( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1618/2017
बजाज एलाइंस लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, द्वारा अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेशक, कार्यालय वेस्ट हब द्धितीय तल, बजाज फिनसर्वे, सर्वे-208/1-बी, बिहाइंड विकफिल्ड आई0टी0 बिल्डिंग, विमान नगर रोड, पुणे महाराष्ट-411014
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1
बनाम्
1-श्रीमती नईमा पत्नी शकील अहमद निवासी ग्राम मई तहसील चन्दौसी जिला सम्भल।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
2-प्रथमा बैंक तहसील चन्दौसी, जिला सम्भल।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य ।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री संजीव बहादुर श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 13-03-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-28/2017 श्रीमती नईमा बनाम बजाज एलाइंस लाइफ इं0कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सम्भल द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 31-05-2017 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
- परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह बीमा धनराशि 1,25,000/-रू0 मय 09 प्रतिशत ब्याज दौरान मुकदमा ता वसूली तथा 2500/-रू0 वाद व्यय परिवादी को अदा करें।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति ने विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से 5,000/-रू0 वार्षिक किश्त अदा करके नवम्बर, 2013 में 1,25,000/-रू0 की बीमा पालिसी विपक्षी संख्या-1 से ली थी, जिसकी वार्षिक किश्त रू0 5,000/-रू0 की पॉंच वर्ष तक जमा करनी थी जिसकी अवधि 10 वर्ष थी। परिवादिनी उक्त पालिसी में नामिनी है। परिवादिनी के पति ने दिनांक 08-11-2014 को उक्त पालिसी की द्धितीय किश्त रू0 5,000/- की विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 को अदा किया। बीमाधारक शकील अहमद की दिनांक 08-10-2015 को मृत्यु हो गयी। सभी औपचारिकताऍं पूरी करने के बाद भी विपक्षी संख्या-1 ने कथित बीमा पालिसी की धनराशि परिवादिनी को अदा नहीं की, जो कि विपक्षी बीमा कम्पनी के स्तर पर सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करते हुए बीमा पालिसी जारी करना तथा दो किश्तें जमा किया जाना स्वीकार किया है तथा वाद का विरोध
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इस आधार पर किया है कि परिवाद पत्र के अधिकांश विवरण असत्य तथ्यों व कथनों पर आधारित है। यह वाद बीमा पालिसी की शर्तों व नियमों के विरूद्ध हैं। परिवाद में अपरिपक्वता का दोष विद्यमान है। बीमा कम्पनी द्वारा अभी बीमा क्लेम अस्वीकार नहीं किया गया है। बीमा धारक द्वारा दो किश्तें अदा करने में बीमा पालिसी परिपक्व नहीं हो जाती है। परिवादिनी ने बीमा पालिसी की शतों व नियमों का पालन नहीं किया है। विपक्षी संख्या-1 की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद मय विशेष हर्जा निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि बीमा धनराशि अदा करने की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या-1 की है। विपक्षी बैंक को गलत तरीके से पक्षकार मुकदमा बनाया गया है। परिवाद मय खर्चा निरस्त होने योग्य है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का गहनतापूर्वक परिशीलन करने के उपरान्त विपक्षी की सेवा में कमी न पाते हुए परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री संजीव बहादुर श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परीक्षण एवं परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त यह पीठ इस मत की है कि विद्धान
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जिला आयोग द्वारा समस्त बिन्दुओं पर विस्तृत विवेचना करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया है किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा बीमित धनराशि पर जो 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाया गया है वह अत्यधिक प्रतीत होता है जिसे संशोधित करते हुए ब्याज दर 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए ब्याज का प्रतिशत 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1