Rajasthan

Churu

84/2014

HITESH BAJORIYA - Complainant(s)

Versus

N.W.RAILWAY NEW DELHI - Opp.Party(s)

P.K.S.

11 Mar 2015

ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री हनुमान प्रसाद स्वामी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से श्री भवंरलाल दईया अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी दिनांक 25.05.2012 को गाड़ी संख्या 12458 से चूरू से दिल्ली सराईरोला जाने हेतु दिनांक 31.05.2012 की तिथी के लिए थ्रीटायर वातानुकुलित श्रेणी की 3 टिकटों को आरक्षण करवाया था जिसमें प्रार्थी की वेटिंग लिस्ट संख्या 26, 27 व 28 थी। दिनांक 31.05.2012 को गाड़ी की रवानगी के समय प्रार्थी की टिकट कन्फर्म नहीं हुई। इसलिए प्रार्थी को अपनी दिल्ली यात्रा निरस्त करनी पड़ी और प्रार्थी ने दिनांक 05.06.2012 को अप्रार्थी संख्या 4 के पास जाकर आवश्यक प्रपत्र भरकर किराया वापसी की मांग की। परन्तु अप्रार्थी संख्या 4 ने कम्प्यूटर की खराबी के कारण प्रार्थी को किराया रिफण्ड करने से इन्कार कर दिया। जिस पर प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 3 के यहां प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया व किराये की मांग की। परन्तु अप्रार्थी संख्या 3 ने भी धन वापसी का आवेदन 90 दिन के अन्दर नहीं भेजने के आधार पर प्रार्थी की मांग को अस्वीकार कर दिया। अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को आरक्षित करवायी गयी टिकट का रिफण्ड न देकर अस्वच्छ व्यापारिक निती अपनाई है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने अपने द्वारा क्रय की गई टिकट की राशि 1230 रूपये मय ब्याज सहित परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

           अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि प्रार्थी को अपनी धनराशि प्राप्त करने के लिए दिनांक 31.05.2012 को आरक्षण कार्यालय खुलने की 3 घण्टे की समायावधि में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना चाहिए था परन्तु प्रार्थी धन वापसी हेतु दिनांक 05.06.2012 को आया था। यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी का प्रकरण टिकट की राशि को प्राप्त करने के सम्बध्ंा में है। इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, टिकट की प्रति, जमा रशीद टिकट रद्करण प्रार्थना-पत्र, फोटो प्रति डाक रशीद प्रार्थना-पत्र, फोटो प्रति दावा अस्वीकार करने बाबत प्रार्थना-पत्र,  दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही दिया है कि परिवाद टिकट की राशि वापसी हेतु होने के कारण इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। अपनी बहस के समर्थन में प्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान न्यायिक दृष्टान्त अपील संख्या 78/2008 जयनारायण बनाम उत्तर-पश्चिम रेल्वे सर्किट बैंच जोधपुर की ओर दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राज्य आयेाग ने यह मत अभिनिर्धारित किया कि रेल्वे क्लेम टरिब्युनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) बी के अनुसार फेयर के रिफण्ड से सम्बंधित क्षैत्राधिकार केवल रेल्वे टरिब्युनल को ही प्राप्त है ना कि जिला मंच को। उक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी ने अपने परिवाद के अनुतोष मंे केवल अपनी टिकट की राशि वापिस दिलाने की ही मांग की है जो कि स्पष्ट रूप से रेल्वे टरिब्युनल के द्वारा ही दिलायी जा सकती है। इस मंच को किराये के सम्बंध में क्षैत्राधिकार नहीं है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद क्षैत्राधिकार के अभाव में खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध क्षैत्राधिकार के अभाव में खारिज किये जाने योग्य है। प्रार्थी अपने प्रकरण को सक्षम रेल्वे क्लेम टरिब्युनल के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु स्वतन्त्र है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

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