राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद सं0-७०/२०१४
मै0 कटारिया कैरियर्स द्वारा पार्टनर मनीष कुमार कटारिया पुत्र स्व0 क्रान्ति चन्द कटारिया, हैड आफिस-१३३/१९८, ट्रान्सपोर्ट नगर, कानपुर-२०८०२३.
............. परिवादी।
बनाम
१. दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, रीजनल आफिस १५/६०, सिविल लाइन्स, कानपुर-२०८००१. ............ विपक्षी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित: श्री जे0एन0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- २०-०६-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी से ७१,२५,०००/- रू० की मय ब्याज अदायगी, १०.०० लाख रू० की क्षतिपूर्ति के रूप में अदायगी एवं ५५,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में विपक्षीगण से भुगतान कराए जाने हेतु योजित किया गया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी का एक स्थान से दूसरे स्थान किराये पर सामान के परिवहन का व्यवसाय है। परिवादी वॉल्वो मेक ट्रैक्टर नम्बर के0ए0-०१-ए.ए.-६८१२ का पंजीकृत स्वामी है। यह वाहन परिवादी ने मै0 वी0ई0 कॉमर्शियल व्हीकल लिमिटेड बंग्लौर से ७५,३५,०४०/- रू० में क्रय किया था तथा इस वाहन का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक १८-०५-२०११ से १७-०५-२०१२ की अवधि के लिए घोषित बीमित मूल्य ७१,२५,०००/- के लिए कराया था एवं तद्नुसार ८२,४४३/- रू० प्रीमियम का भुगतान किया। यह वाहन बैंक आफ इण्डिया, ट्रान्सपोर्ट नगर शाखा कानपुर द्वारा वित्त पोषित था। दिनांक २८-०९-२०११ को जब परिवादी का उक्त ट्रैक्टर, स्वतन्त्र रूप से अलग-अलग पंजीकृत ०३ ट्रेलरों के माध्यम से ड्रॉ बार अरेन्जमेण्ट द्वारा भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड का ट्रान्सफार्मर लेकर हरिद्वार से चेन्नई के लिए जा रहा था तब दुर्भाग्य से पुलिस थाना गैरत गंज जिला रायसेन (एम0पी0) में यह
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वाहन अकस्मात कौला नदी का पुल टूट जाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में वाहन गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया तथा ०३ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई एवं ०६ व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल हो गये। दुर्घटना की सूचना थाना गैरत गंज जिला रायसेन (एम0पी0) में दी गई तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को भी इस दुर्घटना के सन्दर्भ में सूचना दिनांक ३०-०९-२०११ को दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर श्री मनोज गुप्ता को भोपाल से सर्वेयर के रूप में नियुक्त किया जिन्होंने दिनांक ०१-१०-२०११ को घटना स्थल का सर्वेक्षण किया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने श्री सुनील कुमार गोसाईं को क्षति आंकलन हेतु कानपुर से पुन: सर्वेयर के रूप में नियुक्त किया जिनके द्वारा वाहन मरम्मत के मध्य सर्वेक्षण किया गया तथा मरम्मत पूर्ण हो जाने के उपरान्त अन्तिम रूप से आख्या प्रेषित की गई। सर्वेयर की संस्तुष्टि हेतु समस्त जानकारी एवं समस्त अभिलेख उन्हें उपलब्ध कराए गये। सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या के अनुसार ४६,६५,१६५/- रू० भुगतान किए जाने की संस्तुति की गई किन्तु सर्वेयर द्वारा संस्तुति किए जाने के बाबजूद धनराशि का भुगतान विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को नहीं किया गया। परिवादी को भुगतान न किए जाने के कारण परिवादी पर फाइनेंसर को देय धनराशि का दायित्व बढ़ता गया। परिवादी द्वारा निरन्तर बीमा दावे का निस्तारण करने का अनुरोध विपक्षी बीमा कम्पनी से किया गया किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा ध्यान नहीं दिया गया एवं अन्तत: अवैध रूप से बीमा दावा इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि बीमाधारक/परिवादी द्वारा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया। अत: प्रस्तुत परिवाद बीमित धनराशि की मय ब्याज अदायगी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया गया।