(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-419/2008
Smt. Rekha Devi (widow) wife of Late Shiv Kumar Gautam
Versus
Divisional Manager, The New India Assurance Company Limited
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री वी0 पी0 शर्मा के सहायक अधिवक्ता
श्री सत्येन्द्र सिंह
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- श्री वकार हासिम, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :18.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-140/2006, श्रीमती रेखा देवी बनाम डिवीजनल मैनेजर, दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, बहराइच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 17.05.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्ता नहीं है और उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति शिव कुमार गौतम की मृत्यु वाहन दुर्घटना में हुई थी। दुर्घटना किसी अज्ञात वाहन द्वारा की गयी थी, जब वह मोटर साइकिल से जा रहे थे। दुर्घटना के कारण मृत्यु दिनांक 31.12.2005 को प्रात: 9.00 बजे हुई थी। मृतक शिव कुमार गौतम कृषक थे, जिनके नाम 0.441 हेक्टेयर कृषि भूमि थी। परिवादिनी द्वारा किसान पॉलिसी के अंतर्गत 1,00,000/-रू0 बीमा कराया गया था। परिवादिनी इस राशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
- विपक्षी बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवादिनी से विपक्षी को कोई बीमा संबंधित प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ है न ही परिवादिनी से कोई संविदा हुई है, इसलिए परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्ता नहीं है। राज्य सरकार की नीतियों के अनुसार उत्तरदाता प्रतिवादी द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार प्रेषित किये गये दावों का निस्तारण किया जाता है। आगे यह भी उल्लेख किया गया है कि दावा प्रपत्र के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति नहीं भेजी गयी, इसलिए दावा निरस्त किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादिनी की अनुपस्थिति में प्रश्नगत निर्णय/आदेश पारित किया है तथा यह निष्कर्ष दिया है कि बीमा कम्पनी तथा शासन के मध्य उपभोक्ता तथा सेवा प्रदाता का संबंध है। पीडि़त पक्ष का प्रत्यक्ष कोई संबंध बीमा कम्पनी से नहीं है। यह निष्कर्ष पूर्णता अनुचित है। बीमा कम्पनी ने कृषकों के हित के लिए राज्य सरकार से प्रीमियम प्राप्त किया है और कृषकों के लिए बीमा पॉलिसी जारी की है। अत: मृतक कृषक एवं बीमा कम्पनी के प्रति उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता का संबंध मौजूद है क्योंकि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत मृतक कृषक की पत्नी ही हिताधिकारी है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है। प्रकरण प्रतिप्रेषित किया जाना उचित है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-140/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.05.2007 अपास्त जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-140/2006 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर परिवादिनी तथा बीमा कम्पनी के मध्य सेवा प्रदाता एवं सेवा ग्राह्यता का संबंध मानते हुए परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्तारण तीन माह के अंदर करना सुनिश्चित करें।
पक्षकार दिनांक 20.01.2025 को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित हों, जहां पर दोनों पक्षकारों को अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जायेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2