Rajasthan

Kota

CC/428/2008

Jagdishchand Meena - Complainant(s)

Versus

Nagar Fertilizer & Chemical - Opp.Party(s)

Kaisri lal bairva

08 Oct 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:- श्री नन्द लाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-428/2008
    
जगदीष चन्द्र मीणा पुत्र श्री रघुनाथ मीणा,निवासी-हिंगोनिया तहसील सांगोद जिला कोटा (राज0)।
                                                              -परिवादी।
                         बनाम
1    नागर फर्टिलाइजर्स एण्ड केमिकल्स, सांगोद रोड,कनवास,पोस्टआॅफिस कनवास तहसील सांगोद जिला कोटा (राज0)। 
2    यूनाइटेड फासफोस लिमिटैड,पंजीकृत कार्यालय 3.11 ळ एप्क्ब् वापी जिला वापी (गुजरात)।
                                                              -विपक्षीगण।

     परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री केसरी लाल बैरवा,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2    श्री भारत सिंह अड़सेला,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण। 

               निर्णय             दिनांक 08.10.2015 

प्रस्तुत परिवाद जिला मंच,कोटा में पेष हुआ तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुआ है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत परिवादी ने दिनांक   24.10.2008 को इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि उसका ग्राम हिंगोनिया में खाता नंबर 53 पर उसकी माता के षामिलाती खाते में 7 किता की  7.73 हेक्टेयर भूमि चली आ रही है जिसमें परिवादी ने खसरा नंबर 218 की 1.94 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 298 की 1.97 हेक्टेयर,खसरा नंबर 350 की 2.34 हेक्टेयर,खसरा नंबर 434 की 0.65 हेक्टेयर कुल चार किता की 6.90 हेक्टेयर भूमि में इस वर्श सोयाबीन की फसल बोई है और काष्त आदि की व्यवस्था परिवादी  ही करता है। परिवादी ने फसल  को कीटों  से 
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सुरक्षा हेतु कीटनाषक दवाईयों का छिड़काव करने के लिए विपक्षी-1 की दूकान पर गया और जरिये बिल 680 दिनांक 17-08-2006 को विपक्षी-2 कम्पनी की कीटनाषक औशधि कुल 3,080/-रूपये की क्रय की और औशधि को दिये गये निर्देषानुसार छिड़काव किया लेकिन 17 बीघा सोयाबीन की फसल में फूल व फल नहीं आये और जो आंषिक फूल आये जो खिर कर गिर गये और परिवादी की 43 बीघा भूमि की सोयोबी की फसल नश्ट हो गई। जबकि अन्य काष्तकारों ने भी वही बीज बोया था जिसमें काफी अच्छी फसल उनको प्राप्त हुई है। परिवादी विपक्षी-1 से व्यक्तिगत रूप से जाकर मिला और उससे क्षतिपूर्ति राषि अदा करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने कोई संतोशप्रद जवाब नहीं दिया। तत्पष्चात् परिवादी ने जरिये अधिवक्ता दिनंाक 24-09-2008 को पंजीकृत डाक से नोटिस भिजवाया जो उनको प्राप्त हो गया किन्तु उन्होंने परिवादी को क्षतिपूर्ति राषि अदा नहीं की है और सेवामें कमी की है। परिवादी ने विपक्षीगण से कुल नुकसान के पेटे 4,73,980/-रूपये क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है। 

     विपक्षीगण ने संयुक्त रूप से दिये गये जवाब में दवाई विक्रय किया जाना स्वीकार किया है तथा षेश तथ्यों से इन्कार करते हुए कथन किया है कि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है तथा पादपवृद्धि व फसल उत्पादन कई कारकों का मिलाजुला योग होता है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उक्त उत्पाद को प्रयोग में लाने से उक्त हानि हुई है। विषेश कथनों में उल्लेख किया है कि जोष (ट्रईजोफोष) एक संपर्क कीटनाषी है जो पौधे पर जाकर फसल के कीटों को मारता है न कि पौधे की वृद्धि व फलाव को रोकता है। परिवादी ने इस प्रकरण में न तो मिट्टी का परीक्षण करवाया है और न ही दवा का उचित तरीके से इस्तेमाल किया गया है इसलिए सारे कारकों में से कौन से कारक की कमी के द्वारा फसल में फूल व फलियां नहीं बनी, यह निष्चित् तौर पर नहीं कहा जा सकता है। पत्रावली पर ऐसा कोई दस्तावेज या कृशि वैज्ञानिक या कृशि पर्यवेक्षक की सर्वे रिपोर्ट या उक्त उत्पाद ट्राईजोफोष की रासायनिक परीक्षण रिपोर्ट मौजूद नहीं है जिसके अभाव में परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 
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      परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में  म्ग.1 लगायत म्ग.6 दस्तावेजात तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में श्री राजेन्द्र सिंह राठौड,़ जनरल मैनेजर का षपथ पत्र प्रस्तुत किया है।                                                        
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1        क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता प्रमाणित पाया जाता है। 

2    क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?

    उभयपक्षों की बहस सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया। जहाँ तक परिवादी का यह तर्क है कि कीटनाशक की बजह से सोयाबीन की फसल में फल व फूल नहीं आये परन्तु यह कीटनाशक दवाई कीटों को मारती है और स्प्रे करने के सही तरीके से यदि इस कीटनाशक को स्प्रे किया जाये तो कीटों का असर फसल पर कम होता है और फसल, उसकी वृद्धि,फल और फूल रासायनिक,जैविक और भौतिक कारकों पर निर्भर करता है। कीटनाशक का उपयोग करने से फसल की वृद्धि और उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ता सिर्फ कीटों की रोकथाम होती है और रोकथाम के लिए भी स्प्रे करने का सही तरीका होना चाहिए। इसके अलावा परिवादी ने किसी विशेषज्ञ या विभागीय अधिकारियों की कोई रिपोर्ट भी पेश नहीं की है इसलिए हमारे विचार से परिवादी की फसल में नुकसान मात्र आरोपित कीटनाशक दवाई से हुआ हो यह प्रमाणित नहीं है। परिणामतः विपक्षीगण का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं पाया जाता है।  
अनुतोश ?

    परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।

 

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                              आदेष   

     परिणामतः परिवाद परिवादी जगदीश चन्द्र मीणा खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।

        (महावीर तंवर)                               (नन्द लाल षर्मा)  
           सदस्य                                        अध्यक्ष

 

       निर्णय आज दिनंाक 08.10.2015को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

        (महावीर तंवर)                               (नन्द लाल षर्मा)  
           सदस्य                                        अध्यक्ष

 

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