Rajasthan

Kota

CC/169/2015

Bharti gupta - Complainant(s)

Versus

Nagar Vikas Nyas, Sachiv - Opp.Party(s)

Omprakash joshi

26 Oct 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।

प्रकरण संख्या-169/15
श्रीमती भारती गुप्ता पत्नी राजेश कुमार गुप्ता जाति महाजन आयु 44 वर्ष निवासी मकान नं. 273 (ए) आर0के0 पुरम, कोटा। परिवादिया।
               बनाम
01.    राजस्थान सरकार जरिये जिला कलेक्टर, कोटा।
02.    सचिव नगर विकास न्यास कोटा।  -विपक्षीगण
समक्ष   :
अध्यक्ष  :        भगवान दास 
सदस्य  :    महावीर तंवर        
सदस्य  :        हेमलता भार्गव 
       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1  श्री ओम प्रकाश जोशी, अधिवक्ता, परिवादिया की ओर से।
2  विपक्षी के खिलाफ एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई।
   
    निर्णय      दिनांक 26.10.15

     परिवादिया ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि विपक्षी सं. 2 द्वारा की गई नीलामी में उसने आरोग्य नगर योजना, कोटा स्थित एक सुसज्जित आवास एच-1 खरीदा, जिसकी समस्त राशि 26.09.13 को जमा करा दी तथा लीज डीड हेतु 01.10.13 को आवेदन-प्रस्तुत कर दिया गया, लेकिन विपक्षी सं. 2 ने रजिस्ट्री-पत्र जारी नहीं किया। इस पर सम्पर्क करने एवं रजिस्ट्री डाक से पत्र भेजने पर भी सुनवाई नहीं की गई। परिवादिया ने स्थाई लोक अदालत, कोटा में भी आवेदन-पत्र प्रस्तुत किया जिसमें भी गलत जवाब दिया गया। परिवादिया ने नागरीय कर की राशि भी दिनांक 27.01.14 को जमा करा दी जो कि नियम विरूद्ध वसूल की गई। दिनांक 29.01.14 को स्टाम्प शुल्क,रजिस्ट्री फीस जमा करके लीज डीड निष्पदित करवाकर विपक्षी सं. 2 के कार्यालय में जमा करवाई, लेकिन कब्जा-पत्र जारी नहीं किया, जिससे वह आवास का उपयोग नहीं कर सकी, लगभग 15 माह के विलम्ब से बिना सुसज्जित कराए, आवास का कब्जा दिया गया। परिवादिया ने लोक सेवा के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 2011 के अन्तर्गत भी कार्यवाही की जिसमें द्वितीय अपील के निर्णय से स्पष्ट है कि विपक्षी न्यास ने आवास की रजिस्ट्री व कब्जा-पत्र जारी करने में अत्यधिक विलम्ब किया। इससे परिवादिया को लगभग 8,11,620/- रूपये, ब्याज की हानि हुई नगरीय कर की राशि अवैध रूप से ली गई जिससे मानसिक संताप भी हुआ। 

    विपक्षीगण को जरिये रजिस्टर्ड ए/डी डाक मंच की ओर से परिवाद के नोटिस भेजे गये जिनकी विधिवत तामील होने के पश्चात उपस्थित नहीं होने पर उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये। 

    परिवादिया ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी न्यास की नीलामी विज्ञप्ति,नीलामी में खरीद किये आवास सं. एच-1के पेटे जमा कराई गई राशि की रसीद, लीज डीड हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र, विपक्षी न्यास के सचिव व अध्यक्ष को समय-समय पर बार-बार प्रस्तुत किये गये आवेदन-पत्र, विपक्षी न्यास से नगरीय कर की राशि बाबत् पत्र दिनांक 24.01.14, उसके पेटे जमा कराई गई राशि की रसीद दिनांक 27.01.14, पंजीयन प्रमाण-पत्र, लोक सुनवाई अधिकारी  की प्रथम व द्वितीय अपील के आवेदन-पत्र, रजिस्ट्री की प्रमाणित प्रतिलिपि प्रस्तुत करने के आवेदन-पत्र, लोक सेवाओं के अधिनियम के अन्तर्गत द्वितीय अपील अधिकारी, के निर्णय विपक्षी न्यास को सुसज्जित आवास बाबत् प्रस्तुत आवेदन-पत्र, स्थाई लोक अदालत कोटा के समक्ष हुई कार्यवाही की आदेशिकाऐ व उसमें विपक्षी न्यास की ओर से प्रस्तुत जवाब आदि की प्रतिया प्रस्तुत की हैं ।

