CHANDRAKESH YADAV filed a consumer case on 11 Oct 2021 against N.M.POLY CLINIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/155/2015 and the judgment uploaded on 16 Nov 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 155 सन् 2015
प्रस्तुति दिनांक 26.08.2015
निर्णय दिनांक 11.10.2021
चन्द्रकेश यादव उम्र तखo 58 वर्ष पुत्र स्वo लछिराम यादव निवासी ग्राम सुराई, पोस्ट सठियांव थाना- मुबारकपुर तहसील सदर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसकी बहू श्रीमती प्रियंका यादव की डिलिवरी होने वाली थी, उसका भाई रणवीर दिनांक 11.11.2014 को उसके मायके से लिवाकर एनoएमo पालीक्लीनिक जमुड़ी आजमगढ़ में भर्ती कराया तथा विपक्षी संख्या 01 के राय से उसी दिन दिनांक 11.11.2014 को सोनोग्राफी तथा ब्लड टेस्ट कराया गया तथा रिपोर्ट विपक्षीगण को दिखाया गया। विपक्षीगण सोनोग्राफी रिपोर्ट तथा ब्लड रिपोर्ट एवं बहू प्रियंका को देखने के पश्चात् कहे कि सामान्य रूप से 04 घण्टे में डिलिवरी हो जाएगी। उसी दिन दिनांक 11.11.2014 को लगभग 08 बजे रात में वादी के बहू की डिलिवरी डॉo तैयब खां तथा डॉo जाहिदा खातून द्वारा कराया गया। उस समय बच्चा जिंदा पैदा हुआ, लेकिन विपक्षीगण की लापरवाही व असावधानी के कारण बच्चा उनके हाथ से छूट कर नीचे रखी बाल्टी में गिर गया, जिससे उसके सिर में चोट आयी, चोट के कारण बच्चा मर गया। विपक्षीगण से जब पूछने की कोशिश की गयी तो वे सब क्लीनिक छोड़कर भागने लगे, रोककर पूछने पर हाथापाई करके घर में भाग गये। घर में जाकर टेलीफोन करके कुछ बदमाशों को बुलाकर मारपीट करने लगे, मार पीट करके क्लीनिक से भागने लगे। परिवादी व परिवादी के परिवार वाले जब गाड़ी से अपनी बहू व मृत बच्चे को ले जाने लगे तो डाक्टर के ललकारने पर उनके तरफ से आदमी गोली चलाने लगे तथा गाली देने लगे। गोली लगने से गाड़ी का शीशा टूट गया व मोटर साइकिल पर गोली लगी जिससे चालक छोड़कर भाग गया। परिवादी की बहू के भाई ने थाने पर सूचना दिया, जिससे पुलिस वाले मृत बच्चे का पोस्ट मार्टम दिनांक 12.11.2014 को कराए जिसमें मृत्यु सर पर आयी चोट के कारण हुई है। बच्चे की मृत्यु विपक्षीगण की लापरवाही से हुई है। अतः उनके विरुद्ध आदेश पारित किया जाए कि वह परिवादी को 17,00,000/- रुपए मय ब्याज अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1 अल्ट्रासाउण्ड रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 ब्लड रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 लिखी गयी दवाओं का विवरण, कागज संख्या 5/4 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/6 व 5/7 पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 8क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि वाद पत्र के पैसा 01 में जिस प्रकार कथन किया गया है उससे इंकार है। वास्तव में प्रश्नगत सोनोग्राफी के परिशीलन के बाद ही प्रसवपूर्व विपक्षी ने नवजात शिशु का हार्टबीट कम होने तथा संकटापन्न जीवन के बाबत याची व उसके परिवार को अवगत कराया गया और जोखिम की पूर्ण सहमति विवक्षित रूप से प्राप्त करके इलाज प्रारम्भ किया गया था। वाद पत्र के पैरा 04 में यह अभिकथन की वादी व उसके परिवार वाले जब गाड़ी से अपनी बहू व मृत बच्चे को ले जाने लगे जैसे वाक्य से यह पूर्णतः स्पष्ट है कि वादी व उसके परिवार वाले बिला पुलिस को सूचना दिए कथित बच्चे को अपने संरक्षम व अभिरक्षा में स्वयं लेकर गए और बाद में दूसरे दिन दिनांक 12.11.2014 को समय 10.30 बजे अज्ञात वक्त में थाना मुकामी पर प्राथमिकी दर्ज करायी