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी के कथनानुसार प्रश्नगत बीमित वाहन का ग्रॉस व्हीकल वेट ४९,००० कि0ग्रा0 था तथा पंजीयन प्रमाण पत्र के अनुसार खाली वाहन का भार ९९९५ कि0ग्रा0 एवं ग्रॉस व्हीकल वेट २५,००० कि0ग्रा0 था। दिनांक २८-०९-२०११ को भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 रानीपुर हरिद्वार में एक जनरेटर सेट नॉर्थ चेन्नई थर्मल पावर प्लाण्ट के लिए बुक किया था जिसका ग्रॉस वेट ३,१२,००० कि0ग्रा0 अर्थात् ३१२ टन था एवं नेट वेट २९२ टन था।
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जिस समय बीमित वाहन जिसमें ट्रेलर जुड़ा था, कौला बीनापुर बृज, सागर भोपाल रोड (एम0पी0) को क्रॉस कर रहा था उस समय वाहन में अत्यधिक भार लदा होने के कारण पुल टूट गया। बाद में जांच से यह ज्ञात हुआ कि कोला बीनापुर बृज की भार वाहन क्षमता ७० टन थी। मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेण्ट अथारिटी ने रोड पर इस चेतावनी का बोर्ड भी लगा रखा था कि ७० टन से अधिक बजन के वाहन का पुल क्रॉस करना वर्जित है। कोला बीनापुर पुल के चौकीदार द्वारा लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट में उसके द्वारा यह अंकित किया गया कि बीमित वाहन के ड्राइवर को पुल पार करने से रोका गया किन्तु उसने ध्यान नहीं दिया और वाहन को पुल पर ले गया। घटना की जानकारी प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर श्री मनोज कुमार गुप्ता की नियुक्ति की गई। घटना स्थल का निरीक्षण करने के उपरान्त उनके द्वारा यह आख्या प्रस्तुत की गई कि वाहन द्वारा अधिक भार लादने के कारण पुल टूट गया। सर्वेयर श्री सुनील कुमार गोसाईं द्वारा क्षति आंकलन ४६,६५,१६५/- रू० का किया गया तथा इसका भुगतान बीमा पालिसी की शर्तों के अन्तर्गत किए जाने की संस्तुति की गई। परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित किया गया कि प्रश्नगत बीमित वाहन स्वतन्त्र रूप से ०३ मल्टी एक्सिल हाइड्रोलिक ट्रेलर के साथ भार खींच रहा था। बीमित वाहन पर कोई भार नहीं लदा था। परिवादी के इस कथन एवं घटना स्थल के विषय में प्रस्तुत सर्वेयर आख्या के आलोक में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा श्री अरूण कुमार भुरारिया इन्वेस्टीगेटर की नियुक्ति की गई जिनके द्वारा दुर्घटना के कारण की जांच की गई। श्री भुरारिया द्वारा जांच के उपरान्त इस आशय की आख्या प्रस्तुत की गई कि बीमित वाहन पर स्वीकृत भार से अधिक भार लदा होने के कारण पुल टूट गया। अत: बीमा कम्पनी द्वारा निम्नलिखित आधारों पर बीमा दावा अस्वीकार किया गया :-
१. बीमित वाहन की अधिकतम खींचने की क्षमता (पुलिंग कैपेसिटी) २०० टन थी जबकि इस वाहन द्वारा ३०० टन से अधिक सामान का परिवहन किया जा रहा था। इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्त सं0-५ जो यह प्राविधानित करती है कि बीमाधारक बीमित सम्पत्ति की क्षति से सुरक्षा हेतु सभी उपयुक्त प्रयास करेगा।
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२. बीमित वाहन में व्यक्तियों के बैठने की अधिकतम क्षमता ०५ थी जबकि दुर्घटना के समय इस वाहन में ०९ व्यक्ति सवार थे।
३. बीमित वाहन कौला बृज, ३०० टन भार सहित पार कर रहा था जबकि इस पुल की अधिकतम भार वहन क्षमता ७० टन थी।
