राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-339/2005
1-शशि भूषण प्रसाद सिन्हा पुत्र स्व0 श्री नग नारायण प्रसाद , मिशन कम्पाउन्ड, पोस्ट सीवान, जिला सीवान (बिहार)।
2-श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव पत्नी श्री शशि भूषण प्रसाद सिन्हा मिशन कम्पाउन्ड, पोस्ट सीवान, जिला सीवान (बिहार)।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
चीफ कामर्शियल मैंनेजर (सुपरिटेन्डेन्ट) एन0 ई0 रेलवे, गोरखपुर यू0पी0।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान।
दिनांक 30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थीगण ने प्रस्तुत अपील विद्वान जिला मंच प्रथम लखनऊ में परिवाद संख्या-1254/2000 शशि भूषण सिन्हा बनाम चीफ कामर्शियल मैंनेजर एन0 ई0 आर0 गोरखपुर में पारित किये गये निर्णय दिनांक 16-01-2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की है। जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने परिवादी/अपीलार्थी का परिवाद खारिज किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/अपीलार्थी का रिजर्वेशन टिकट छपरा मेल से दिनांक 19-02-1999 को ए0 सी0 क्लास में लखनऊ से सीवान जाने हेतु कराया था किन्तु आरक्षण के बाद उन्हें ए0 सी0 क्लास उपलब्ध नहीं हुआ और उन्हें स्लीपर क्लास में यात्रा करनी पड़ी जो कि रेलवे कर्मचारियों के द्वारा उपरोक्त में कमी है अत: ऐसी परिस्थिति में उन्हें ए0 सी0 क्लास एवं स्लीपर क्लास के किराये का अन्तर दिलाया जाय तथा मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/-रू0 कुल मिलाकर 30,600/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाय। विपक्षी द्वारा प्रति उत्तर पत्र में यह स्वीकार किया गया कि उस दिन कोई तकनीकी कारणों से कोई ए0 सी0 कोच नहीं लगायी गयी थी। विद्वान जिला मंच ने इस आधार पर परिवाद को निरस्त किया है कि परिवादी/ अपीलार्थी इस बात को सिद्ध नहीं कर सका है कि उसने ए0 सी0 क्लास के रिफण्ड के लिए प्रार्थनापत्र दिया था।
अपीलकर्ता के विद्वान श्री आलोक रंजन एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान को सुना गया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ए0 सी0 क्लास एवं साधारण क्लास के अन्तर को रिफण्ड करना चाहिए था किन्तु वह प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं
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कर सका। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि किराये रिफण्ड के सम्बन्ध में रेलवे ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा-13 (1) (बी0) के अन्तर्गत अपना परिवाद प्रस्तुत कर सकता था किसी अन्य न्यायालय को इस सम्बन्ध में उपरोक्त अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं। उपरोक्त परिवादी के द्वारा ए0 सी0 क्लास एवं स्लीपर क्लास के किराये के अन्तर को रिफण्ड किये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया है जो कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा-13 (1) (बी0) के अन्तर्गत केवल रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है इस अधिनियम की धारा-15 के अनुसार किसी अन्य न्यायालय को किराये के रिफण्ड के सम्बन्ध में श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है।
प्रश्नगत प्रकरण में ए0 सी0 क्लास एवं स्लीपर क्लास के किराये के अन्तर को रिफण्ड किये जाने का प्रश्न है जो कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट-1987 की धारा-13 (1) (बी0) के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है। उपरोक्त अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत किसी अन्य न्यायालय को ऐसे प्रकरण में श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है अत: गुण-दोष के आधार पर भी विद्वान जिला मंच ने परिवाद खारिज किया है अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। परिवादी/अपीलार्थी यदि चाहे तो अपना परिवाद/प्रतिवेदन सक्षम न्यायालय/अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। जो कि वर्णित परिस्थितियों में काल बाधित नहीं माना जाएगा।
वाद व्यय पक्षकार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(अशोक कुमार चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
मनीराम आशु0-2
कोर्ट- 3