जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-402/2017 उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-21/11/2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-21/10/2020
श्रीमती पार्वती उर्फ कमला पत्नी स्व0 प्रकाश उर्फ राम प्रकाश निवासिनी-ग्राम-रायपुर, पोस्ट-जनिगांव, तहसील-सण्डीला, जिला-हरदोई।
.........परिवादिनी।
बनाम
1-दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कं0 लि0 द्वारा प्रबन्धक लीगल ब 94 महात्मा गांधी मार्ग, राजभवन के सामने, हजरतगंज, लखनऊ-226001 ।
2-उ0प्र0 सरकार द्वारा महानिदेशक, संस्थागत वित्त, बीमा एवं वाह्यय सहायतित परियोजना निदेशालय, लखनऊ उ0प्र0।
3-श्रीमान् जिलाधिकारी, जनपद-हरदोई। .........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
निर्णय
परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी से बीमा धनराशि 5,00,000/- रूपया व उस पर देय ब्याज 18%, बीमा दावा अवैधानिक रूप से लम्बित रखने के कारण बीमित धनराशि व अनुबन्ध पत्र में वर्णित पेनाल्टी, एवं वाद व्यय 20,000/-रूपये, मानसिक क्लेश 25,000/-रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि दिनॉंक-18/12/2016 को स्व0 प्रकाश उर्फ राम प्रकाश पुत्र बदलू उपरोक्त की तालाब में डूबने से आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी। उ0प्र0 सरकार द्वारा उ0प्र0 के समस्त किसानों (असीमित आय सीमा) भूमिहीन कृषक, कृषि से संबंधित क्रियाकलाप करने वाले, (मत्स्य पालक, दुग्ध पालक, सुवर पालक, बकरी पालक, मधुमक्खी पालक इत्यादि) घुमन्तू परिवार, व्यापारी (जो किसी शासन योजना से अच्छादित नहीं हैं) बन श्रमिक दुकानदार, फुटकर कार्य करने वाले, रिक्शा चालक, कुली एवं अन्य कार्य करने वाले ग्रामीण क्षेत्रों अथवा शहरी क्षेत्रों के निवसी जिनकी पारिवारिक आय 75,000/-रूपये प्रतिवर्ष से कम हो एवं जिनकी आयु 18 वर्ष से 70 वर्ष के मध्य है, के हित में विपक्षी संख्या-02 ने विपक्षी संख्या-01 से एक सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना का अनुबन्ध किया था। अनुबन्ध के अनुसार 5,00,000/-रूपये का दुर्घटना बीमा किया गया था। यह पालिसी दिनॉंक-14/09/2016 से अग्रिम एक वर्ष के लिये है। परिवादिनी ने पति स्व0 प्रकाश उर्फ राम प्रकाश पुत्र बदलू उपरोक्त की आकस्मिक मृत्यु के उपरान्त निर्धारित समयावधि के अन्दर समस्त आवश्यक प्रपत्र संलग्न करते हुए विपक्षी संख्या-03 के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 को नियमानुसार बीमा दावा प्रेषित किया। दिनॉंक-11/08/2017 को विपक्षी संख्या-01 को पुन- दावा प्रपत्र भेजा गया। बीमित धनराशि प्राप्त करने के लिये विपक्षीगणों के कार्यालयों के चक्कर लगाती रही, परन्तु काफी समय व्यतीत हो जाने के बाद भी आज तक विपक्षी संख्या-01 द्वारा अनावश्यक बीमा दावा अपने स्तर पर लम्बित रखकर बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, और न ही इस संबंध में कोई जानकारी दी गयी। बीमा दावा आज तक बीमा कम्पनी के स्तर पर लम्बित है, जो बीमा कम्पनी की सेवाओं में कमी एवं घोर लापरवाही प्रदर्शित करता है।
विपक्षी संख्या-01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया कि शिकायतकर्ता ने मृतक की मृत्यु का कारण स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है, केवल आकस्मिक मृत्यु ही लिखा है, ऐसी स्थिति में बगैर दावा सिद्ध करे देय नहीं है। शिकायतकर्ता ने शिकायतपत्र में दुर्घटना तथा इसका कारण नहीं लिखा है क्योंकि मूल वाद में न लिखे होने के कारण यदि वादी दुर्घटना का कोई साक्ष्य भी देता है तो वह साक्ष्य अधिनियम के अनुसार पठनीय न होगा। सूची क्रम संख्या 02 पर खतौनी लिखा है जिसकी छायाप्रति उपलब्ध है तथा वह राम प्रकाश/बदलू के नाम से है तथा उसके वारिसान का भी नाम दर्ज किया गया है, नाम दर्ज करने के आदेश में राम प्रकाश उर्फ प्रकाश लिखा है जबकि खतौनी में केवल राम प्रकाश लिखा है। सूची क्रम संख्या03 पर जी.डी. रिपोर्ट की छायाप्रति लिखा है जो कि अपठनीय है पढ़ने में नहीं आ रही है, इस कारण उत्तरदाता कुछ भी कहने में असमर्थ है। कायतकर्ता को कोई वाद कारण नहीं है तथा वाद सव्यय निरस्त होने योग्य है। प्रस्तुत वाद बीमा कम्पनी को अनुचित दबाव में लेने हेतु किया गया है। दावाकर्ता उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
विपक्षी संख्या 02 व 03 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही चल रही है।
परिवादी एवं विपक्षी संख्या-01 ने शपथ पर अपना साक्ष्य भी दाखिल किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि विपक्षी संख्या-01 ने दावा अस्वीकृति आदेश में यह कहा है कि दावा विलम्ब से प्राप्त हुआ और कई नोटिस भेजने के पश्चात् भी दावा प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। विपक्षी संख्या-01 ने अपने कथन के समर्थना में ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जिससे पता चले कि विपक्षी संख्या-01 ने कोई पत्र या नोसिस परिवादिनी भेजा हो। विपक्षी संख्या-01 ने इस संबंध में स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड नोटिस भेजने की कोई रसीद भी संलग्न नहीं किया है। अत: विपक्षी संख्या-01 के कथनों पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। यदि उन्होंने कोई नोटिस परिवादिनी को भेजा है तब वह उसकी रसीद जरूर संलग्न करते। दावा अस्वीकृति आदेश के अतिरिक्त यदि उत्तर पत्र में विपक्षी कुछ कहता है तो उस पर विचार नहीं किया जाएगा। ऐसी परिस्थिति में आयोग विपक्षी संख्या-01 के कथनों से संतुष्ट नहीं है, और परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-01 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को बीमा धनराशि मुबलिग-5,00,000/-(पॉंच लाख रूपया मात्र) 09% वार्षिक ब्याज की दर वाद दायर करने की दिनॉंक से भुगतान की तिथि तक 45 दिनों के अन्दर अदा करेगें। साथ ही साथ वाद व्यय एवं परिवादिनी को हुई परेशानी के लिये दण्ड स्वरूप मुबलिग-1,00,000/-(एक लाख रूपया मात्र), मानसिक क्लेश हेतु मुबलिग-15,000/-(पन्द्रह हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहं किया जाता है तो सम्पूर्ण पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।