परिवादी द्वारा परिवाद के साथ ११ संलग्नक संलग्न किए गये है तथा साक्ष्य में परिवादी के पार्टनर श्री मनीष कुमार कटारिया का शपथ पत्र दिनांकित ०१-०४-२०१७ प्रस्तुत किया गया। परिवादी द्वारा सत्र प्रकरण सं0-५३/२०१३, अपर सत्र न्यायाधीश बेगम गंज, जिला रायसेन, मध्य प्रदेश द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित १४-०८-२००८ की फोटोप्रति, कार्यालय क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, सागर (म0प्र0) द्वारा सम्भागीय प्रबन्धक, मध्य प्रदेश रोड, डेवलपमेण्ट कारपोरेशन लिमिटेड, सागर (म0प्र0) को प्रेषित पत्र दिनांकित ०५-१०-२०११ की फोटोप्रति, प्रतिकर याचिका सं0-८८/२०१२ में मोटर दुर्घटना प्रतिकर न्यायाधिकरण कक्ष सं0-१३ इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय दिनांकित २७-०७-२०१७ की फोटोप्रति, परिवादी द्वारा अपीलार्थी को दिनांक १८-०९-२०१३ को प्रेषित पत्र की फोटोप्रति, भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 द्वारा जारी किए गये प्रमाण पत्र दिनांकित १९-०१-२००९ की फोटोप्रति, मध्य प्रदेश रोड, डेवलपमेण्ट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा दिनांक २७-०९-२०११ को बसूले गये टोल टैक्स की रसीद की फोटोप्रति दाखिल की गई हैं।
विपक्षी की ओर से श्री मोहम्मद खालिद, डिप्टी मैनेजर लीगर सेल, हजरतगंज, लखनऊ का शपथ पत्र तथा इस शपथ पत्र के साथ १० सलंग्नक प्रस्तुत किए गये हैं। इसके अतिरिक्त विपक्षी द्वारा श्री अमरेश कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत पूरक शपथ पत्र दिनांकित ०५-१२-२०१८ मये दो संलग्नक दाखिल किया गया है।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा तथा विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता जे0एन0 मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रश्नगत बीमा दावा निरस्त किए जाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत आधारों का बचाव करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि
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प्रश्नगत बीमित वाहन की अधिकतम पुलिंग कैपेसिटी २०० टन थी जबकि इस वाहन द्वारा ३०० टन से अधिक बजन के सामान का परिवहन किया जा रहा था। इस सन्दर्भ में उन्होंने हमारा ध्यान विपक्षी की ओर से श्री मोहम्मद खालिद द्वारा प्रस्तुत किए गये शपथ पत्र के साथ संलग्न, संलग्नक-२ जो प्रश्नगत बीमित वाहन से सम्बन्धित है, जिसमें ग्रॉस कम्बीनेशन वेट (खींचने की क्षमता) २०० टन दर्शित है की ओर आकर्षित किया तथा श्री एस0के0 अग्रवाल जांचकर्ता द्वारा प्रस्तुत आख्या दिनांकित २७-०६-२०११ की ओर भी आकर्षित किया जिसमें प्रश्नगत बीमित वाहन द्वारा परिवहन किये जा रहे भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 के ट्रान्सफार्मर का वर्णन दर्शित है। भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 द्वारा श्री एस0के0 अग्रवाल जांचकर्ता को बीमित वाहन द्वारा भेजे जा रहे ट्रान्सफार्मर के उपलब्ध कराए गये विवरण के अनुसार ट्रान्सफार्मर का ग्रॉस वेट ३१२ टन तथा नेट वेट २१२ टन था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कथित घटना के समय बीमित वाहन में ०९ व्यक्ति सवार थे जबकि इस वाहन में व्यक्तियों के सवार होने की अधिकतम क्षमता ०५ ही थी। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कौला पुल की अधिकतम भार वहन क्षमता ७० टन ही थी जबकि प्रश्नगत बीमित वाहन अपनी क्षमता से अधिक ३०० टन से अधिक बजन लादकर कौला पुल पार कर रहा था जबकि पुल पर प्रवेश से पूर्व चौकीदार द्वारा उसे ऐसी परिस्थिति में पुल में प्रवेश करने से रोका गया था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने इस प्रकार बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी की शर्त सं0-५ का उल्लंघन किया जाना अभिकथित किया। बीमा पालिसी की शर्त सं0-५ के अन्तर्गत बीमाधारक से अपेक्षित है कि बीमित वाहन को किसी क्षति से बचाने हेतु यथोचित कार्य किया जाना सुनिश्चित करे।
