(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-26/2000
M/S Star Cold Storage & Ice Factory, Village Baz Nagar, Kakori, District Lucknow through its Partner Mohammad Faseen Siddiqui S/o Shri Mohammad Rafi Siddiqui.
परिवादी
बनाम
M/S National Insurance Company, Aminabad, Lucknow through its Branch Manager.
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 11.02.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 17 के अन्तर्गत विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध अंकन 19,87,446/- रूपये के बीमा क्लेम तथा परिवाद के खर्चों के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी जो कोल्ड स्टोरेज के संचालन में एक भागीदार है, ने दिनांक 15.04.1997 को अंकन 79,376/- रूपये का प्रीमियम अदा करते हुए सम्पूर्ण कोल्ड स्टोरेज का बीमा कराया था, जिसका विवरण विपक्षी को दिया गया था। दिनांक 26.09.1997 को परिवादी ने विपक्षी को सूचित किया कि कोल्ड स्टोरेज में रखा गया आलू नष्ट हो गया है। दिनांक 26.09.1997 को ही परिवादी द्वारा विपक्षी को सूचित किया गया था कि कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 25.09.1997 से बिगड़ गया है। 60 हार्स पावर की मोटर का स्टाटर भी बिगड़ चुका है तथा 5 हार्स पावर एवं 47.5 हार्स पावर की मोटर जल चुकी है। इस मशीनरी को दुरूस्त कराने का दायित्व विपक्षी पर था, किंतु अनुरोध के बावजूद भी मरम्मत नहीं कराई गई।
3. परिवाद पत्र में आगे उल्लेख है कि परिवादी ने कोल्ड स्टोरेज में 04 कंप्रेशर स्थापित किए थे, जो सभी बीमित थे। कोल्ड स्टोरेज का तापमान सही रखने के लिए दो कंप्रेशर का संचालन पर्याप्त था और दो कंप्रेशर आपातकाल के लिए रखे गए थे। दिनांक 29 सितम्बर 1997 को कोल्ड स्टोरेज के प्रबन्धक द्वारा बीमा कंपनी के सर्वेयर को बताया गया कि कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 10 सितम्बर 1997 से ही बंद था और दिनांक 25.09.1997 को स्टार्ट करते समय पाया गया कि इसकी सॉफ्ट टूट चुकी है। सर्वेयर द्वारा दिनांक 28 सितम्बर 1997 को अवगत कराया गया कि मैकेनिक ने बताया कि कंप्रेशर दिनांक 13.09.1997 से बंद था, इसलिए उसके बिगाड़ के बारे में कोई अवधारणा नहीं की जा सकती और कंप्रेशर संख्या-3 का वाल्व दिनांक 13.09.1997 को बदल दिया गया है तथा कंप्रेशर संख्या-2, 3 और 4 उचित दशा में कार्य कर रहे हैं। सर्वेयर के पत्र दिनांक 28.09.1997 से जाहिर होता है कि कंप्रेशर संख्या-2, 3 और 4 सही तरीके से निरीक्षण के दिन कार्य कर रहे थे और आलू भी सही दशा में थे। चैम्बर नम्बर 1 में रखे आलू 90 प्रतिशत सही थे तथा चैम्बर नम्बर 3 में रखे आलू भी सही प्रतीत हो रहे थे। निरीक्षण के दौरान सर्वेयर को पूरा सहयोग प्रदान किया गया, जबकि सर्वे बगैर किसी भागीदार को सूचित किए बिना किया गया। दिनांक 29.09.1997 को निरीक्षण रिपोर्ट में आलू के संबंध में दिया गया विवरण सही पाया गया और पाया गया कि चैम्बर नम्बर 2 और 4 में रखा हुआ आलू खराब हो चुका है और दुर्गन्ध के कारण इनमें घुसना असंभव है। चैम्बर नम्बर 1 और 3 में क्रमश: 9296 एवं 8358 आलू के बोरे रखे गए थे, जिसमें से 10 प्रतिशत प्रभावित थे। सर्वेयर द्वारा विरोधाभाषी विवरण