जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
मैसर्स सिंहल ट््रेडिग कम्पनी सुभाषगंज, नसीराबाद, जिला-अजमेर जरिये इसके पार्टनर सुनील सिंहल पुत्र स्व. श्री द्वारकाप्रसाद जी सिंहल, जाति- अग्रवाल, उम्र- करीब 55 साल, निवासी- रामदयाल मौहल्ला, नसीराबाद ।
प्रार्थी
बनाम
नेषनल इन्ष्योरेसंस कम्पनी लिमिटेड ष्षाखा कार्यालय, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर जरिये इसके मण्डल कार्यालय, नेषनल इन्ष्योरेसंस कम्पनी लिमिटेड जरिये मण्डल प्रबन्धक, कचहरी रोड, अजमेर ।
अप्रार्थी
पूर्व परिवाद संख्या 127/2008
नया परिवाद संख्या 54/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री अनिल ऐरन,अधिवक्ता,प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन,अधिवक्ता,अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 11.08.2016
1. माननीय राज्य आयोग ने उक्त उनवानी प्रकरण अपने निर्णय दिनंाक 13.1.2015 के द्वारा मंच को इस निर्देष के साथ प्रतिप्रेषित किया है कि मंच अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत सर्वेयर रिपोर्ट पर तथा प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत पुलिस दस्तावेज व साक्ष्य पर विचार कर यह निर्धारित करें कि प्रार्थी के गोदाम में दो बार मात्र धारा 380 आईपीसी में चोरी हुई है या सेंधमारी हुई है तथा क्या उक्त आधार पर पुलिस में चोरी से क्षति का बीमा है या नहीं ?
2. हस्तगत प्रकरण माननीय राज्य आयोग, जयपुर के निर्णय दिनांक 13.01.2015 की अनुपालना में उभय पक्षकारों को सुना जाकर मंच द्वारा यह निर्णय पारित किया जा रहा है ।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी फर्म उसने गोदाम संख्या 4442 में रखे सामान का चोरी, आगजनी, बरगलरी का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से करवाया । दिनांक 10.12.2006 को उक्त गोदाम से 36 बोरी मूंग वजन 36 क्विंटल राषि रू. 1,25,000/- की चोरी हो गई । जिसकी प्रथम सूचना रिर्पोट पुलिस में दर्ज करवाते हुए चोरी की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री पाठक एवं जांचकर्ता श्री पी.सी. जैथलिया ने गोदाम का निरीक्षण किया एवं चाहे गए दस्तावेज उन्हें उपलब्ध करा दिए । फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जब बीमा की राषि अदा नहीं की तो अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दिया । अप्रार्थी ने उसका बीमा क्लेम पत्र दिनांक 30.8.2007 के माध्यम से इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रार्थी ने वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए और ना ही क्लेम सेटल करने में सहयोग प्रदान किया । जबकि उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को समस्त वांछित दस्तावेजत उपलब्ध करा दिए थे । फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसका वाजिब बीमा क्लेम खारिज कर सेवादोष किया है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम की राषि रू. 1,25,000/- मय ब्याज,, मानसिक क्षतिपूर्ति, परिवाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थी के गोदाम का 25 लाख का अग्नि एवं बरगलरी का बीमा किया गया था । प्रार्थी ने चोरी होने की सूचना 08 दिन देरी से अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर एवं जांचकर्ता नियुक्ति किया किन्तु प्रार्थी नेे जांचकर्ता को समय पर वांछित स्टाॅक, संबंधित दस्तावेज, , क्रए विक्रए पत्र, पुलिस दस्तावेज आदि उपलब्ध नहीं कराए । जांचकर्ता ने प्रार्थी को जरिये पत्र दिनांक 29.3.07, 30.3.07, 31.3.07, एचं 2.4.07 के द्वारा वांछित दस्तावेज उपलब्ध करानेे हेतु सूचित किया किन्तु प्रार्थी ने वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए । साथ ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने भी प्रार्थी को जरिये पत्र दिनांक
26.7.2007 के क्रए विक्रए पत्र, सर्विस टैक्स, इन्कम टैक्स, सेल्स टैक्स विभाग को प्रस्तुत रिटर्न इत्यादि दस्तावेज उपलबध कराने हेतु सूचित किया। किन्तु प्रार्थी ने उक्त वांछित दस्तावेज उपलबध नहीं कराए । प्रार्थी के गौदाम के चैकीदार द्वारा पुलिस को दिए गए बयानों के अनुसार दिनांक 10.12.2006 को रात्रि 12 से 1 बजे के मध्य चोरी होना बतलाया । चूंकि माल की मात्रा अधिक होने के कारण चोरी का होना संषय पैदा करता है । अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने समस्त तथ्यों को मध्यनजर रखते हुए हुए बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन किए जाने पर बीमा क्लेम भुगतान योग्य नहीं माना इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई है । परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए श्री नाथूलाल कोली, प्रषासनिक अधिकारी ने षपथपत्र पेष किया है ।
5. पक्षकारान ने अपने परिवाद व जवाब में अंकित तथ्यों को ही तर्को के रूप में प्रस्तुत किया ।
6. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलखों का सावधानीपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. माननीय राज्य आयेाग द्वारा दिए गए दिषा निर्देषों के अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत सर्वेयर रिपोर्ट एवं प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात व साक्ष्य पर विचार करते हुए अब हमें इस बात पर मनन करना है कि क्या प्रार्थी के गौदाम में हुई चोरी मात्र धारा 380 आईपीसी के अन्तर्गत है अथवा सेंधमारी की गई चोरी का परिणाम है ?
