राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-401/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 101/2015 में पारित आदेश दिनांक 28.03.2016 के विरूद्ध)
नरसिंह पाल सिंह पुत्र श्री विजय पाल सिंह,
निवासी-ग्रा0 मईनाथ, डा0 मुकन्दपुर, तहसील कोल,
जिला अलीगढ़, हाल पता-आर0के0पुरम आगरा रोड,
अलीगढ़। .................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
मुन्नी लाल आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0,
ग्रा0 सहारनपुर, मथुरा रोड, तहसील कोल,
जिला-अलीगढ़ द्वारा प्रबन्ध निदेशक/मालिक
.................प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 25.04.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-101/2015 नरसिंह पाल सिंह बनाम मुन्नीलाल आईस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28.03.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से
-2-
एकपक्षीय रूप स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को आलू की कीमत 1,66,400/-रू0 का भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 10,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 का भुगतान करें। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे।''
जिला फोरम द्वारा प्रदान किए गए उपरोक्त अनुतोष से परिवाद के परिवादी नरसिंह पाल सिंह सन्तुष्ट नहीं हैं। अत: उन्होंने आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत कर जिला फोरम द्वारा दी गयी धनराशि में बढ़ोत्तरी करने का निवेदन किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि
अपीलार्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रत्यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपना कुल 427 पैकेट आलू प्रत्यर्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया था और जब दिनांक 08.06.2015 को अपना आलू लेने प्रत्यर्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज पर गया तो उसे पता चला कि सारा आलू खराब हो गया है और सड़ गया है। जब उसका आलू निकाला गया तो 219 पैकेटों में से मात्र 96 पैकेट आलू आधा साफ निकला और इन 96 पैकेटों में भी आलू आधा दागी था। अत: इन 96 पैकेट आलू में से मात्र 82 पैकेट आलू 245/-रू0 प्रति पैकेट की दर से दिनांक 18.06.2015 को बाजार में बेचा। शेष 14 पैकेट आलू 70/-रू0 प्रति पैकेट की दर से कोल्ड स्टोरेज प्रबन्धक ने मुकेश सक्सेना को बेच दिया।
-3-
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसने पिछले वर्ष में आलू 1600/-रू0 प्रति पैकेट की दर से खरीदकर बोया था और उसी फाउण्डेशन बीज से उपरोक्त आलू उत्पादित कर कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया था। भण्डारित आलू खराब होने से उसे 800/-रू0 प्रति पैकेट की दर से दूसरा आलू खरीदना पड़ा है। इस प्रकार उसका 427 पैकेट आलू खराब होने से 3,41,600/-रू0 की आर्थिक क्षति हुई है, जिसकी अदायगी हेतु प्रत्यर्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज उत्तरदायी है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसने प्रत्यर्थी/विपक्षी को क्षतिपूर्ति हेतु नोटिस भेजा, परन्तु उसने कोई जवाब नहीं दिया और न क्षतिपूर्ति का भुगतान किया। अत: अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए प्रत्यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो आलू की कीमत 1,66,400/-रू0 दिलाया है वह कम है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि आलू की क्षतिपूर्ति की धनराशि पर कोई ब्याज जिला फोरम ने नहीं दिया है। अत: जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते हुए अपीलार्थी/परिवादी को याचित अनुतोष और ब्याज प्रदान किया जाए।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के निर्णय के विरूद्ध कोई अपील प्रस्तुत नहीं की गयी है और वर्तमान अपील के विरोध हेतु प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
-4-
जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह माना है कि कोल्ड स्टोरेज में अपीलार्थी/परिवादी ने 427 पैकेट आलू रखा है, जिसमें से उसे 219 पैकेट आलू मिले। शेष 208 पैकेट आलू उसे नहीं मिले हैं। अत: जिला फोरम ने 208 पैकेट आलू का मूल्य 800/-रू0 प्रति पैकेट की दर से 1,66,400/-रू0 निर्धारित किया है और यही धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है। परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में 427 पैकेट आलू भण्डारित किए थे। परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी ने 219 पैकेट आलू कोल्ड स्टोरेज से निकालने पर 96 पैकेट में आलू साफ निकलना बताया है। शेष आलू खराब होना बताया है। इसके साथ ही उसने कहा है कि 96 पैकेट आलू में भी आधे आलू साफ निकले और आधे दागी थे। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में अपने कुल 427 पैकेट आलू के खराब होने का उल्लेख किया है।
परिवाद पत्र के कथन और अपीलार्थी/परिवादी के शपथ पत्र से अपीलार्थी/परिवादी द्वारा 427 पैकेट आलू प्रत्यर्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया जाना और उसमें से 331 पैकेट आलू खराब होना जाहिर होता है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने जो 208 पैकेट आलू हेतु क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान की है वह उचित नहीं है। वास्तव में अपीलार्थी/परिवादी 331 पैकेट आलू की क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है।
जिला फोरम ने 800/-रू0 प्रति पैकेट आलू का मूल्य अपीलार्थी/परिवादी के कथन के आधार पर निर्धारित किया है, परन्तु यह मूल्य मण्डी समिति या बाजार भाव के अभिलेख से प्रमाणित नहीं है। वर्ष 2015 में 800/-रू0 प्रति पैकेट अर्थात् 1600/-रू0 प्रति कुन्टल आलू का भाव अधिक दिखता है। मेरी राय में आलू का मूल्य 1300/-रू0 प्रति कुन्टल निर्धारित किया जाना उचित है। एक पैकेट में सामान्यतया 50 किलो आलू होता है। अत: 331 पैकेट में 165.5 कुन्टल आलू होगा, जिसका मूल्य 2,15,150/-रू0 निर्धारित
-5-
किया जाना उचित है। अत: आलू की क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षी से 2,15,150/-रू0 की धनराशि दिलाया जाना उचित है। इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अपीलार्थी/परिवादी को दिया जाना उचित है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से कोई अपील प्रस्तुत नहीं की गयी है। अत: जिला फोरम ने जो मानसिक व शारीरिक कष्ट और वाद व्यय हेतु धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान किया है, उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए प्रत्यर्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को 2,15,150/-रू0 (दो लाख पन्द्रह हजार एक सौ पचास रूपए मात्र) आलू का मूल्य परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अदा करे। इसके साथ ही वह अपीलार्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु प्रदान की गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि 10,000/-रू0 तथा वाद व्यय की धनराशि 2500/-रू0 भी अदा करेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1