इस सन्दर्भ में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने हमारा ध्यान कौला पुल के सम्बन्धित चौकीदार द्वारा लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा श्री अरूण कुमार भुरारिया द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट की ओर भी आकर्षित किया। इस जांच रिपोर्ट को श्री अमरेश कुमार सिंह विपक्षी बीमा कम्पनी के अटार्नी ने अपने शपथ पत्र द्वारा सत्यापित किया है।
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परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में प्रश्नगत बीमित वाहन वाल्वो पुलर ट्रैक्टर पर माल लादकर परिवहन नहीं किया जा रहा था बल्कि प्रश्नगत बीमित वाहन के साथ ०३ अलग-अलग पंजीकृत ट्रेलरों के साथ ड्रॉ बार अरेन्जमेण्ट के अन्तर्गत मै0 भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 हरिद्वारा से बुक किया गया ट्रान्सफार्मर चेन्नई के लिए भेजा जा रहा था। मै0 भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि0 एक राजकीय संस्थान है। संस्थान द्वारा स्वीकृत भार के सन्दर्भ में सन्तुष्ट होने के पश्चात् ही माल लादा गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि ड्रॉ बार अरेन्जमेण्ट के अन्तर्गत अलग-अलग पंजीकृत ट्रेलरों एवं पुलर ट्रैक्टर के माध्यम से माल परिवहन किए जाने की स्थिति में ओवर लोडिंग की गणना में मात्र पुलर ट्रैक्टर की पुलिंग कैपेसिटी ही निर्णायक नहीं होगी। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि भारत सरकार के रोड ट्रान्सपोर्ट एवं हाई वे मंत्रालय द्वारा इस सन्दर्भ में शासनादेश सं0-RT 11042/13/2008-MVL dt. 22-01-2010 जारी किया गया है। इस शासनादेश दिनांकित २२-०१-२०१० की प्रति परिवादी मनीष कुमार कटारिया के शपथ पत्र के साथ संलग्नक-१ के रूप में दाखिल की गई है। इस शासनादेश में यह प्राविधानित किया गया है –
1. Tractor duly mounted with ballast weight for traction purpose is being used (for pulling such trailer or combination of such trailer under draw bar arrangement. GVW of such registered tractor will only comprise of weight of tractor along with ballast without any co-relation with GVW of trailer or combination of trailers being pulled by it under draw bar arrangement.
2. The Motor Vehicle Act, 1988 provides for per axle load permitted for movement in our country and accordingly GVW has been prescribed by the government. There is no co-reltation between the permitted per axle load to any Tractor and its pulling capacity under draw arrangement. As the pulling capacity is subject to different parameters which are variable, no such pulling capacity has been defined in the act. In order ensure safe movement of such-trailers loaded with high value cargo, operators are required to deploy tractor with adequate capacity for pulling such trailer(s). Moreover,
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in the case of requirement of additional pulling capacity, additional tractor are deployed by operators in order to form a train of tractors coupled longitudinally.
