Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। परिवाद सं0 :- 164/2014 M/S Bhola Food Products Pvt. Ltd., a company incorporated under the Companies Act 1956, having its registered office at village and post Shason, Allahabad and administrative office at 53/20, Nayaganj, Kanpur Nagar-208001 through its authorized director Mr. Naveen kesharwani R/O 604, Ratan Presidency at Parvati Bagla Road, Tilak Nagar, Kanpur. ………….Complainant M/S National Insurance Co Ltd having its Regional Office at Jeewan Bhawan, Phase II, Nawal Kishore Road, Hazratganj, Lucknow 226001 समक्ष - मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री ओ0पी0 दुवेल विपक्षी ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री नीरज पॉलीवाल दिनांक:-07.10.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह परिवाद परिवादी मेसर्स भोला फूड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 17 के अंतर्गत प्रस्तुत की गयी है।
- परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि वह श्री नवीन केसरवानी कम्पनी के डायरेक्टर कम्पनी के बोर्ड की मीटिंग दिनांकित 07.11.2014 के माध्यम से कम्पनी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करने हेतु सक्षम है, जिनके द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
- परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से इंश्योरेंस पॉलिसी बीमा कम्पनी के इलाहाबाद कार्यालय से ली थी जो स्टेण्डर्ड फायर एण्ड सोशल पेरिल पॉलिसी थी। कम्पनी भोला जर्दा ग्रुप नाम से अपना उत्पाद बनाती है जो भारत भर में प्रसिद्ध है। प्रश्नगत पॉलिसी उसके सभी व्यवसायिक सम्पत्ति से संबंध रखती थी, जिसमें प्लांट, मशीनरी के संबंध में पॉलिसी सं0 451105/11/09/3100000010 (प्लांट मशीनरी) एण्ड 451105/11/08/ 3300000231 (रॉ मेटेरियल) । कम्पनी के निर्माण इकाई सी-9 पंकी इंडस्ट्रियल एरिया कानपुर में थी जो 28 नवम्बर 2009 को बन्द कर दी गयी थी। दिनांक 28/29/11/2009 के मध्य रात्रि लगभग 11:45 बजे इसमें नजदीक की फैक्ट्री के कर्मचारियों द्वारा आगजनी देखी गयी। उनके द्वारा शोर मचाने पर दमकल विभाग तथा नजदीक की कम्पनी के वर्कर और साथ ही इस कम्पनी के कर्मचारीगण द्वारा आग को बुझाया गया। दमकल विभाग द्वारा लगभग 1 बजकर 20 मिनट पर पहुंचकर आग को बुझाया जा सका। परिवादी के अनुसार लगभग 1 करोड़ रूपये की हानि हुई थी। दमकल विभाग की रिपोर्ट में लगभग 70 लाख रूपये की हानि का आंकलन किया गया था, जिसे रिपोर्ट की प्रतिलिपि को संलग्नक के रूप में परिवाद के साथ रखा गया है। परिवादी कम्पनी की ओर से विपक्षी को सूचना दी गयी, जिस पर श्री पी0एस0 बी0एस0 चावला अथवा मेसर्स बी0एस0 चावला एण्ड कम्पनी इलाहाबाद को सर्वेक्षक के रूप में परिवादी की ओर से नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा विभिन्न समयों पर अलग-अलग प्रकार के दस्तावेज मांगे गये, जिन्होंने परिवादी कम्पनी की ओर से प्रदान किया गया। परिवादी द्वारा बार-बार क्लेम फार्म की मांग की जाती रही। लगभग 03 महीने से क्लेम फार्म उन्हें उपलब्ध कराया गया, जिस पर क्लेम प्रस्तुत किया जा सका। परिवाद के साथ सलंग्नक 7 के रूप में क्लेम फार्म की प्रतिलिपि परिवाद के साथ संलग्नक 7 के रूप में क्लेम फार्म की प्रतिलिपि मौजूद है। परिवादी ने रूपये 1,09,78917/- की क्षति जिसमें रॉ मेटेरियल तैयार माल मशीनरी बिल्डिंग आदि क्षति का आंकलन किया गया था। विपक्षी कम्पनी की ओर से नियुक्त किये गये सर्वेक्षक श्री बी0एस0 चावला द्वारा कई बार फैक्ट्री का निरीक्षण किया गया किन्तु परिवादी के अनुसार उनका व्यवहार अत्यंत नकारात्मक था, फिर भी उनके द्वारा बताया गया कि लगभग 50,00,000/- रू0 की हानि का अनुमान है किन्तु उनके द्वारा एक गलत एवं आधारहीन रिपोर्ट दी गयी। श्री बी0एस0 चावला द्वारा बार-बार अनेक प्रकार के दस्तावेजों की मांग की गयी इस प्रकार परिवादी को हैरान व परेशान किया गया। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से सर्वेक्षक के विरूद्ध शिकायत भी की। परिवादी के अनुसार सर्वेयर रिपोर्ट संलग्नक 26 के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि रिपोर्ट बिल्कुल गलत आंकलन के ऊपर तथा अवैध आंकलन द्वारा की गयी है। परिवादी द्वारा पत्र दिनांकित 22.11.2011 के माध्यम से रिपोर्ट के विरूद्ध अपनी आपत्ति प्रस्तुत की गयी, जिस पर विपक्षी कम्पनी ने सर्वेक्षक को अपना पक्षरखने को कहा किन्तु सर्वेक्षकमहोदय ने वेसिर पैर एवं गलत उत्तर दिया। परिवादी द्वारा आगजनी की घटना के दिन पर उसके स्टॉक आदि की परिस्थितियों एवं स्थिति को दर्शाया था किन्तु सर्वेक्षक महोदय ने उसको ध्यान न देते हुए झूठी रिपोर्ट दी है। परिवादी द्वारा इलाहाबाद बैंक एम0जी0 रोड़ कानपुर से लगभग 3,85,00,000/- की वर्किेंग कैपिटल ली थी। इसी आधार पर हानि का आंकलन होना चाहिए था। सर्वेयर महोदय ने रूपये 28,01,320/- रूपये का आंकलन भौतिक निरीक्षण से किया है किन्तु उनके द्वारा औसत दर मंडी टैक्स रेट आदि को ध्यान में नहीं लिया गया है। सर्वेयर महोदय ने दिनांक 01.04.2009 से दिनांक 28.11.2009 में स्टॉक की वृद्धि 3.34 गुना 242 दिन के अनुसार है, जबकि यह बढोत्तरी 5.03 गुना होनी चाहिए, जिसे सर्वेयर ने स्वीकार नहीं किया। सर्वेयर महोदय ने पिछले 02 वित्तीय वर्ष 2007-2008 एवं 2008-2009 की वृद्धि को देखते हुए 4.31 गुना वृद्धि दर्शायी है। दिनांक 01.04.2009 से दिनांक 28.11.2009 की अवधि के लिए सर्वेयर द्वारा रूपये 13,98,58,217.67/-के विक्रय का आधार लिया है जो बिल्कुल गलत है। सर्वेयर महोदय द्वारा दिनांक 01.04.2009 से दिनांक 31.03.2010 का विक्रयआगणित करना चाहिए था। परिवादी ने परिवाद के पृष्ठ 13 पर वित्तीय वर्ष 2009-2010 की सम्पूर्ण स्टॉक को आगणित करते हुए 4.31 गुना वृद्धि के साथ हानि को रूपये 4,89,42,731.32/- आंकलित किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा क्लोजिंग स्टॉक उपलब्ध बताया गया है जबकि सर्वेयर द्वारा क्लोजिंग स्टॉक 3,25,00,000/- दर्शाया गया है। परिवादी का यह भी कथन है कि परिवादी कम्पनी का आडिट प्रतिवर्ष होता है, जिसको भी सर्वेयर ने आधार नहीं बनाया है। इसके अतिरिक्त इनकम टैक्स रिटर्न को भी सर्वेयर ने नजरअंदाज किया है। परिवादी के अनुसार उसे इस आगजनी में 95,08,931/- की हानि हुई है, जिसकी मांग करते हुए 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज की मांग की गयी है तथा रूपये 5,00,000/- व्यवसाय में हानि तथा मानसिक क्लेश हेतु मांग की है।
- विपक्षी द्वारा अपना वादोत्तर प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह कथन किया गया कि परिवादीगण का विपक्षी के विरूद्ध वाद का कारण उत्पन्न नहीं होता है तथा परिवादी कम्पनी ने बिल्कुल गलत आधार पर वाद का कारण दर्शाया है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से नियुक्त सर्वेक्षक श्री बी0एस0 चावला द्वारा उचित आधारों पर सर्वेयर रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है। सर्वेयर द्वारा परिवादी से पत्र दिनांक 30.11.2009 इसके उपरान्त स्मरण पत्र दिनांकित 04.01.2010, 25.01.2010 तथा 11.02.2010 के माध्यम से विवरण मांगे गये किन्तु परिवादी कम्पनी की ओर से विवरण प्रदान नहीं किये गये। सर्वेयर द्वारा आवश्यक परीक्षण के उपरान्त तथा परिवादी द्वारा प्रस्तुत किय गये दस्तावेजों के आधार पर उनका परिशीलन करते हुए हानि का आंकलन किया गया है, जिसमें अभिलेखों के आधार पर रूपये 15,00,000/- तथा भौतिक निरीक्षण व परिवादी से विचार-विमर्श के उपरान्त रूपये 28,65,544/- की हानि का आंकलन किया गया है। परिवादी एवं विपक्षी के प्राधिकारियों के विचार-विमर्श के उपरान्त रूपये 14,25,000/- की धनराशि का आंकलन किया गया तथा वह परिवादी को उनके बैंक के माध्यम से दिनांक 07.12.2012 को आवश्यक कटौती करते हुए दे दिया गया है। परिवादी का यह परिवाद दुर्भावनापूर्ण है तथा उसने अधिक से अधिक धनराशि प्राप्त करने के उद्देश्य से दिया है। परिवादी के खाते में क्षतिपूर्ति की धनराशि दिनांक 08.12.2012 को जमा कर दी गयी थी किन्तु उसके 02 वर्ष बाद परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अत: परिवाद समय-सीमा से भी बाधित है। वस्तुत: वर्तमान वाद हानि के आंकलन परिमापन और आगणन से संबंध रखती है और इस कारण यह वाद सिविल न्यायालय में पोषणीय है। इस आधार पर परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