प्रस्तुत किए गए जैसा कि आलू की बोरियों को दीवाल से सटा हुआ लगा होना बताया और आलू सही तरीके से न रखा होना बताया गया। सर्वेयर ने कभी भी परिवादी को नहीं बताया कि आलू की बोरी लगाने में 03 फुट की गैलरी छोड़ी जाए, जबकि ये दोनों स्थिति स्वंय निरीक्षण के समय पायी गई थी तथा दिनांक 29 सितम्बर 1997 को साफ्ट को सही स्थिति में पाया गया था, जिसे बाद में टूटा पाया गया, परन्तु उसकी मरम्मत के लिए बीमा कम्पनी द्वारा कोई क्लेम नहीं दिया गया। परिवादी ने दिनांक 16.10.1997 के पत्र द्वारा सूचित किया कि सुझाए गए सभी कार्य सम्पादित कर दिए गए हैं और क्लेम प्रदान करने का अनुरोध किया गया। दिनांक 01.10.1997 को परिवादी ने किसानों को आलू के नुकसान के बारे में बताया और वापस ले जाने की सलाह दी। सर्वेयर द्वारा दिनांक 20 अक्टूबर 1997 को सूचना दी गई कि परिवादी द्वारा मरम्मत नहीं कराई गई। आलू दीवाल से हटाकर नहीं लगाया गया। परिवादी ने दिनांक 15.11.1997 के पत्र द्वारा सभी सुझाव पूर्ण कर लेने का उल्लेख किया और दिनांक 01 जनवरी 1998 को पंजीकृत पत्र सर्वेयर को प्रेषित किया, जिसका जवाब दिनांक 01 जनवरी 1998 को दिया गया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि पालिसी की शर्तों का उल्लंघन परिवादी द्वारा किया गया है, जबकि परिवादी ने सभी प्रकार की मरम्मत करा ली थी और सुझाव का पालन किया था। मरम्मत के बाद भी क्लेम अदा नहीं किया गया। सर्वेयर द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब दिनांक 28.12.1998 को दिया गया। क्लेम फार्म दिनांक 24.02.1998 को भर दिया गया, जिसमें अंकन 19,87,446/- रूपये की मांग की गई। दिनांक 28 फरवरी 1998 को विपक्षी द्वारा लिखा पत्र कभी भी परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी को सर्वप्रथम दिनांक 25.09.1997 को ही कंप्रेशर में खराबी की जानकारी हुई और इसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी गई। दिनांक 20 मई 1998 को स्वंय सम्पर्क किया गया, परन्तु किन्हीं गैरवाजिब कारणों से परिवादी के साथ कोई सहयोग नहीं किया गया। इसी प्रकार अन्य अनेक अवसरों पर पत्र लिखने और सम्पर्क करने का उल्लेख परिवाद पत्र में किया गया और नोटिस देने के पश्चात् भी क्लेम पूरा न करने के कारण यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए उल्लेख किया कि परिवाद के तथ्य असत्य हैं। विपक्षी पक्षकार का कोई दायित्व नहीं है। परिवादी की अपनी त्रुटि के कारण उसे नुकसान हुआ है। कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 10.09.1997 से पूर्व ही खराब हो चुका था, यह दिनांक 25.09.1997 को खराब नहीं हुआ है। विपक्षी का यह दायित्व नहीं है कि वह मशीनों की मरम्मत कराए, इसलिए इसका उल्लेख भ्रामक है और भ्रमित करने के उद्देश्य से किया गया है। परिवादी का दायित्व है कि वह क्षति तथा मशीनरी में कमी की सूचना बीमा कम्पनी को तुरन्त दे और स्वंय मशीनों की मरम्मत कराए और मरम्मत के बिल कम्पनी को अदा करे। यह स्वीकार किया गया है कि कोल्ड स्टोरेज में जो कंप्रेशर लगे थे, वह 88000 कुन्टल आलुओं को ठण्डा रख सकते थे, जबकि कोल्ड स्टोरेज में केवल 40050 कुन्टल आलू रखा हुआ था। यदि कंप्रेशर सही तरीके से प्रयोग किए जाते तब आलू खराब नहीं हो सकते