Uttar Pradesh

StateCommission

A/834/2024

Canara Bank (E-Syndicate Bank) - Complainant(s)

Versus

Nahar Singh Yadav - Opp.Party(s)

Abhay Kumar

24 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/834/2024
( Date of Filing : 12 Jun 2024 )
(Arisen out of Order Dated 25/04/2024 in Case No. CC/65/2021 of District Meerut)
 
1. Canara Bank (E-Syndicate Bank)
village raghunathpur post mahammadpur dhoomi tehsil and distt meerut throguh its branch manager and 2 others
...........Appellant(s)
Versus
1. Nahar Singh Yadav
village daludeha alias dhillaura post mahammadpur dhoomi tehsil and distt meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Jun 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-834/2024

केनरा बैंक (ई-सिंडीकेट बैंक)

बनाम

नाहर सिंह यादव पुत्र श्री चुन्‍नी लाल यादव

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अभय कुमार,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 24.06.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता           आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-65/2021 नाहर सिंह यादव बनाम सिंडीकेट बैंक व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.04.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता   श्री अभय कुमार को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 के यहाँ दिनांक 18.7.1995 को अकंन                   25,000/-रू0 रूपये 24 माह के लिए 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर पर जमा किए गए, जिसकी बाबत विपक्षी संख्या-1 द्वारा विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-296701 खाता संख्या-151/95 परिपक्व तिथि 18.7.1997 पर परिपक्व धनराशि अकंन              31,669/-रू0 जारी किया गया। इसके अतिरिक्‍त परिवादी द्वारा दिनांक 27.9.1996 को अकंन 25,000/-रू0 27 माह के लिए                12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर  पर  जमा  किए  गए,  जिसकी

 

 

 

-2-

बाबत विपक्षी संख्या-1 द्वारा विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-555715 खाता संख्या-256/96 परिपक्व तिथि 27.12.1998 पर परिपक्व धनराशि अकंन 32,619/-रू0 जारी किया।

परिवादी का कथन है कि त्रुटि व अज्ञानतावश उक्त दोनों विकास प्रमाण पत्र परिवादी से गुम हो गये, जो काफी ढूँढने के बाद भी नहीं मिले। परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 के यहाँ सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि बिना मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये भुगतान किया जाना सम्भव नहीं है, जिस कारण उक्‍त विकास प्रमाण पत्रों का परिवादी को भुगतान प्राप्त नहीं हो सका। दिसम्बर 2018 में परिवादी को उक्त विकास प्रमाण पत्र मिल गये। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 से सम्पर्क किया गया तो विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा रिकार्ड उपलब्ध न होने का बहाना बनाकर परिवादी को बाद में आने को कहा। परिवादी द्वारा कई बार विपक्षी संख्या-1 के यहाँ सम्पर्क किया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा रिकार्ड उपलब्ध न होने का बहाना बनाकर भुगतान नहीं किया गया।

परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक 05.2.2019 को विपक्षीगण को पत्र प्रेषित किया गया, जिस पर विपक्षी द्वारा परिवादी से शपथ पत्र की मांग की गयी। परिवादी द्वारा दिनांक 23.4.2023 को विपक्षी संख्या 1 व 2 को शपथ पत्र उपलब्ध करा दिया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा उक्त विकास प्रमाण पत्रों का भुगतान नहीं किया गया। विवश होकर परिवादी द्वारा दिनांक 26.11.2019 को भारतीय रिजर्व बैंक एवं अन्य संस्थाओं को तथा दिनांक 03/04.3.2020 को विपक्षी संख्या-1 व 2 को पत्र प्रेषित किए गए, परन्तु विपक्षीगण द्वारा उक्त विकास प्रमाण पत्रों का परिवादी को भुगतान नहीं किया गया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के  सम्‍मुख  विपक्षीगण  की

 

 

 