- परिवादी की ओर से विद्धान अधिक्ता श्री ओ0पी0 दुवेल एवं विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री नीरज पॉलीवाल को सुना। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया। तत्पश्चात पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
- परिवादी की ओर से सम्पूर्ण परिवाद में सर्वेयर श्री बी0एस0 चावला द्वारा दी गयी रिपोर्ट में कमियां निकाली गयी हैं एवं सर्वेयर पर विभिन्न आक्षेप लगाया गया है कि उनके द्वारा उचित प्रकार से रिपोर्ट तैयार नहीं की गयी है किन्तु स्वयं परिवादी की ओर से हानि का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया गया है, जिसके आधार पर इस पीठ द्वारा निष्कर्ष दिया जा सके कि परिवादी का दिया गया ब्यौरा सही है एवं किस प्रकार सर्वेयर की रिपोर्ट गलत दी गयी है और इसके स्थान पर कितनी धनराशि क्षति की आंकलित होनी चाहिए थी। स्वयं परिवादी की ओर से साक्ष्य सहित क्षति के आंकलन का विवरण प्रदान नहीं किया गया है तथा इसमें शर्त थी कि वास्तव में परिवादी द्वारा क्लेम की गयी क्षति की धनराशि रूपये 95,08,931/- एक सही धनराशि है, जिसे परिवादी को प्रदान किया जाना न्यायपूर्ण एवं युक्ति-युक्त है। दूसरी ओर सर्वेक्षक द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में एक विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें सभी प्रकार के स्टॉक का क्लोजिंग बैलेंस तथा उसके आधार पर कच्चे माल एवं सॉल्वेज सभी का पूर्ण विवरण देते हुए आख्या प्रस्तुत की गयी है। सॉल्वेज की धनराशि स्टॉक के संबध में अत्यंत युक्ति युक्त लगायी गयी है, जिसके खण्डन में परिवादी की ओर से कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि सर्वेयर रिपोर्ट गलत है और परिवादी द्वारा क्लेम की गयी धनराशि रूपये 95,08,931/- सही है।
- सर्वेयर रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि इसके साथ संलग्न तालिका में उक्त का ह्रास को दृष्टिगत करते हुए आंकलन किया गया है, जिसमें अधिकतर स्टॉक आदि का ह्रास भी लगाया गया है। अत: यह रिपोर्ट युक्ति-युक्त एवं उचित प्रतीत होती है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह नहीं दर्शाया गया है कि यह रिपोर्ट किस प्रकार असत्य है।
- सर्वेयर रिपोर्ट के संबंध में अपीलकर्ता/बीमा कम्पनी की ओर से माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय आशीष कुमार जायसवाल प्रति आईसीआईसीआई कम्पनी लिमिटेड प्रकाशित I (2017) CPJ page 529 प्रस्तुत किया गया, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि यदि सर्वेयर रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है और प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्वेयर रिपोर्ट में युक्ति-युक्त एवं उचित कमियॉं नहीं दर्शायी गयी हैं तो सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर आंकलन उचित माना जायेगा क्योंकि सर्वेयर रिपोर्ट ही दुर्घटना के मामले में ऐसा दस्तावेज है, जिस पर निर्भर किया जा सकता है।
- इस संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रति प्रदीप कुमार प्रकाशित IV (2009) CPJ page 46 (S.C.) इस संबंध में दिशा-निर्देशन देता है, जिसमें यह निर्णीत किया गया है कि यद्यपि सर्वेयर रिपोर्ट अंतिम साक्ष्य नहीं है किन्तु यदि सर्वेयर रिपोर्ट में कोई कमियां नहीं दिखायी गयी हैं तो उस सर्वेयर रिपोर्ट को ही क्षति का आधार माना जायेगा।
