(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2506/2007
डिविजनल मैनेजर, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0
बनाम
संजय कुमार सिंह पुत्र श्री अर्जुन सिंह तथा एक अन्य
एवं
अपील संख्या-2384/2007
संजय कुमार सिंह पुत्र श्री अर्जुन सिंह
बनाम
मण्डलीय प्रबंधक, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0 तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 30.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-24/2005, संजय कुमार सिंह बनाम मण्डलीय प्रबंधक नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय दिनांक 28.9.2007 के विरूद्ध क्रमश: अपील संख्या-2506/2007, बीमा कंपनी की ओर से प्रश्नगत निर्णय को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गई है तथा अपील संख्या-2384/2007, परिवादी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्तुत की गई है।
2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-2506/2007 अग्रणी अपील होगी।
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3. उपरोक्त दोनों अपीलों में परिवादी की ओर से विद्वान अधिक्ता श्री एस.बी. श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। बीमा कंपनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपने व्यापार के संचालन के लिए अंकन 06 लाख रूपये का ऋण प्राप्त किया गया था तथा बीमा कंपनी से बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी। बीमित अवधि के दौरान दुकान में आग लगने के कारण क्षति कारित हुई है, इसलिए बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गई। सर्वेयर द्वारा कुल 2,05,322/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के पक्ष में अंकन 1,51,155/-रू0 की क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव दिया गया, इस प्रस्ताव की स्वीकृति मिलने के पश्चात बीमा कंपनी द्वारा बैंक में इस राशि को जमा कर दिया गया, क्योंकि परिवादी द्वारा बैंक से ऋण लिया गया है।
5. परिवादी/अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला आयोग ने सर्वेयर द्वारा आंकलित राशि के अतिरिक्त अंकन 54,167/-रू0 के भुगतान का आदेश पारित किया है, जबकि फायर ब्रिगेड द्वारा अंकन 6 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति का आंकलन किया गया था। उल्लेखनीय है कि फायर ब्रिगेड क्षतिपूर्ति का आंकलन करने के लिए अधिकृत संस्था नहीं है। फायर ब्रिगेड का उद्देश्य केवल मौके का शमन करना होता है। क्षति का आंकलन अपनी कारगुजारी दर्शित करने के लिए अंकित कर दिया जाता है, परन्तु यह उनका अधिकार नहीं है। बीमे के उद्देश्य से क्षति का आंकलन किया जाता है। अत: फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट क्षतिपूर्ति का आंकलन करने के लिए साक्ष्य में ग्राह्य नहीं मानी जा सकती।
6. दस्तावेज सं0-27 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अंकन 1,51,155/-रू0 प्राप्त करने की स्वीकृति दी गई है, इस स्वीकृति के आधार पर बीमा कंपनी द्वारा यह राशि बैंक को प्रदान की गई है। अत: स्पष्ट
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है कि परिवादी द्वारा अंतिम रूप से एवं स्वेच्छा से यह धनराशि प्राप्त की गई है और स्वंय अपने हस्ताक्षर से लिखित पत्र बीमा कंपनी को उपलब्ध कराया है। अत: भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 63 के अनुसार यदि मांगी गई राशि से कम राशि स्वेच्छा से तथा अंतिम रूप से प्राप्त कर ली जाती है तब शेष राशि का उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है। अत: अंकन 1,51,155/-रू0 की राशि प्राप्त करने के पश्चात उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त हो जाता है। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है तथा बीमा कंपनी की अपील स्वीकार होने और परिवादी की अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत अपील संख्या-2506/2007 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.09.2007 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत अपील संख्या-2384/2007 निरस्त की जाती है।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-2506/2007 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2