जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री प्रताप सिंह पुत्र श्री मोहन सिंह, गांव- षिखरानी, तहसील-विजयनगर, जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. मैसर्स मुरलीधर छैलबिहारी, बापूबाजार, विजयनगर, जिला-अजमेर जरिए इसके मालिक श्री गोविन्द आजीवाल- 305624
2. आराम प्लास्टिक्स प्राईवेट लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस, जी-232, सीतापुरा इण्डस्ट्रीयल एरिया, टोंक रोड, जयपुर (राज.) 302001
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 253/2014
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थी
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 10.04.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अपनी कृषि भूमि पर सिंचाई व अच्छी फसल उत्पादन के लिए अप्रार्थी संख्या 1 से अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्मित गंगोत्री स्प्रिकलर इरीगेषन सिस्टम(फव्वारा सिस्टम) रू. 21850/- में जरिए बिल क्रमांक 592 के दिनांक 10.11.2012 को क्रय किया । क्रय किए गए फव्वारा सिस्टम का प्ैप् छवण् 14151;च्ंतज प्प्द्ध1999 होना दर्षाया । उपरोक्त फव्वारा सिस्टम को खेतो में उपयोग लेने पर सरकार सब्सिडी प्रदान करती है ताकि कृषक खेतो में अच्छी सिंचाई कर पैदावार बढा सके । उक्त सेट खरीदने के दो माह बाद ही उसके पाईप फटने षुरू हो गए और धीरे धीरे पाईप पूरी तरह से फट गए जिसकी अप्रार्थी संख्या 1 से कई बार व्यक्तिगत रूप से षिकायत की जिस पर अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा यह आष्वासन दिया गया कि फटे हुए पाईप उसके यहां भिजवा दे ताकि उन्हें बदला जा सके । अप्रार्थी संख्या 1 के आष्वासन अनुसार उसने फटे हुए 7 पाईप अप्रार्थी संख्या 1 को लौटा दिए जिस पर अप्रार्थी संख्या 1 ने कहा कि वह फटे हुए पाईप अप्रार्थी संख्या 2 कम्पनी को भिजवा देगा और वहां से जब पाईप लौट कर आएगें तब वह प्रार्थी को उपलब्ध करा देगा । इसी बीच बचे हुए सभी पाईप भी फट गए जिससे प्रार्थी को मजबूरन धोरों से खेत की सिंचाई करनी पड रही है । उसने अजमेर जिला ग्रामीण उपभोक्ता संस्थान में भी षिकायत की जिनके नोटिस के जवाब में अप्रार्थी संख्या 1 ने विक्रय किए गए पाईप आईएसआई मार्का होने से इन्कार कर दिया । प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 के कृत्य को अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद प्रस्तुत कर परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थीगण बावजूद तामिल के अनुपस्थित रहे है । अतः उनके विरूद्व एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । हमने बहस एक पक्षीय सुनी ।
3. जहां तक प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 से परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार पाईप्स खरीदे इस संबंध में प्रार्थी की ओर से अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा जारी बिल की प्रति पेष हुई है । पत्रावली पर अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से जारी प्रमाणपत्र जो अप्रार्थी संख्या 1 के संबंध में जारी हुआ है, के अवलोकन से प्रष्नगत पाईप्स अप्रार्थी संख्या 2 कम्पनी द्वारा निर्मित थे । क्रय किए गए पाईप्स कुछ ही दिनों बाद फटने षुरू हो गए एवं वे फट गए जिनकी षिकायत को लेकर प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया हे । अतः हम पाते है कि प्रार्थी अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है ।
4. अगला प्रष्न निर्णय हेतु यही है कि क्या अप्रार्थी संख्या 1 ने फव्वारा सेट के पाईप जो अप्रार्थी संख्या 2 कम्पनी द्वारा निर्मित थे उन्हें आईएसआई मार्का के होना दर्षाते हुए विक्रय किया जो अल्प अवधि में ही फट गए । अतः प्रार्थी को बेचा गया माल उपयुक्त गुणवत्ता का नहीं था इस तरह से अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के साथ अनुचित व्यापार व्यवहार किया है ?
5. इस संबंध में अधिवक्ता प्रार्थी की बहस सुनी गई जो परिवाद में वर्णित तथ्यों के अनुरूप ही रही । हमने बहस पर गौर किया ।
6. यह सेट दिनांक 10.11.2012 को रू. 21850/- की राषि देते हुए क्रय किए गए । जो प्रमाण पत्र अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा जारी हुआ , में वर्णित अनुसार पाईपस के प्ैप् छवण् 14151;च्ंतज प्प्द्ध1999 है । परिवाद की चरण संख्या 8 व 10 में वर्णित अनुसार 7 पाईप पहले फट गए तथा ष्षेंष पाईप भी बाद में फट गए । 7 पाईप प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 को षिकायत के साथ दिए जिसे अप्रार्थी संख्या 1 ने बदला नहीं है एवं षेष पाईप भी अप्रार्थीगण द्वारा बदले नहीं गए है । अप्रार्थीगण का कोई कथन पत्रावली पर नहीं है । प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
7. उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि प्रार्थी ने अपना परिवाद सिद्व किया है एवं प्रष्नगत पाईप जो अप्रार्थी संख्या 1 से जरिए बिल संख्या 592 के क्रय किए वे उपयुक्त गुणवत्ता के नहीं थे जो अल्पअवधि में ही फट गए और अप्रार्थीगण ने इन पाईप को बदला भी नहीं है । अतः प्रार्थी इन पाईप्स की राषि रू. 21850/- प्राप्त करने का अधिकारी है । प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है एवं प्रार्थी ने ये पाईप्स फव्वारा सिस्टम से सिंचाई करने के प्रयोजन से खरीदे थे । प्रार्थी का प्रयोजन पूरा नहीं हुआ है । अतः प्रार्थी मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी समुचित राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से क्रय किए गए पाईप्स की राषि रू. 21850/- संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 3000/- भी प्राप्त करने का अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से अधिकारी होगा ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 प्रार्थी को संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से इस आदेष से दो माह के अन्दर अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
( (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
9. आदेष दिनांक 10.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष