(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2937/2006
Panchpal S/O Sri Bhullar, R/O House no. 573, Vivekanand Nagar, Ghaziabad
Versus
National Insurance Company Limited through Divisional Manager
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0पी0 सिंह, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :05.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-202/2005, पंचपाल बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में विद्वान जिला आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.09.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने सिविल न्यायालय द्वारा या मोटर वाहन अधिकरण के समक्ष परिवाद संधारणीय होने का निष्कर्ष देते हुए परिवाद खारिज कर दिया गया है।
3. परिवाद पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा बीमित वाहन सं0 यू0पी0 14 यू 3032 दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त होने के पश्चात मरम्मत राशि की क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्तुत किया था, इसलिए यह परिवाद विशुद्ध रूप से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा ही संधारणीय था। अत: यह निष्कर्ष विधि विरूद्ध होने के कारण अपास्त होने योग्य है। प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग, गौतम बुद्ध नगर को प्रतिप्रेषित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है। प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग, गौतम बुद्ध नगर को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि इस आदेश के प्राप्त होने के पश्चात विद्धान जिला आयोग उपरोक्त परिवाद सं0 202/2005 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए इस परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जाये।
पक्षकार दिनांक 21.03.2024 को जिला उपभोक्ता आयोग, गौतम बुद्ध नगर के समक्ष उपस्थित हों।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3