8. स्वीकृत तथ्यनुसार प्रार्थी की ओर से थाना नसीराबाद सिटी में दिनंाक 10.12.2006 को चोरी की सूचना दी गई । इस रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थी ने अपनी फर्म का गोदाम दिनंाक 10.12.2006 को खोलकर देखा तो उसे मालूम पड़ा कि उक्त गोदाम से 36 बोरी मंूग चोरी हो गया है और मालूम करने पर किसी प्रकार का कोई सुराग नहीं मिला है । अनुसंधान के दौरान पुलिस द्वारा मामले में चोरी गए माल व मुलजिम का पता नहीं मिलने पर एफ.आर न्यायायलय के समक्ष प्रस्तुत हुई । प्रार्थी द्वारा चोरी के संबंध में पुलिस को दी गई रिर्पोट बाबत् मात्र स्वयं की दर्ज करवाई गई रिपोर्ट, पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिर्पोट व अंतिम प्रतिवेदेन की फोटोप्रतियां प्रस्तुत हुई । यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी द्वारा रिर्पोट दर्ज करवाने के बाद अनुसंधान से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए । ये महत्वपूर्ण दस्तावेज घटनास्थल पर बनाया गया नक्षा मौका, किसी प्रकार की बरामदगी, महत्वपूर्ण साक्षी के बयान आदि थे । बहरहाल इन्ष्योरोंस कम्पनी द्वारा उक्त चोरी की सूचना प्राप्त होने के बाद सर्वेयर श्री पाठक को नियुक्त किया गया । सम्पूर्ण प्रकरण में उक्त सर्वेयर की रिपोर्ट का बार बार उल्लेख आया है । किन्तु अप्रार्थी द्वारा इन सर्वेयर श्री पाठक की कोई रिर्पोट प्रस्तुत नहीं की गई है । न्याय हित में मंच द्वारा जांचकर्ता श्री पी.सी. जैथलिया जो बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त है, की रिपोर्ट का अवलोकन किया गया । इस जांचकर्ता ने अनुसंधान के दौरान यह पाया है कि पुलिस के समक्ष दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में बाद अनुसंधान पुलिस ने जो एफ.आर प्रस्तुत कर प्रार्थी को अपना पक्ष कथन रखने का मौका दिया है, में उसने अपनी ओर से कोई साक्ष्य पेष नहीं करना जाहिर किया है । जांचकर्ता ने मौके का निरीक्षण किया है, जिसमें पाए गए गोदाम में किसी प्रकार के कोई नम्बर नही ंथे । गोदाम में तोडफोड ,गृहभेदन, दीवारों में अन्दर व बाहर की ओर टूटफूट नही ंहोना पाया । इसी प्रकार खिड़की दरवाजों व तालों अत्यादि में कोई टूटफूट नहीं पाई गई है । अनुसंधान के दौरान लिए गए साक्षीगण के बयान, जिनमें चैकीदार भी सम्मिलित है, के ज्ञान में उसकी मौजुदगी में किसी प्रकार की कोई चोरी सामने नहीं आई । माल के स्टाॅक बाबत् भी किसी प्रकार के कोई निष्कर्ष के रूप में स्थिति सामने नहीं आई । स्वयं प्रार्थी ने अपनी रिपोर्ट मे ंचोरी किस तिथि को हुई, का कोई उल्लेख नहीं किया है । गोदाम में किसी प्रकार का कोई ताला टूटा हो, ऐसी स्थिति भी सामने नहीं आई है । गोदाम से संबंधित पूछताछ में यह भी सामने आया है कि उक्त गोदाम में माल की आवक जावक संबंधी किसी प्रकार का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है । इन समस्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उक्त जांचकर्ता की रिर्पोट में किसी प्रकार की चोरी की घटना होने से इन्कार किया गया है ।
9. इस प्रकार यदि हम पत्रावली में उपलब्ध चोरी की रिपोर्ट से संबंधित पुलिस रिकार्ड व अनुसन्धानकर्ता के बयान व तथ्यात्मक स्थिति का अवलोकन करें तो हुई तथाकथित चोरी किसी प्रकार की तोड़फोड अथवा गृह भेदन के परिणमस्वरूप नहीं थी ।
10. स्वीकृत रूप से हस्तगत मामले में प्रार्थी द्वारा माल की सेंधमारी(बरगलरी)की पाॅलिसी करवाई गई है । स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा उक्त पाॅलिसी सेंधमारी(बरगलरी) की पाॅलिसी करवाई गई थी । चूंकि जिस गोदाम में चोरी होना अभिकथित किया गया है, में किसी प्रकार का कोई गृहभेदन या सेंधमारी की स्थिति सामने नहीं आई है । इसके अलावा पुलिस में भी चोरी की रिर्पोट के आधार पर अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है जिस पर प्रार्थी ने भी कोई प्रतिरोध जाहिर नहीं किया है । परिणामस्वरूप उपरोक्त सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 31.08.2007 द्वारा क्लेम खारिज किया है , में किसी प्रकार का कोई सेवादोष का परिणाम सामने नहीं आया है ।
11. सार यह है कि यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
12. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 11.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष