जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री राकेष गर्ग पुत्र श्री जी.सी.गर्ग, निवासी-षांति भवन, सौभाग क्लब, सिविल लाईन्स, अजमेर-305001
प्रार्थी
बनाम
मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नगर निगम, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर -305001
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 276/2014
समक्ष
1. बृज लाल मीना अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 10.09.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने अप्रार्थी से आनासागर लिंक रोड पर भू खण्ड संख्या जी-170 क्रय किया जिसकी 3/4 राषि जरिए चैक जमा करा दिए जाने के बावजूद अप्रार्थी द्वारा प्रष्नगत भूखण्ड का कब्जा नहीं दिए जाने पर उसने मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 26/2005 प्रस्तुत किया जिसमें मंच द्वारा दिनांक 28.5.2005 को निम्न आदेष पारित किया:-
’’ परिवाद का न्यायोचित हल इन परिस्थितियों में यह है कि अप्रार्थी विभाग प्रार्थी को बेचान किया गया भूखण्ड या तो आवंटित कर कब्जा देवे और प्रार्थी द्वारा जरिए चैक जो राषि अप्रार्थी को दे रखी है उसका नवनीकरण करा कर उसका भुगतान प्राप्त करें और उसकी एवज में विवादित भूखण्ड का कब्जा समस्त संबंधित कार्यवाही कर निष्पादित करें अथवा प्रार्थी की इस राषि का भुगतान प्राप्त कर राज्य सरकार से यदि कोई कार्यवाही इस संबंध में अपेक्षित है तो उसको पूर्ण करा कर विवादित भूखण्ड का कब्जा प्रार्थी को देवे ।
दूसरा विकल्प यह है कि यदि ऐसा करना सम्भव नहीं हो तो उन परिस्थितियों में प्रार्थी ने जब अपनी पूर्ण राषि का चैक जिस तारीख को अप्रार्थी के यहां जमा करा दिया उसके बाद से जो राषि प्रार्थी ने नीलामी के समय अप्रार्थी के यहां जमा कराई थी उसको मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज सहित तादायगी वापिस करें एवं 1000/- क्षतिपूर्ति के एवं रू. 1000/- वाद व्यय के भी अदा करें । अप्रार्थी समस्त कार्यवाही आदेष माह के भीतर पूर्ण करें । अप्रार्थी मंच के आदेष की पालना में राषि जमा कराना चाहे तो आदेषित राषि का बैंक डिमाण्ड ड्राफट जो प्रार्थी के नाम देय हो प्रार्थी को सूचित करते हुए जमा करावें । ’’
अप्रार्थी द्वारा मंच के आदेष के विरूद्व माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत की जिसे माननीय राज्य आयोग ने आदेष दिनांक 8.8.2008 के खारिज कर दी । तत्पष्चात् स्वायत्त ष्षासन विभाग ने पत्र दिनांक 19.03.2013 के भूखण्ड संख्या जी-170 की बकाया 3/4 राषि नियमानुसार देय
ब्याज व ष्षास्ति के वसूल कर भूखण्ड का नियमतिकरण किए जाने की स्वीकृति दी । उक्त पत्र प्राप्त हो जाने के बावजूद अप्रार्थी ने उसके द्वारा जारी परिवाद की चरण संख्या 5 में अंकित पत्र दिए जाने के बाद भी डिमाण्ड नोटिस जारी नहीं किया ।
प्रार्थी का आगे कथन है कि अप्रार्थी ने दिनांक 4.4.2014 के ब्याज एवं पैनेल्टी राषि जोड कर राषि रू. 14,26,779/-का डिमाण्ड नोटिस दिया उक्त राषि प्रार्थी द्वारा अण्डर प्रोटेस्ट जमा करा दी इसके बाद अप्रार्थी ने वंर्ष 2012 से 2015 तक षहरी जमा बंदी राषि व उस पर ब्याज की राषि कुल रू. 