थे। परिवादी को पूर्णतया ज्ञात था कि कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 10.09.1997 के पहले ही खराब हो चुका है, परन्तु उसने विपक्षी को सूचित नहीं किया। स्वंय परिवादी द्वारा लिखे गए पत्र से ज्ञात हो जाता है कि परिवादी को ज्ञात था कि कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 10.09.1997 के पूर्व खराब हो चुका है। विपक्षी को देरी से सूचना देना पालिसी की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। दिनांक 28.09.1997 को सर्वे करते समय सर्वेयर को कोई सहयोग नहीं किया गया, वहां पर कोई भी भागीदार या उत्तरदाई कर्मचारी मौजूद नहीं था। चैम्बर नम्बर 1 एवं 3 में रखे गए 90 प्रतिशत आलू सही थे, जबकि चैम्बर नम्बर 2 में रखे आलुओं की दशा खराब थी। कंप्रेशर संख्या-1 न खुलने के कारण उसका सही निरीक्षण नहीं हो सका और परिवादी से पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दिया गया। सर्वेयर दिनांक 29.09.1997 को पुन: निरीक्षण करने गए और पाया कि लॉग-बुक केवल दिनांक 09.09.1997 तक ही भरी गई है और दिनांक 10.09.1997 के बाद पूर्णतया खाली है, जिससे साबित है कि दिनांक 10.09.1997 को कंप्रेशर खरब हो चुका था। आलू का रख-रखाव सही ढंग से नहीं किया गया था। परिवादी को आलू सही रखने की सलाह दी गई, परन्तु पालन नहीं किया गया। दिनांक 29.09.1997 को ही पता चला कि कंप्रेशर संख्या-1 की साफ्ट टूटी हुई है, जिसे सही कराने का सुझाव परिवादी को दिया गया। परिवादी ने साफ्ट टूटने की सही तिथि नहीं बताई तथा सर्वेयर के निर्देशों का कभी पालन नहीं किया। किसानों को आलू उठाने की सूचना दैनिक अखबारों में छापने के लिए कहा गया, परन्तु परिवादी ने इस सुझाव का भी पालन नहीं किया और केवल कोल्ड स्टोरेज के बोर्ड पर नोटिस चसपा कर दी। सर्वेयर ने आलू की कम क्षति का हमेशा प्रयास किया, लेकिन परिवादी ने आलू की सुरक्षा एवं सरंक्षण का कोई भी उपाय नहीं अपनाया।
5. क्लेम फार्म सर्वेयर ने ही परिवादी को दिनांक 20.10.1997 को प्रेषित किया, जिसका जवाब दिनांक 15.11.1997 को दिया गया, परन्तु क्लेम फार्म के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया और दिनांक 01.01.1998 को परिवादी ने सर्वेयर को सूचित किया कि क्लेम फार्म में कुछ कमी है, जो दिनांक 20.10.1997 को भेजा गया था, इसलिए परिवादी असावधानीपूर्व कार्य करने के लिए स्वंय उत्तरदाई है। अगस्त 1997 से ही आलू में खराबी आनी शुरू हो गई थी, परन्तु परिवादी द्वारा पहली बार सूचना दिनांक 26.09.1997 को दी गई, इसीलिए आलूओं में जो क्षति हुई है, वह विपक्षी के असहयोग के कारण नहीं अपितु स्वंय परिवादी के लापरवाहपूर्ण आचरण के कारण हुई है। परिवादी द्वारा लिखे गए पत्रों के विवरण आदि का लिखित कथन में खण्डन किया गया है, जिनके विस्तृत उल्लेख की आवश्यकता नहीं है। यह भी उल्लेख किया गया कि परिवादी द्वारा जो अनुतोष मांगे गए हैं, वे प्रदत्त किए जाने योग्य नहीं हैं। बीमा पालिसी केवल उस सीमा तक है, जब आलू किसी दुर्घटना के कारण या मशीनरी में खराबी के कारण खराब हो जाए। परिवादी के कोल्ड स्टोरेज में रखा जो आलू खराब हुआ है, वह उसके स्वंय की लापरवाही का हिस्सा है, इसलिए वह किसी भी क्लेम को प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन कया गया।
