Uttar Pradesh

StateCommission

CC/166/2015

Shivani Agro India Pvt :td - Complainant(s)

Versus

N.I.A C. Ltd - Opp.Party(s)

Prasoon Kumar Rai

11 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/166/2015
( Date of Filing : 06 Aug 2015 )
 
1. Shivani Agro India Pvt :td
Bahraich
...........Complainant(s)
Versus
1. N.I.A C. Ltd
Kolkata
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Oct 2022
Final Order / Judgement

                                                     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-166/2015

शिवानी एग्रो प्रा0लि0, ए कंपनी रजिस्‍टर्ड अंडर कंपनीज एक्‍ट 1956, रजिस्‍टर्ड आफिस नवीन गल्‍ला मण्‍डी, सलरपुर, बहराईच, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर, श्री भगवान मित्‍तल।

                   परिवादी

बनाम

1.    नेशनल इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी लि0, द्वारा जनरल मैनेजर, 3, मिडिलटन स्‍ट्रीट, प्रफुल चंद्र सेन सरानी, कोलकाता, वेस्‍ट बंगाल।

2.    ब्रांच मैनेजर, नेशनल इन्‍श्‍योरेन्‍स कंपनी, मेन ब्रांच, 15/291, ओंकार चैम्‍बर, सिविल लाइन्‍स, कानपुर।

3.    जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्‍ट, द्वारा चेयरमैन, एडमिनिस्‍ट्रेशन बिल्डिंग, सेवा नवी मुम्‍बई, महाराष्‍ट्र।

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित            : श्री प्रसून कुमार राय।

विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह।

विपक्षी सं0-3 की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

दिनांक:  10.11.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध घोषित बीमित मूल्‍य अंकन 55,10,250/- रूपये की प्राप्ति के लिए, अंकन 5 लाख रूपये प्रताड़ना की मद में क्षतिपूर्ति की प्राप्ति के लिए तथा अंकन 50 हजार रूपये परिवाद व्‍यय की मद में प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी कंपनी कृषि उत्‍पादों का निर्माण एवं निर्यात करती है। परिवादी कंपनी द्वारा दिनांक 10.01.2014 को 88,875 यूएसडी की आपूर्ति के लिए यमन देश में स्थित अल खनबासी कंपनी से प्राप्‍त हुआ। माल का उत्‍पादन करते हुए 4500 बैगो में भरकर (प्रत्‍येक बैग 50 KG) कानपुर लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड को दिनांक 21.01.2014 को सुपुर्द किया। माल को परिदान करते हुए Fumigation Certificate प्राप्‍त किया गया तथा इस माल का बीमा अंकन 55,10,250/- रूपये का कराया गया। बीमा प्रमाण पत्र (Marine Insurance Certificate) दिनांक 04.02.2014 को जारी हुआ। भारत के प्‍लांट सुरक्षा संगठन द्वारा शिपमेंट को निरीक्षण के बाद दिनांक 17.01.2014 को प्रमाणित किया गया। प्रेषित माल का वजन तथा गुणवत्‍ता दिनांक 21.01.2014 को चेक की गई तथा गुणवत्‍ता प्रमाण पत्र SGS इण्डिया प्रा0लि0 द्वारा जारी किया गया। यह माल दिनांक 28.02.2014 तक ओमान में पहुँचना था। दिनांक 03.03.2014 को प्रेषित माल Terminal Gate से बाहर कंटेनर्स में निकाला गया, परन्‍तु निरीक्षण में पाया गया कि सम्‍पूर्ण 4500 बैग क्षतिग्रस्‍त एवं अनुपयुक्‍त हो चुके हैं और तदनुसार बगैर किसी सैम्‍पल या पुष्टि के समस्‍त सामान नष्‍ट कर दिया गया। बीमा कंपनी के समक्ष बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 21.10.2014 को बीमा क्‍लेम अवैध रूप से नकार दिया गया और आधार यह लिया गया कि Marine Policy के क्‍लॉज संख्‍या-4.3 तथा 4.4 का उल्‍लंघन किया गया है, जबकि परिवादी कंपनी द्वारा समस्‍त सावधानियां बरतते हुए माल को निर्यात किया गया था, इसलिए यह परिवाद उपरोक्‍त अनुतोषों के लिए प्रस्‍तुत किया गया।

3.         इस परिवाद पत्र के समर्थन में श्री एस.बी. मित्‍तल का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा शपथ पत्र के साथ संव्‍यवहार से संबंधित दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए।

4.         विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 का कथन है कि Fumigation का उत्‍तम एवं गुणवत्‍तापूर्ण पैकिंग से कोई संबंध नहीं है। इसी प्रकार NPPO द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र का भी कोई महत्‍व नहीं है। 4500 बैग में सुपर फाईन गेंहू का आटा भारत से यमन भेजा गया था। बैग के बाहरी हिस्‍से में फंगस पायी गयी थी, इसलिए सम्‍पूर्ण निर्यातित माल को Port Customs and Quality Control Authorities द्वारा अस्‍वीकार कर दिया गया। नमी के कारण गेहूँ का आटा खराब हुआ था और यह नमी गुणवत्‍तापूर्ण पैकिंग न करने के कारण कारित हुई थी, जबकि परिवादी कंपनी का दायित्‍व था कि कंटेनर्स स्‍वस्‍थ दशा में लादे जाए, सील किए जाए तथा परिवहन किए जाए। परिवादी कंपनी द्वारा जो माल प्रेषित किया गया था, उसमें सीलिंग पुख्‍ता नहीं थी, इसलिए परिवादी कंपनी का क्‍लेम सामान्‍य Exclution के Clause 4.3 तथा 4.4 के अन्‍तर्गत आता है।

5.         यमन की LLOYDS एजेन्‍सी द्वारा निरीक्षण के समय पाया गया कि कंटेनर्स में क्राफ्ट पेपर नहीं लगाया गया था, केवल एक पालीथीन शीट बिछाई गई थी। यदि क्राफ्ट पेपर लगाया गया होता तब यह क्षति कारित नहीं होती। चूंकि कंटेनर्स में रखा हुआ सामान भिन्‍न-भिन्‍न उतार-चढ़ाव वाले वातावरण से गुजरता है, इसलिए वर्तमान हानि परिवादी कंपनी की पैकिंग तथा निर्यातित माल की तैयारी करते समय कारित अयोग्‍यता तथा अक्षमता के कारण हुई है, इसलिए बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है और वैध रूप से बीमा क्‍लेम नकारा गया है।

6.         विपक्षी संख्‍या-3 का कथन है कि उनके द्वारा सामान को उतारने चढ़ाने में समस्‍त सावधानी बरती गई है और उनके स्‍तर से किसी प्रकार की सेवा में कमी परिवादी के सामान के प्रति नहीं की गई है।

7.         परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रसून कुमार राय तथा विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह उपस्थित आए। विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

8.         परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवहन के दौरान निर्यातित सामान को क्षति कारित हुई है, इसलिए बीमा कंपनी इस क्षति की पूर्ति के लिए उत्‍तरदायी है, जबकि विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2, बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा निर्यातित माल को उचित तरीके से पैक नहीं किया गया, जिसके कारण सुपर फाईन गेंहू के आटे में नमी पैदा हो गई और नमी पैदा होने के कारण क्षति कारित हुई है, इसके लिए बीमा कंपनी उत्‍तरदायी नहीं है।

