जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-1048/2010 उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-30/11/2010
परिवाद के निर्णय की तारीख:-13/10/2020
श्रीमती अभयराजी आयु लगभग 50 साल पत्नी स्व0 मंत्री उर्फ मुदरी निवासिनी-ग्राम गोपरी चांदपुर, पोस्ट-टिबरा, थाना जैतपुर, तहसील जलालपुर, जिला-अम्बेडकर नगर। .........परिवादिनी।
बनाम
1-दि न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कं0 लि0 द्वितीय तल जीवन भवन, नवल किशोर रोड, लखनऊ द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर।
2-श्रीमान् तहसीलदार तहसील-जलालपुर जिला अम्बेडकरनगर।
3-श्रीमान् जिलाधिकारी महोदय, अम्बेडकरनगर।
.........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-01 को आदेशित किये जाने कि उ0प्र0 शासन द्वारा जारी शासनादेश के तहत वांछित बीमा धनराशि 1,00,000/-रूपये, विपक्षीगण से वाद व्यय 5,000/-रूपये, दावे की क्षतिपूर्ति राशि पर 10% ब्याज की दर से आदेश तिथि से भुगतान की तिथि तक दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 मंत्री उर्फ मुदरी पुत्र जगमोहन पेशे से किसान था जिसकी दिनॉंक-03/01/2006 को अचानक मार्ग दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी। उ0प्र0 सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उ0प्र0 के समस्त खातेदार/किसानों (जिनकी आयु 12 वर्ष से 70 वर्ष के बीच हो) का एक वर्ष यानी दिनॉंक-16/09/2005 से 15/09/2006 तक के लिये व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजनान्तर्गत विपक्षी संख्या-01 से बीमा किया गया और सरकार द्वारा बीमे के प्रीमियम की धनराशि अदा कर दी गयी थी। परिविादनी ने अपने स्व0 पति की आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर बीमा धनराशि प्राप्त करने के लिये समय सीमा के अन्दर विपक्षी संख्या-02 व 03 के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 के समक्ष आवेदन प्रेषित किया। बीमा धनराशि प्राप्त करने के लिये परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय के चक्कर लगाये किन्तु विपक्षीगण द्वारा बिना किसी कारण के बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। अन्त में दिनॉंक-11/11/2010 को परिवादिनी ने अधिवक्ता नियुक्त करके विधिक परामर्श प्राप्त किया और विधिक परामर्श के आधार पर जानकारी से अन्दर मियाद यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी संख्या-01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया कि परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्ता नहीं है, इस कारण परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है, क्योंकि विपक्षी तथा परिवादी के बीच में कोई खरीद या बिक्री नहीं हुई। मृतक की मृत्यु का कारण मोटर दुर्घटना कहा है, जबकि शव विच्छेदन के आधार पर हार्ट अटैक है, जो कि पॉलिसी कवर नहीं है। विपक्षी को धमकाने व ब्लैकमेल करने की नियत से उक्त परिवाद लाया गया है। उपरोक्त परिवाद चार वर्ष बाद दाखिल किया गया है जोकि इसी आधार पर निरस्त होने योग्य है। परिवादिनी के परिवाद का उचित मंच जिला अम्बेडकर नगर है न कि लखनऊ, क्योंकि परिवादिनी का निवास भी वहीं है और घटना भी लखनऊ की नहीं है। परिवाद कालबाधित है इस कारण भी निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-02 एवं 03 के विरूद्ध वाद की कार्यवाही एकपक्षीय चल रही है।
उभयपक्ष ने शपथ पर अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया है। विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है, अत: वाद इस आयोग के समक्ष नहीं चल सकता है। परिवादिनी के अधिवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के समस्त कृषकों का बीमा विपक्षी संख्या-01 से कराया था और उसके लिये सभी किसानों की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार ने बीमा किश्त धनराशि का भुगतान किया था। अत: परिवादिनी लाभार्थी की श्रेणी में आती है, क्योंकि वह मृतक स्व0 मंत्री उर्फ मुदरी पुत्र जगमोहन की पत्नी है। अत: परिवादिनी उपभोक्ता की परिभाषा में आती है, और विपक्षी संख्या-01 की विधिक उपभोक्ता होगी। विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी का परिवाद कालबाधित है। अभिलेख का अवलोकन करने से प्रतीत होता है कि परिवादिनी का परिवाद कालबाधित नहीं है। क्योंकि परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनॉंक-03/01/2006 को हुई है, जबकि किसान बीमा दुर्घटना योजना दिनॉंक-16/09/2005 से 15/09/2006 तक के लिये थी। विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु हार्ट फेलियर से हुई जो पॉलिसी में कवर नहीं है। इस संबंध में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु हार्ट फेलियर से हुई है जो दुर्घटनावश हो सकती है। वाहन से दुर्घटना होना स्वीकार है। अत: विपक्षी का यह कथन हार्ट अटैक पॉलिसी उपरोक्त के अन्तर्गत सही प्रतीत नहीं होता है। तथ्यों के अनुसार दिनॉंक-03 जनवरी 2006 को दुर्घटना हुई और दुर्घटना के पश्चात् कृषक की मृत्यु हुई। दुर्घटना के फलस्वरूप भी किसी व्यक्ति को सदमें के कारण हार्ट अटैक हो सकता है। परन्तु जब दुर्घटना मार्ग में हुई उसमें कृषक को हार्ट अटैक नहीं हुआ था। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद विपक्षी संख्या-01 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी संख्या-01 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को बीमा धनराशि मुबलि-1,00,000/-(एक लाख रूपया मात्र) 09% वार्षिक ब्याज जो वाद दायर करने की तिथि से देय होगा, के साथ 45 दिन के अन्दर अदा करेंगें। वाद व्यय के लिये मुबलिग-5,000/-(पॉच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि (45 दिन) में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12% वार्षिक ब्याज भुगतान की तिथि तक भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।