राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1486/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम कोर्ट नं0- 1, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0- 352/2013 में पारित आदेश दि0 15.06.2015 के विरूद्ध)
Saket education society, through authorized rajiv kumar, R/o: Plot no- 27, Sector- 5, G.T. road, Rajendra nagar, Sahibabad, Distt.- Ghaziabad.
…………….. Appellant.
Versus
The new India assurance co., Branch office- 38-39, Navyug market, Ghaziabad, through, Branch manager.
……………. Respondent
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वकार हाशिम, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 18.09.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 352/2013 साकेत एजूकेशन सोसाइटी बनाम दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कं0लि0 में जिला फोरम कोर्ट नं0- 1, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 15.06.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्तुत किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री वकार हाशिम उपस्थित आये हैं।
मैंने प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है तथा मेमो अपील एवं आक्षेपित निर्णय और आदेश का अवलोकन किया है। आक्षेपित निर्णय और आदेश के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि जिला फोरम ने मुख्य रूप से परिवाद कालबाधित मानकर खारिज किया है।
परिवाद पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा 10 में यह कथन किया है कि उसने अपने प्रश्नगत बीमा दावा के सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कम्पनी को पत्र भेजा जिसका उत्तर विपक्षी बीमा कम्पनी ने पत्र दि0 26.06.2013 के द्वारा दिया जिसके द्वारा उसे सूचित किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी का क्लेम सी0एन0जी0 किट के प्रीमियम का भुगतान बीमा कराते समय न करने के कारण बीमा खारिज किया गया है और अपीलार्थी/परिवादी के दावे का निस्तारण दि0 26.08.2010 को किया जा चुका है। परिवाद पत्र की धारा 10 में अपीलार्थी/परिवादी की ओर से यह भी कहा गया है कि क्लेम निस्तारित किये जाने की कोई सूचना विपक्षी कम्पनी द्वारा उसे पूर्व में नहीं दी गई है।
जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से स्पष्ट है कि परिवाद को पहले ग्रहण कर पंजीकृत कर लिया गया है और परिवाद की अन्तिम सुनवाई के समय परिवाद को मियाद बाधित मानकर खारिज किया गया है।
धारा 24A उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान से स्पष्ट है कि मियाद बाधा के प्रश्न पर परिवाद ग्रहण करते समय ही विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मियाद बाधा के बाहर भी परिवाद को ऐसी स्थिति में ग्रहण किया जा सकता है जब परिवादी द्वारा विलम्ब का पर्याप्त कारण दर्शित किया गया हो। चूँकि जिला फोरम ने परिवाद मियाद अन्दर मानते हुए ग्रहण कर लिया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब के सम्बन्ध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला है। अत: उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उचित यह प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि वह अपीलार्थी/परिवादी को धारा 24A उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब के क्षमा हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का अवसर देकर उभयपक्ष को सुनकर साक्ष्य और सुनवाई का अवसर दे और विधि के अनुसार आदेश पारित करे। यदि जिला फोरम विलम्ब क्षमा हेतु पर्याप्त आधार पाता है तो परिवाद की अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार करेगा।
उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 26.10.2017 को उपस्थित हों।
उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1