जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 10.03.2014
मूल परिवाद संख्या:- 17/2014
1. श्री दौलतराज पुत्र श्री बंषीलाल, जाति- जैन,
निवासी- हाॅल गजरूपसागर क्वाटर्स जैसलमेर तह.व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
01. श्रीमान् आयुक्त महोदय, नगरपरिषद् जैसलमेर
02. श्रीमान् सभापति महोदय, नगरपरिषद् जैसलमेर
.............अप्रार्थीगण।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री विपिन कुमार व्यास, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री गागन खान मेहर, अधिवक्ता अप्रार्थीगण की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 27.04.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने नगरपरिषद् जैसलमेर की डाॅ. दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना में लाॅटरी प्रकिया में भूखण्ड संख्या 602 माप 30 गुणा 60 कुल माप 1800 वर्गफीट प्लाट का आवटन किया गया तथा नगरपालिका के द्वारा प्रार्थी को आवंटन बाबत् सूचना नही दी गई जिस कारण प्रार्थी द्वारा भूखण्ड की लीज की राषि जमा नही करवाई गई अतः किसी कारणवष नोटिस तामिल नही होने के कारण आंवटी सूचित होने से वंचित रह गये थे उन्हे पुनः नोटिस जारी किये जाने तथा 30 दिवस में लीज राषि बिना ब्याज पेनेल्टी के भराई जाने का प्रस्ताव नगरपालिका मण्डल की बैठक दिनांक 13.10.1999 को प्रस्ताव संख्या 18 के रूप में लिया गया। साथ ही नगरपालिका द्वारा दिनांक 19.05.1997 को जो नोटिस जारी करना बताया है रजिस्टर में नोटिस ले जाने वाले तामिल कुनिन्दा के हस्ताक्षर भी नही है इससे स्पष्ट है कि नगरपालिका द्वारा भूखण्ड आवंटन की सूचना आज दिनांक तक नही दी गई है। इसके बाद परिवादी के नाम का उक्त नोटिस तामिल कुनिन्दा द्वारा किसी मोहम्मद खान वाटरवक्र्स स्टाॅफ द्वारा तामिल करवाकर पत्रावली मे सामिल किया गया है जबकि उक्त कार्यालय में इस नाम का कोई कर्मचारी कार्यरत नही था जिसने उक्त नोटिस प्राप्त किया है परिवादी को उसके आवंटन की विधिवत् रूप से कोई सूचना नही दी गई है। तथा न ही परिवादी को दूबारा कोई नोटिस अथवा सूचना पत्र जारी किया गया परिवादी को आवटित उक्त भूखण्ड वर्तमान में मौके पर खाली है उस पर कोई कब्जा अथवा अतिकमण नही है। अतः भूखण्ड बाबत् नियमानुसार लीज राषि 63,515 रू बिना ब्याज के जमा कर कब्जा दिलाने, अतः क्षतिपूर्ति पेटे 20000 रू, मानसिक क्षति के 20000 रू, परिवाद व्यय के 10000 रू दिलाने की प्रार्थना की ।
2. अप्रार्थी ने अपना जबाब पेष कर परिवादी के नाम लाटरी मे भूखण्ड निकलना स्वीकार किया तथा भूखण्ड आवंटन की सूचना परिवादी के घोषित पते पर की गई परिवादी ने समय पर राषि नही जमा कराई इस कारण परिवादी को आवंटित भूखण्ड निरस्त कर दिया गया तथा परिवादी को भूखण्ड आवंटित होने पश्चात् आवंटन की सूचना जरिये नोटिस क्रमांक भूमि/97-98/405 दिनांक 19.05.1997 द्वारा नगर परिषद् के तामील कुन्नदा श्री राजेन्द्र सिंह द्वारा दिनांक 24.05.1997 को परिवादी क ेपते पर जाकर मोहम्मद इकबाल डिजल मेकेनिक को नोटिस तामील कराया और भूखण्ड आवंटन की सूचना देकर 63,513 रू अखरे तिरेसठ हजार पाॅच सौ तैरह रूपये मात्र 30 दिन की अवधि में जमा कराने का नोटिस दिया गया था। परिवादी का नोटिस उनके कार्यालय स्टाॅफ पर तामील कराया गया था जो उसे प्राप्त हो गया था परिवादी राषि जमा करने मे असमर्थ था इसलिए उसने राषि जमा नही करवाई। साथ ही नगरपरिषद जैसलमेर द्वारा दिनांक 16.04.1998 को समाचार पत्र मे आम सूचना प्रकाषित कर आवंटियों को एक माह का समय राषि जमा करने हैतु दिया गया था उसके बावजूद भी राषि जमा नही कराई इसलिए आवंटित भूखण्ड स्वतः ही निरस्त हो गया तथा परिवादी द्वारा सूचना प्राप्ति के 18 वर्ष बाद यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है जो परिसीमा अवधि से बाहर होने के कारण खारिज होने योग्य है। अतः परिवाद मियाद बाहर है अतः परिवाद मय हर्जा खर्चा खारीज करने का निवेदन किया ।