Uttar Pradesh

StateCommission

A/2718/2016

Indian Oil Corporation Ltd - Complainant(s)

Versus

Munna Yadav - Opp.Party(s)

Avanish Kumar Singh

09 Aug 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2718/2016
( Date of Filing : 02 Nov 2016 )
(Arisen out of Order Dated 29/01/2015 in Case No. C/43/2015 of District Deoria)
 
1. Indian Oil Corporation Ltd
Marketing DivisiionThrough General Manager U.P. State Office 1 Indian O il Bhawan T.C. -39 B Vibhuti Khand Gomti Nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Munna Yadav
S/O Sri jhuree Yadav Vill. Dhatura Usra Post Kaunteya Nagar Distt. Deoria
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Aug 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2718/2016

(जिला फोरम, देवरिया द्धारा परिवाद सं0-43/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.4.2016 के विरूद्ध)

1-    Indian Oil Corporation Limited, Marketing Division through General Manager, U.P. State Office-1 Indian Oil Bhawan, T.C.-39 B, Vibhuti Khand, Gomti Nagar, Lucknow.

2-    Indian Oil Corporation Limited, Baitalpur, Deoria through Depot Manager, Baitalpur, Deoria.

 

                                    ........... Appellants/ Opp. Party No. 3 & 4

Versus    

1- Munna Yadav, S/o Jhuree Yadav, R/o Village Dhatura Usra, Post Kaunteya Nagar, District Deoria.

       …….. Respondent/ Complainant

2- Suraksha Kawach Allied and Security Services B-30, Vishwas Market, Vishwas Khand-3, Gomti Nagar, Lucknow through Manager.

3- Gorakhpur Intelligence Security, Shanti Complex, 34, Kasya Road, Chhatra Sangh Chauraha, Gorakhpur through Manager.

       …….. Respondents/ Opp. Party No. 1 & 2.

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य             

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      :- श्री अवनीश कुमार सिंह

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता   :- कोई नहीं।

दिनांक :-25-11-2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-43/2015 मुन्‍ना यादव बनाम सुरक्षा कवच एलायड एण्‍ड सैक्‍योरिटी सर्विसेज व तीन अन्‍य में जिला आयोग, देवरिया द्वारा

-2-

पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04.4.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

“विपक्षीगण संयुक्‍त रूप से तथा एकल रूप से परिवादी के वेतन से ई0पी0एफ0 के मद में काटी गई राशि मय अनुमन्‍य ब्‍याज सहित देय तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित एवं 2000.00 रू0 वाद व्‍यय के साथ निर्णय की तिथि से 02 माह के अन्‍तर्गत प्रदान करें। असफल रहने पर कुल भुगतान होने तक काटी गई राशि पर ब्‍याज सहित देय राशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज देय होगा।”

जिला आयोग के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण सं0-3 और 4 क्रमश: इण्डियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, मार्केटिंग डिवीजनल द्वारा महाप्रबन्‍धक और इण्डियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, बैतालपुर देवरिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अवनीश कुमार सिंह उपस्थित आये है। प्रत्‍यर्थीगण पर नोटिस का तामीला आदेश दिनांक 06.02.2017 के द्वारा पर्याप्‍त माना गया है, फिर भी प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

 

-3-

अत: अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर अपील का निस्‍तारण किया जा रहा है।

हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थीगण एवं प्रत्‍यर्थीगण सं0-2 और 3 के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी सं0-1, जो परिवाद में परिवादी है, 21 अन्‍य व्‍यक्तिण्‍यों के साथ अपीलार्थीगण के यहॉ सुरक्षाकर्मी के रूप नियुक्‍त है। अपीलार्थीगण के अनुसार उन्‍होंने दिनांक 01.7.2009 से 31.7.2012 तक की उनके प्रोविडेण्‍ट फण्‍ड की धनराशि प्रत्‍यर्थी सं0-2 के यहॉ प्रत्‍यर्थी सं0-3 के माध्‍यम से भेजा है। परन्‍तु सम्‍बन्धित अधिकारी को प्राप्‍त नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी सं0-3 ने दिनांक 01.7.2011 से 31.7.2012 तक की अवधि की प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके सहकर्मियों के प्रोविडेण्‍ट फण्‍ड की धनराशि जमा नहीं की है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके सहकमियों द्वारा कई बार मौखिक निवेदन करने के बावजूद भी उनके प्रोविडेण्‍ट फण्‍ड की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

 

-4-

1- यह कि प्रतिवादीगण को निर्देशित किया जावे कि वे वादी एवं उसके समूह में कार्यरत सुरक्षाकर्मी जिनका विवरण वाद पत्र के पैरा-1 में दिया गया है, के पी0एफ0 10 लाख रूपये का भुगतान मय ब्‍याज सहित कर देवें।

2- यह कि वादी को प्रतिवादी से आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक क्षति के रूप में क्षतिपूर्ति 01 लाख रूपये दिला दिया जावें।

3- यह कि वादी को प्रतिवादीगण से इस वाद का वाद व्‍यय भी दिला दिया जावें।

    जिला आयोग के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि जिला आयोग के समक्ष परिवाद के विपक्षीगण ने उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: जिला आयोग ने परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय रूप से करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।

    अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। परिवाद में कथित विवाद उपभोक्‍ता विवाद नहीं है। अत: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश अधिकाररहित है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि Employee Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के

-5-

अन्‍तर्गत प्रोविडेण्‍ट फण्‍ड की धनराशि की वसूली का प्राविधान है जिसके अनुसार कार्यवाही करने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उनके सहकर्मी स्‍वतंत्र हैं।

    हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

    परिवाद पत्र के कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके अन्‍य सहकर्मियों की सेवा प्रत्‍यर्थीगण सं0-2 व 3 ने सुरक्षाकर्मी के रूप में अपीलार्थीगण को उपलब्‍ध करायी है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके अन्‍य सहकर्मी अपीलार्थी के यहॉ सुरक्षाकर्मी के रूप में कार्यरत हैं। परिवाद पत्र के कथन के आधार पर कदापि प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके अन्‍य सहकर्मी अपीलार्थीगण अथवा प्रत्‍यर्थीगण सं0-2 व 3 के धारा-2 (1) (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में परिभाषित उपभोक्‍ता नहीं है। अत: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी अथवा उसके अन्‍य सहकर्मी प्रश्‍नगत जी0पी0एफ0 की धनराशि की वसूली हेतु कार्यवाही Employee Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के प्राविधान के अनुसार सक्षम अधिकारी या ट्रिब्‍यूनल के समक्ष कर सकते हैं।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस मत के हैं कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता विवाद नहीं है। अत: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,

-6-

1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है और जिला आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकाररहित एवं विधि विरूद्ध है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस छूट के साथ निरस्‍त किया जाता है कि वह Employee Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के प्राविधान के अनुसार सक्षम अधिकारी या अधिकरण के समक्ष कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र है।    

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।

 

 

    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)          (गोवर्धन यादव)             

            अध्‍यक्ष                        सदस्‍य                

 

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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