( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1173/2019
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 व एक अन्य
बनाम्
मुन्नी लाल यादव पुत्र स्व0 श्री राम आधार यादव व एक अन्य
एवं
अपील संख्या-1415/2019
मुन्नी लाल यादव पुत्र स्व0 श्री राम आधार यादव व एक अन्य
बनाम
ब्रांच मैनेजर, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 व एक अन्य
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 25-09-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-232/2015 मुन्नी लाल यादव बनाम दि न्यू इण्डिया इं0कं0लि0 व एक अन्य में जिला आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18-07-2019 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील संख्या-1173/2019 दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 व एक अन्य की ओर से तथा अपील संख्या-1415/2019 परिवादी मुन्नी लाल यादव की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है। चूंकि उपरोक्त दोनों ही अपीलें एक ही निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अलग-अलग परिवादी एवं विपक्षीगण की ओर से योजित की गयी है जिसमें अपील संख्या-1173/2019 बीमा कम्पनी की ओर से जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध योजित की गयी है तथा अपील संख्या-1415/2019 जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में बढ़ोत्तरी हेतु प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है :-
‘’हस्तगत उपभोक्ता परिवाद उपरोक्तानुसार एतद्द्वारा सफल पाया जाता है। परिवादी कन्टेस्टिंग विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से प्रश्नगत वाहन संख्या-यू0पी0-52 ए0टी0 1237 की मरम्मत धनराशि के रूप में मुबलिग 5,10,525/-रू0 पाने का मुस्तहक है।
परिवादी कन्टेस्टिंग विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से शारीरिक, मानसिक क्षति के रूप से मुबलिग 1,000/-रू0 एवं वाद व्यय के रूप में 1,000/-रू0 पाने का मुस्तहक है।
कन्टेस्टिंग विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि उपरोक्त समस्त धनराशि मुबलिग 5,12,525/-रू0 निर्णय पारित होने की तिथि से एक माह के अदर परिवादी उपभोक्ता को अदा करना सुनिश्चित करें। यदि कन्टेस्टिंग विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ऐसा करने में विफल रहती है तो परिवादी उपभोक्ता कन्टेस्टिंग विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से प्रश्नगत कुल धनराशि 5,12,525/-रू0 पर निर्णय की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज भी पाने का मुस्तहक होगा।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी वाहन संख्या-यू0पी0-62 ए0टी0-1737 का पंजीकृत स्वामी है, जिसका बीमा विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्राईवेट कार पैकेज पालिसी के अन्तर्गत कराया गया था जिसकी बीमा अवधि दिनांक 23-05-2014 से 22-05-2015 तक के लिए वैघ एवं प्रभावी थी। परिवादी उक्त वाहन को अपने प्रयोग में लाने के साथ-साथ रिजर्व टूर में भी चलाता था और उक्त वाहन का टूरिस्ट परमिट भी लिया गया था। उक्त वाहन को परिवादी दिनांक 19-05-2015 को अपने लड़के की शादी में लेकर गया था और बारात से वापस आते समय रास्ते में जगदीश मड़ई थाना केराकत में अचानक वाहन का ब्रेक जाम हो जाने के फलस्वरूप वाहन अनियंत्रित होकर तीन बार पलट गया जिससे वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जिसमें परिवादी भी चोटिस हो गया जिस कारण से वह थाने में तुरन्त सूचना नहीं दे सका और संबंधित थाने में सूचना दिनांक 21-05-2015 को दर्ज करायी गयी साथ ही विपक्षीगण को भी लिखित में सूचना दी गयी, जिस पर वाहन का प्रारम्भिक सर्वें कराया गया और सर्वेयर द्वारा मांगे गये समस्त प्रपत्रों को
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परिवादी द्वारा उपलब्ध कराया दिया गया और परिवादी को वाहन की मरम्मत में 6,80,700/-रू0 खर्च करने पड़े जिसे बीमा क्म्पनी द्वारा दिये जाने का आश्वासन दिया गया, किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को क्लेम की धनराशि अदा नहीं की गयी और गलत आधारों पर बीमा दावा निरस्त कर दिया गया। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के सम्मुख योजित किया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जबावदेही प्रस्तुत करते हुए परिवाद के अधिकांश कथनों को अस्वीकार किया गया और कथन किया गया कि जैसे ही परिवादी द्वारा दुर्घटना की सूचना दी गयी थी वाहन का सर्वे कराया गया और प्रपत्रों की मांग परिवादी से की गयी और प्रपत्रों की जॉंच करायी गयी और यह पाया गया कि कथित दुर्घटना के समय परिवादी स्वयं वाहन चला रहा था जिसके पास वैध एवं प्रभावी लाईसेंस नहीं था और वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में परिवादी करता पाया गया अत: परिवादी का दावा बीमा पालिसी की शर्तों के आधार पर नो-क्लेम किया गया है, उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा विपक्षी संख्या-1 की सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
अपील की सुनवाई के समय बीमा कम्पनी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री नीरज पालीवाल उपस्थित आए जब कि परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता सर्वश्री अशोक मेहरोत्रा एवं श्री अनूप कुमार मिश्रा उपस्थित आए।
बीमा कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार किये बिना विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है तदनुसार अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
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परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें बढ़ोत्तरी की जावे।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, तदनुसार बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या-1173/2019 निरस्त की जाती है साथ ही अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गयी अपील संख्या-1415/2019 में बढ़ोत्तरी हेतु कोई आधार नहीं पाया जाता है और परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या-1415/2019 भी निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त दोनों अपीलें बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या-1173/2019 निरस्त की जाती है साथ ही अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गयी अपील संख्या-1415/2019 भी निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में सुनिश्चित किया जावेगा।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
इस निर्णय की एक प्रति संबंधित अपील संख्या-1415/2019 में सुरिक्षत रखी जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1