जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 82/2015
भंवरलाल पुत्र श्री नारायणराम, जाति-जाट, निवासी-आकला, तहसील-खींवसर, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. मिस्त्री मूलाराम, श्री चामुण्डा इंजीनियर वक्र्स, फोर्ट के पास, जोधपुर रोड, खींवसर, जिला-नागौर। मोबा. 9928336461
- अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. परिवादी स्वयं उपस्थित।
2. श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
निर्णय दिनांक 26.05.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी की माता के नाम कृशि विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 2135-0109 है, जहां परिवादी ट्यूबवेल से सिंचाई कर खेती करता है। परिवादी की उक्त ट्यूबवेल पर लगा पम्प, केबल एवं स्टार्टर सेट काफी पुराना होने से बार-बार खराब हो रहा था। जिस पर उसने मिस्त्री मूलाराम से सम्पर्क कर दिनांक 10.10.2013 को परिवादी का पुराना सेट आधी कीमत में मूलाराम द्वारा वादा करने पर उसने मूलाराम से पम्प मोटर 50 एच.पी., केबल यूनिस्टार 400 मीटर व स्टार्टर बोर्ड ज्योति का लिया, जिन पर कम्पनी का कोई लेबल नहीं होने पर परिवादी ने गांरटी कार्ड व बिल मांगा तो मूलाराम ने बताया कि दो-चार दिन बाद आपको बिल व गारंटी कार्ड दे दूंगा। यह भी बताया गया है कि मूलाराम ने अपनी डायरी से पर्ची नम्बर 44 काटकर मोटर पम्प, केबल एवं स्टार्टर बोर्ड की कीमत 1,75,000/- की पर्ची दी, जिस पर परिवादी ने 1,70,000/- मूलाराम को दिये तथा 5,000/- बाकी रखवाये। परिवादी ने आगे बताया है कि दिनांक 25.11.2013 को मोटर खराब होने पर मूलाराम को दिखाया तो उसने मोटर खोलकर जली होना बताया तथा उसकी रिपेयरिंग करके दिनांक 25.11.2013 को 7,000/- रूपये की पर्ची दी गई लेकिन अगले दिन फिर मोटर में गडबडी हो गई तो परिवादी ने मिस्त्री मूलाराम के पास जाकर कहा कि एक साल की गारंटी दी है लेकिन यह बार-बार खराब क्यों होती है तब मिस्त्री ने बताया कि मोटर जलने की गारंटी नहीं है। परिवादी ने बताया कि जब उसने दुबारा बिल व गारंटी कार्ड मांगा तो मिस्त्री मूलाराम ने मोटर को रखवा लिया एवं कहा कि एक दो दिन में रूपये ले जाना, लेकिन रूपये या मोटर नहीं देने पर परिवादी को नई मोटर सेट लेना पडा तथा कई चक्कर लगाने पर मूलाराम ने 40,000/- रूपये नकद दिये व एक पर्ची दिनांक 07.04.2014 को एक पर्ची अपनी मर्जी से गलत हिसाब कर दे दी। यह भी बताया गया है कि दिये गये सामान की कीमत बाजार भाव से ज्यादा लगाई तथा सामान बगैर बिल व गारंटी कार्ड के दिया। जिससे परिवादी को नुकसान हुआ। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोश दिलाया जावे।
2. अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत कर स्वयं द्वारा मिस्त्री होकर रिपेयरिंग का काम करना, दिनांक 10.10.2013 को परिवादी को एक पम्प मोटर 52 एच.