(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1399/2010
स्टेट बैंक आफ इण्डिया बनाम मुजीब अहमद पुत्र श्री नासिर अहमद तथा एक अन्य
दिनांक : 24.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-221/2009, मुजीब अहमद बनाम स्टेट बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13.7.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री जे.एन. मिश्रा एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री आर.के. मिश्रा तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री सचिन गर्ग को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया गया। 2. विद्वान जिला आयोग ने विपक्षी सं0-1, बैंक को निर्देशित किया है कि वह पालिसी के अंतर्गत देय राशि अंकन 1,00,000/-रू0 परिवादी को अदा करे।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार श्रीमती आयशा बेगम का विपक्षी सं0-1 बैंक में बचत खाता संख्या-11795218262 मौजूद है। दिनांक 14.3.2005 को श्रीमती आयशा बेगम द्वारा बीमा प्रस्ताव दिया गया और श्रीमती आयशा बेगम के बचत खाते से विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रथम प्रीमियम का भुगतान किया गया। दिनांक 20.6.2009 को श्रीमती आयशा बेगम का स्वर्गवास हो गया। परिवादी उनका नामिनी है, इसलिए बीमा क्लेम की मांग की गई, परन्तु बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि पालिसी कालातीत हो चुकी थी। विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी का कथन है कि प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं है। विपक्षी सं0-1, बैंक द्वारा बीमा पालिसी जारी कराना, प्रीमियम की राशि स्व0 आयशा बेगम के बचत खाते से काटकर जमा करना स्वीकार किया गया है। यह भी स्वीकार किया गया है कि मार्च 2008 में प्रीमियम दिया जाना था, परन्तु कार्य की अधिकता के कारण प्रीमियम की राशि विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी को नहीं भेजी जा सकी, इसलिए विपक्षी सं0-1, बैंक को उत्तरदायी ठहराया गया और उसके विरूद्ध उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
3. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील में विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी, बैंक के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बैंक द्वारा दिनांक 13.8.2008 को एक पत्र प्रेषित किया गया था, जिसमें उल्लेख था कि आपकी पालिसी कालातीत हो चुकी है। आप यह पालिसी चालू रखना चाहती है तो बैंक से सम्पर्क करें, परन्तु इस पत्र को प्रेषित करने के संबंध में कोई डाक रसीद बैंक द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई और चूंकि लिखित कथन में समयाभाव के कारण प्रीमियम जमा न करने के तथ्य को स्वीकार किया गया है। अत: इस स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में परिवर्तन का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2