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी के विभाग में राषि जमा करवा कर भूखण्ड आवंटन हेतु आवेदन किया और लाटरी प्रक्रिया से प्रार्थी को भूखण्ड आवंटन किया गया, इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी को नगरपरिषद् जैसलमेर द्वारा आयोजित की गई लाटरी प्रक्रिया मे भूखण्ड संख्या 602 साईज 30 गुणा 60 कुल 1800 वर्गफीट डाॅ.दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना में आवंटित किया था लाॅटरी प्रकिया मे आवंटन के पश्चात् नगरपालिका द्वारा नियमानुसार आवंटन की सूचना जरिये नोटिस दिया जाना था जिसके पश्चात् नियमानुसार राषि आवंटी द्वारा जमा करानी थी लकिन अप्रार्थीगण द्वारा भूखण्ड आवंटन की सूचना व नोटिस नही दिये जाने कारण परिवादी द्वारा लीज राषि नही जमा करवाई गई। नगरपालिका द्वारा दिनांक 13.10.1999 को प्रस्ताव सं. 1812 नोटिस देने से वचित रहै आवंटियों को पुनः नोटिस जारी करने व 30 दिवस मे लीज राषि बिना ब्याज राषि भराये जाने का निर्णय लिया गया था लेकिन अप्रार्थीगण द्वारा पुनः कोई नोटिस जारी नही किया गया था तथा परिवादी का उक्त नोटिस अप्रार्थी विभाग द्वारा तामील कुन्नद्रा राजेन्द्र सिंह के जरिये परिवादी के विभाग मे कार्यरत मौहम्मद खान वाटरवक्र्स द्वारा बताया गया है लेकिन उक्त नाम का कोई कर्मचारी कार्यरत नही था तामील कुन्नद्रा द्वारा झुठा तामील करवाया गया था। परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि भूखण्ड आवंटन की सूचना आज दिन तक विधिक रूप से नही दी गई है। आवंटी को सूचना दिये बिना आवंटन खारिज किया जाकर भूखण्ड को नीलामी मे बंेचने का प्रयास किया जा रहा है। परिवादी को आवटित उक्त भूखण्ड वर्तमान में मौके पर खाली है उस पर कोई कब्जा अथवा अतिकमण नही है। अतः भूखण्ड बाबत् नियमानुसार लीज राषि 63,515 रू बिना ब्याज के जमा कर कब्जा दिलाने, अतः क्षतिपूर्ति पेटे 20000 रू, मानसिक क्षति के 20000 रू, परिवाद व्यय के 10000 रू दिलाने की प्रार्थना की ।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थीगण के अभिभाषक की दलील है कि परिवादी को लाॅटरी से भूखण्ड आवंटन होने पर परिवादी द्वारा अपने आवेदन पत्र मे दर्षाये गये पते पर भूखण्ड आवंटन की सूचना जरिये नोटिस क्रमांक भूमि/97-98/405 दिनांक 19.05.1997 द्वारा नगरपरिषद् तामील कुन्नद्रा श्री राजेन्द्र सिंह द्वारा दिनांक 24.05.1997 को परिवादी के पते पर जाकर मोहम्मद इकबाल डीजल मैकेनिक को नोटिस तामील करवाया तथा भूखण्ड आवंटन की सूचना देकर लीज राषि 30 दिन की अवधि में जमा कराने का नोटिस दिया जो उसे प्राप्त हो गया था। परिवादी राषि जमा कराने में असमर्थ होने के कारण राषि समय पर जमा नही कराई साथ ही नगरपरिषद जैसलमेर द्वारा दिनांक 16.04.1998 को दैनिक समाचार पत्र में आम सूचना पकाषित कर डाॅ. दीनदयाल उपाध्याय काॅलोनी के आवंटियों को 1 माह का समय आवंटित भूखण्ड की राषि जमा कराने हैतु दिया गया था इसके बावजूद भी परिवादी ने राषि जमा नही कराई एवमं् परिवादी को सूचना प्राप्त होने के 18 वर्ष के पश्चात् परिवाद दायर किया है जो परिसीमा अवधि से बाहर होने के कारण मय हर्जे खर्चे के खारिज करने की प्रार्थना की।
