(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2413/2013
(जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-39/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.9.2013 विरूद्ध)
धीरेन्द्र रावत पुत्र विजय कुमार, निवासी 714, शंकरघाट कालोनी, तेलियरगंज कालोनी, शहर व जिला इलाहाबाद।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंपनी लि0, डिविजनल आफिस 18, पी.डी. टण्डन रोड, शहर व जिला इलाहाबाद।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर.के. गुप्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 04.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-39/2007, धीरेन्द्र रावत बनाम दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.9.2013 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने बीमित वाहन की दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वैध डी.एल. न होने के कारण परिवाद को खारिज कर दिया है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार बीमित वाहन संख्या यू.पी. 70 एक्स. 9378 का बीमा दिनांक 3.2.2004 को कराया गया था। बीमा अवधि के दौरान दिनांक 7.8.2004 को ट्रक संख्या एम.एल. 17 सी. 3468 के चालक की लापरवाही के कारण परिवादी के वाहन में टक्कर हो गई और बीमित वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा अंकन 1,38,280/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया। सॉल्वेज परिवादी के पास पड़ा हुआ है।
4. बीमा कंपनी का कथन है कि घटना की तिथि को वाहन को मकबूल अहमद चला रहा था, जिसकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई। चालक के पास घटना के समय एचजीवी वाहन चलाने का लाइसेंस था और लाइसेंस पर एलपीवी चलाने का पृष्ठांकन नहीं था। वाहन चलाते समय चालक वैध लाइसेंसधारी नहीं था। बीमा कंपनी के इस तर्क को सही मानते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय/आदेश को परिवादी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। अपने तर्क के समर्थन में बहस करते समय कहा गया कि मोटर व्हीकिल एक्ट की धारा 10 के अनुसार लाइसेंस टू ड्राइव के जिन तथ्यों का उल्लेख किया गया है, उसी में चालक का डी.एल. भी वैध डी.एल. माना जाना चाहिए। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क विधि से समर्थित है कि मोटर व्हीकिल एक्ट की धारा 10 के अंतर्गत निम्नलिखित प्रकृति के डी.एल. जारी किए जाते हैं :-
(a) Motor Cycle without gear.
(b) Motor Cycle with gear.
(c) Invalid carriage.
(d) Light Motor Vehicle.
6. उपरोक्त व्यवस्था के अनुसार जिस लाइसेंसधारी के पास ट्रांसपोर्ट लाइसेंस होता है, वह ट्रक के साथ पैसेंजर वाहन भी चला सकता है, इसलिए विद्वान जिला आयोग ने डी.एल. के संबंध में जो निष्कर्ष दिया है, वह विधि विरूद्ध है।
7. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि सर्वेयर द्वारा अंकन 1,38,280/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है, परन्तु चूंकि सॉल्वेज परिवादी के पास है। अत: इस क्षति की राशि में से 10 प्रतिशत की कटौती के पश्चात परिवादी अवशेष राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.9.2013 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी अंकन 1,38,280/-रू0 में से 10 प्रतिशत की कटौती के पश्चात अवशेष राशि अंकन 1,24,452/-रू0 बतौर क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ 45 दिन के अन्दर प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3