/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर (छ0ग0)/
प्रकरण क्रमांक:- सी.सी./2010/06
प्रस्तुति दिनांक:- 07/05/2010
नवनीत मिश्रा उम्र 30 साल वल्द अमृतलाल मिश्रा
बरपाली चैक डागा काॅलोनी चांपा तह. चांपा
जिला जांजगीर-चांपा ............आवेदक/परिवादी
(विरूद्ध)
1 मंडल प्रबंधक महोदय
द.पू.म. रेल्वे मंडल कार्यालय बिलासपुर
जिला बिलासपुर छ.ग.
2. मंडल प्रबंधक महोदय
झांसी मंडल उ.म. रेल्वे जोन झांसी
जिला झांसी उ.प्र.
3. श्रीमान् स्टेशन अधीक्षक महोदय
रेल्वे जंक्शन चांपा द.पू.म. रेल्वे चांपा
तह. चांपा, जिला जांजगीर चांपा छ0ग ........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
(आज दिनांक 05/03/2015 को पारित)
1. आवेदक नवनीत मिश्रा ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक रेल्वे मंडल के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और उनसे रेल्वे यात्रा के दौरान चोरी गए सामानों की कीमत 65,500/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 22.02.2010 को द.पू.म.रेल्वे की ट्रेन क्रमांक 8477 के कोच क्रमांक ै6 के बर्थ नं. 7 व 8 पर अपनी पत्नि के साथ चांपा जंक्शन से ग्वालियर जाने के लिए यात्रा प्रारंभ किया । यात्रा के दौरान रात के समय सागर एवं खुरई के बीच कोई चोर उनके ट्राली बैग को चोरी कर ले गया। आवेदक द्वारा इसकी जानकारी तत्काल ज्ञात होने पर बर्थ कण्डक्टर को दी गई। साथ ही ग्वालियर जी.आर.पी. में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। यह कहा गया है कि यात्रा के दौरान उनके कोच में कंडक्टर एवं जी.आर.पी. की सेवा उपलब्ध नहीं थी, जिसके कारण ही कोच के खुले दरवाजे का लाभ उठाते हुए कोई चोरी उनके ट्राली बैग को चोरी कर ले गया, जिसमें एक सोने की चैन, कान के टाॅप्स और बाली, चांदी के पायल, साड़ी, सलवार सूट तथा कैमरा कुल कीमत 65,500/-रू. रखा हुआ था। इस संबंध में आवेदक द्वारा अनावेदक द.पू.म.रेल्वे को नोटिस भेजा गया जिनके द्वारा कार्यवाही का आश्वासन तो दिया गया, किंतु कोई क्षतिपूर्ति प्रदान नहीं की गई, अतः आवेदक ने रेल्वे की इस सेवा में कमी के लिए यह परिवाद पेश करते हुए उनसे वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है।
3. अनावेदकगण की ओर से जवाब पेश कर समान रूप से परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदक अतिरिक्त शुल्क भुगतान कर अपने सामान बुक नहीं कराया था और न ही वेरीफिकेशन कराया था । यह भी कहा गया कि आवेदक अपने सामानों की सुरक्षा के लिए सीट के नीचे लगे लोहे के कड़े का उपयोग भी नहीं किया, जबकि यह उसकी जिम्मेदारी थी। आगे उनके द्वारा इस बात से इंकार किया गया कि उक्त कोच में जी.आर.पी. की ड्यूटी नहीं लगी थी और कंडक्टर द्वारा कोच का दरवाजा बंद नहीं किया गया था। आगे उन्होंने स्वयं आवेदक की लापरवाही से चोरी की घटना घटित होना और मिथ्या आधारों पर यह परिवाद पेश करना बताया तथा परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया।
4. उभय पक्ष का तर्क श्रवण करते हुए उनके द्वारा पेश साक्ष्य एवं शपथ पत्र के आधार पर इस फोरम द्वारा दिनांक 22.03.2014 को आदेश पारित कर आवेदक का परिवाद इस आधार पर निरस्त किया गया कि चोरी गए सामान के मूल्य और क्षतिपूर्ति के संबंध में निराकरण के लिए अधिकारिता इस फोरम को नहीं, बल्कि रेल्वे दावा अधिकरण को है, जिसके विरूद्ध अपील में माननीय राज्य आयोग द्वारा यह अवधारित करते हुए कि आवेदक के परिवाद पर इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है, पारित आलोच्य आदेश को अपास्त कर प्रकरण पुनः गुण-दोष के आधार पर निराकरण हेतु दिनांक 10.10.2014 प्रतिप्रेषित किया गया, फलस्वरूप उभय पक्ष का पुनः तर्क सुना गया। प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
सकारण निष्कर्ष
6. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदक दिनांक 22.02.2010 को द.पू.म.रेल्वे की टेªन क्रमांक 8477 में अपनी पत्नि के साथ कोच क्रमांक ै6 के बर्थ क्रमांक 7 व 8 पर ग्वालियर जाने के लिए यात्रा कर रहा था । इसके अलावा यह भी विवादित नहीं कि यात्रा के दौरान दिनांक 22.एवं 23.02.2010 की दरम्यानी रात ट्रेन की कोच से आवेदक का ट्राली बैग चोरी चला गया।
7. आवेदक का कथन है कि घटना दिनांक की रात उनके कोच में न तो कंडक्टर उपलब्ध था और न ही जी.आर.पी. की सेवा प्रदान की गई थी, जिसके कारण रास्ते में सागर से खुरई के मध्य कोच का दरवाजा खुला होने से उसका लाभ उठाते हुए कोई चोर उनकी ट्राली बैग चोरी कर ले गया और इस प्रकार उसने अनावेदक रेल्वे की सेवा में कमी तथा लापरवाही को प्रदर्शित किया है ।
8. इसके विपरीत अनावेदक रेल्वे की ओर से इस बात को इंकार किया गया है कि घटना दिनांक की रात संबंधित कोच में जी.आर.पी. की ड्यूटी नहीं थी और न ही वहाॅं कंडक्टर उपलब्ध था, किंतु अनावेदक रेल्वे अपने इस कथन को प्रमाणित करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य अभिलेख में दाखिल नहीं किया है। फलस्वरूप इस संबंध में आवेदक का यह कथन सही प्रतीत होता है जिसका कहाना है कि घटना दिनांक की रात उनके कोच में न तो कंडक्टर उपलब्ध था और न ही जी.आर.पी. की ड्यूटी लगी थी अन्यथा कोई कारण नहीं था कि यदि संबंधित कोच में कंडक्टर मौजूद होता और जी.आर.पी. की ड्यूटी लगी होती तो रात में किसी चोर को उक्त कोच में दाखिल होने का मौका मिला होता और आवेदक की बैग चोरी हुई होती।
9. अनावेदक रेल्वे का यह भी कथन है कि आवेदक अतिरिक्त शुल्क भुगतान कर अपने सामान बुक नहीं कराया था और न ही सामान का वेरीफिकेशन कराया था । इस आधार पर अनावेदक रेल्वे अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया है, जबकि यह सुनिश्चित स्थिति है कि सामान्य व्यवहार में रेल्वे यात्रा के दौरान कोई भी व्यक्ति छोटे-मोटे सामानों का न तो बीमा कराता और न ही वेरीफिकेशन कराता । अतः इस आधार पर अनावेदक रेल्वे अपनी जिम्मेदारी से इंकार करने को सक्षम नहीं।
10. आवेदक के अनुसार उसके चोरी गए ट्राली बैग में साड़ी, सलवारसूट कीमत 10,000/-रू. के अलावा एक सोने की चैन, एक कान का टाप्स व बाली, एक जोड़ी पायल, एक कैमरा कुल बैग को मिलाकर 65,500/-रू. का सामान था, आवेदक के उपरोक्त सामानों की चोरी की पुष्टि उसके द्वारा बिना किसी अयुक्तियुक्त विलंब के दिनांक 23.02.2010 को थाना जी.आर.पी. ग्वालियर में दर्ज करायी गयी रिपोर्ट से भी होती है। यद्यपि उसमें आवेदक अपने सामानों की कीमत लगभग 50,000/-रू. होना प्रकट किया है ।
11. अनावेदक रेल्वे द्वारा आरक्षित कोच में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं करना विशेषकर रात्रि के समय, परिणास्वरूप यात्री के सामानों की चोरी होना स्पष्ट रूप से अनावेदक रेल्वे की यात्रीगण को प्रदान की जाने वाली सेवा में कमी को जाहिर करता है।
12. यद्यपि मामले में इस संबंध में स्पष्ट साक्ष्य का अभाव है कि वास्तव में बैग चोरी से आवेदक को कितना नुकसान हुआ, तथापि उसके द्वारा थाना जी.आर.पी. ग्वालियर में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाना उचित प्रतीत होता है कि उसे अपने ट्राली बैग की चोरी से लगभग 50,000/-रू. का नुकसान हुआ था, जिसकी भरपाई के लिए अनावेदक रेल्वे जिम्मेदार है। अतः हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक रेल्वे के विरूद्ध यह आदेश पारित करते हैं कि:-
अ. अनावेदक रेल्वे, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह के भीतर उसके चोरी गए सामान के एवज में 50,000/-रू. (पचास हजार रूपये) की राशि प्रदान करेंगे।
ब. अनावेदक रेल्वे, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू. (पाच हजार रूपये) की राशि भी अदा करेंगे।
स. अनावेदक रेल्वे, आवेदक को वाद-व्यय के रूप में 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) की राशि भी अदा करेंगे।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) ( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
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