जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 04.12.2014
मूल परिवाद संख्या :- 57/2014
1. सत्यदेव पुत्र श्री मेघराज जाति दर्जी निवासी दर्जी पाडा. जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
01. श्रीमान् आयुक्त महोदय नगरपरिषद् जैसलमेर
02. श्रीमान् सभापति महोदय, नगरपरिषद् जैसलमेर
.............अप्रार्थीगण।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री राणीदान सेवक अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री रेवन्त सिहं सोलंकी अधिवक्ता अप्रार्थीगण की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 18.05.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी जैसलमेर का निवासी है। परिवादी ने नगरपालिका जैसलमेर (नगरपरिषद् जैसलमेर) की डॉ. दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना में आवासीय भूखण्ड आवंटन हेतू 25 रुपये शुल्क अदा कर आवेदन पत्र क्रमाक 1755 किया तत्पष्चात परिवादी ने नियमानुसार 30 गुणा 60 फीट का आवासीय भूखण्ड आवंटन हेतु आवेदन पत्र अप्रार्थी कार्यालय मे 2,000 रू जरिये रसीद सं. 35/37 दिनांक 03.12.1995 को मय समस्त दस्तावेज के जमा कराया। परिवादी जिला परिवहन कार्यालय का कर्मचारी होने के कारण उसका स्थानान्तरण जैसलमेर से बाहर भी हुआ परिवादी ने अप्रार्थी कार्यालय मे कई बार इस सम्बंध मे जानकारी की लेकिन उन्होने कहा कि आवंटन की सूचना दे दी जाएगी परिवादी उसका इन्तजार करता रहा। दिनांक 30.06.2014 को परिवादी को अप्रार्थी कार्यालय मे पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसको पूर्व में भूखण्ड सं. 621 साईज 30ग60 वर्ग फीट का आवासीय भू-खण्ड डॉ. दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना में आवंटन हुआ था परन्तु उक्त आवंटन की सूचना परिवादी को अप्रार्थीगण द्वारा नही दी गई तथा न ही आवेदन के साथ जमा कराई गई 2,000 रू की राषि लौटाई गई जानकारी होने पर अप्रार्थीगण से नियमानुसार बकाया राषि जमा कर कब्जा दिये जाने का निवेदन किया। लेकिन अप्रार्थीगण द्वारा नियमानुसार राषि जमा न कर परिवादी को कब्जा न देना सेवाओं मे कमी को दर्षाता है। अतः भूखण्ड बाबत् नियमानुसार लीज राषि 63,515 रू बिना ब्याज के जमा कर कब्जा दिलाने, तथा क्षतिपूर्ति पेटे 100000 रू, परिवाद व्यय के 20,000 रू दिलाने की प्रार्थना की ।
2. अप्रार्थी ने अपना जबाब पेष कर स्वीकार किया कि परिवादी के नाम लाटरी मे भूखण्ड निकलना स्वीकार किया साथ ही नगरपरिषद जैसलमेर द्वारा दिनांक 16.04.1998 को समाचार पत्र मे आम सूचना प्रकाषित कर आवंटियों को एक माह का समय राषि जमा करने हैतु दिया गया था उसके बावजूद भी राषि जमा नही कराई इसलिए आवंटित भूखण्ड स्वतः ही निरस्त हो गया तथा है जो परिसीमा अवधि से बाहर होने के कारण खारिज होने योग्य है। अतः परिवाद मियाद बाहर है अतः परिवाद मय हर्जा खर्चा खारीज करने का निवेदन किया ।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1 :- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी के विभाग में राषि जमा करवा कर भूखण्ड आवंटन हेतु आवेदन किया और लाटरी प्रक्रिया से प्रार्थी को भूखण्ड आवंटन किया गया, इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2 :- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने एक आवेदन नगर पालिका जैसलमेर मे दिनांक 30.12.1995 को 2,000 रू अदा कर जमा किया ओर तत्कालीन नगर पालिका जैसलमेर ने डॉ.दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी में भू-खण्ड सं. 621 माप 30ग60 फीट का आवंटन परिवादी के नाम किया था लेकिन परिवादी को इस आवंटन की कोई सूचना नही दी गई जब परिवादी ने नई आवासीय कॉलोनी जवाहर लाल नेहरू नगर में भी 10,000 रू आवेदन राषि जमा कराई जिसकी लॉटरी दिनांक 27.06.2014 को निकाली गई परिवादी दिनांक 30.06.2014 को सूची देखने गया तो उसे मालूम हुआ कि पूर्व की डॉ.दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी की सूची में परिवादी के नाम भू-खण्ड सं. 621 आवंटित हुआ है इससे पूर्व कोई सूचना परिवादी को नही थी न ही पूर्व मे कोई जानकारी थी। उक्त भू-खण्ड की राषि परिवादी जब जमा कराने गया तो अप्रार्थी नगरपरिषद ने शेष राषि न तो जमा की ओर न ही कब्जा दिया अतः बिना सूचना व नोटिस के परिवादी का भू-खण्ड अप्रार्थी द्वारा निरस्त कर दिया जो सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। उनकी यह भी दलील है कि भू-खण्ड अभी भी खाली है नगरपालिका को धारा 304 राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के तहत् भी नोटिस दिया लेकिन अप्रार्थीगण ने कोई कार्यवाही नही की। अतः परिवादी को भू-खण्ड सं. 621 डॉ.दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी को अप्रार्थीगण कार्यालय में आवंटन की लीज राषि 63,513 रू बिना ब्याज व पैलेन्टी के जमा करवाई जाकर कब्जा दिलाया जावें। तथा साथ ही मानसिक व निर्माण लागत पेटे 1 लाख रू व परिवाद व्यय 10,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थीगण विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने आवेदन पत्र भू-खण्ड आवंटन हैतु किया था जो उसे आवंटन हो गया था लेकिन समय पर राषि जमा न कराने के कारण उक्त भू-खण्ड का आवंटन खारिज कर दिया गया। दिनांक 15.04.1998 मरू महिमा अखबार व दिनांक 16.04.1998 को राजस्थान पत्रिका अखबार मे इस बाबत् सार्वजनिक आम सूचना प्रकाषित की गई उक्त आम सूचना में आवटित भू-खण्ड की बकाया राषि जमा कराने हैतु 1 माह का समय दिया गया उसके उपरांत भी परिवादी ने राषि जमा नही कराई और परिवादी को मौखिक रूप से कार्यालय मे भी कई बार बताया गया साथ ही उनकी यह भी दलील है कि परिवाद म्याद बाहर होने के कारण खारिज होने योग्य है। अन्त में उनकी यह भी दलील है कि उस समय भू-खण्ड की स्थिति सही नही होने के कारण परिवादी नही लेना चाहता था इसलिए राषि जमा नही कराई थी। अब लालचवष परिवादी भू-खण्ड आवंटन का परिवाद लेकर आया है जो खारिज होने योग्य होने के कारण खारिज किया जावें।
8. उभयपक्षों के तर्को की रोषनी में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर हमारी राय इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य में यह बताया है कि परिवादी ने एक आवेदन पत्र दिनांक 30.12.1995 को 2,000 रू जमा कराकर अप्रार्थी नगर पालिका के यहा पेष किया तथा उक्त आवेदन पत्र के साथ आय-प्रमाण पत्र, राषनकार्ड की प्रति तथा शपथ-पत्र भी प्रस्तुत किया था तत्कालीन नगरपालिका जैसलमेर द्वारा डॉ.दीनदयाल उपाध्याय आवासीय कॉलोनी जैसलमेर में भू-खण्ड सं. 621 माप 30ग60 फीट का आवंटन परिवादी के नाम किया गया था। अप्रार्थीगण ने अपने जवाब में भी यह माना है कि परिवादी के नाम उक्त भू-खण्ड आवटित हुआ था। परिवादी ने अपनी साक्ष्य मे यह भी बताया हे कि उक्त भू-खण्ड के आवंटन के सम्बंध मे कोई सूचना परिवादी को नही दी गई जब परिवादी नई आवासीय योजना जवाहर लाल नेहरू नगर के भू-खण्ड आवंटन की लॉटरी दिनांक 27.06.2014 की सूची को देखने अप्रार्थी कार्यालय मे दिनांक 30.06.2014 को गया तो उसे मालूम हुआ कि अप्रार्थीगण द्वारा पूर्व की डॉ.दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी की सूची में परिवादी के नाम से भू-खण्ड सं. 621 आवंटित कर दिया था। परिवादी को उक्त भू-खण्ड आवंटन की सूचना दिनांक 30.06.2014 को हुई।
