Uttar Pradesh

StateCommission

A/1559/2015

D.T.D.C. Courier Ltd - Complainant(s)

Versus

Nakul Kumar Sakya - Opp.Party(s)

Anil Kumar Chaubdy

15 Jun 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1559/2015
(Arisen out of Order Dated 21/04/2015 in Case No. C/166/2014 of District Mainpuri)
 
1. D.T.D.C. Courier Ltd
Bangloor
...........Appellant(s)
Versus
1. Nakul Kumar Sakya
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 15 Jun 2016
Final Order / Judgement

        राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या- 1559/2015

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम,मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या-166/2014  में पारित आदेश दिनांक 21.04.2015  के विरूद्ध)

  1. चेयरमैन एण्‍ड मैनेजिंग डायरेक्‍टर,

डी0टी0डी0सी0 कोरियर एण्‍ड कार्गो लि0,

93, विक्‍टोरिया रोड, विक्‍टोरिया ले आउट,

बंगलेरू(कर्नाटक)

  1. सी0ई0ओ0 डाट जोट, डी0टी0डी0सी0 ई-कामर्स,

लोजिस्टिक लि0, द्धितीय तल, नम्‍बर-2,

विक्‍टोरिया रोड, बंगलेरू-560047 (कर्नाटक)

  1. शाखा प्रबन्‍धक, डी0टी0डी0सी0 कोरियर,

शाप नं0-21, मालवीय पुस्‍तकालय मार्केट,

जी0टी0रोड, अलीगढ़।

  1. शाखा प्रबन्‍धक, डी0टी0डी0सी0 कोरियर,

      नियर बस स्‍टैण्‍ड, मैनपुरी।           ..............अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                                

बनाम

  1. नकुल कुमार शाक्‍य पुत्र श्री लालमणि शाक्‍य,

निवासी पावर कम्‍पयूटर सर्विसेज,

गंगा नमकीन भण्‍डार के पास, बंशीगौहरा तिराहा,

मैनुपरी-205001, उ0प्र0।

                                      ..........प्रत्‍यर्थी/परिवादी         

  1. शापक्‍यू डाट काम क्‍लूज नेटवर्क प्रा0लि0,

बिल्डिंग नं0-112, सेक्‍टर-44,

गुड़गाव-122001 (हरियाणा)             ..........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-01                                                            

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री एस0पी0 पाण्‍डेय ।

                              विद्वान अधिवक्‍ता ।                                  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :     व्‍यक्तिगत रूप से।

दिनांक: 11.12.2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद सं0- 166/2014 नकुल कुमार शाक्‍य बनाम शापक्‍यू डाट काम क्‍लूज नेटवर्क प्रा0लि0 में जिला फोरम मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21.04.2015  के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एक पक्षीय आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी उत्‍पाद की वास्‍तविक कीमत रू0 5,990/- मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जो परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक 24.12.2014 से वास्‍तविक भुगतान की दिनांक तक देय होगा, एक माह में परिवादी को अदा करे।

विपक्षी संख्‍या-01 लगायत 5 को आदेशित किया जाता है कि प्रत्‍येक विपक्षी रू0 5,000/- रू0 5,000/- मानसिक कष्‍ट के मद में परिवादी को एक माह के अन्‍दर अदा करे।"

जिला फोरम के निर्णय से  क्षुब्‍ध होकर यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षीगण संख्‍या-02 ता 05 ने प्रस्‍तुत की है।

अपीलार्थीगण की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित हुये है।  प्रत्‍यर्थी संख्‍या-01/परिवादी व्‍यक्तिगत रूप से

उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-02 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-02 को भेजी गयी नोटिस अदम तामील वापिस नहीं आयी है। अत: प्रत्‍यर्थी संख्‍या-02 पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है। फिर भी प्रत्‍यर्थी संख्‍या-02 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद के विपक्षी संख्‍या-01 अर्थात् अपील के प्रत्‍यर्थी संख्‍या– 02 को आदेशित किया है कि वह परिवादी को उत्‍पाद की वास्‍तविक कीमत 5,990/-रू0 मय 7 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जो परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक 24.12.2014 से वास्‍तविक भुगतान की दिनांक तक देय होगा के साथ 01मास के अंदर अदा करे। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने अपीलार्थीगण के विरूद्ध सेवा में त्रुटि का कोई निष्‍कर्ष अंकित नहीं किया है। फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण को भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट के लिए क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु आदेशित किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित यह आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षीगण का उपभोक्‍ता नहीं है और अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद ग्राहय नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय उचित और युक्तिसंगत है। वास्‍तव में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विपक्षी संख्‍या-01 द्वारा भेजा गया माल अपीलार्थी/विपक्षीगण की लापरवाही से खोया है।

मैनें उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है। जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-02 ता 05 द्वारा सेवा में कमी किये जाने का कोई निष्‍कर्ष अंकित नहीं किया है और जिला फोरम ने जो अंतिम आदेश पारित किया है उसमें मात्र परिवाद के विपक्षी संख्‍या-01 अर्थात् अपील के प्रत्‍यर्थीसंख्‍या-02 को उत्‍पाद की वास्‍तविक कीमत 5,990/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित अदा करने हेतु आदेशित किया है। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को यह धनराशि देने हेतु आदेशित नहीं किया है। अत: जिला फोरम के निर्णय को देखते हुये अपीलार्थी/विपक्षीगण में से प्रत्‍येक को जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पांच-पांच हजार रूपया की क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु आदेशित किया है वह आधारयुक्‍त नहीं दिखता है। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थीगण के विरूद्ध अपास्‍त किया जाता है। जिला फोरम ने जो निर्णय और आदेश परिवाद के विपक्षी संख्‍या-01 अर्थात् अपील के प्रत्‍यर्थी संख्‍या-02 के विरूद्ध पारित किया है वह यथावत कायम रहेगा और उसके पालन हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-01 उत्‍तरदायी है।

 

                     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                                  अध्‍यक्ष                                 

  सुधांशु श्रीवास्‍तव, आशु0

         कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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