8. उभयपक्षो के तर्को की रोषनी में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर हमारी राय इस प्रकार है प्रार्थी दौलतराज ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे बताया है कि नगरपलिका मण्डल द्वारा आयोजित आवंटन प्रकिया में प्रार्थी के नाम से भूखण्ड संख्या 602 माप 30 गुना 60 कुल 1800 वर्ग फीट प्लाट का आवंटन किया गया था आवंटन के पश्चात् नियमानुसार आवंटी को भूखण्ड आवंटन की सूचना जरिये नोटिस दी जाकर प्रार्थी को आवंटन बाबत् सूचित किया जाना था लेकिन नगरपालिका जैसलमेर द्वारा प्रार्थी को भूखण्ड आवंटन की सूचना नही दी गई। इसके खण्डन में अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने अपने प्राप्त आवेदन पत्र मे केयर आॅफ जलदाय विभाग का पता दिया था उक्त पते पर परिवादी को कार्यालय स्टाॅफ मोहम्मद इकबाल डीजल मैकेनिक को तामील करा दी थी जो तामील पर्याप्त थी। इसको गवाह मूलचन्द व्यास व गवाह गणपत लाल ने अपने साक्ष्य मे भी प्रकट किया है।
9. विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की इस दलील पर हमने मनन किया। यह बात सही है कि गवाह मूलचन्द व्यास व गणपत लाल ने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि परिवादी का नोटिस परिवादी द्वारा आवेदन पत्र मे दर्षाये गये पते जलदाय विभाग जैसलमेर पर पे्रषित किया गया था जिसेे कार्यालय स्टाॅफ मोहम्मद इकबाल डीजल मैकेनिक ने प्राप्त किया था। इसी सम्बंध में नोटिस जो अप्रार्थी नगर पालिका द्वारा जारी किया गया था उसमें नोटिस मोहम्मद इकबाल /मोहम्मद खान को देना प्रकट है। लैकिन परिवादी ने अपनी खण्डनीय साक्ष्य में यह बताया है कि दौलतराज के नाम का उक्त नोटिस मोहम्मद खा/मोहम्मद इकबाल वाटरवक्र्स स्टाफ से तामील करवाया गया था लैकिन उक्त कोई कर्मचारी वाटरवक्र्स में कार्यरत नही था जिसने उक्त नोटिस प्राप्त किया हो उनकी खण्डन में यह भी साक्ष्य है कि कार्यालय अधिषासी अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग नगर खण्ड जैसलमेर से प्राप्त पत्र क्रमांकः- अ.अ/2013-14/4335 दिनांक 24.01.2014 से प्राप्त सूचना के अनुसार भी मोहम्मद खा नाम का कोई कर्मचारी इस विभाग में मई 1997 से कार्यरत नही था जो पत्र प्रदर्ष पी-03 है। तथा कार्यालय अधिषासी अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग नगर खण्ड जैसलमेर के प्रत्रांक सं. अ.अ./14-15/3273-3274 दिनांक 03.09.2014 के जरिये प्राप्त सूचना के अनुसार भी मोहम्मद इकबाल नाम का कोई कर्मचारी नगर उपखण्ड में उक्त समयावधि में कार्यरत नही रहा जो पत्र प्रदर्ष-04 है अतः जिस कर्मचारी को अप्रार्थीगण द्वारा तामील करना बताया गया है वह उस समय में कार्यालय अधिषासी अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग नगर खण्ड जैसलमेर मे कार्यरत नही था।
10. तथा अप्रार्थीगण की तरफ से उसके खण्डन में कोई साक्ष्य पेष नही की गई है इस स्थिति मे परिवादी की साक्ष्य तथा परिवादी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत् प्राप्त सूचना प्रदर्ष-3 व प्रदर्ष-4 को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है। इन दोनो सूचनाओं में मोहम्मद खा/ मौहम्मद इकबाल नाम का कर्मचारी उस वक्त कार्यालय मे कार्यरत होना नही पाया जाता है। एवमं नगर परिषद् के तामील कुन्निदा राजेन्द सिंह का भी कोई शपथ-पत्र अप्रार्थी की तरफ से पेष नही हुआ है। वह अपनी साक्ष्य मे यह कह सकता था कि मोहम्मद इकबाल जो परिवादी के विभाग का कर्मचारी था उसको तामील कराई थी लैकिन वह भी साक्ष्य मे पेष नही हुआ अतः उक्त विवेचन मे हमारी राय यह है कि परिवाद पर नोटिस की तामील स्टाफ के मार्फत भी नही हुई। उस समय परिवादी आफिस मे नही हो ऐसी भी खण्डनीय साक्ष्य नही है अतः परिवादी ने नोटिस दिनांक 19.05.1997 की जो तामील कराई गई है वह पर्याप्त नही है अप्रार्थीगण विद्वान अभिभाषक की यह भी दलील है कि नगर परिषद् जैसलमेर द्वारा दैनिक समाचार पत्र मे आम सूचना प्रकाषित कर दिनांक 16.04.1998 के द्वारा डाॅ. दीनदयाल उपाध्याय काॅलोनी के आवंटियों को 1 माह का समय दिया जाकर 1 माह के भीतर-भीतर राषि जमा कराने का समय दिया गया था परिवादी ने उसके बावजूद भी राषि जमा नही करवायी अतः भूखण्ड स्वतः ही निरस्त हो गया आप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष नही है।