9. इसके खण्डन में अप्रार्थीगण की साक्ष्य है कि परिवादी को उक्त भू-खण्ड आवंटन की सूचना समय पर दे दी थी उसके बाद भी दिनांक 16.04.1998 को राजस्थान पत्रिका मे व दिनांक 15.04.1998 को मरू महिमा मे आम सूचना प्रकाषित की गई थी उसके बावजूद भी परिवादी ने उक्त भू-खण्ड की राषि जमा नही कराई इस कारण परिवादी का भू-खण्ड निरस्त कर दिया अप्रार्थीगण की इस खण्डनीय साक्ष्य पर हमने मनन किया तो कार्यालय नगरपालिका जैसलमेर की ऑर्डर सीट दिनांक 19/05 जो परिवादी को भू-खण्ड आवंटन से सम्बधित है जिसकी प्रमाणित प्रतिलिपि परिवादी ने पेष की है उसमें यह तथ्य आया है कि परिवादी सत्यदेव पुत्र श्री मेघराज दर्जी निवासी जैसलमेर को डॉ.दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना में भू-खण्ड सं. 621 साईज 30ग60 फीट आवंटन हुआ इस बाबत् आवेदक को बकाया राषि 63,513 रू जमा कराने का नोटिस जारी किया जावें लेकिन आदेष के मुताबिक परिवादी को कोई नोटिस जारी किया गया हो ऐसा अप्रार्थीगण की तरफ से कोई नोटिस या दस्तावेजी साक्ष्य पेष नही की है न ही इस प्रकार की कोई खण्डनीय साक्ष्य अप्रार्थीगण की है। कि परिवादी को उसके पते पर नोटिस मिल गया हो तथा जवाब में भी यह तथ्य नही आया है कि परिवादी को किस दिनांक को अप्रार्थीगण ने यह नोटिस भेजा हो अतः ऑर्डर सीट के मुताबिक परिवादी को 63,513 रू जमा कराने का नोटिस अप्रार्थीगण द्वारा भेजा हो यह साबित नही है।
10. अप्रार्थीगण की मुख्य रूप से यह दलील है कि परिवादी को आम सूचना दिनांक 16.04.1998 राजस्थान पत्रिका व दिनांक 15.04.1998 मरू महिमा के जरिये सूचित कर दिया था अतः उसको सूचना हो गई थी अप्रार्थीगण के इस तर्क पर मनन किया गया। यह बात सही है कि दिनांक 16.04.1998 को राजस्थान पत्रिका व दिनांक 15.04.1998 को मरू महिमा मे यह आम सूचना प्रकाषित हुई थी कि जिन आवटियों को नगरपालिका द्वारा डॉ0 के.लाल. अचलवंषी योजना व डॉ.दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनियों में भू-खण्ड आवंटित हुए है एवमं जिन्होने भू-खण्ड की राषि जमा करवाने की सूचना प्राप्त होने के बावजूद नगरपालिका में अपने भू-खण्ड की राषि जमा नही कराई हे वे एक माह की अवधि के भीतर-भीतर अपने प्लॉट की राषि जमा करवाकर भू-खण्ड का कब्जा लेवें अन्यथा आवंटन निरस्त कर दिया जावेंगा। लेकिन अप्रार्थीगण द्वारा समाचार पत्र मे प्रकाषित यह सूचना एक आम सूचना है न कि आवंटित भूखण्डीयों के नाम व प्लॉट की संख्या उसमें अंकित नही है परिवादी शुरू से ही यह कथन लेकर आया हे कि उसको आवंटन की सूचना अप्रार्थीगण ने नही दी उसको दिनांक 30.06.2014 को यह सूचना पहली बार मिली थी तब परिवादी ने एक नोटिस दिनांक 29.09.2014 को धारा 304 राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के तहत् अप्रार्थीगण को दिया उसमें भी इस बात को बताया है कि उसको उक्त आवंटन की सूचना दिनांक 30.06.2014 को हुई दिनांक 30.06.2014 से पूर्व इसे कोई जानकारी नही थी नोटिस