32,462/- की ओर मांग की उक्त राषि भी प्रार्थी ने दिनांक 08.02.2014 को जमा करा दी जबकि राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार भूखण्ड का कब्जा देने की तिथी से षहरी जमाबंदी देय होती है इसलिए प्रार्थी ने दिनांक 26.6.2014 के द्वारा उक्त राषि वसूल किए जाने का विरोध किया । प्रार्थी ने अप्रार्थी को उससे वसूल की गई राषि के कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए यह परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी से वसूल की गई ब्याज व ष्षास्ति की राषि रू.9,71,741/-, 9 प्रतिषत ब्याज सहित, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रू. 2,00,000/- , परिवाद खर्च के रू. 22,000/- दिलाए जाने प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बावजूद नोटिस तामिल न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी के विरूद्व दिनांक 23.12.2014 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. हमने बहस प्रार्थी अधिवक्ता सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अनुषीलन किया ।
4. प्रार्थी अधिवक्ता का कथन है कि उसने अप्रार्थी से आनासागर लिंक रोड पर भू खण्ड संख्या जी-170 क्रय किया जिसकी 3/4 राषि जरिए चैक जमा करा दिए जाने के बावजूद अप्रार्थी द्वारा प्रष्नगत भूखण्ड का कब्जा नहीं दिया गया तो उसने मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 26/2005 प्रस्तुत किया जिसमें मंच द्वारा दिनांक 28.5.2005 अप्रार्थी को प्रष्नगत भूखण्ड का कब्जा दिए जाने का आदेष दिया था किन्तु अप्रार्थी ने राषि प्राप्त कर लिए जाने के उपरान्त भी उसे भूखण्ड का कब्जा नहीं दे कर सेवादोष किया है । इस संबंध में प्रार्थी अधिवक्ता ने माननीय राज्य आयोग के इसी प्रकरण से संबंधित अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील में दिए गए आदेष की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया जिसमें भी माननीय राज्य आयोग ने मंच के आदेष को यथावत रखते हुए अप्रार्थी को मंच द्वारा पारित आदेष की पालना करने हेतु निर्देष प्रदान किए ।
4. प्रार्थी ने अपने कथन की पुष्टि अपने षपथपत्र के माध्यम से एवं दस्तावेज उसने जो अभिलेख पर उपलब्ध कराए है से की है ।
5. प्रार्थी के कथन एवं प्रार्थी द्वारा मंच के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजात को दृष्टिगत रखते हुए अप्रार्थी के किसी खण्डन के अभाव में प्रार्थी के कथनों नहीं मानने का कोई आधार इस स्तर पर मंच के समक्ष विद्यमान नहीं है । अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी से पैनेल्टी राषि एवं ब्याज राषि वसूल की गई है जिसमें प्रार्थी का इसमें कोई दोष नहीं है । माननीय राज्य आयोग से प्रार्थी के पक्ष में आदेष हो जाने के बाद भी डिमाण्ड नोटिस जारी नहीं किया जबकि प्रार्थी ने बार बार डिमाण्ड नोटिस जारी करने की प्रार्थना की जिसकी पुष्टि पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेज नोटिस से हेाती है । ऐसी सूरत में जब अप्रार्थी स्वयं दोषी है और उनका सेवा दोष है और लापरवाही है फिर भी प्रार्थी से, जिसका किसी प्रकार का कोई कसूर नहीं है ब्याज राषि एवं पैनेल्टी राषि किसी भी सूरत में वसूल नहीं की जा सकती । यद्यपि प्रार्थी ने उपरोक्त विवादित राषि ( पैनेल्टी व ब्याज राषि ) अप्रार्थी के डिमाण्ड नोटिस के बाद जमा करवाई है जिसे प्रार्थी वापस प्राप्त करने का अधिकारी है । अत आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
6. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से राषि रू. 9,71,741/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) ( बृज लाल मीना )
सदस्या अध्यक्ष
7. आदेष दिनांक 10.09.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष
ष्