिपूर्ति का भुगतान भी परिवादिनी को दो माह के अन्‍दर सुरिनश्‍चित करेंगे। ‘’ 

उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।

प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी/प्रत्‍यर्थी ने विपक्षीगण/अपीलार्थीगण द्वारा संचालित गोल्‍डेन-7 योजना के अन्‍तर्गत दिनांक 15.03.1997 को अपना खाता खोला, योजना के अनुसार परिवादिनी को यह बताया गया कि रू0 1200/- जमा करने पर अन्तिम जमा तिथि के एक साल बाद रू0 8400/- पर परिपक्‍वता पहली किश्‍त रू0 14,500/- मिलेगी। इस प्रकार परिवादिनी ने विपक्षीगण के यहां खाता खुलवाकर अपनी पहली किश्‍त जमा कर दी। इस प्रकार परिवादिनी लगातार रू0 1200/- वार्षिक किश्‍त देती रही और जमा अवधि पूर्ण होने के उपरान्‍त जब परिवादिनी ने अपनी जमा धनराशि वापस करने हेतु अनुरोध किया तो शाखा प्रबनधक ने कहा कि केवल रू0 8400/- ही मिलेगा, जिससे परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट हुआ, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण उपस्थित हुए और अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया और यह अभिवचित किया गया कि परिवादिनी द्वारा गोल्‍डेन-7 योजना के अन्‍तर्गत दिनांक 15.03.1997 को रू0 1200/- मासिक की दर से खाता खोला था, अत: परिवादिनी को उपरोक्‍त धनराशि प्रत्‍येक माह जमा करनी थी, जबकि ऐसा न करके उसने वार्षिक किश्‍त 1200/- रूपये जमा की गयी है, इसलिए नियमत: परिवादिनी अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी नहीं है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष को सुनने एवं उपलब्‍ध अभिलेखों पर विचार करने के उपरान्‍त गुणदोष के आधार पर उपरोक्‍त् निर्णय/आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क प्रस्‍तुत किया कि परिवादिनी ने गोल्‍डेन-7 योजना के अन्‍तर्गत अपना खाता दिनांक 15.03.1997 को खोला था, जिसकी किश्‍त रू0 1200/- प्रतिमाह जमा करनी थी, परन्‍तु परिवादिनी ने नियमित रूप से रू0 1200/- किश्‍त प्रतिमाह जमा नहीं की, जो कि योजना के नियमों का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन है, अत: अपीलार्थी नियमानुसार परिपक्‍व धनराशि अदा करने हेतु उत्‍तरदायी नहीं है। जिला फोरम ने जो निर्णय/आदेश दिनांक 27.07.2010 को पारित किया है, वह सही एवं उचित नहीं है, अत: अपास्‍त होने योग्‍य है।

 

  आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे प्रकट होता है कि अपील मेमों के साथ संलग्‍नक-1 प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत किये गये निवेश से संबंधित फार्म है, जिसमें मोड के कॉलम में मासिक विकल्‍प चुना जाना प्रदर्शित है, किन्‍तु उल्‍लेखनीय है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा रू0 1200/- वर्ष 1997 से वर्ष 2004 अर्थात् 07 वर्षों तक प्रतिवर्ष जमा किया गया है। निवेश की यह योजना 84 माह की है। इस निवेश से संबंधित शर्तों में अकाउण्‍ट सेटलमेंट चार्ट में वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, त्रैमासिक तथा मासिक विकल्‍प में निवेश पर अर्जित ब्‍याज दर प्रदर्शित की गयी है। वार्षिक विकल्‍प में यह प्रदर्शित है कि रू0 1200/- जमा किये जाने पर परिपक्‍वता धनराशि रू0 15,803/- होगी, जबकि इस योजना के अन्‍तर्गत न्‍यूनतम 05 रूपये प्रतिमाह जमा कर सकना प्रदर्शित है। निवेश से संबंधित फार्म में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अंगूठा लगाया गया है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि निवेशक एक अशिक्षित महिला है। वार्षिक विकल्‍प में रू0 1200/- जमा किये जाने की स्थिति में परिपक्‍वता धनराशि रू0 15,803.60 प्रदर्शित की गयी है। यह तथ्‍य भी विशेष महत्‍व का है कि अपीलार्थी ने 07 वर्षों तक लगातार रू0 1200/- प्रतिवर्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से प्राप्‍त किये हैं। यद्यपि निवेश के फार्म में मासिक विकल्‍प पर सही का निशान लगा है, किन्‍तु उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी द्वारा मासिक रूप से किश्‍तें जमा न किये जाने के बावजूद वार्षिक किश्‍तें स्‍वीकार की जाती रहीं हैं। यदि अपीलार्थी द्वारा निवेश को मासिक विकल्‍प के रूप में ही स्‍वीकार किया गया होता तो स्‍वाभाविक रूप से प्रतिमाह रू0 1200/- जमा न किये जाने की स्थिति में अपीलार्थी द्वारा इस संबंध में कोई पत्राचार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को किया जाता अथवा नियमित किश्‍तें न जमा किये जाने के कारण आगे किश्‍तें स्‍वीकार न की गयीं होतीं। उपरोक्‍त परिस्थितियॉं यह इंगित करती हैं कि अपीलार्थी ने इस योजना के अन्‍तर्गत निवेश वस्‍तुत: रू0 1200/- वार्षिक के रूप में ही स्‍वीकार किया है। मामलें की परिस्थितियों के अन्‍तर्गत मासिक विकल्‍प पर सही का लगाया चिन्‍ह विशेष महत्‍व का नहीं माना जा सकता है। प्रश्‍नगत योजना 07 वर्ष की है और 07 वर्षों तक रू0 1200/- प्रतिवर्ष की दर से किश्‍तें अपीलार्थी द्वारा स्‍वीकार की गयीं हैं और अब योजना के परिपक्‍व होने पर अपीलार्थी द्वारा इस आधार पर कि मासिक विकल्‍प निवेशकर्ता द्वारा चुना गया था। परिपक्‍वता धनराशि की अदायगी न किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है, अत: अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि निवेश की शर्तों में पक्षकारों के मध्‍य विवाद मध्‍यस्‍थ के द्वारा निपटाया जाना दर्शित है, अत: परिवाद जिला फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं था। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-3 के अनुसार ‘’इस अधिनियम के उपबन्‍ध तत्‍समय प्रवृत्‍त किसी अन्‍य विधि के उपबन्‍धों के अतिरिक्‍त होंगे, न कि उसके अल्‍पीकरण में।‘’ ऐसी परिस्थिति में जबकि विवाद परिवाद योजित किये जाने के पूर्व मध्‍यस्‍थ को सन्‍दर्भित नहीं किया गया उपभोक्‍ता मंच द्वारा विवाद की सुनवाई बाधित नहीं मानी जा सकती है।    

यद्यपि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा दाखिल की गयी योजना की शर्तों में रू0 1200/- वार्षिक जमा किये जाने पर परिपक्‍वता राशि रू0 15,803.60 प्रदर्शित है, किन्‍तु उल्‍लेखनीय है कि स्‍वंय प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद में परिपक्‍वता की धनराशि रू0 14,500/- बतायी है और यही धनराशि दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है। तदनुसार जिला फोरम द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया गया है। इस आदेश के विरूद्ध कोई अपील भी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा योजित नहीं की गयी है। विद्वान जिला फोरम ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का परिशीलन करते हुए निर्णय/आदेश पारित किया है, जिसमें हस्‍तक्षेप करने का कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

पक्षकारान इस अपील का व्‍यय अपना-अपना स्‍वंय वहन करेंगे।

 

 

 

 

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                      (संजय कुमार)

          पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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