जवाब अप्रार्थीगण द्वारा नही दिया गया है। न ही इस बात का खण्डन अप्रार्थीगण द्वारा किया गया है अतः ऐसी स्थिति मे जब परिवादी को उसके भू-खण्ड के आवंटन की सूचना ही नही थी तो वह कैसे आम सूचना जो अखबार मे प्रकाषित की गई है उसको यह मानता कि यह आम सूचना उसके भू-खण्ड बाबत् ही है। तथा कार्यालय नगरपालिका जैसलमेर की आदेष पंजिका 19/05 के मुताबिक परिवादी को शेष राषि जमा कराने बाबत् नोटिस जारी किया गया हो ऐसा भी नही है। ऐसी स्थिति में परिवादी का नियत समय में शेष भू-खण्ड राषि जमा कराना संभंव नही था अतः इस स्थिति में बिना सूचना व नोटिस के परिवादी का भू-खण्ड अप्रार्थीगण द्वारा निरस्त कर दिया जो सेवा दोष की श्रेणी मे आता है।
11. विद्वान अप्रार्थीगण अभिभाषक की दलील है कि परिवाद म्याद बाहर है उनका यह तर्क की दिनांक 15.04.1998 व 16.04.1998 को आम सूचना के द्वारा परिवादी को सूचित कर दिया था लेकिन परिवादी ने सूचना के बावजूद भी काफी समय बाद परिवाद पेष किया है जो म्याद बाहर है। इस दलील पर भी मनन किया गया परिवादी यह साबित करने मे सफल रहा है कि उसको कोई नोटिस बकाया राषि जमा कराने हैतु अप्रार्थीगण ने नही दिया ओर न ही उससे कोई नोटिस तामिल कराया गया। अप्रार्थीगण द्वारा जो आम सूचना जारी की गई है उसमें परिवादी का नाम व भू-खण्ड सं0 अंकित हो ऐसा भी नही है केवल सामान्य भाषा मे उन आवंटियो के लिए सूचना जारी की गई है जिनको नोटिस जारी होन के बाद शेष राषि जमा नही करवायी है। न कि यह सूचना परिवादी के बाबत् है परिवादी को जब दिनांक 30.06.2014 को आंवटन के बाबत् जानकारी हुई तब उसने एक विद्यिक नोटिस दिनांक 29.09.2014 को अप्रार्थीगण को दिया गया उसका जवाब व खण्डन अप्रार्थीगण ने नही दिया। हमारी राय मे यही माना जायेगा कि दिनांक 30.06.2014 से पूर्व परिवादी को उक्त भू-खण्ड बाबत् सूचना नही थी ओर परिवादी ने दिनांक 04.12.2014 को परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व पेष कर दिया जो दो वर्ष की समयावधि के भीतर-भीतर है। अतः अप्रार्थीगण की म्याद बाहर की दलील स्वीकार किये जाने योग्य नही हे।
फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
12. बिन्दु संख्या 3 :- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है ।
ः-ः आदेष :-ः
परिणामतः परिवादी सत्यदेव का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वे डा. दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना जैसलमेर में भूखण्ड संख्या 621 साईज 30 गुणा 60 कुल 1800 वर्गफीट की बकाया शेष राषि 63,513 रूपये अक्षरे रूपये तिरेसठ हजार पॉच सौ तेरह तथा इस बाबत नियमानुसार वसूल की जाने वाली लीज राषि बिना किसी ब्याज व पेनल्टी परिवादी को सूचित किया जाकर जमा करे एवं प्लॉट संख्या 621 का कब्जा परिवादी सत्यदेव को राषि जमा होने के 2 माह में देवें । यदि भूखण्ड संख्या 621 किन्ही कारणों से आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं हो तो परिवादी को उसी कॉलोनी या अन्य समकक्ष कालोनी में उसी माप का भूखण्ड आवंटित कर कब्जा दिलावें । परिवादी को मानसिक परेषानी के 3000 रू. अक्षरे रूपये तीन हजार मात्र एवं परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रूपये दो हजार मात्र अदा करे । आदेष की पालना 2 माह में की जावे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 18.05.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।