Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/17/2019

USHA DEVI - Complainant(s)

Versus

N.I.I CO - Opp.Party(s)

NARESH SINGH

17 Jan 2020

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/17/2019
( Date of Filing : 05 Jan 2019 )
 
1. USHA DEVI
GYANKHEDHA MAJRA NEVRANA POST ACHALGANJ TEH
UNNAO
...........Complainant(s)
Versus
1. N.I.I CO
6 TH FLOOR NAWAL KISHORE ROAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  SMT SNEH TRIPATHI MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Jan 2020
Final Order / Judgement
 परिवाद प्रस्तुत करने की तारीखः-05.01.2019
परिवाद के फैसले की तारीखः-17.01.2020
 
1-श्रीमती उषा देवी आयु लगभग 50 वर्ष पत्नी स्व0 रामफली।
2-हसन उर्फ हसनर आयु लगभग 28 वर्ष पुत्र स्व0 रामफली, निवासिनीगण-ग्राम-ज्ञानखेड़ा, मजरा-नेवराना, पोस्ट-नेवराना, थाना-अचलगंज, तहसील व जिला-उन्नाव। उ0प्र0।
                                             ..............परिवादीगण।                                                                                               
                          बनाम
 
1-दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0 द्वारा वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक, जीवन भवन छठवां तल, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ-226001 ।
 
2-उ0प्र0 सरकार द्वारा महानिदेशक, संस्थागत वित्त बीमा एवं वाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशालय लखनऊ, उ0प्र0।
 
श्रीमान् जिलाधिकारी, जनद-उन्नाव। उ0प्र0।
                                                             ...........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
                                        
                            निर्णय
                       
परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी से मुबलिग-5,00,000/-मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ, अवैधानिक रूप से परिवादिनी का बीमा दावा निरस्त करने के कारण अनुबन्ध के अनुसार पैनाल्टी दिलाये जाने, वाद व्यय के रूप में 20,000/-रूपये तथा मानसिक क्लेश के लिये 25,000/-रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवादीगण के कथन इस प्रकार हैं कि वे मृतक रामफली के विधिक उत्तराधिकारी हैं। परिवादिनी संख्या-01 के पति एवं परिवादी संख्या-02 के पिता रामफली की मृत्यु दिनाॅंक-07.03.2018 को सांड के मारने से आयी गंभीर चोटों के कारण हो गयी। मृतक रामफली कृषक थे, तथा परिवार के मुखिया और रोटी अर्जक थे।  विपक्षी संख्या-01 एवं 02 के मध्य हुए अनुबन्ध पत्र की शर्तों के अनुसार वे 5,00,000/-रूपये के लिये बीमित थे। रामफली की मृत्यु के पश्चात् निर्धारित समयावधि के अन्तर्गत सभी कागजात संलग्न करते हुए विपक्षी संख्या-03 के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 को प्रेषित किया था। परन्तु विपक्षी संख्या-01 ने परिवादीगण के बीमा दावे को सरसरी तौर पर अवैधानिक रूप से दिनाॅंक-21.06.2018 को यह कहकर खारिज कर दिया कि मृत्यु के समय मृतक की आयु 70 वर्ष से अधिक पायी गयी थी, जबकि मृत्यु के समय मृतक की आयु पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 59 वर्ष, मतदाता पहचान पत्र व आधार कार्ड के अनुसार 67 वर्ष की थी, जो विपक्षी संख्या-01 द्वारा सेवा में कमी और लापरवाही है। वाद का कारण दिनाॅंक-21.06.2018 को उत्पन्न हुआ, जब उन्होंने परिवादीगण के दावे को खारिज किया।
वाद की कार्यवाही विपक्षीगणों के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है। यद्यपि विपक्षी संख्या-01 ने एकपक्षीय कार्यवाही होने की अगली तिथि पर अपना उत्तर पत्र दाखिल किया है, परन्तु उन्होंने अपना उत्तर पत्र अभिलेख पर लेने या एकपक्षीय आदेश वापस लेने का आवेदन पत्र अथवा प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं किया है।
परिवादी ने शपथ पर अपना साक्ष्य दाखिल किया है।
परिवादीगण ने सरकार एवं बीमा कम्पनी के बीच हुए अनुबन्ध की छायाप्रति दाखिल किया है। पाॅलिसी, दावा प्रपत्र, खतौनी, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, दावाखारिजी रिपोर्ट, की छायाप्रतियाॅं दाखिल किया है, जिनको वे अपने दावा पत्र के साथ भी संलग्न किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक की उम्र पोस्टमार्टम के दिन करीब 59 वर्ष की थी। आधार कार्ड के अनुसार मृतक की उम्र 67 वर्ष एवं पहचान पत्र के अनुसार  करीब 53 वर्ष की थी। मृतक का दावा सिर्फ इसी आधार पर अस्वीकार किया गया है कि मृतक की आयु मृत्यु के समय 70 वर्ष से अधिक पायी गयी है, लेकिन उन्होंने आदेश में यह नहीं लिखा है कि किस साक्ष्य के आधार पर मृतक की आयु 70 से ज्यादा थी। पाॅलिसी की शर्तों के अनुसार यदि मृतक कृषक एवं घर का मुख्यिा हो तथा उसकी मृत्यु 18 से 70 वर्ष के बीच आकस्मिक दुघर्टना से हुई हो तब वह 5,00,000/-रूपये बीमा राशि पाने का अधिकारी होगा।  मृतक ऐसी परिस्थिति में फोरम यह पाता है कि मृतक की आयु जिसे पोस्टमार्टम में 59 वर्ष पाया गया था उससे 2-3 वर्ष ज्यादा या कम हो सकती है। परन्तु वह किसी भी हालत में 70 वर्ष का नहीं रहा होगा। पोस्टमार्टम चिकित्सक द्वारा किया जाता है, और वे मृतक की आयु मृत्यु के समय 59 वर्ष पायी गयी थी। उसे एक विशेषज्ञ राय भी मांनी जा सकती है। ऐसी  परिस्थिति में विपक्षी संख्या-01 ने परिवादीगण का दावा अस्वीकार कर सेवा में कमी की है। परिवादीगण का दावा आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
                                     आदेश
परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादीगण को बीमा राशि मुबलिग-5,00,000/-रूपये मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ 45 दिनों के अन्दर अदा करेंगें जो मृतक की मृत्यु की तिथि से भुगतेय होगा। विपक्षी संख्या-01 वाद व्यय के रूप में मुबलिग-10,000/-एवं मानसिक क्लेष के लिये मुबलिग-15,000/-रूपये अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं होता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा। 
 
   (स्नेह त्रिपाठी)                                  (अरविन्द कुमार)
         सदस्य                                           अध्यक्ष
                                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 
                                            प्रथम लखनऊ।                                                                 
 
 
 
 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ SMT SNEH TRIPATHI]
MEMBER
 

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