राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2731/1998
चन्द्र मोहन आनन्द पुत्र कुन्दनलाल निवासी मौजा रामकोला तहसील हाटा जिला कुशीनगर ।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1-एन0 ई0 रेलवे (पूर्वोत्तर रेलवे) द्वारा जनरल मैंनेजर एन0ई0 रेलवे गोरखपुर।
2-प्रभात पाण्डेय टी0टी0ई0 पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर।
3-दिनेश उर्फ डी0 के0 टी0 टी0 ई0 पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर।
प्रत्यर्थीगण /विपक्षीगण
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री सिद्धार्थ श्रीनेत्र, एवं श्री बी0 के0 उपाध्याय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान।
दिनांक 31-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद संख्या-493/1993 चन्द्र मोहन आनन्द बनाम एन0 ई0 रेलवे एवं अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13-10-1998 में निम्न आदेश पारित है।
परिवादी का दावा अस्वीकृत किया जाता है।
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
संक्षेप में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी सेल्स मैन के रूप में काम करता है। परिवादी को अपने कार्य के सम्बन्ध में गोरखपुर, बस्ती, पड़रौना बराबर आना जाना पड़ता है इसलिए परिवादी ने ट्रेन से यात्रा करने के लिए एक एम0 एस0 टी0 पड़रौना रेलवे स्टेशन से बनवा लिया था दिनांक 18-08-93 से दिनांक 17-09-93 तक वैध था और जो पड़रौना से बस्ती तक था और इसका सं0-04299 था। दिनांक 04-09-93 को 222 डाउन ट्रेन द्वारा वह गोरखपुर से पड़रौना वापस आ रहा था। जब यह ट्रेन उनौला रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो उस समय परिवादी के डिब्बे में विपक्षी
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सं0-2 एवं 3 आये और वे यात्रियों के टिकट जांच शुरू कर दिये। इस जांच के क्रम में विपक्षी सं0-2 एवं 3 यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते थे। परिवादी ने इसका विरोध किया वे यात्रियों से पैसा भी वसूल रहे थे परिवादी द्वारा विरोध करने पर विपक्षी संख्या-2 एवं 3 परिवादी से बहुत नाराज हो गये। वे परिवादी से टिकट मांगा परिवादी ने अपना एम0 एस0 टी0 उनको दिखाया। वे परिवादी से उसका एम0 एस0 टी0 छिन लिये और वे परिवादी को उस डब्बा से उतार कर आर0 एम0 एस0 के डब्बा में बैठा कर पिपराइच रेलवे स्टेशन पर लाकर बन्द कर दिये। जब परिवादी ने इसका विरोध किया तो वे परिवादी से 4/-रू0 किराया एवं 50/-रू0 जुर्माना लेकर कुल 54/-रू0 प्राप्त कर गोरखपुर से पिपराइच तक का टिकट बनाकर परिवादी को दिये। परिवादी को वे कप्तानगंज रेलवे स्टेशन पर लाये और जब ट्रेन कप्तानगंज रेलवे स्टेशन से चली गई तो वे परिवादी को उसका एम0 एस0 टी0 वापस किये। परिवादी का कहना है कि विपक्षी सं0-2 एवं 3 ने परिवादी से गलत ढंग से उपरोक्त रूप से 54/-रू0 प्राप्त किया और वे परिवादी को विभिन्न प्रकार से प्रताडि़त किये एवं कष्ट दिये। विपक्षी सं0-2 एवं 3 विपक्षी सं0-1 के कर्मचारी हैं। परिवादी की मांग है कि विपक्षी गण उसके विभिन्न प्रकार से क्षतिपूर्ति एवं व्यय के रूप में 17928/-रू0 दे दें जिसका विवरण परिवाद पत्र में दिया गया है।
विपक्षीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया है उनका कहना है कि वे दिनांक 04-09-93 को परिवादी 220 डाउन ट्रेन द्वारा गोरखपुर से पिपराइच तक यात्रा किया था। परिवादी के पास उस समय कोई एम0 एस0 टी0 नहीं था। जब टी0 टी0 ने परिवादी से टिकट मांगा तो उसने न तो कोई टिकट ही दिखाया और न तो कोई एम0 एस0 टी0 ही, इसलिए टी0 टी0 ने परिवादी से गोरखपुर से पिपराइच तक किराया 4/-रू0 एवं 50/-रू0 जुर्माना लेकर टिकट बनाकर दे दिया। विपक्षीगण ने परिवादी की सम्पूर्ण कथन का विरोध किये है।
अपीलार्थी/परिवादी ने अपने प्रतिवाद पत्र में बताया है कि परिवादी दिनांक 04-09-93 को 220 डाउन ट्रेन द्वारा गोरखपुर से पिपराइच तक यात्रा की थी उस समय उसके पास कोई एम0 एस0 टी0 नहीं था। टी0 टी0 ई0 द्वारा परिवादी से जब टिकट मांगा गया तो उसने कोई टिकट नहीं दिखाया और न ही कोई एम0 एस0 टी0 प्रस्तुत की इसलिए टी0 टी0 ने परिवादी से पिपराइच तक का टिकट बनाकर दे दिया। दिनांक 04-09-93 को जब परिवादी उपरोक्त ट्रेन से यात्रा कर रहा था उसके पास एम0 एस0 टी0 नहीं था और उसके पास रेलवे का टिकट भी नहीं था। इसलिए उसने विपक्षी सं0-2 को रेल का किराया जुर्माना के साथ दे दिया।
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अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सिद्धार्थ श्रीनेत्र एवं विद्वान अधिवक्ता श्री वी0 के0 उपाध्याय के तर्कों को सुना एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान के तर्कों को सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने विधि के विरूद्ध निर्णय पारित किया है क्योंकि यदि किसी व्यक्ति के पास दिनांक 18-08-93 से दिनांक 19-09-93 तक का एम0 एस0 टी0 बनवाया गया हो तो वह यात्रा उसके बिना नहीं कर सकता है। अपीलार्थी के पास एम0 एस0 टी0 था उसे न मानकर विद्वान जिला मंच ने त्रुटिपूर्ण निर्णय दिया है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी के पास यात्रा के समय एम0 एस0 टी0 नहीं था और इसी कारण उससे यात्रा का किराया वसूल किया गया जो कि वर्णित परिस्थिति में औचित्यपूर्ण था अत: ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत निर्णय विधि अनुसार दिया गया है जिसमें कि हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया गया जिसमें कि विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार सम्पूर्ण तथ्यों का विवेचना करते हुए निर्णय पारित किया गया है और यह निष्कर्ष निकाला गया है कि दिनांक 04-09-93 को जब परिवादी उपरोक्त ट्रेन से यात्रा कर रहा था तथा उसके पास एम0 एस0 टी0 नहीं था और उसके पास रेलवे का टिकट भी नहीं था इसलिए उसने विपक्षी संख्या-2 को रेल का किराया जुर्माना के साथ दे दिया हम विद्वान जिला मंच के निष्कर्ष से सहमत हैं और उसके द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें कि हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
वाद व्यय पक्षकार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(अशोक कुमार चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
मनीराम आशु0-2
कोर्ट- 3