3. Gross vehicle weight permitted to such trailer as per Extraordinary Gazette of India issued under section 58 (3) and 110 (3) of the M.V. act 1988 is to be honored at all levels throughout the country. Tare Weight of such independently registered trailer or combination of such trailers with weight of the Cargo loaded over such trailer(s) is only be considered for computation of GVW from such trailer (s) W.R.T. section 113 and 114 of the M.V. act 1988.
4. Extraordinary Gazette of India notified by this ministry for registration operation of such trailers ask for compliance of certain conditions. Non compliance to any of the mentioned conditions cannot be attributed for non-recognition to the notified GVW for such trailers and cannot lead to action for excess load u/s 194 of MV act 1988 if GVW is within permissible GVW as per the Gazette. Non compliance of any of the operating conditions published on the Gazette or violation of provisions under section 115 of M.V. act, 1988 should not form the basis for non-cognizance to permitted GVW.
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने इस सन्दर्भ में परिवादी द्वारा दाखिल ट्रान्सपोर्ट कमिश्नर आफिस गुजरात स्टेट, गांधी नगर द्वारा जारी किए गये सर्कुलर दिनांकित २४-११-२०१० की ओर भी हमारा ध्यान आकृष्ट किया जिसमें मोडूलर हाइड्रोलिक ट्रेलर वर्क सिस्टम के अन्तर्गत ओवर हैड को निश्चत करने की प्रक्रिया दर्शित की गई है। निर्विवाद रूप से परिवादी ने विपक्षी को पत्र दिनांकित ०३-०६-२०१३ प्रेषित किया था। इस पत्र द्वारा परिवादी ने विपक्षी को यह सूचित किया – ‘’ As regards to your concern for load challan of the same, we wish to submit that subject tractor was carrying only counter weight of 15 Metric Tonnes for traction purpose (with Gross Weight 9995 + 15000 = 24995 kgs) and was pulling a combination of independenty registered multi axle hydroulic trailers bearing reg. No. HR-55N 3336; HR-55N 3238 & HR-55N 3239 under draw bar arrangement. There was no superimposition of trailers (s) or cargo weight over the VOLVO Tractor No. KA 01 AA 6812.‘’ परिवादी के विद्वान
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अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि दुर्घटना घटित होने के उपरान्त मध्य प्रदेश पुलिस के उच्चाधिकारियों एवं म0प्र0 बृज कारपोरेशन द्वारा आर0टी0ओ0 सागर एवं गेट मेन से स्पष्टीकरण मांगा गया। आर0टी0ओ0 सागर द्वारा इस सन्दर्भ में आख्या दिनांकित ०५-१०-२०११ प्रेषित की गई। इस सन्दर्भ में उन्होंने हमारा ध्यान आर0टी0ओ0 सागर द्वारा प्रस्तुत आख्या दिनांकित ०५-१०-२०११ जिसे परिवादी ने अपने शपथ पत्र के साथ संलग्न किया है, की ओर आकृष्ट किया। आर0टी0ओ0 सागर द्वारा सम्भागीय प्रबन्धक, मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेण्ट कारपोरेशन लि0, सागर (म0प्र0) को प्रेषित इस आख्या में यह उल्लिखित किया गया है – ‘’ दिनांक २८-०९-२०११ को रायसेन-गैरतगंज-बेगमगंज मार्ग पर हुई दुर्घटना क्षमता से अधिक भार वाले वाहन के निकलने से पुल के क्षतिग्रस्त होने से हुई है, यह केवल समाचारों के आधार पर निर्धारित करना युक्तियुक्त प्रतीत नहीं होता। इस सम्बन्ध में परिवहन चैकपोस्ट मालथौन से प्राप्त प्राथमिक जानकारी के अनुसार उक्त यान में क्षमता से अधिक माल होना सत्यापित नहीं होता। चैकपोस्ट पर जॉंच के दौरान प्रस्तुत दस्तावेजों एवं भौतिक निरीक्षण में भी यान में लदा माल क्षमता के अनुरूप प्रतीत हो रहा था। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत वाहन १६ एक्सल के ट्रेलर का एक मल्टी एक्सल व्हीकल था जिसमें यान पर लोड माल के बजन को सभी एक्सल्स पर डिस्ट्रीब्यूट करने हेतु एयर प्रैशर/वैक्यूम सिस्टम भी लगा हुआ था। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त यान में भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड हरिद्वार से भेजा रहा रहा एक जनरेटर स्टार्टर लोड था। बी0एच0ई0एल0 भारत सरकार का उपक्रम है और वह निर्धारित क्षमता वाले वाहनों से ही अपने माल का परिवहन कराता है। ‘’
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत प्रकरण में प्रश्नगत बीमित वाहन से ले जाये जा रहे माल के सन्दर्भ में ओवर लोडिंग के प्रश्न के निस्तारण के लिए प्रश्नगत बीमित वाहन का भार एवं उसकी पुलिंग कैपेसिटी ही निर्णायक नहीं होगी बल्कि बीमित वाहन के साथ संलग्न ट्रेलरों की भार वाहन क्षमता भी महत्वपूर्ण होगी और उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। विपक्षी का यह कथन नहीं है कि इस सन्दर्भ में परिवादी द्वारा वर्णित शासनादेशों के आलोक में गणना किए जाने पर भी प्रश्नगत वाहन द्वारा क्षमता
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से अधिक भार वहन किया जाना प्रमाणित है।
जहॉं तक विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क का प्रश्न है कि कौला पुल की अधिकतम क्षमता ७० टन ही थी एवं इस सन्दर्भ में कौला पुल के प्रवेश द्वारा पर लगे बोर्ड में यह चेतावनी भी मुद्रित थी कि ७० टन बजन से अधिक भार के वाहन का प्रवेश वर्जित है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कथित घटना दिनांक २८-०९-२०११ को घटित हुई। विपक्षी की ओर से श्री अरूण कुमार भुरारिया ने घटना स्थल का निरीक्षण कथित घटना के कई वर्ष बाद वर्ष २०१४ में किया है तथा कौला पुल के आगे उक्त चेतावनी से सम्बन्धित बोर्ड लगा हुआ बताया गया है। इस जांच आख्या के आधार पर यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि ऐसा कोई बोर्ड कथित दुर्घटना के समय भी मौके पर लगा था। इस सन्दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, बेगमगंज, जिला रायसेन (म0प्र0) द्वारा सत्र प्रकरण्ा क. ५३/२०१३ संस्थित दिनांक ०६-०२-२०१३ में दिए गये निर्णय दिनांकित १४-०८-२०१८ की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया जिसे परिवादी ने अपने साक्ष्य में दाखिल किया है। परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह फौजदारी वाद कथित दुर्घटना के सन्दर्भ में राजेन्द्र कुमार एवं सुरेन्द्र कुमार नाम व्यक्तियों के विरूद्ध योजित किया गया। इस निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि कथित दुर्घटना के समय ऐसा कोई बोर्ड कौला पुल पर नहीं लगा था जिसके द्वारा यह यह चेतावनी दी गई कि इस पुल पर ७० टन से अधिक भार का वाहन ले जाना वर्जित है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने सर्वप्रथम घटना स्थल के निरीक्षण हेतु सर्वेयर श्री मनोज गुप्ता को नियुक्त किया। श्री मनोज गुप्ता द्वारा स्थल निरीक्षण के मध्य फोटो भी खीचीं गईं तथा स्थल निरीक्षण के उपरान्त आख्या प्रस्तुत की गई। श्री मनोज गुप्ता द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या में यह तथ्य उल्लिखित नहीं है कि कौला पुल के आगे ऐसा कोई बोर्ड लगा था कि ७० टन से अधिक क्षमता वाले वाहनों का प्रवेश वर्जित है। यदि वास्तव में घटना स्थल पर ऐसा कोई बोर्ड होता तो स्वाभाविक रूप से उस बोर्ड की फोटो श्री मनोज गुप्ता
