(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1177/2011
इन्द्र जीत गुप्ता बनाम नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 29.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-57/2009, इन्द्र जीत गुप्ता बनाम नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बॉंदा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.4.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. वर्मा तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि बीमित ट्रैक्टर ट्राली का प्रयोग व्यापारिक कार्यों के लिए हो रहा था, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
3. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने अपने ट्रैक्टर संख्या-यू.पी. 90 ए. 4531 का बीमा दिनांक 11.5.2006 से दिनांक 10.5.2007 की अवधि के लिए कराया था। दिनांक 3.1.2007 को परिवादी अपनी फसल, जिसमें 20 कुंतल ज्वार, 4 कुंतल लाही, 6 कुंतल अलसी एवं 11 कुंतल चना था, को ट्रैक्टर ट्राली में लादकर कस्बा सुमेरपुर, जिला हमीरपुर बाजार में विक्रय करने के लिए ले जा रहा था। ट्रैक्टर को परिवादी का लड़का चला रहा था। लगभग 1.00 बजे लक्ष्मीबाई तिराहे के पास एक व्यक्ति जगदीश पुत्र जेठु
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अपनी साईकिल से अचानक ट्रैक्टर ट्राली के पहिंये के नीचे आ गया, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई, उसी समय अचानक भीड़ इकट्ठा हो गई और परिवादी के ट्रैक्टर की चाभी छीन ली और ट्रैक्टर को पेड़ से भिड़ा दिया, जिसके कारण ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो गया और इसके पश्चात ट्रैक्टर में आग लगा दी गई। इस घटना की सूचना थाने पर दी गई, परन्तु मृतक के परिवार के प्रभाव में रिपोर्ट नहीं लिखी गई तब पंजीकृत डाक से एस.पी. को सूचना दी गई। ट्रैक्टर को दिनांक 21.2.2007 को खेंचवा कर बांदा लाया गया, जिसमें अंकन 2,500/-रू0 खर्च हुए और मरम्मत में अंकन 37,071/-रू0 खर्च हुए तथा अन्य प्रकीर्ण खर्च अंकन 5,000/-रू0 हुए। परिवादी किराये का ट्रैक्टर लेकर अपने कृषि कार्य किये। इस प्रकार कुल 1,47,071/-रू0 की क्षतिपूर्ति की मांग की गई।
4. विपक्षी बीमा कंपनी ने बीमा होना स्वीकार किया है, परन्तु कथन किया है कि क्लेम दाखिल करने के बाद आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। ट्रैक्टर का प्रयोग बीमा पालिसी की शर्तों के विपरीत किया जा रहा था ऐसा प्रथम सूचना रिपोर्ट से साबित होता है, इसी आधार पर बीमा क्लेम नकारा गया है और विद्वान जिला आयोग ने भी बीमा कंपनी के कथन को स्वीकार करते हुए परिवाद खारिज किया है।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि परिवादी द्वारा स्वंय अपनी उपज को ट्रैक्टर में लादकर बाजार में विक्रय करने के लिए ले जा रहा था। ट्रैक्टर का व्यावसायिक प्रयोग नहीं किया जा रहा था। प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति दस्तावेज सं0-19 पर मौजूद है, यह रिपोर्ट मृतक जगदीश के पिता द्वारा लिखवाई गई है, इस रिपोर्ट के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी ट्रैक्टर का प्रयोग व्यापारिक उद्देश्य के लिए कर रहा था। परिवादी ने सशपथ बयान दिया है कि वह अपनी फसल को
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बाजार में विक्रय करने के लिए जा रहा था, इसलिए विद्वान जिला आयोग का यह निष्कर्ष तथ्यात्मक नहीं है कि परिवादी द्वारा वाहन का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा था। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
6. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि परिवादी किस राशि की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
7. परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार परिवादी द्वारा ट्रैक्टर की मरम्मत में अंकन 37,071/-रू0 खर्च किए गए हैं तथा टोचन में अंकन 2,500/-रू0 खर्च किए गए है एवं प्रकीर्ण खर्च में अंकन 5,000/-रू0 खर्च किए गए हैं। इस प्रकार कुल 44,571/-रू0 प्राप्त करने के लिए अधिकृत है तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी प्राप्त करने के लिए अधिकृत है तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त करते हुए परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि परिवादी को अंकन 44,571/-रू0 अदा किया जाए तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी देय होगा। परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी अदा किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2