जबकि क्लीनिक से थाने की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है। इस प्रकार प्रश्नगत शिशु पूर्ण रूप से वादी मुकदमा के परिवार के आधिपत्य में रहा इतनी ही नहीं वादी मुकदमा व उसके परिवार द्वारा क्लीनिक में मारपीट तोड़-फोड़, लूटपूट करने के अनुक्रम में स्वयं वादी के परिवार के उपेक्षा व आपा-धापी में शिशु को आई चोट को प्रतिवादी के सिर पर मढ़ना झूठा व असत्य है तथा परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अतः खारिज किया जाए। प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 10/1 पंचनामा की छायाप्रति, कागज संख्या 10/3 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 10/10 विधिक नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
लेकिन विपक्षी संख्या 01 की ओर से कोई भी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 13क विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि वादी पीड़ित व्यक्ति नहीं है। वह विपक्षी का कभी भी उपभोक्ता नहीं रहा है। इस कारण उसे मुकदमा संस्थित करने का अधिकार नहीं है। झूठे ढंग से प्रियंका के नवजात शिशु की मृत्यु के बारे में प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रियंका के भाई रणवीर यादव द्वारा दर्ज करायी गयी, जिसमें लापरवाही को कथित रूप से बताया गया, जबकि उक्त वाद में प्रियंका के तरफ से वादी मुकदमा ने पैरा 02 में लापरवाहा व असावधानी के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए, बच्चा बाल्टी में गिर जाने से कथित चोट के फलस्वरूप मृत्यु हुई को स्पष्ट किया है, वहीं रणवीर यादव ने मात्र लापरवाही बतायी। चन्द्रकेश यादव ने लापरवाही का कथित तरीका बाल्टी में गिरना प्रदर्शित कर तथ्यों में स्पष्टतया एकरूपता के अभाव को रेखांकित किया है। नवजात शिशु को बिना पुलिस के अभिरक्षा में स्वयं लेकर भागने लगे। विपक्षी संख्या 02 ने पूर्णतः कौशल के साथ व पूर्ण सावधानी व उपेक्षारहित प्रसव सम्पन्न कराया तथा प्रारम्भिक नवजात के जीवन के लक्षणों के आधार पर विपक्षीगण द्वारा संसूचना की पूर्णता के पूर्व ही वादी के परिजनों के द्वारा की गयी हिंसा से स्पष्ट है कि वादी स्वच्छ हाथों से मुकदमा संस्थित नहीं किया है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
बहस के समय कोई पक्ष उपस्थित नहीं आए। चूंकि पत्रावली काफी पुरानी है। अतः पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी की डिग्री बीoयूoएमo एसo की है, जिसे बच्चा पैदा कराने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता है। इस प्रकार विपक्षीगण ने उचित डिग्री न होने के बावजूद भी बच्चा पैदा कराया। परिवादी ने परिवाद पत्र में यह कहा है कि बच्चा बाल्टी में गिरने के कारण उसके सिर में चोट आ गयी थी। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में भी मृत्यु का कारण बच्चे के सिर में आयी चोट को बताया गया है। चूंकि विपक्षीगण के पास उचित डिग्री नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे से यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे अन्दर 30 दिन परिवादी को मुo 5,00,000/- रुपए (रु. पांच लाख मात्र) अदा करें, जिस पर वाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज देय होगा तथा विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को वाद व्यय के मद में मुo 5,000/- रुपए (रु. पांच हजार मात्र) भी अदा करें।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 11.10.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.