11. विद्वान अभिभाषक अप्रार्थी की इस दलील पर मनन किया गया गवाह मूलचन्द व्यास व गणपत लाल ने अपनी साक्ष्य में यह बताया है कि नगरपरिषद् जैसलमेर द्वारा दैनिक सामाचार पत्र मे आम सूचना प्रकाषित कर दिनांक 16.04.1998 के द्वारा डाॅ. दीनदयाल उपाध्याय काॅलोनी के आवंटियों को एक माह का समय आवंटित भूखण्ड की राषि जमा कराने हैतु दिया गया था लैकिन आवंटी ने वह राषि भी जमा नही कराई इसके खण्डन में परिवादी की साक्ष्य यह है कि नगरपालिका की उक्त योजना में नोटिस जारी नही होने अथवा नोटिस जारी होने पर किसी कारणवष समयावधि आदि में नोटिस तामील नही होने के कारण जो आवंटी सूचित होने से रह गये थें। उन्है पुनः नोटिस जारी करने या 30 दिन में नोटिस जारी करने का प्रस्ताव नगरपालिका मण्डल की बैठक दिनांक 13.10.1999 के प्रस्ताव सं. 18 के रूप मे लिया गया था। इसकी पालना में परिवादी को पुनः नोटिस जारी किया गया हो ऐसी भी अप्रार्थीगण की कोई साक्ष्य नही हैै। नोटिस की सूचना अखबार में प्रकाषित करवायी गई हो उसे अप्रार्थीगण द्वारा साक्ष्य मे पेष कर साबित नही किया गया उस समाचार पत्र की आम सूचना मंे क्या हवाला दिया गया था यह भी पूर्ण रूप से नही बताया गया है। केवल मात्र यह कहना कि अखबार के जरिये नोटिस सूूचित किये गये थें पर्याप्त नही है।
12. अतः उपरोक्त विवेचित परिस्थितियों मे यही माना जाऐगा कि परिवादी को आवंटन की सूचना नही दी गई जिसके कारण परिवादी आवंटित भूखण्ड की राषि समय पर जमा नही कर सका अतः परिवादी द्वारा आवंटित भूखण्ड की शेष कीमत व लीज राषि जमा करने मे कोई जानबूझ कर देर की गयी हो ऐसा नहीं माना जा सकता । ऐसी स्थिती में अप्रार्थीगण द्वारा बिना नोटिस आवंटन को निरस्त करना उनकी सेवा मंे कमी प्रकट करता है।
13. अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की यह दलील कि परिवादी को भूखण्ड आवंटन की सूचना उसके घोषित पते पर दी गई परिवादी की सूचना को प्राप्त हुए 18 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चूका है परिवाद म्याद बहार है विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक के इस तर्क पर मनन किया गया जब नोटिस सूचना ही विधिवत रूप से तामील नही कराया गया है तो हमारी राय में नोटिस की विधिवत तामील हुए बिना परिवाद म्याद बाहर नही माना जा सकता।
फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
14. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वे डा. दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना जैसलमेर में भूखण्ड संख्या 602 साईज 30 गुणा 60 कुल 1800 वर्गफीट की बकाया शेष राषि 63,513 रूपये अक्षरे रूपये तिरेसठ हजार पाॅच सौ तेरह तथा इस बाबत नियमानुसार वसूल की जाने वाली लीज राषि बिना किसी ब्याज व पेनल्टी परिवादी को सूचित किया जाकर जमा करे एवं प्लाट संख्या 602 का कब्जा परिवादी को राषि जमा होने के 2 माह में देवें । यदि भूखण्ड संख्या 602 किन्ही कारणों से आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं हो तो परिवादी को उसी काॅलोनी या अन्य समकक्ष कालोनी में उसी माप का भूखण्ड आवंटित कर कब्जा दिलावें । परिवादी को मानसिक परेषानी के 5000 रू. अक्षरे रूपये पाॅच हजार मात्र एवं परिवाद व्यय के 3000 रू अक्षरे रूपये तीन हजार मात्र अदा करे । आदेष की पालना 2 माह में की जावे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 27.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।