7. दोनों पक्षकारों को यह तथ्य स्वीकार है कि प्रश्नगत कोल्ड स्टोरेज के लिए बीमा पालिसी जारी की गई थी, जो दिनांक 15.04.1997 तक वैध थी। यह पालिसी पत्रावली पर दस्तावेज संख्या-21 लगायत 24 है। यह पालिसी मशीनरी ब्रेक डाऊन तथा आलू स्टॉक एवं गनी पैक के लिए है, जो चैम्बर नम्बर 1, 2, 3 और 4 में रखे गए हैं। परिवादी का यह कथन है कि कंप्रेशर संख्या-1 दिनांक 10.09.1997 से बंद है और दिनांक 25.09.1997 में उसका Crak Shoft का टूटना ज्ञात हुआ है। दिनांक 26.09.1997 को बीमा कम्पनी को यह सूचना दी गई कि कोल्ड स्टोरेज में रखा हुआ किसानों का आलू लगभग सभी चैम्बरों का खराब हो गया है। बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा दिनांक 28.09.1997 को मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया और रिपोर्ट तैयार की गई, जो अनेग्जर संख्या-5 है। निरीक्षण के समय पाया गया कि कंप्रेशर संख्या-1 काम नहीं कर रहा था और मौके पर कोल्ड स्टोरेज के मिस्त्री श्री जे0पी0 मौर्या ने बताया कि कंप्रेशर दिनांक 13.09.1997 से चलाया नहीं गया है। कंप्रेशर संख्या-2, 3 और 4 ठीक से चल रहे थे। निरीक्षण के समय कोल्ड स्टोरेज का कोई रिकार्ड नहीं पाया गया। चैम्बर नम्बर 1 और 3 में रखा 90 प्रतिशत आलू सही पाया गया, परन्तु चैम्बर नम्बर 2 और 4 में रखे आलू की दशा बहुत खराब पायी गई। मौके पर कोई भी भागीदार या जिम्मेदार कर्मचारी उपलब्ध नहीं हुआ। दिनांक 29.09.1997 को 10:00 बजे तमाम रिकार्ड के साथ मिलने के लिए कहा गया। दिनांक 29.09.1997 को तैयार की गई रिपोर्ट अनेग्जर संख्या-6 है। निरीक्षण के समय पाया गया कि मार्च से 18 जून तक की लॉग-बुक की सिलाई खुल गई है और दूसरी लॉग-बुक में दिनांक 10.09.1997 के बाद से कोई इन्ट्री नहीं की गई है और सभी पन्ने खाली हैं। निरीक्षण के समय पाया गया कि चैम्बर नम्बर 2 और 4 का आलू खराब हो गया है और चैम्बर नम्बर 1 और 3 में भरे हुए आलू के बोरे जिनकी संख्या 9296 और 8358 है, लगभग ठीक हैं। अधिक से अधिक 10 प्रतिशत माल खराब हुआ है, जिसे 7 दिन का नोटिस देकर विक्रय करने की व्यवस्था की जा सकती है। निरीक्षण के समय यह भी पाया गया कि आलू सटाकर रखा गया और बीच में 3 फुट की गैलरी भी नहीं छोड़ी गई। दिनांक 20.10.1997 को सर्वेयर द्वारा एक अन्य रिपोर्ट तैयार की गई, जो अनेग्जर संख्या-10 है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि अंकन 19,046 आलू के बोरे दिनांक 17.10.1997 तक चैम्बर से हटा लिए गए हैं, यह प्रक्रिया अत्यधिक धीमी है। चैम्बर नम्बर 1 और 3 में 40 'F तापमान दिनांक 05.10.1997 तक बना हुआ था। दिनांक 06.10.1997 को एक और कंप्रेशर खराब हो गया और कोल्ड स्टोरेज के प्रबन्धकों द्वारा इनकी मरम्मत के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई। इन चैम्बर्स में तापमान नियंत्रित नहीं किया गया, जो बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। आलू स्टोर करने के बीच में हवा जाने के लिए लेन भी स्थापित नहीं की गई, यह भी बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। यह भी पाया गया कि न्यूज पेपर में किसानों द्वारा आलू उठाने की सूचना प्रकाशित नहीं कराई गई, यह भी बीमा पालिसी की शर्तों के खिलाफ है। इस रिपोर्ट द्वारा कोल्ड स्टोरेज प्रबन्धकों को आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया ताकि क्षति कम की जा सके तथा यह भी चेतावनी दी गई कि यदि आपने इस पत्र में वर्णित सुधारों पर ध्यान नहीं दिया तब बीमित माल को कारित क्षति का उत्तरदायित्व आपका होगा।
