(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1070/2009
जितेन्द्र सिंह पुत्र श्री दाल सिंह
बनाम
मुरादाबाद डेवलपमेंट अथारिटी
एवं
अपील संख्या-1044/2009
मुरादाबाद डेवलपमेंट अथारिटी
बनाम
जितेन्द्र सिंह पुत्र श्री दाल सिंह
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 07.11.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-92/2006, जितेन्द्र सिंह बनाम मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.5.2009 के विरूद्ध अपील संख्या-1070/2009 स्वंय परिवादी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ौत्तरी के लिए प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या-1044/2009
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प्राधिकरण की ओर से इस निर्णय/आदेश को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गई है। अत: दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-1070/2009 अग्रणी अपील होगी।
2. उपरोक्त दोनों अपीलों में अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने हिमगिरी योजना के अंतर्गत मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से एक भवन दिनांक 22.1.2004 को आवंटित कराया था, जिसकी कीमत अंकन 2,82,000/-रू0 थी, परन्तु बाद में दिनांक 8.2.2005 के पत्र द्वारा अंकन 3,25,600/-रू0 कर दी गई। शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। कब्जा भी परिवादी को दिया जा चुका था, जो जर्जर स्थिति में था। विक्रय पत्र भी निष्पादित हो चुका था, इसके बाद अतिरिक्त धनराशि की मांग करना अनुचित है। यद्यपि यह राशि आपत्ति के साथ जमा भी कर दी गई।
4. प्राधिकरण का कथन है कि अनुमानित कीमत अंकन 2,82,000/-रू0 थी। निर्माण के बाद वास्तविक कीमत अंकन 3,25,600/-रू0 आयी है, इसलिए परिवादी अंतर की राशि अंकन 43,600/-रू0 जमा करने के लिए उत्तरदायी है।
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5. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि मूल्य वृद्धि पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, इसलिए अतिरिक्त राशि वसूल नहीं की जा सकती। तदनुसार अतिरिक्त राशि को वापस करने का आदेश पारित किया गया है।
6. प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि प्रारम्भ में किसी भी भवन की अनुमानित राशि अंकित की जाती है। वास्तविक राशि आंकलन के पश्चात तय की जाती है। यह तर्क विधिसम्मत है। परिवादी को जो भवन आवंटित हुआ है, उसमें वर्णित कीमत अनुमानित है, यह कीमत अंतिम नहीं है। परिवादी ने अनुमानित कीमत को स्वीकार करते हुए इस राशि को जमा किया है तब माना जाएगा कि उसने स्वीकार किया है कि भवन की जो अंतिम राशि सुनिश्चित की जाएगी, वह उस राशि को भी जमा करेगा, जो उसके द्वारा जमा भी कर दी गई। यद्यपि यह राशि आपत्ति के तहत जमा की गई है, परन्तु आपत्ति का कोई महत्व इसलिए नहीं है, क्योंकि प्राधिकरण को यह अधिकार प्राप्त है कि वह भवन निर्मित होने के पश्चात अंतिम मूल्य निर्धारित करे। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया निर्णय तथ्य एवं वैधानिक स्थिति के विपरीत है, जो अपास्त होने और प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1044/2009 स्वीकार होने और परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1070/2009 निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. अपील संख्या-1070/2009 निरस्त की जाती है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
अपील संख्या-1044/2009 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.5.2009 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1070/2009 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित पत्रावली में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3