Uttar Pradesh

StateCommission

R/2008/70

Sahara India - Complainant(s)

Versus

Nand Lal - Opp.Party(s)

Alok Kumar Srivastav

07 Dec 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. R/2008/70
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Sahara India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nand Lal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Dec 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, लखनऊ उ0प्र0

                                                            पुनरीक्षण संख्‍या- 70/2008        सुरक्षित   

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0 164/2000 में पारित आदेश दिनांकित 19-03-2008 के विरूद्ध) 

1-सहारा इंडिया, सहारा इंडिया भवन, 1-कपूरथला काम्‍पलेक्‍स,अलीगंज, लखनऊ द्वारा अधिकृत प्राधिकारी।

2-सहारा इंडिया, ब्रान्‍च आफिस, सिकरीगंज, जिला- गोरखपुर, द्वारा अधिकृत प्राधिकारी।

                                                     पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण

                                बनाम    

श्री नन्‍द लाल पुत्र स्‍व0 श्री लक्ष्‍मी अग्रहर निवासी ऊॅटवा बाजार, टप्‍पा कुसमौल, परगना धुरियापुर, तहसील- गोला, जिला- गोरखपुर।                                   प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                   

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थिति  : श्री ए0के0 श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थिति        : कोई नहीं।

दिनांक- 06-02-2017

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उद्घोषित

       निर्णय

      प्रस्‍तुत पुनरीक्षण जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0 164/2000 में पारित आदेश दिनांकित 19-03-2008 के विरूद्ध योजित की गई है।

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष प्रार्थना पत्र अर्न्‍तगत धारा-11 दीवानी प्रक्रिया संहिता विपक्षीगण की ओर से दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि परिवादी के पिता स्‍व0 लक्ष्‍मी अग्रहरी द्वारा विपक्षी के शाखा कार्यालय सिकरीगंज में दिनांक 16-07-1997 को रूपया 2500-00 जमा करके स्‍कीम गोल्‍डेन की के अर्न्‍तगत नियम व शर्तो को भलीभॉति सोच समझकर खाता ओपनिंग फार्म पर अपने हस्‍ताक्षर करते हुए खाता खोला गया था, जिसका खाता सं0 93383 तथा कोड नम्‍बर 0733 है। प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि स्‍कीम के नियम एवं शर्तो के अर्न्‍तगत नियम संख्‍या-14 में विवाचन का प्राविधान है, जिसमें कहा गया है कि कम्‍पनी और खाताधारी के मध्‍य किसी भी प्रकार का विवाद अथवा मतभेद उत्‍पन्‍न होने पर सम्‍बन्धित विवादों एवं मतभेदों का समझौता करने के लिए कम्‍पनी को विवाचक (आर्बिट्रेटर) नियुक्‍त करने का अधिकारी होगा। कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त किये गये विवाचक का निर्णय दोनेां ही पक्षों पर समान रूप से बाध्‍यकारी होगा। स्‍कीम के नियम-14 के अर्न्‍तगत परिवादी द्वारा अपना विवाद माननीय विवाचन न्‍यायाधिकरण के समक्ष आर्बिट्रेटर एण्‍ड कन्‍सीलिएशन अधिनियम 1996 के अर्न्‍तगत  प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षी द्वारा अपना जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया। परिवादी एवं विपक्षी को सुनने व समस्‍त साक्ष्‍यों पर

(2)

विचार करने के उपरान्‍त माननीय एकल विवाचक श्री रवि भूषण श्रीवास्‍तव, एडवोकेट द्वारा दिनांक26-06-2006 को एवार्ड पारित करते हुए परिवादी का दावा निरस्‍त कर दिया गया एवं एवार्ड की एक-एक प्रतिलिपि दोनों पक्षों को प्राप्‍त करा दी गई। उपरोक्‍त एवार्ड माननीय विवाचक द्वारा पक्षकारों को पूर्णतया सुनवाई का मौका देते हुए पारित किया गया है। वर्तमान परिवाद के वाद विन्‍दु एवं वाद पद के विषय विवाचन कार्यवाही के वाद बिन्‍दु एवं वाद पद के विषय एक समान है तथा पक्षकरान भी समान है और विवाचन न्‍यायधिकरण द्वारा वाद सुना एवं अंतिम रूप से निर्णीत किया जा चुका है। अत: परिवादी का परिवाद दीवान प्रक्रिया संहिता की धारा-11 के अर्न्‍तगत प्राडन्‍याय के सिद्धान्‍त से बाधित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है और प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम से प्रार्थना है कि उपरोक्‍ता आधारों पर परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया जाय।

      प्रतिवादी के प्रार्थना पत्र अर्न्‍तगत धारा-11 दीवानी प्रक्रिया संहिता पर परिवादी द्वारा आपत्ति दाखिल किया गया, जो संलग्‍नक कागज सं0-9 है, जिसमें कहा गया है कि फोरम के समक्ष मुकदमा वर्ष 2000 से लम्बित है और विपक्षीगण द्वारा केवल कोई न कोई निरर्थक बहस बताकर आपत्तियां की जाती रही और मुकदमें में केवल यही देखा जाना है कि विपक्षीगण की सेवाओं में कोई दोष है अथवा नहीं और उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 स्‍पेशल एक्‍ट है और पक्षकारों के बीच यदि किसी प्रकार की कोई संविदा कन्‍ज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन एक्‍ट 1986 को प्रभावित करता है तो वह संविदा फोरम के लिए मान्‍य नहीं होगा। विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत प्रार्थना-पत्र में महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को बदनीयती से छिपाया गया है कि एकल विवाचक श्री रवि भूषण श्रीवास्‍तव, एडवोकेट को कब और कैसे और किसने नियुक्‍त किया।

      इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता फोरम ने आदेश दिनांक 19-03-2008 में कहा है कि विपक्षीगण की ओर से संदर्भित । (1992) सी.पी.जे. 271 एन0सी0 वर्तमान मामले में ऐसी स्थिति नहीं है और परिवादी की ओर से मध्‍यस्‍थ को निर्देशित करने की कोई कार्यवाही अभिलेख से साबित नहीं होती है और नजीर का फायदा विपक्षीगण को नहीं दिया जा सकता।

      निगरानीकर्ता द्वारा प्रस्‍तुत निगरानी में यह कहा गया है कि लक्ष्‍मी अग्रहर ने 2500-00 रूपये ब्रान्‍च आफिस सिकरीगंज में दिनांक 16-07-1987 को जमा किया और गोल्‍डेन की मेम्‍बर बन गया और उसके बाद उनकी मृत्‍यु दिनांक 23-10-1992 को हो गई, लेकिन मृत्‍यु का कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया गया। परिवादी ने कालबाधित परिवाद 20-09-2000 को जिला

(3)

उपभोक्‍ता फोरम गोरखपुर में दाखिल कर दिया और यह भी कहा गया है कि माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के रिटपिटीशन संख्‍या 926/1986 के द्वारा तथा माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद लखनऊ बेंच का आदेश रजिस्‍ट्रार फर्म सोसाइटीज और चिट्स उत्‍तर प्रदेश का आदेश दिनांक 16-08-1999 है, जिसमें निगरानीकर्ता कम्‍पनी को 4 महीने के अर्न्‍तगत समाप्‍त करने के लिए शर्त दी गई थी। रजिस्‍ट्रार फर्म सोसाइटीज लखनऊ के आदेश के अनुपालन में निगरानीकर्ता अपनी स्‍कीम बन्‍द कर दिया। माननीय उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के अनुपालन में जो सिविल मिस‍लिनयस रिटपिटीशन सं0-3924/2003 मेसर्स सहारा इंडिया लिमिटेड बनाम द रजिस्‍ट्रार फर्म सोसाइटीज एवं  चिट्स यू0पी0 लखनऊ में निगरानीकर्ता ने 19,61,206-00 रूपये रजिस्‍ट्रार फर्म सोसाइटीज के यहॉ जमा किया और उक्‍त स्‍कीम बन्‍द होने से परिवादी उपभोक्‍ता नहीं रह गया और यह भी निगरानी में कहा गया है कि आर्बिट्रेटर के अधीन उक्‍त मामला तय होना था। आर्बिट्रेटर के समक्ष नन्‍द लाल ने अपनी लिखित आ‍पत्ति दिनांक 25-11-2005 व 13-02-2006 को रजिस्‍टर्ड पोस्‍ट से भेजा था। आर्बिट्रेटर ने दिनांक 26-06-2006 को अपना एवार्ड पारित कर दिया है और उक्‍त एवार्ड के सम्‍बन्‍ध में मौजूद समय में अतिरिक्‍त जिला जज ।।।, गोरखपुर के यहॉ मामला लम्बित है, जिसमें दिनांक 21-07-2008 सुनवाई के लिए तिथि नियत है। निगरानीकर्ता ने धारा-11 सी0पी0सी0 के अर्न्‍तगत जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया कि परिवाद धारा-11 सी0पी0सी0 से बाधित है।

      मौजूदा निगरानी में निगरानीकर्ता के तरफ से विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 श्रीवास्‍तव उपस्थित आये और प्रत्‍यर्थी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं आया और पत्रावली में माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद बेंच लखनऊ का सिविल मिसली‍नियस रिट पिटीशन सं0 3924/2003 का निर्णय दिनांकित 02-01-2006 लगा है, जिसमें गोल्‍डेन स्‍कीम के सम्‍बन्‍ध में पूर्णरूप से  निर्णय किया गया है,  जिसमें यह भी कहा गया है कि पिटीशन अंतिम रूप से निस्‍तारित किया जाता है, क्‍योंकि सम्‍पूर्ण मांग रकम पिटीशनर मेसर्स सहारा इंडिया लिमिटेड वगैरह ने दाखिल कर दिया है और इस सम्‍बन्‍ध में रजिस्‍ट्रार आगे की कार्यवाही करेगें और लोगों की जो मांग है, उसी के अनुसार कानून के अर्न्‍तगत भुगतान करेंगें।

      माननीय उच्‍च न्‍यायालय के उक्‍त आदेश दिनांकित 02-01-2006 के सम्‍बन्‍ध में कोई जिक्र जिला उपभोक्‍ता फोरम के आदेश में नहीं है और सम्‍पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि इस मामलें को पुन: सुनवाई हेतु जिला उपभोक्‍ता फोरम को

(4)

रिमाण्‍ड किया जाना उचित है जैसा कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय दिनांक 02-01-2006 जो सिविल मिसलिनयस रिटपिटीशन सं0 3924/2003 में पारित किया गया है, उसके प्रकाश में मामले को पुन: सुनवाई किया जाना उचित है।

                                     आदेश                 

      पुनरीक्षणकर्ता की पुनरीक्षण स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0 164/2000 में पारित आदेश दिनांकित 19-03-2008 को निरस्‍त करते हुए उक्‍त प्रकरण जिला उपभोक्‍ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि उक्‍त प्रकरण का निस्‍तारण माननीय उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय दिनांक 02-01-2006 जो सिविल मिसलिनयस रिटपिटीशन सं0 3924/2003 के प्रकाश में करना सुनिश्चित करें।

      उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

   (आर0सी0 चौधरी)                              (गोवर्द्धन यादव)

    पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

आर.सी.वर्मा, आशु. कोर्ट नं0-3

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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