(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-174/2013
मैसर्स रीजेन्सी हॉस्पिटल लि0, ए-2, सर्वोदय नगर, कानपुर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर डा0 अतुल कपूर।
परिवादी
बनाम
1. रिजनल मैनेजर, दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कं0लि0, रिजनल आफिस 15/60 ग्रीन हाऊस, सिविल लाइन्स, कानपुर-208001.
2. डिविजनल मैनेजर, दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कं0लि0, बी-11, 117/118, सर्वोदय नगर, कानपुर-208005.
3. श्री ए.के. चतुर्वेदी, डेवलपमेंट आफिसर, दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कं0लि0, बी-11, 117/118, सर्वोदय नगर, कानपुर-208005.
4. दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कं0लि0, (हेड आफिस) दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स बिल्डिंग, 87 महात्मा गांधी रोड, फोर्ट, मुम्बई-400001.
5. श्री पी.सी. शुक्ला (सर्वेयर) सर्वेयर्स इण्डिया 117/एच-1/125 पाण्डु नगर, कानपुर-208005.
6. श्री बी. कपूर (सर्वेयर) प्रीमियर कंसलटेंसी सर्विसेज 402, मोनार्च बिल्डिंग, न्यू हैदराबाद, लखनऊ-226007.
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री मनीष मेहरोत्रा।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री जे.एन. मिश्रा।
दिनांक: 04.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 43,00,000/-रू0 (तेतालिस लाख रूपये) ट्यूब की कीमत की प्राप्ति के लिए, अंकन 5,00,000/-रू0 (पांच लाख रूपये) बीमा क्लेम अदा करने के लिए कारित देरी के लिए, अंकन 10,64,260/-रू0 (दस लाख चौसठ हजार दो सौ साठ रूपये) 18 प्रतिशत ब्याज की राशि प्राप्त करने के लिए तथा अंकन 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) परिवाद खर्च प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी अस्पताल द्वारा दिनांक 16.10.2009 से दिनांक 15.10.2010 की अवधि के लिए अंकन 3.25 करोड़ रूपये की बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी, जो Tomography Machine के लिए थी, यह मशीन दिनांक 13.8.2010 को खराब हो गई, जिसकी सूचना तुरन्त बीमा कंपनी को दी गई। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर श्री पी.सी. शुक्ला द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया। फिलिप्स इलेक्ट्रानिक्स इण्डिया लिमिटेड द्वारा अपनी एक्सपर्ट ओपिनियन दिनांक 21.3.2011 को प्रस्तुत की गई तथा सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट दिनांक 30.6.2011 को प्राप्त कराई गई, जिनके द्वारा केवल रू0 11,46,236.40 पैसे की हानि का आंकलन किया गया, इसके पश्चात पुन: प्रथम श्रेणी के सर्वेयर श्री बी. कपूर को सुपुर्द किया गया, जिनके द्वारा अंकन 19,35,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 13.12.2011 को अवैध एवं मनमाने रूप से बीमा क्लेम निरस्त कर दिया गया। अत: उपरोक्त विवरण के अनुसार क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ एवं बीमा निरस्तिकरण का आदेश अनेक्जर सं0-1, दिनांक 14.10.2009 का नवीनीकरण पत्र अनेक्जर सं0-2, बीमा पालिसी की प्रति अनेक्जर सं0-3, परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 16.8.2010 की प्रति अनेक्जर सं0-4, दिनांक 24.9.2010 को लिखे गए पत्र की प्रति अनेक्जर सं0-5, अंकन 43,00,000/-रू0 के भुगतान के सबूत की प्रति अनेक्जर सं0-6ए एवं 6बी, अन्य पत्रों की प्रति क्रमश: अनेक्जर सं0-7ए, 7बी एवं 7सी, आर.टी.आई सूचना की प्रति अनेक्जर सं0-8, अनेक्जर सं0-9 के रूप में दस्तावेजों का एक बण्डल तथा फिलिप्स इलेक्ट्रानिक्स इण्डिया लि0 एक्सपर्ट रिपोर्ट की प्रति अनेक्जर सं0-10 के रूप में प्रस्तुत की गई।
4. विपक्षी सं0-1 लगायत 4 की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में परिवाद में वर्णित तथ्यों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि बीमा कंपनी द्वारा क्लेम के निस्तारण में कोई देरी नहीं की गई है, जो क्षतिपूर्ति कारित हुई, वह इलेक्ट्रानिक्स इक्यूपमेंट इंश्योरेंस पालिसी की सुरक्षा से बाहर है तथा यह भी कि मेडिकल साधनों में लगी हुई एक्स-रे ट्यूब की क्षतिपूर्ति की सीमा केवल 30 हजार खुलासा (EXPOSURE) तक है और सर्वेयर द्वारा यह पाया गया कि एक्स-रे ट्यूब खराब होने से पहले 117901 EXPOSURE प्राप्त किए जा चुके थे, जो बीमा क्षतिपूर्ति की सीमा से 3.5 गुना हैं, इसलिए TAC (Tariff Advisory Committee) के परिपत्र दिनांक 13.6.2001 के अनुसार प्रस्तुत केस में ट्यूब खराब होने पर बीमा क्लेम देय नहीं है, क्योंकि ट्यूब का प्रयोग निर्धारित सीमा से अधिक हो चुका है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलबध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
7. पक्षकारों के अभिवचनों तथा विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनने के पश्चात इस परिवाद के विनिश्चय के लिए सर्वप्रथम विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या प्रश्नगत मशीन की ट्यूब केवल 30 हजार EXPOSURE तक के लिए बीमा पालिसी के अंतर्गत सुरक्षा से आच्छादित है ?