पी, केबल यूनिस्टार 400 मीटर व स्टार्टर बोर्ड आदि 1,75,000/- रूपये में देना स्वीकार करते हुए अन्य तथ्यों को गलत बताया है एवं कथन किया है कि दिये गये सामान पर किसी प्रकार की गांरटी या वारंटी देना तय नहीं हुआ था तथा जो सामान परिवादी ने खरीदा था उसका बिल उसे उपलब्ध करा दिया गया था एवं हिसाब का भी अंकन किया था। अप्रार्थी ने यही बताया है कि दिनांक 25.11.2013 को परिवादी ने एक मोटर रिपेयरिंग हेतु दी थी जिसकी रिपेयरिंग कर मजदूरी व सामान का बिल 8,500/- रूपये दिया, जिस पर परिवादी ने 1,500/- रूपये नकद अदा कर 7,000/- रूपये उधार रखे एवं मोटर लेकर चला गया तथा बकाया राषि अदा नहीं की। अप्रार्थी ने यह भी बताया है कि दिनांक 07.07.2014 को परिवादी ने 50 एच.पी. का एक सेकिण्ड हेण्ड सेट अप्रार्थी को 61,000/- रूपये में विक्रय किया, जिसकी कीमत के 40,000/- रूपये रोकड अदा कर बाकी राषि पूर्व में परिवादी द्वारा करवाये गये काम की समायोजित की गई। यह भी बताया गया कि बाद में दिनांक 05.09.2014 को भी परिवादी ने काम करवाया, जिसके 4,880/- रूपये परिवादी ने बकाया रखे एवं फिर दिनांक 16.09.2014 को भी 5,020/- रूपये का काम करवाया। इस प्रकार 9,900/- रूपये अप्रार्थी के परिवादी के बकाया चल रहे, जिस मांग करने पर भी अदा नहीं किया गया बल्कि अदायगी से बचने के लिए यह गलत परिवाद प्रस्तुत किया गया है जो खारिज किया जावे।
3. दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये।
4. बहस अंतिम सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। पक्षकारान में यह स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थी मूलाराम मिस्त्री का काम करता है, जिससे परिवादी ने समय-समय पर अपने पम्प सेट व अन्य सामान की रिपेयरिंग करवाने के साथ ही दिनांक 10.10.2013 को एक पम्प मोटर 50 एच.पी., केबल यूनिस्टार 400 मीटर व स्टार्टर बोर्ड क्रय किया था। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि पक्षकारान का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आता है। परिवादी की ओर से परिवाद के साथ ही पक्षकारान में हुए लेनदेन बाबत् रसीदें/बिल की फोटो प्रतियां क्रमषः प्रदर्ष 1 से 3 पेष करने के साथ ही बाद में दिनांक 28.11.2013 को खत्री इंजिनियर्स के वहां से खरीदे गये पम्प सेट का बिल प्रदर्ष 4 पेष किया है। इसी प्रकार अप्रार्थी ने भी परिवादी द्वारा दिनांक 05.09.2014 व 16.09.2014 को करवाये गये रिपेयरिंग कार्य के बिल प्रदर्ष ए 1 व ए 2 की फोटो प्रति पेष की है। परिवादी की यह आपति रही है कि अप्रार्थी ने दिनांक 10.10.2013 को जो सामान परिवादी को विक्रय किया था, उसका कोई बिल व गांरटी कार्ड नहीं दिया। जबकि अप्रार्थी द्वारा इस सम्बन्ध में परिवादी को बिल उपलब्ध करवाना बताया है, साथ ही यह भी कथन किया है कि इस सम्बन्ध के मध्य जो हिसाब था उसका भी अंकन किया गया था। यह स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थी अधिकृत विक्रेता न होकर मात्र मिस्त्री रहा है तथा स्वयं परिवादी द्वारा ही प्रस्तुत प्रलेख प्रदर्ष 1 के अनुसार दिनांक 10.10.2013 को परिवादी द्वारा खरीदे गये सामान का हिसाब अप्रार्थी ने लिखकर दिया था। इस प्रलेख प्रदर्ष 1 के अनुसार परिवादी ने खरीदे गये सामान की कीमत में से 1,70,000/- अप्रार्थी को अदा किये थे जबकि 5,000/- बकाया रहे थे। परिवादी द्वारा यह बताया गया कि दिनांक 25.11.2013 को मोटर खराब होने पर मूलाराम से मरम्मत करवाई थी, इस तथ्य को अप्रार्थी मूलाराम ने भी स्वीकार किया है तथा इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा ही प्रस्तुत प्रलेख प्रदर्ष 2 अनुसार दिनांक 25.11.2013 को मरम्मत करवाये गये कार्य की मजदूरी 8,500/- रूपये थी, जिसमें से 1,500/- रूपये परिवादी ने नकद अदा किये एवं 7,000/- रूपये बकाया रहे थे। परिवादी द्वारा यह बताया गया है कि दिनांक 07.04.2014 को अप्रार्थी ने मोटर के बदले 40,000/- नकद देकर अपनी मर्जी से गलत हिसाब कर एक पर्ची परिवादी को दी थी, जबकि अप्रार्थी ने इसे परोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए यह कथन किया है कि दिनांक 07.04.2014 को परिवादी ने एक सेकिण्ड हेण्ड मोटर सेट अप्रार्थी को 61,000/- रूपये में विक्रय किया था। जिस बाबत् 40,000/- नकद अदा कर बकाया राषि समायोजित की गई थी। इस सम्बन्ध में भी परिवादी द्वारा हिसाब के पर्ची प्रदर्ष 3 पेष की गई है, जिससे स्पश्ट है कि एक मोटर 50 एच.पी. का सेट 61,000/- रूपये में दिया गया, जिस बाबत् 40,000/- रूपये नकद अदा हुए तथा परिवादी के जिम्मे पूर्व में मरम्मत आदि की बकाया राषि समायोजित करने के पष्चात् 8,500/- अप्रार्थी द्वारा परिवादी को देने षेश रहे थे। अप्रार्थी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा बाद में दिनांक 05.09.2014 एवं 16.09.2014 को भी कुछ मरम्मत का कार्य करवाया गया था , जिस बाबत् 9,900/- रूपये परिवादी के जिम्मे बकाया है। अप्रार्थी ने इस बाबत् हिसाब की पर्ची प्रदर्ष ए 1 एवं ए 2 प्रस्तुत की है, जिनका परिवादी ने खण्डन नहीं किया है बल्कि बहस के दौरान यह अवष्य कथन किया है कि उसने मजदूरी की यह राषि अप्रार्थी को अदा कर दी थी, लेकिन इस सम्बन्ध में कोई रसीद पेष नहीं हुई है।
5. पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री के परिप्रेक्ष्य में उपर्युक्त विवेचन से स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा अप्रार्थी मूलाराम से समय-समय पर मरम्मत आदि कर जो कार्य करवाया गया था, उसमें अप्रार्थी की ओर से किसी प्रकार का कोई सेवा दोश नहीं किया गया है। जहां तक अप्रार्थी द्वारा दिनांक 10.10.2013 को परिवादी को एक पम्प सेट, केबल यूनिस्टार 400 मीटर व स्टार्टर बोर्ड आदि विक्रय करने का प्रष्न है तो इस सम्बन्ध में पूर्व में स्पश्ट किया जा चुका है कि अप्रार्थी कोई अधिकृत विक्रेता नहीं रहा है बल्कि पक्षकारान के परस्पर सम्बन्ध होने एवं अप्रार्थी के मिस्त्री होने के नाते ही अप्रार्थी ने परिवादी को यह सामान उपलब्ध करवाया था तथा बाद में मोटर सेट खराब होने पर भी पक्षकारान की सहमति से ही कीमत तय कर दिनांक 07.04.2014 को परिवादी ने यह मोटर सेट अप्रार्थी को विक्रय किया था। पक्षकारान में मुख्य विवाद लेनदेन के हिसाब को लेकर रहा है तथा इस मामले में अप्रार्थी द्वारा किसी प्रकार का सेवा दोश किया जाना प्रथम दृश्टया प्रतीत नहीं होता है। परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
1. परिणामतः परिवादी भंवरलाल द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विरूद्ध अप्रार्थी खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करे।
2. आदेष आज दिनांक 26.05.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य। सदस्य अध्यक्ष सदस्या