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द्वारा भी ली गई होती। परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि दुर्घटना स्थल पर श्री अरूण कुमार भुरारिया द्वारा कथित रूप से मौजूद बोर्ड दुर्घटना के बाद लगाया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत हो रहा है। श्री मनोज गुप्ता सर्वेयर द्वारा वर्ष २०११ में घटना स्थल का निरीक्षण किया गया। श्री मनोज गुप्ता द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या में ऐसा कोई तथ्य उल्लिखित नहीं है कि घटना स्थल के आस-पास ऐसा कोई बोर्ड लगा था जिसके द्वारा यह चेतावनी दी गई हो कि ७० टन भार से अधिक भार वाले वाहन का प्रवेश वर्जित है। यदि वास्तव में ऐसा कोई बोर्ड लगा होता तो स्वभाविक रूप से उसकी फोटो भी श्री मनोज गुप्ता द्वारा ली गई होती। ऐसी परिस्थिति में किसी विश्सनीय साक्ष्य के अभाव में विपक्षी बीमा कम्पनी का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं माना जा सकता कि प्रश्नगत वाहन को दुर्घटना से पूर्व कौला पुल से प्रवेश करने से रोका गया हो।
जहॉं तक कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत बीमित वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक व्यक्तियों के सवार होने का प्रश्न है परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस सन्दर्भ में यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत बीमित वाहन में ०३ व्यक्ति सवार थे जिनकी मृत्यु घटना स्थल पर ही हो गई। छ: व्यक्ति जो ट्रेलर में बैठे थे घायल हुए। प्रस्तुत बीमा दावा बीमित ट्रैक्टर से सम्बन्धित है। इस ट्रैक्टर पर ०९ व्यक्ति नहीं बैठ सकते। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रतिकर याचिका सं0-८/२०१२ श्रीमती मंजू देवी बनाम मै0 कटारिया कोरियर व अन्य के मामले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने परीक्षण के उपरान्त दुर्घटना में मृत व्यक्तियों का दावा स्वीकार किया तथा बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन करना नहीं पाया। इस सन्दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि कथित दुर्घटना में मात्र बीमित वाहन में उपस्थित व्यक्तियों की कोई भूमिका नहीं रही है, अत: इस आधार पर बीमा दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से विपक्षी बीमा कम्पनी का यह कथन प्रमाणित नहीं है कि कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत बीमित वाहन में ही ०९ व्यक्ति सवार थे।
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उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हमारे विचार से विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी तर्कसंगत आधार के परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार किया गया। परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार करके विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है। जहॉं तक क्षतिपूर्ति की धनराशि का प्रश्न है कि स्वयं विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर श्री सुनील कुमार गोसाईं द्वारा क्षति का आंकलन किया गया। श्री सुनील कुमार गोसाईं सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत की गई आख्या में क्षति आंकलन ४६,६५,१६५/- रू० का किया गया है। परिवादी द्वारा इस आंकलन के विरूद्ध कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गई है। अत: सर्वेयर द्वारा किए गये आंकलन के अनुसार क्षतिपूर्ति का भुगतान मय ब्याज कराया जाना न्यायसंगत होगा। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्ति से ४५ के अन्दर परिवादी को ४६,६५,१६५/- रू० का भुगतान करें। इस धनराशि पर परिवादी, परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वह १०,०००/- रू० परिवाद व्यय के रूप में भी निर्धारित अवधि में परिवादी को अदा करें।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.