    हमने परिवादिया की ओर से एक पक्षीय बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 

    उल्लेखनीय है कि विपक्षी न्यास से नीलामी में खरीदे गये आवास के संबंध में लीज डीड जारी नहीं करना व रजिस्ट्री प्रपत्र जारी नहीं करने के संबंध में  परिवादिया ने पूर्व में स्थाई लोक अदालत, कोटा के समक्ष शिकायत की, इसके अलावा लोक सेवाओं को प्रदान करने की गांरटी अधिनियम के अन्तर्गत भी लोकसुनवाई अधिकारी को  आवेदन-पत्र प्रथम अपील, द्वितीय अपील की कार्यवाही की। उक्त दोनो जगह हुई कार्यवाही के दस्तावेज भी प्रस्तुत किये है। स्थाई लोक अदालत के आदेश दिनांक 04.12.14 में स्पष्ट किया है कि विपक्षी न्यास ने परिवादिया को भौतिक कब्जा सौपने के संबंध में तीन बार पत्र लिखे परिवादिया ने आवास सुसज्जित नहीं होने की आपत्ति उठाई जिसके तथ्य प्रार्थना-पत्र में अंकित नहीं किये, इसलिये प्रकरण समझौता संभव नहीं होने से निस्तारित किया। इससे स्पष्ट है कि विपक्षी न्यास ने परिवादिया को कब्जा सौपने में अपने स्तर पर  प्रयास किये , परिवादिया ने आवास सुसज्जित नहीं होने के कारण कब्जा तत्काल नहीं लिया। इसी प्रकार लोक सेवाओं को प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 2011 के अन्तर्गत उसकी द्वितीय अपील दिनांक 28.03.14 को निस्तारित हुई, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि परिवादिया को नगरीय कर जमा कराने हेतु दो बार सूचित किया गया  और पंजीयन कार्यालय से पंजीयन कराने एवं नियमानुसार कब्जा देने हेतु भी आवेदन करने के लिये सूचित कर दिया था। 

    नगरीय कर की वसूली की वैधता एवं अवैधता का प्रश्न  इस मंच के सुनवाई योग्य नहीं है इस संबंध में विधि-अनुसार उसे सक्षम सिविल न्यायालय मे ही चुनौती दी जा सकती है। पूर्व में परिवादिया द्वारा स्थाई लोक अदालत एवं लोक सेवाओं की गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत की गई कार्यवाही के दस्तावेजात से स्पष्ट है कि विपक्षी न्यास की ओर से वस्तुतः रजिस्ट्री-प्रपत्र जारी करने  व कब्जा देने में युक्ति-युक्त से अधिक समय नहीं लगाया गया है। परिवादिया ने आवास सुसज्जित नहीं होने का  आधार लिया है लेकिन उसका कोई विवरण परिवाद में नहीं दिया है। यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि सुसज्जित आवास से क्या तात्पर्य है? तथा विपक्षी न्यास ने उसके अनुसार क्या कमी रखी है। इस प्रकार हम पाते है कि परिवादिया का परिवाद सारहीन है। विपक्षीगण का कोई सेवा-दोष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सिद्ध नहीं  है। परिवाद खारिज होने योग्य है।   

  
                  

   आदेश 

     परिवादिया श्रीमती भारती गुप्ता का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 

 

(महावीर तंवर)              (हेमलता भार्गव)            ( भगवान दास)  
  सदस्य                    सदस्य                   अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद      जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।     प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।
     निर्णय  आज दिनंाक  26.10.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
  सदस्य                    सदस्य                   अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद      जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।     प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।

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