8. परिवादी की ओर से इस बिन्दु पर कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया कि बीमा पालिसी के अंतर्गत कितने EXPOSURE प्राप्त करने तक मशीन की ट्यूब बीमा पालिसी से आच्छादित है, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा 30 हजार EXPOSURE की सीमा तक TAC के परिपत्र का उल्लेख अपने लिखित कथन में किया गया है। अत: सशपथ साबित किया गया है कि TAC द्वारा यह परिपत्र जारी किया गया है तथा इस तथ्य पर दृढ़तापूर्वक बल दिया गया कि कम्पयूटर टोमोग्राफी में इंडेमिनिटी केवल 30 हजार EXPOSURE तक है, जबकि सर्वेयर द्वारा एक लाख से अधिक EXPOSURE का कथन किया गया है, इस तर्क का खण्डन परिवादी की ओर से नहीं किया गया है कि प्रश्नगत मशीन की ट्यूब से एक लाख से अधिक EXPOSURE नहीं हुए, उनका केवल यह तर्क है कि बीमा अवधि के दौरान मशीन खराब होने पर क्षतिपूर्ति देय है। EXPOSURE की संख्या का कोई महत्व नहीं है। दिनांक 13.6.2001 के TAC के परिपत्र द्वारा केवल 30 हजार EXPOSURE तक सीमित करने के कारण बीमा कंपनी का उत्तरदायित्व शून्य हो जाता है, क्योंकि प्रस्तुत केस में यह तथ्य स्थापित है कि एक लाख से अधिक EXPOSURE प्रश्नगत मशीन से लिए गए हैं। सर्वेयर रिपोर्ट में इस तथ्य का उल्लेख अंकित है। इसी अवसर पर यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि बीमा कंपनी TAC के परिपत्र को मानने के लिए बाध्य है। किसी भी कम्पयूटर मशीन की ट्यूब इस सामान्य नियम के अपवाद के अंतर्गत आती है। किसी एक सीमा के पश्चात (प्रस्तुत केस में 30 हजार EXPOSURE होने तक) बीमा कंपनी उत्तरदायी नही है। क्लेम निरस्त करने के पत्र में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है तथा अनेक्जर सं0-11 पर मौजूद परिपत्र भी इस स्थिति को स्पष्ट करता है कि 30 हजार EXPOSURE के पश्चात बीमा कंपनी का दायित्व समाप्त हो जाता है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का लिखित एवं मौखिक तर्क केवल इस बिन्दु तक सीमित है कि बीमित मशीन की ट्यूब खराब हुई है, इसलिए बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी है, परन्तु इलेक्ट्रानिक इक्यूपमेंट में बीमा कंपनी के उत्तरदायित्व की सीमा जो TAC द्वारा निर्धारित की गई है, पर कोई तर्क प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: इस बिन्दु को निस्तारित करने के लिए अतिरिक्त विवेचना की आवश्यकता नहीं है। यह बिन्दु परिवादी के विरूद्ध एवं विपक्षी बीमा कंपनी के पक्ष में तय किया जाता है और चूंकि 30 हजार का EXPOSURE होने के पश्चात बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है, इसलिए किसी अन्य बिन्दु को निर्मित करने की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार यह परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
9. प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2