- इस संबंध में राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय डी0एन0 बडौनी प्रति ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रकाशित I (2012) CPJ page 272 (N.C.) का उल्लेख करना भी उचित होगा, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर रिपोर्ट क्षति के आंकलन के संबंध में दी गयी सर्वोत्तम साक्ष्य है जबकि किसी अन्य साक्ष्य से उसे खण्डित नहीं किया जाये। इसी प्रकार माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रति बीना राघव प्रकाशित III (2015) CPJ PAGE 75 (N.C.) भी उल्लेखनीय है, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर रिपोर्ट को किसी उचित आधार पर ही तिरस्कृत करना चाहिए यदि सर्वेयर रिपोर्ट को अस्वीकार किये जाने का कोई उचित एवं ठोस कारण नहीं दिया गया है तो ऐसा आदेश अपास्त होने योग्य है।
- माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णयों को दृष्टिगत करते हुए यह पीठ इस मत की है कि परिवादी द्वारा सर्वेयर रिपोर्ट को अस्वीकार किये जाने का कोई ठोस व उचित कारण नहीं दिया है एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये आंकलन को पुष्ट करते हुए विस्तृत साक्ष्य नहीं दिया गया है। परिवादी की ओर से अपने चार्टर्ड एकाउटेंट गुप्ता संजय एसोसिएट की एकाउण्टिंग जो वित्तीय वर्ष के बैलेंस शीट पर आधारित है, दिये गये हैं, जो वर्ष 2008, वित्तीय वर्ष 2009, वित्तीय वर्ष 2010 एवं 2011 के हैं, जिनमें लगभग 9,00,000/- के आसपास परिवादी के व्यवसायिक सम्पत्ति दर्शायी गयी है किन्तु मात्र उक्त एकाउण्टिंग परिवादी के परिसर मे आगजनी में होने वाली क्षति का आंकलन करने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि उक्त आंकलन में घटना के दिवसपर स्थित स्टॉक इत्यादि तथा विक्रय इन सब का समावेश होना चाहिए था, जिसके आधार पर क्षति का आंकलन किया जा सकता है किन्तु इस प्रकार का साक्ष्य परिवादी की ओर से नहीं दिया गया है मात्र सर्वेयर की रिपोर्ट पर आपत्तियॉं एवं निन्दा प्रस्तुत की गयी है एवं कमियां दर्शायी गयी है। अत: परिवादी द्वारा दर्शाये गये साक्ष्य पर आधारित करते हुए उनके आंकलन को स्वीकार किया जाना उचित नहीं है। अत: सर्वेयर रिपोर्ट उचित प्रतीत होती है। एवं सर्वेयर रिपोर्ट पर आधारित करते हुए परिवादी को धनराशि दिलाया जाना उचित है।
- सर्वेयर रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि सर्वेयर महोदय ने 02 प्रकार से प्रश्नगत आगजनी में होने वाली क्षति का आंकलन किया है, रिपोर्ट के अंत में प्रस्तर 12 सर्वेयर महोदय ने इस प्रकार लिखा है:-
As Per Balance Sheets, sales, purchase details & records submitted by the Insured the loss worked out to Rs. 15 Lac. As Per physical inspection & discussion loss is assessed as Rs. 28,65,544/- - इस प्रकार सर्वेयर महोदय ने कागजातों के अवलोकन के आधार पर 15 लाख रूपये की क्षति आंकलित की है एवं स्वयं भौतिक निरीक्षण और विचार विमर्श करने के उपरान्त रूपये 28,65,544/-क्षति आंकलित की गयी है यह स्पष्ट नहीं है कि किस प्रकार केवल कागजातों के आधार पर सर्वेयर महोदय 15 लाख की क्षति के नतीजे पर पहुंचे हैं जबकि स्वयं बीमा कम्पनी द्वारा केवल न्यूनतम हानि को क्षति की गयी है जो उचित नहीं है। पीठ के मत में स्वयं सर्वेयर महोदय द्वारा किये गये अपने व्यक्तिगत आंकलन के आधार पर रूपये 28,65,544/- रूपये क्षति परिवादी को दिलाया जाना उचित है तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिया जाता है कि वे अंदर एक माह बीमा की धनराशि रूपये 28,65,544/- परिवादी को प्रदान करे तथा इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करें। इसके अतिरिक्त रूपये 10,000/- वाद व्यय परिवादी को प्रदान करें। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(राजेन्द्र सिंह) निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया। (विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह) संदीप आशु0 कोर्ट नं0 3 | |