8. कोल्ड स्टोरेज के भागीदारों द्वारा दिनांक 15.11.1997 को सर्वेयर को पत्र लिखा गया था, उसमें यह उल्लेख किया गया कि नोटिस द्वारा नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर किसानों को सूचना दे दी गई है। यह भी उल्लेख किया गया कि कुल 24,380 बोरा आलू क्षतिग्रस्त हुआ पड़ा है और तदनुसार क्लेम दिलाने का अनुरोध किया गया। यद्यपि दिनांक 15.11.1997 को भी क्लेम फार्म भरकर नहीं दिया गया। दिनांक 01.01.1998 के पत्र द्वारा सर्वेयर को सूचित किया गया कि कोल्ड स्टोरेज का सारा आलू निकल गया है और चैम्बर्स तथा लकड़ी जलने का नुकसान का आंकलन स्वंय सर्वेयर द्वारा कर लिया जाए। दिनांक 16.01.1998 के पत्र द्वारा सर्वेयर ने कोल्ड स्टोरेज भागीदार को सूचित किया कि क्लेम फार्म आपको दे दिया गया है फिर भी भरकर नहीं दिया गया है। इस पत्र के द्वारा पुन: क्लेम फार्म की कापी कोल्ड स्टोरेज को उपलब्ध कराई गई। दिनांक 27.01.1998 को सर्वेयर द्वारा कोल्ड स्टोरेज भागीदारों को सूचित किया गया कि क्लेम फार्म प्राप्त हो चुका है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि कंप्रेशर कोल्ड स्टोरेज में कार्यरत कर्मचारी श्री जे0पी0 मौर्या की सूचना के अनुसार दिनांक 10.09.1997 या उससे पूर्व से ही खराब हो गया था, परन्तु दिनांक 25.09.1997 से पूर्व इसकी सूचना नहीं दी गई। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि रिकार्ड से भी साबित होता है कि दिनांक 10.09.1997 से आलू खराब होना शुरू हो गया था, जबकि क्लेम फार्म में दिनांक 25.09.1997 को आलू खराब होना दर्शाया गया है, इसलिए इस बिन्दु को स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि यथार्थ में आलू किस तिथि को खराब होना शुरू हुआ और सबूत की भी मांग की गई। अनेग्जर संख्या-16 पर कोल्ड स्टोरेज के भागीदार द्वारा यथार्थ में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई और केवल यह उल्लेख किया कि मेरी जानकारी के अनुसार सही तिथि आदि का उल्लेख मैने आपको कर दिया है। उपरोक्त सभी साक्ष्यों के विश्लेषण से जाहिर होता है कि बीमा कम्पनी का यह दावा सही है कि दिनांक 10.09.1997 से आलू खराब होना शुरू हो चुका था, परन्तु बीमा कम्पनी को दिनांक 25.09.1997 को इसकी सूचना दी गई और दिनांक 10.09.1997 को आलू खराब होना प्रारम्भ होने के बावजूद कंप्रेशर संख्या-1 की मरम्मत का कोई कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया तथा शेष आलूओं को नुकसान से बचाने की भी त्वरित कार्यवाही नहीं की गई।
9. परिवाद पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि बीमा कम्पनी द्वारा मशीनरी की मरम्मत नहीं कराई गई। बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि मशीनरी की मरम्मत कराने का दायित्व बीमा कम्पनी पर नहीं है। मरम्मत कराने के पश्चात् क्षतिपूर्ति के लिए बिल आदि बीमा कम्पनी में प्रेषित किए जा सकते हैं, यह तर्क विधि सम्मत है। मशीनरी खराब होने के पश्चात् उसकी मरम्मत का दायित्व बीमा कम्पनी पर नहीं है। बीमा कम्पनी केवल क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए बाध्य है न कि मरम्मत कराने के लिए। कोल्ड स्टोरेज जैसे व्यापारिक स्थल की मशीनरी को तुरन्त दुरूस्त कराने का दायित्व कोल्ड स्टोरेज भागीदारों का है।
10. जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है कि सर्वेयर द्वारा मांगी गई सूचना कोल्ड स्टोरेज द्वारा प्राप्त नहीं कराई गई। दोनों पक्षकारों के मध्य क्लेम की पूर्णतया को लेकर अनेक पत्राचार होते रहे और अंतत: दिनांक (अपठित) 01.2000 को अधिवक्ता श्री इसार हुसैन द्वारा शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी, अमीनाबाद, लखनऊ को नोटिस दिया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि उनके मुवक्किल द्वारा अंकन 19,87,446/- रूपये के आलू के नुकसान का क्लेम प्रस्तुत किया गया है और सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर दी गई है, परन्तु आपके द्वारा क्लेम सुनिश्चित नहीं किया गया है। सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में अंकित किया गया है कि चैम्बर नम्बर 1 एवं 2 में केवल 10 प्रतिशत आलू का नुकसान निरीक्षण के समय हुआ था और उसके पश्चात् जो भी नुकसान हुआ है, वह स्वंय कोल्ड स्टोरेज के भागीदारों द्वारा माल की सुरक्षा बरतने में की गई लापरवाही तथा किसानों को सूचना देने में की गई लापरवाही के कारण हुआ है। यद्यपि चैम्बर नम्बर 2 और 4 का लगभग सम्पूर्ण आलू खराब होना स्वंय सर्वेयर द्वारा माना गया है।
11. कोल्ड स्टोरेज में 4 कम्प्रेशर लगे हुए थे। खराब केवल एक हुआ था शेष तीन पूर्ण शीत गृह को आवश्यकतानुसार ठण्डा करने के लिए पर्याप्त थे, परन्तु स्वंय परिवादी द्वारा उपरोक्त वर्णित त्रुटियां अपने स्तर से की गई हैं, इसलिए चैम्बर नम्बर 1 एवं 3 में रखे आलू में 10 प्रतिशत आलू की क्षति के लिए बीमा कम्पनी उत्तरदाई है। 90 प्रतिशत आलू सुरक्षित निकाला जा सकता था, परन्तु किसानों को आलू निकालने के लिए आवश्यक प्रयास स्वंय परिवादी द्वारा नहीं किए गए हैं। शीत गृह के गेट पर नोटिस चस्पा कर देना पर्याप्त नहीं था।
12. शेष 2 चैम्बर यानि चैम्बर नम्बर 2 एवं 4 का आलू पूरी तरह खराब हो चुका था। ऐसा सर्वे से पूर्व हो चुका था, इसलिए सर्वेयर द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन करने के बावजूद परिवादी इन दो चैम्बर्स में रखे गए आलू के नष्ट होने पर समस्त आलू की कीमत बतौर प्रतिकर प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
13. परिवादी द्वारा जो बीमा क्लेम भरकर बीमा कम्पनी को दिया गया है, उसकी प्रति पत्रावली पर अनेग्जर संख्या-17 है, जिसमें वर्णित वजन तथा मूल्य पठनीय नहीं है, इसलिए इस पीठ द्वारा केवल यह निर्देश देना संभव हो पा रहा है कि चैम्बर नम्बर 1 एवं 3 में जिस मात्रा का आलू रखा गया है, उस आलू की कीमत की कुल 10 प्रतिशत राशि बीमा कम्पनी द्वारा देय होगी तथा चैम्बर नम्बर 2 एवं 4 में रखे हुए कुल आलू की कुल कीमत देय होगी। आलू की मात्रा एवं कीमत दोनों पक्षों के कार्यालयों में रखे गए अभिलेखों के अनुसार तुलना कर बीमा कम्पनी द्वारा भुगतान किया जाएगा और यदि बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित समयावधि में भुगतान नहीं किया जाता है तब परिवादी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किए गए दावे के क्रम में और जिस सीमा तक परिवादी का दावा इस पीठ द्वारा स्वीकार किया गया है, उसके अनुरूप निष्पादन आवेदन प्रस्तुत करेंगे।
