Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/341/2015

NARENDRA KUMAR - Complainant(s)

Versus

N.I..I CO. - Opp.Party(s)

05 Feb 2020

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/341/2015
( Date of Filing : 07 Nov 2015 )
 
1. NARENDRA KUMAR
.
...........Complainant(s)
Versus
1. N.I..I CO.
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  SMT SNEH TRIPATHI MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Feb 2020
Final Order / Judgement
      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ।
                            परिवाद संख्याः-341/2015
उपस्थितः-श्री अरविन्द कुमार,  अध्यक्ष।
    श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य। 
 
     परिवाद प्रस्तुत करने की तारीखः-07.11.2015
परिवाद के फैसले की तारीखः-05.02.2020
 
नरेन्द्र कुमार वयस्क पुत्र श्री मुरलीधर निवासी-ग्राम व पोस्ट-छतहरा, जिला-इलाहाबाद।
                                                 ..............परिवादी।                                                                                               
                          बनाम
 
नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड क्षेत्रीय कार्यालय, जीवन भवन, फेस-2, नवल किशोर रोड, हजरतगंज लखनऊ।
                                                                 ...........विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
                                        
                            निर्णय
                       
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से 2,89,460/-रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वाहन मरम्मत खर्च, मुबलिगः-1,00,000/-रूपये  मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये, एवं 55,000/-रूपये,  वाद व्यय व अन्य खर्च दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी अपने एवं परिवार के भरण पोषण हेतु ट्रक भाड़े पर चलवाते हैं, जिसका निबन्धन संख्या-यू0पी0 32 सी एन 7518 है। उक्त वाहन का बीमा विपक्षी कम्पनी द्वारा किया गया है, जिसकी वैधता 27.06.2013 से 26.06.2014 तक है। दिनाॅंक-06.04.2014 को परिवादी के उक्त वाहन में गिट्टी लादकर लखनऊ लाया जा रहा था। अचानक सुबह 3ः00 बजे सामने चल रहे ट्रक से टकरा जाने के कारण वाहन क्षतिग्रस्त हो गया।  घटना की सूचना परिवादी ने विपक्षी के टोलफ्री नम्बर पर दी। परिवादी ने दिनाॅंक-12.04.2014 को इसकी सूचना लिखित रूप में नवाबगंज थाना-इलाहाबाद को दी। विपक्षी के कहने पर ही वाहन को खिंचवाकर लखनऊ लाया गया, जिसमें कुल-8,500/-रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने व्यक्तिगत रूप से दिनाॅंक-13.04.2014 को विपक्षी के कार्यालय में संपर्क किया, जहाॅं परिवादी को यह बताया गया कि पहले आप गाड़ी की मरम्मत कराइये, फिर बिल का क्लेम करिए। परिवादी ने अपनी गाड़ी की मरम्मत कराया जिसमें कुल 2,89,460/-रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने विपक्षी को क्लेम राशि देने के लिये कहा, तब शुरू में उसे बताया गया कि परिवादी को पत्र द्वारा सूचित किया जायेगा। विपक्षी ने परिवादी को पत्र दिनाॅंकित-26.06.2014 भेजा, जिसमें परिवादी से गाड़ी के लोड चालान की छायाप्रति माॅंगी गयी, जिसे उसने उपलब्ध कराया। दिनाॅंक-17.07.2014 को पुनः परिवादी से लोड चालान माॅंगा गया, जिसे परिवादी ने उसी दिन व्यक्तिगत रूप से उसे प्राप्त कराया। दिनाॅंक-31.07.2014 को विपक्षी ने अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाते हुए एक पत्र भेजा कि वांछित कागजातों के नहीं मिलने के कारण उसका क्ल्ेम निरस्त कर दिया गया है।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए यह कहा है कि परिवादी को इस विपक्षी ने कभी भी यह नहीं कहा कि परिवादी पहले वाहन मरम्मत कराये और पुलिस को घटना की सूचना दे। विपक्षी को परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक-3 से 10 तक की छायाप्रतियाॅं उपलब्ध नहीं कराया है। परिवादी को विपक्षी ने पत्र दिनाॅंकित-26.06.2014, 17.07.2014 भेजा था और लोड चालान की मूल प्रति की माॅंग की थी। परन्तु उसे परिवादी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। इस संदर्भ में परिवादी का कथन गलत है। परिवादी का दावा विपक्षी ने पत्र दिनाॅंकित-31.07.2014 द्वारा निरस्त किया है। विपक्षी ने अनुचित व्यापार प्रथा का रास्ता नहीं अपनाया है। परन्तु विपक्षी ने वाहन का बीमा होना स्वीकार किया है, और बीमा अवधि में ही वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ है यह भी स्वीकार किया गया है। परिवादी के दावे की पत्रावली बन्द कर दी गयी है, क्योंकि उन्होेने विपक्षी के पत्रों का जवाब नहीं दिया , एवं लोड चालान की प्रति उपलब्ध नहीं करायी थी। वाहन की क्षमता 15270.00 किलोग्राम है, जबकि दुर्घटना के समय उस पर 38,400.00 किलोग्राम का वनज लदा हुआ था। परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
उभयपक्षों ने शपथ पर अपना साक्ष्य उपलब्ध कराया है। 
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी का वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित था और वैधता अवधि के अन्दर ही वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। विपक्षी ने परिवादी के दो पत्र कागजातों को दाखिल करने के लिए दिया था, परन्तु परिवादी ने उन कागजातों को नहीे दिया। यद्यपि परिवादी ने उन कागजातों को फोरम में उपलब्ध कराया है। जो कागजात परिवादी ने फोरम के समक्ष दिये हैं उसकी प्रति विपक्षी को दी गयी है। परिवादी का दावा विपक्षी ने निरस्त नहीं किया है। सिर्फ विपक्षी ने परिवादी के दावे की फाइल बन्द कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में विपक्षी को यह अधिकार है कि वह उस फाइल को पुनः खोलकर उस पर विचार करे तथा उचित निर्णय ले, क्यों कि सारे कागजात अभलेख पर उपलब्ध हैं और उनकी प्रतियाॅं विपक्षी को उपलब्ध करायी गयी है। ऐसी परिस्थिति में विपक्षी द्वारा परिवादी के दावे की फाइल खोलकर पुनः आदेश करना चाहिए।
                                    आदेश
परिवादी का परिवाद इस शर्त के साथ आंशिक स्वीकार किया जाता है कि परिवादी अपने समस्त कागजातों को एक माह के अन्दर विपक्षी को उपलब्ध करायेगें तथा विपक्षी परिवादी की फाइल को पुनः खोलकर उस पर न्यायपूर्वक विचार कर उचित आदेश देंगे। 
 
 
   (स्नेह त्रिपाठी)                                  (अरविन्द कुमार)
         सदस्य                                           अध्यक्ष
                                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 
                                            प्रथम लखनऊ।                                                                 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ SMT SNEH TRIPATHI]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.