SMT. SUNITA BISEN filed a consumer case on 26 Dec 2013 against MUKHYA CHIKTASA AND SAWATHA ADDHIKARI SEONI in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/84/2013 and the judgment uploaded on 20 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -84-2013 प्रस्तुति दिनांक-02.11.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
श्रीमती सुनीता बिसेन, पति श्री अधारसिंह
बिसेन, उम्र 26 वर्श, निवासी ग्राम-चीचंबद,
पोस्ट साल्हेखुर्द, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।......................................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी,
षासकीय जिला चिकित्सालय, सिवनी
तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2) आसिफ खान, एरिया हेड एफ.आर्इ.एस.
जी.आर्इ.सी.आर्इ. लोम्बार्ड, जी.आर्इ.सी.
प्लाट नंबर-10, द्वितीय तल अलंकार
पैलेस, जोन नंबर-2, एम0पी0 नगर
भोपाल 462 001 (म0प्र0)।.......................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 26.12.2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादिया ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, परिवादिया की नसबंदी असफल हो जाने के आधार पर, षासन की योजना के अनुसार, स्पेषल कन्टनजेन्सी बीमा की राषि दिलाने व नसबंदी आपरेषन करने में लापरवाही व कत्र्तव्यहीनता बाबद हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह विवादित नहीं कि-दिनांक-13.02.2013 को जिला चिकित्सालय, सिवनी में परिवादिया ने एल0टी0टी0 (नसबंदी) आपरेषन कराया था और दिनांक-14.10.2013 को परिवादिया ने जिला चिकित्सालय, सिवनी में ही एक पुत्री को जन्म दिया, जो कि-पूर्व से ही दो संतानें परिवादिया की रही हैं।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- अनावेदक क्रमांक-3 के द्वारा, नसबंदी असफल हो जाने के संबंध में स्पेषल कन्टनजेन्सी बीमा किया गया था, जिस संबंध में परिवादिया ने अनावेदकगण को सूचना भी दे-दी है, नसबंदी असफल हो जाने बाबद, अनावेदकण ने इस बाबद न कोर्इ निराकरण की सूचना परिवादिया को दिया, न ही बीमाधन प्रदान किया, तो अनावेदकों का उक्त कृत्य, लापरवाही व सेवा में कमी है।
(4) अनावेदक बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद का कोर्इ पृथक से जवाब पेष न कर, दिनांक-03.12.2013 के आवेदन में यह आधार लिया गया है कि-आर्इ.सी.आर्इ.सी.आर्इ. लोम्बार्ड बीमा कम्पनी के द्वारा केवल वर्श-2012 के लिए बीमा किया गया था, वर्श-2013 के लिए बीमा नहीं था और मध्यप्रदेष षासन द्वारा, प्रषासन की ओर से भी इस संबंध में स्पश्ट कर दिया गया था कि-वर्श-2013 में एक प्रकार से प्रस्तुत वाद-कारण से संबंधित संपूर्ण जवाबदारी षासन की होगी, जो कि-जवाबदावा पेष करने के लिए समय की मांग करते हुये, उक्त आधार पर ही परिवाद निरस्ती की मांग की गर्इ, जो कि-बाद में भी परिवाद का कोर्इ जवाब, उक्त बीमा कम्पनी की ओर से पेष नहीं हुआ है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या परिवादिया उपभोक्ता है और उसके प्रति
चिकित्सकीय उपेक्षा की गर्इ व बीमा क्लेम
भुगतान न कर, सेवा में कमी की गर्इ है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) प्रकरण में यह विवादित नहीं कि-परिवादिया का एल.टी.टी. आपरेषन षासकीय जिला चिकित्सालय, सिवनी में दिनांक-13.02.2013 को हुआ था और प्रदर्ष सी-1 के जन्म प्रमाण-पत्र से यह भी स्पश्ट है कि- ठीक 8 माह बाद दिनांक-14.10.2013 को परिवादिया ने एक पुत्री को षासकीय जिला चिकित्सालय, सिवनी में ही जन्म दिया, तो परिवादिया का एल.टी.टी. आपरेषन षासकीय चिकित्सालय में नि:षुल्क किया जाना अविवादित भी है, उक्त हेतु परिवादिया-पक्ष की ओर से कोर्इ चिकित्सा षुल्क भुगतान नहीं किया गया, तो किसी चिकित्सकीय उपेक्षा बाबद हर्जाना वसूल पाने की कार्यवाही भले ही परिवादिया सिविल न्यायालय में कर पाने के लिए स्वतंत्र हो, लेकिन उक्त हेतु वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं है, इसलिए चिकित्सकीय उपेक्षा के आधार पर, एल.टी.टी. आपरेषन करने वाले चिकित्सक व चिकित्सालय से हर्जाना वसूलने की कोर्इ कार्यवाही उपभोक्ता फोरम में संधारणीय होना नहीं पाया जाता है।