14. बॉस की लगड़ी की क्षति की मद में अंकन 3,25,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति की मांग की गई है। परिवाद पत्र या शपथ पत्र में इस मद में कारित क्षति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: यह पीठ यह तथ्य सुनिश्चित करने में असमर्थ है कि बॉस की लकड़ी से बने चैम्बर में अंकन 3,25,000/- रूपये का नुकसान हुआ है। अनुमान के आधार पर कोई निष्कर्ष देना संभव नहीं हो पाया है।
15. विद्युत फीटिंग की मद में अकन 45,000/- रूपये की मांग की गई है। परिवाद पत्र या शपथ पत्र में विद्युत फीटिंग कहाँ से कहाँ तक मशीनरी खराबी के परिणाम स्वरूप खराब हुई है, इसका विवरण मौजूद नहीं है। अत: इस मद में भी बीमा कम्पनी के विरूद्ध किसी राशि की प्रतिपूर्ति का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।
16. श्रमिक मजूदरी के लिए अंकन 85,000/- रूपये की मजदूरी की मांग की गई है। परिवाद पत्र या शपथ पत्र में मजदूरी पर किए गए खर्च का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस बिन्दु पर कुछ भी अंकित या पुष्ट नहीं किया गया कि कितने मजूदर लगाए गए। प्रत्येक मजदूर को कितनी मजदूरी दी गई। मजदूरी पर हुए खर्च का अनुमान इस पीठ द्वारा लगाया जा सकता है, क्योंकि यह माना जा सकता है कि चैम्बर नम्बर 1 एवं 3 के 10 प्रतिशत आलू तथा चैम्बर नम्बर 2 एवं 4 के शत प्रतिशत आलू खराब होने पर चैम्बर की सफाई करने में न्यूनतम 100 मजदूर अवश्य कार्य में लगाए गए हैं। तस्समय मजदूरी 200/- रूपये प्रतिदिन के आस-पास थी, इसलिए अंकन 20,000/- रूपये की राशि इस मद में अदा किए जाने का आदेश देना उचित होगा। अत: परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
17. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस प्रकार एवं इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि बीमा कम्पनी परिवादी के शीत गृह में चैम्बर नम्बर 1 एवं 3 में रखे गए आलू के 10 प्रतिशत खराब आलू की कीमत का भुगतान 80/- रूपये प्रति क्विण्टल की दर से तथा चैम्बर नम्बर 2 एवं 4 में रखे गए आलू के समस्त नुकसान का भुगतान 80/- रूपये प्रति क्विण्टल की दर से करेगी। आलू का वजन वह रहेगा, जो बीमा क्लेम में प्रत्येक चैम्बर में रखा होना बीमा कम्पनी को प्रस्तुत क्लेम में वर्णित है। (चैम्बर नम्बर 1 एवं 3, में 10 प्रतिशत की सीमा तक)
18. खराब आलू को गोदाम से हटाने में मजदूरी खर्च के रूप में अंकन 20,000/- रूपये अदा किए जाएंगें।
19. उपरोक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 3 माह के अन्दर भुगतान करने पर 6 प्रतिशत प्रति वर्ष साधारण ब्याज देय होगा। इस अवधि के पश्चात् भुगतान करने पर 12 प्रतिशत प्रति वर्ष व चक्रवृद्धि ब्याज देय होगा।
20. परिवाद खर्च के लिए अंकन 5,000/- रूपये देय होंगे।
21. मानसिक संताप एवं उत्पीड़न की मद में अंकन 25,000/- रूपये की राशि देय होगी।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2