9.         इस विवाद को सुनिश्‍चित करने के उद्देश्‍य से सर्वप्रथम बीमा पालिसी की शर्तों पर विचार करना उचित है। बीमा पालिसी की शर्त संख्‍या-4.3 तथा 4.4 के उल्‍लंघन पर बीमा क्‍लेम नकारा गया है। शर्त संख्‍या-4.3 के अनुसार यदि माल को उचित एवं पर्याप्‍त तरीके से पैक नहीं किया गया है और क्षति कारित होती है तब बीमा कंपनी उत्‍तरदायी नहीं है। शर्त संख्‍या-4.4 के अनुसार यदि विषय-वस्‍तु/माल में अंतर्निहित दोष के कारण क्षति कारित होती है तब भी बीमा कंपनी उत्‍तरदायी नहीं है। प्रस्‍तुत केस में परिवादी कंपनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में ऐसा कोई कारण नहीं दर्शित किया गया है, जिससे जाहिर हो कि किसी प्राकृतिक आपदा के कारण या किसी दुर्घटना के कारण निर्यातित माल में क्षति कारित हुई हो। परिवाद पत्र में केवल यह उल्‍लेख है कि जो माल निर्यात किया जा रहा था, वह अधिकृत दक्ष अभिककर्ता द्वारा परीक्षण किया गया था और निर्यात के लिए उचित पाया गया था। इसी प्रकार पैकिंग भी दक्ष एजेन्‍सी द्वारा की गई थी, इसलिए Marine Policy के क्‍लॉज संख्‍या-4.3 तथा 4.4 के आधार पर बीमा क्‍लेम नकारा नहीं जा सकता। सुपर फाईन गेंहू का आटा 06 माह से एक वर्ष तक प्राकृतिक रूप से सूखी दशा में रह सकता है, परन्‍तु सम्‍पूर्ण परिवाद पत्र में कहीं पर भी यह कथन नहीं किया गया है कि ऐसी कौन सी प्राकृतिक घटना या दुर्घटना घटी, जिसके कारण निर्यात किए जाने वाला सुपर फाईन गेंहू का आटा खराब हुआ। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल प्रतीत होता है कि निर्यातित माल में नमी मौजूद थी। अंतर्निहित नमी के कारण माल को क्षति कारित हुई है, किसी बाहरी आपदा के दखल के कारण निर्यातित माल को क्षति कारित नहीं हुई है। इसी प्रकार माल को कंटेनर्स में लादते समय किसी प्रकार की लापरवाही विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा बरती गई हो, यह तथ्‍य भी साबित नहीं है।

10.        परिवादी ने परिवाद पत्र में कहीं पर भी यह कथन नहीं किया है कि क्राफ्ट पेपर की लाईनिंग की गई थी। चूंकि किसी बाहरी ताकत के दखल के कारण माल को क्षति कारित नहीं हुई है, इसलिए यह उपधारणा की जा सकती है कि निर्यातित माल में अंतर्निहित दोष था। यह दोष पैकिंग में कमी के कारण कारित हो सकती है। पालिसी की शर्त संख्‍या-1 के अनुसार सभी प्रकार के रिस्‍क, हानि और क्षतिपूर्ति इस पालिसी के अन्‍तर्गत कवर हैं, परन्‍तु शर्त संख्‍या-4 लगायत 7 में यदि कोई मामला आता है तब बीमा कंपनी उत्‍तरदायी नहीं है।

11.        परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि दक्ष एजेन्‍सी द्वारा पैकिंग की गई है, इसलिए पैकिंग में कमी होने का कोई प्रश्‍न नहीं है। यह तर्क अकाट्य नहीं हो सकता। दक्ष एजेन्‍सी भी पैकिंग में चूक कर सकती है और प्रस्‍तुत केस में यह चूक इस आधार पर जाहिर है कि किसी बाहरी आपदा के हस्‍तक्षेप के बिना निर्यातित माल को क्षति कारित हुई है, इसलिए ऐसा अंतर्निहित दोष या पैकिंग में कमी के कारण ही संभव है, इसलिए बीमा क्‍लेम नकारने का निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत है। परिवाद तदनुसार खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

 

12.        प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है। 

           पक्षकार परिवाद का व्‍यय स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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