-3-

ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा जिन विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-296701 खाता संख्या-151/95 अकंन-25,000/-रूपये दिनांकित 18.7.1995 परिपक्व तिथि 18.7.1997 पर परिपक्व धनराशि अकंन-31,669/-रूपये एवं विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-555715 खाता संख्या-256/96 अकंन-25,000/-रूपये दिनांकित 27.9.1996 परिपक्व तिथि 27.12.1998 पर परिपक्व धनराशि अकंन-32,619/-रूपये का उल्लेख परिवाद पत्र में किया गया है, उसके सम्बन्ध में स्‍वयं परिवादी के कथनानुसार परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 बैंक से माह दिसम्बर-2018 में करीब बीस साल बाद भुगतान हेतु सम्पर्क किया गया है, जबकि बैंकिंग की पॉलिसी के अनुसार अधिकतम 15 साल की अवधि के उपरान्त अभिलेख/रिकार्ड नष्ट कर दिया जाता है, इसलिये उक्त विकास प्रमाण पत्रों का कोई रिकार्ड बैंक में उपलब्ध नहीं है। इस सम्बन्ध में विपक्षी संख्या-1 बैंक द्वारा परिवादी को एक पत्र दिनांक 27.11.2019 को भेजा गया, जिसके द्वारा परिवादी को यह बता दिया गया था कि कोई रिकार्ड तलाश नहीं किया जा सकता। कथित विकास नगद प्रमाण पत्र न्यूगोशियबल इन्स्ट्रूमेन्ट नहीं है, इसलिए उक्त मूल विकास प्रमाण पत्रों के खो जाने पर जमाकर्ता द्वारा आदेश प्राप्त करने के उपरान्त कुछ औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही भुगतान किया जा सकता है। यह सम्भव है कि परिवादी आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करने के उपरान्त उक्त विकास नगद प्रमाण पत्रों का भुगतान प्राप्त कर चुका हो। परिवादी द्वारा परिवाद दुराशय से प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि विपक्षी सख्या-1 बैंक द्वारा परिवादी को जो  विकास  नगद

 

 

 

-4-

प्रमाण पत्र जारी किए गए, उन्हें मूल रूप में प्रस्तुत करने के बाद भी उनका भुगतान न करके विपक्षीगण द्वारा लापरवाही का परिचय देते हुए सेवा में घोर कमी कारित की गयी है।

तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवादी द्वारा प्रस्तुत उक्‍त परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकृत किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादीगण को विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-296701 खाता संख्या: 151/95 अकंन-25,000/-रूपये दिनॉंकितः 18.7.1995 की परिपक्वत धनराशि अकंन- 31,699/-रूपये एवं विकास नगद प्रमाण पत्र क्रम सं0-555715 खाता संख्याः 256/96 परिपक्व तिथि 27.12.1998 की परिपक्व धनराशि अकंन-32,619/-रूपये, परिपक्तवता की तिथियो से ताअदायगी अन्तिम भुगतान मय सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज एवं परिवाद व्यय अंकन-5,000/- रूपये (पाँच हजार रूपये) इस निर्णय/आदेश की दिनॉक से 45 दिन के अन्दर अदा करे, अन्यथा परिवादी विपक्षीगण से उपरोक्त धनराशि विधि अनुसार वसूल करने के लिए स्वतंत्र होगा।''

अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता            आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता               आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्‍तु मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा             जो आदेशित/देय धनराशि पर सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की देयता निर्धारित की गयी है, उसे समस्‍त  तथ्‍यों  को  विचारित

 

 

 

 

-5-

करते हुए चार प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज किया जाना न्‍यायोचित है। इसके साथ ही जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो परिवाद व्‍यय हेतु 5,000/-रू0 (पॉंच हजार रूपये) की देयता निर्धारित की गयी है, उसे भी न्‍यायहित में 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) किया जाना उचित है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती              है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-65/2021 नाहर सिंह यादव बनाम सिंडीकेट बैंक व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.04.2024 को संशोधित करते हुए आदेशित/देय धनराशि पर सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की देयता को चार प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज किया जाता है तथा परिवाद व्‍यय हेतु 5,000/-रू0 (पॉंच हजार रूपये) की देयता को 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) किया जाता है। जिला उपभोक्‍ता  आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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