(7) अनावेदक बीमा कम्पनी के अधिवक्ता के द्वारा पेष आवेदन जो मूलत: जवाबदावा पेष करने के लिए समय देने की प्रार्थना का रहा है, उसमें भले ही यह लेख किया गया हो कि-अनावेदक बीमा कम्पनी के द्वारा, मात्र वर्श-2012 के लिए बीमा किया गया था, वर्श-2013 के लिए बीमा नहीं था और मध्यप्रदेष षासन द्वारा इस संबंंध में स्पश्ट कर दिया गया था कि-वर्श-2013 में इस प्रकार के प्रस्तुत वाद से संबंधित संपूर्ण जवाबदारी मध्यप्रदेष षासन की होगी, लेकिन उक्त आवेदन संबंधित बीमा कम्पनी के किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन नहीं है। और आवेदन के समर्थन में जो दस्तावेज प्रदर्ष एस-1 का पेष किया गया है, वह भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर सेकेट्री द्वारा, अनावेदक बीमा कम्पनी को उनके किसी पत्र के जवाब में लिखा गया होना दर्षित है, जो कि-मार्च-2013 में समाप्त होने वाली पालिसी के संबंध में है, जिससे दर्षित होता है कि-उक्त पालिसी मार्च-2013 तक के लिए प्रभावी रही है। और प्रदर्ष एस-3 का जो पत्र पेष हुआ है, वह वर्श-2011 की पालिसी 30 जून-2012 तक अर्थात पालिसी समाप्त होने के वर्श से 6 माह तक प्रभावी रहे होने के संबंध में है, जबकि-प्रदर्ष एस-2 के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के पत्र की बीमा कम्पनी द्वारा पेष प्रति से स्पश्ट है कि-दिनांक-01.01.2011 से 31.12.2011 तक के पष्चात, पुन: 1 जनवरी-2011 से 31 जनवरी-2012 तक के लिए अनावेदक बीमा कम्पनी से ही पालिसी ली गर्इ थी और जिसके संबंध में प्रदर्ष एस-2 का सूचना-पत्र दिसम्बर-2011 में ही जारी किया गया था।
(7) प्रदर्ष एस-1 का पत्र 14 मर्इ-2013 का है, जो जनवरी से मार्च-2013 में फैमिली प्लानिंग बीमा स्कीम के क्लेम स्वीकार किये जाने के संबंध में है और इस आधार पर है कि-मार्च-2013 में समाप्त होने वाली पालिसी के संबंध में कोर्इ भी क्लेम 15 मर्इ-2013 के पष्चात भेजा गया अनावेदक बीमा कम्पनी के दिल्ली कार्यालय को प्राप्त हो तो, उसे किस तरह का रिमार्क लगाकर वापस किया जाये। परन्तु मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिवनी को बीमा कम्पनी द्वारा, उक्त के पष्चात, 28 जून-2013 में परिवादिया के क्लेम के संबंध में जो सूचना दी गर्इ, उसकी प्रति प्रदर्ष आर-3 में अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा ऐसा कोर्इ आधार, उक्त बीमा कम्पनी की बीमा पालिसी परिवादिया के क्लेम के संबंध में समय-सीमा पर पालिसी प्रभावी न रहे होने का नहीं लिया गया है, बलिक यह आधार लेख किया गया है कि-क्योंकि परिवादिया का गर्भ नसबंदी आपरेषन के पूर्व का है, इसलिए परिवादिया का क्लेम स्वीकार योग्य नहीं।
(8) तो क्लेम स्वीकार योग्य है या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन बीमा पालिसी जारी व प्रभावी रही होने से अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा जवाब पेष कर इंकार नहीं किया गया और क्लेम अस्वीकार होने के प्रदर्ष आर-3 के पत्र में भी कथित अवधि में बीमा पालिसी प्रभावी न रही होने बाबद कोर्इ आपतित नहीं ली गर्इ है, तो मात्र आवेदन पेष कर, अनावेदक द्वारा ली गर्इ आपतित में सार नहीं है, उक्त बीमा पालिसी के तहत लाभार्थी बेनीफीसरी रहे होने के कारण, परिवादिया उपभोक्ता की श्रेणी में होना पार्इ जाती है।
(9) परन्तु प्रदर्ष आर-2 के मातृ षिषु रक्षा कार्ड में गर्भावस्था का जो विवरण दिया गया है, उसमें अंतिम मासिक चक्र दिनांक-25.01.2013 की तारिख का होना लेख है। और अनावेदक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिवनी द्वारा, दिनांक-21.05.2013 को परिवादिया का क्लेम बीमा कम्पनी को भेज दिया जाना प्रदर्ष सी-2 के पत्र से दर्षित है। दिनांक-08.04.2013 के बाहय रोगी पर्चा प्रदर्ष सी-5, दवा वितरण पर्चा प्रदर्ष सी-6 और उसी दिन के यूरिन टेस्ट रिपोर्ट से परिवादिया का पुन: गर्भवती होना दर्षित हो रहा था, जो दिनांक-29.04.2013 को कराये गये यू.एस.जी. पेलिवस की सोनोग्राफी प्रदर्ष सी-9 और उसकी रिपोर्ट प्रदर्ष सी-10 में गर्भ 14 सप्ताह व 4 दिन का रहा होना पाया गया, ऐसे में अनावेदक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के जवाब की उक्त रिपोर्ट से पुशिट होती है कि- गर्भधारण की अनुमानित तिथि 25.01.2013 ही रही है। और परिवादिया ने उसके पष्चात दिनांक-13.02.2013 को नसबंदी आपरेषन कराया, जो कि- उसे तब तक अपने गर्भवती होने का ज्ञान न रहा होना, तो गर्भधारण के पष्चात, नसबंदी आपरेषन किया जाना पाया जाता है। तो ऐसे में नसबंदी आपरेषन के असफल होने के फलस्वरूप, परिवादिया गर्भवती हुर्इ हो, ऐसा कतर्इ स्थापित नहीं है। और आपरेषन के पूर्व से ही परिवादिया गर्भवती रही है, तो अनावेदक-पक्ष द्वारा, उक्त आधार पर, बीमा क्लेम के भुगतान से इंकार किया जाना किसी भी तरह अनुचित या मनमाना होना नहीं पाया जाता है। और इसलिए अनावेदक क्रमांक-1 और 2 के द्वारा, परिवादिया के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। जबकि-चिकित्सक की किसी चिकित्सकीय उपेक्षा बाबद हर्जाना पाने के संबंध में परिवादिया उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(10) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना- अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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