(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 687/2019
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0- 63/2016 में पारित निर्णय और आदेश दि0 28.03.2019 के विरूद्ध)
1. Bajaj Finance limited (Earlier known as Bajaj auto finance limited), C/o Bajaj auto limited. Through Authorized representative materials gate, Old Service building, Mumbai Pune road, Akurdi, Pune-411035
2. Bajaj auto finance limited Through Authorized representative 2nd floor, Bajaj Motorcycle agency building opposite State Bank of India, Bank road, Gorakhpur (Proforma party)
…….Appellants
Versus
1. Nandlal S/o Late Mr. Bipat R/o Rakshvapar, Post Kusumhi, Thana: Piparaich, District: Gorakhpur.
2. Proprietor Auto Sales 28, NH road, Indiranagar Dhala, Daudpur, Gorakhpur.
3. Proprietor Siddhartha Auto sales, Opposite Sanjay fracture clinic, National highway road, Near Rustompur, Dhala, Gorakhpur.
…….Respondents
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री लल्ला राम चौहान,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री उमेश धर द्विवेदी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 01.01.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 63/2016 नन्दलाल बनाम मुख्य महाप्रबंधक, बजाज आटो फाइनेंस लि0 व तीन अन्य में जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 28.03.2019 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद एकपक्षीय रूप से अंशत: स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’प्रस्तुत परिवाद, विपक्षी सं0 1 के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से अंशत: सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0- 1 को यह आदेशित किया जाता है कि वह आज की तिथि से पैंतालीस दिवसों के अन्दर परिवादी को प्रश्नगत वाहन थ्री व्हीलर की क्षति की क्षतिपूर्ति धनराशि मु0 100000 (एक लाख) रूपये व पर्सनल एक्सीडेंट कवर की धनराशि मु0 100000 (एक लाख) रूपये कुल मु0 200000 (दो लाख) रूपये क्षतिपूर्ति की धनराशि व इस धनराशि पर वाद प्रस्तुत करने की तिथि से आज की तिथि तक छ: प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की धनराशि अदा कर दें। यदि विपक्षी सं0- 1 द्वारा उपरोक्त निर्धारित अवधि में परिवादी को सम्पूर्ण धनराशि मय ब्याज की अदायगी नहीं की जाती है तो विपक्षी सं0 1 सम्पूर्ण धनराशि पर अन्तिम अदायगी तक 10 (दस) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करेगा।
इस निर्णय की एक प्रति परिवादी के व्यय पर विपक्षी सं0- 1 को पंजीकृत डाक से प्रेषित की जावे।‘’
जिला आयोग के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गई है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री लल्ला राम चौहान और प्रत्यर्थी सं0- 1 जो परिवाद में परिवादी है की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश धर द्विवेदी उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने अपीलार्थीगण और प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी नंदलाल ने उपरोक्त परिवाद जिला आयोग के समक्ष अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 और 3 के विरुद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने एक बजाज थ्री व्हीलर स्व नियोजन से अपने व परिवार के जीविकोपार्जन हेतु प्रत्यर्थी सं0- 2 से क्रय किया। उसने 60,100/-रू0 मार्जिन मनी प्रत्यर्थी सं0- 2 के यहॉं जमा किया और अपीलार्थीगण से 1,95,545/-रू0 का ऋण प्राप्त कर अवशेष धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी सं0- 2 को किया। तदोपरांत वह ऋण करार पत्र के अनुसार ऋण की किश्तों का भुगतान प्रत्यर्थी सं0- 2 के यहॉं करने लगा। उसने 60,100/-रू0 अग्रिम धनराशि मिलाकर कुल 1,05,385/-रू0 प्रत्यर्थी सं0- 2 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 3 है के यहॉं जमा किया। उसके बाद प्रत्यर्थी सं0- 2 की एजेंसी समाप्त हो गई और उसके स्थान पर हिन्द होण्डा नाम से टू व्हीलर की एजेंसी स्थापित हो गई। तदोपरांत दि0 05.05.2014 को प्रत्यर्थी सं0- 2 ने प्रत्यर्थी/परिवादी को बताया कि उसकी एजेंसी अब अस्तित्व में नहीं है। उसे ऋण की किश्तों को अपीलार्थी सं0- 2 के यहॉं जमा करना होगा तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 05.05.2014 से दि0 12.10.2014 तक विभिन्न तिथियों में अपने ऋण की किश्तों का भुगतान अपीलार्थी सं0- 2 के यहॉं किया और कुल 28,367/-रू0 का भुगतान उसे किया। उसके बाद दि0 05.12.2014 को अपीलार्थी सं0- 2 ने प्रत्यर्थी/परिवादी को बताया कि अब वह ऋण की किश्तों की अदायगी नये बजाज कम्पनी के विक्रेता प्रत्यर्थी सं0- 3 के यहॉं करे तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 05.12.2014 से दि0 04.06.2015 तक 35,190/-रू0 किश्तों की अदायगी में प्रत्यर्थी सं0- 3 के यहॉं जमा किया। इस प्रकार उसने अपने ऋण के सम्बन्ध में कुल धनराशि 1,68,942/-रू0 का भुगतान किया। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी का उपरोक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया और दुर्घटना में प्रत्यर्थी/परिवादी भी घायल हो गया। घायल होने के कारण उसने तत्काल सूचना अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 और 3 को नहीं दिया। ठीक होने पर उसने दि0 10.09.2015 को दुर्घटना की सूचना प्रत्यर्थी सं0- 3 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 4 है को दिया तब प्रत्यर्थी सं0- 3 ने उसे आश्वासन दिया कि उसके क्षतिग्रस्त थ्री व्हीलर के क्लेम का शीघ्र भु्गतान कर दिया जायेगा, परन्तु बाद में वह टाल-मटोल करने लगा और कहने लगा कि जहॉं से यह वाहन क्रय किया है उससे सम्पर्क करिये तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी सं0- 2 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 3 है से सम्पर्क किया तो उसने बताया कि अब उसकी एजेंसी नहीं है। इसलिए वह कुछ नहीं कर सकता है। इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही प्रत्यर्थी सं0- 3 द्वारा ही की जा सकती है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया तब वह अपीलार्थी सं0- 2 के कार्यालय में माह नवम्बर 2015 के अन्तिम सप्ताह में गया तो उनके द्वारा बताया गया कि थ्री व्हीलर उसकी फाइनांस कम्पनी से अनुबन्धित है। इस कारण उसे चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वाहन स्वामी को हुई क्षति की भरपाई उसकी अनुबंधकर्ता फाइनांस कम्पनी द्वारा की जाती है। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने पुन: अपीलार्थी सं0- 1 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 1 है से सम्पर्क किया तो उसने बताया कि उसके यहॉं कोई क्लेम प्रेषित नहीं किया गया है। अंत में परेशान होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी सं0- 1 एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 को नोटिस भेजा, परन्तु उसे नोटिस का कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ तब क्षुब्ध होकर उसने परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर निम्न अनुतोष चाहा है:-
‘’यह कि प्रार्थी छह माह से बिल्कुल बेरोजगार है उसको प्रतिवादीगण से दावा दाखिला की तिथि तक का आर्थिक नुकसान 10,000x6=60,000 (साठ हजार रू0) थ्री व्हीलर अथवा उसके बदले मुबलिग 2,00,000/-रू0 (दो लाख रू0) एवं भविष्य में होने वाली आय लगभग मुबलिग 2,00,000/- (दो लाख रू0) कुल रकम मुबलिग 4,60,000/-रू0 (चार लाख साठ हजार रू0) प्रतिवादीगण से दिलवाया जाए तथा इसके अतिरिक्त यदि प्रार्थी किसी अन्य अनुतोष का अधिकारी पाया जाए तो उसे भी प्रतिवादीगण से दिलाया जाए।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 जो परिवाद में विपक्षीगण हैं को जिला आयोग द्वारा नोटिस भेजी गई है और उन पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है, फिर भी वे जिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: उनके विरुद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गई है। बाद में अपीलार्थीगण जो परिवाद में विपक्षीगण सं0- 1 व 2 हैं ने उपस्थित होकर एकपक्षीय आदेश निरस्त करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है जिसे जिला आयोग ने आदेश दि0 23.10.2018 के द्वारा अपीलार्थीगण की अनुपस्थिति में निरस्त कर दिया है और परिवाद एकपक्षीय रूप से निर्णीत कर अपीलार्थी सं0- 1 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 1 है के विरुद्ध स्वीकार किया है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय तथ्य और विधि के विरुद्ध है। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को अपना कथन व साक्ष्य जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दिया गया है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थीगण की अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय अपास्त किया जाए।
प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय तथ्य और विधि के अनुसार सही है। अपील बलरहित है और निरस्त किये जाने योग्य है।
हमने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा 5 में कहा है कि उसे प्रतिवादी सं0- 3 द्वारा वाहन की आर0सी0, परमिट आदि प्रमाण पत्र कुछ दिन बाद उपलब्ध कराया गया और कहा गया कि लोन के चुकता होने तक बीमा आदि समस्त कार्य एजेंसी के माध्यम से कराया जाता रहेगा। लोन की किश्तें आदि प्रतिवादी सं0- 3 के पास जमा करना होगा। अत: परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार परिवाद के विपक्षी सं0- 3 जो अपील में प्रत्यर्थी सं0- 2 है ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन का बीमा लोन चुकता होने तक कराने का आश्वासन दिया था।
परिवाद पत्र की धारा 18 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने कहा है कि प्रतिवादी सं0- 2 बजाज आटो फाइनांस कम्पनी लि0 के स्थानीय कार्यालय से नवम्बर 2015 के आखिरी सप्ताह में सम्पर्क किया तो वहॉं से उसको यह जानकारी मिली कि उसका थ्री व्हीलर बजाज आटो फाइनांस कं0लि0 जो वाहन निर्माता कम्पनी भी है से अनुबन्धित है। इसलिए उसको कोई चिन्ता करने की बात नहीं है जब तक वाहन लोन पर रहता है तब तक अनुबंधकर्ता भी उसका स्वामी रहता है। इसलिए वास्तविक क्षति की समस्त भरपाई अनुबंधकर्ता करता है।
परिवाद पत्र की धारा 05 के उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी सं0- 2 जो परिवाद में विपक्षी सं0- 3 है, प्रत्यर्थी/परिवादी को वाहन का लोन चुकता होने तक बीमा आदि समस्त कार्य एजेंसी के माध्यम से कराये जाने का आश्वासन दिया था, परन्तु परिवाद पत्र से यह स्पष्ट नहीं है कि उसने बीमा कराया था और बीमा वाहन की प्रश्नगत दुर्घटना के समय प्रभावी था। यदि बीमा दुर्घटना के समय प्रभावी था तो बीमा कम्पनी वाहन की हुई क्षति की पूर्ति हेतु विधि के अनुसार उत्तरदायी होगी। यदि प्रत्यर्थी सं0- 2 ने परिवाद पत्र की धारा 05 में कथित आश्वासन दिया और उसके बाद भी वाहन का बीमा नहीं कराया तो यह उसकी सेवा में कमी है। अत: यह देखा जाना आवश्यक है कि क्या प्रत्यर्थी सं0- 2 ने प्रत्यर्थी/परिवादी को बीमा कराने का आश्वासन दिया था और उसके द्वारा बीमा न कराया जाना उसकी सेवा में कमी है। प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन की क्षतिपूर्ति करने हेतु फाइनांसर कैसे उत्तरदायी है। यह प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्पष्ट नहीं किया है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि जिला आयोग ने आक्षेपित निर्णय व आदेश अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 की अनुपस्थिति में एकपक्षीय रूप से पारित किया है। अपीलार्थीगण जिला आयोग के समक्ष उपस्थित हुए हैं और एकपक्षीय आदेश को अपास्त करने हेतु आवेदन भी किया है, परन्तु पुन: अनुपस्थित हो गये हैं।
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि जिला आयोग अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 अर्थात परिवाद के सभी विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करे।
जिला आयोग के निर्णय के अनुसार अपीलार्थीगण जिला आयोग के समक्ष नोटिस तामील होने के बाद नियत तिथि पर उपस्थित नहीं हुए हैं। बाद में वे उपस्थित होकर पुन: अनुपस्थित हो गये हैं। ऐसी स्थिति में यह उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थीगण से 20,000/-रू0 हर्जा प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाए।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्यर्थी सं0- 1 जो परिवाद में परिवादी है को 20,000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 को लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देकर उभयपक्ष को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर दे और पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करे।
उभयपक्ष जिला आयोग के समक्ष दि0 24.02.2020 को उपस्थित हों। तदोपरांत निश्चित तिथि से तीस दिन के अन्दर लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर जिला आयोग अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 जो परिवाद में विपक्षीगण हैं को प्रदान करेगा और लिखित कथन हेतु आगे समय दिये बिना उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश शीघ्र पारित करेगा।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 व उस पर अर्जित ब्याज से हर्जा की उपरोक्त धनराशि 20,000/-रू0 का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को किया जायेगा और अवशेष धनराशि अपीलार्थीगण को वापस कर दी जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह, आशु0
कोर्ट नं0- 1