Uttar Pradesh

Chanduali

MA/59/2016

Rajeev Kumar - Complainant(s)

Versus

Mukhya Chikitsa Adhika - Opp.Party(s)

CM Tripathi

10 Aug 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Miscellaneous Application No. MA/59/2016
In
00
 
1. Rajeev Kumar
H.s No-249 Prahupur Mugailsarai
Chandauli
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Mukhya Chikitsa Adhika
Chandauli
Chandauli
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 10 Aug 2016
Final Order / Judgement


10-8-2016
    पत्रावली पेश हुई। परिवादी के अधिवक्ता उपस्थित। ग्राह्यता के बिन्दु पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि विपक्षी के अधिकार में आने वाले कुछ लोक दस्तावेज की सत्यापित प्रति की आवश्यकता थी, जिसके लिए परिवादी ने साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 के तहत दिनांक 22-6-2016 को विपक्षी को नियमानुसार शुल्क रू0 50/- अदा कर कुछ लोक दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति की मांग किया। परिवादी द्वारा दिनांक 22-6-2016 के आवेदन पत्र द्वारा मांगे गये दस्तावेज के सम्बन्ध में विपक्षी के कार्यालय के लिपिक द्वारा कई बार परिवादी को अपने कार्यालय बुलाया गया किन्तु परिवादी द्वारा मांग किये गये दस्तावेजों की सत्यापित प्रति नहीं दिये। विपक्षी द्वारा परिवादी को दस्तावेज की सत्यापित प्रति न देने एवं एक माह का समय व्यतीत होने पर दिनांक 27-7-2016 को पंजीकृत डाक से विपक्षी को नोटिस दिया। किन्तु विपक्षी को नोटिस देने के बावजूद मांगे गये सत्यापित दस्तावेज की प्रति उपलब्ध नहीं कराये। चूंकि विपक्षी एक लोक प्राधिकारी है और उसके कब्जे में लोक दस्तावेज है। अतः उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिफल के एवज में सेवाएं प्रदान करना/दस्तावेज देना उसकी जिम्मेदारी है और ऐसा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 में वर्णित है। अतः परिवादी को विपक्षी से प्रार्थना पत्र दिनांक 22-6-2016 के माध्यम से मांगे गये लोक दस्तावेजों की सत्यापित प्रतिलिपि दिलायी जाय तथा शारीरिक मानसिक आर्थिक व सामाजिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय दिलाया जाय।
    परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि चूंकि परिवादी ने धारा 76 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत लोक दस्तावेज की प्राप्त करने हेतु विपक्षी के यहाॅं 50/-का पोस्टल आर्डर नकल की फीस के रूप में दाखिल किया है। अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में आता है और विधिक रूप से वह लोक दस्तावेजों की नकल प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः परिवाद ग्राह्य किये जाने योग्य है अपने तर्को के समर्थन में परिवाद के अधिवक्ता द्वारा 2002(3)सीपीआर 160(एनसी)श्री प्रभाकर व्यंकोबा आडोने बनाम सुपरीटेन्डेन्ट सिविल कोर्ट की विधि व्यवस्था का हवाला दिया गया है जिसमे माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि जहाॅं सिविल कोर्ट के सुपरीटेन्डेन्ट द्वारा समय से आदेश की सत्य प्रतिलिपि जारी न की गयी हो,वहा परिवादी विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति व वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
    माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा उपरोक्त विनिर्णयज विधि में प्रतिपादित सिद्धान्तों का पूर्ण सम्मान किया जाता है किन्तु फोरम की राय में इसका कोई लाभ प्रस्तुत मामले में परिवादी को नहीं दिया जा सकता है क्योंकि प्रस्तुत मुकदमें के तथ्य एवं परिस्थिति उदृत मुकदमे से नितान्त भिन्न है। क्योंकि उदृत मुकदमें में परिवादी ने सिविल कोर्ट सोलापुर द्वारा पारित आदेश की नकल मांगा था जो कि एक दस्तावेज था जबकि प्रस्तुत मामले में परिवादी ने सूचनाएं मांगी है न कि किसी दस्तावेज की नकल।
    प्रस्तुत मामले में परिवादी ने यह अभिकथन किया है कि उसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 के तहत प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने हेतु विपक्षी के यहाॅं आवेदन किया है और उसे प्रतिलिपि नहीं दी गयी है। धारा 76 भारतीय साक्ष्य अधिनियम में यह प्राविधान है कि प्रत्येक लोक अधिकारी(पब्लिक आफिसर) जिसकी अभिरक्षा में कोई पब्लिक डाक्यूमेन्ट है,जिसका निरीक्षण करने का अधिकार किसी व्यक्ति को हो, तब विधिक फिस जमा किये जाने के उपरान्त ऐसे दस्तावेज की नकल उक्त अधिकारी द्वारा जारी की जायेगी । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि धारा 76 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्र्तगत दस्तावेजों की नकल जारी किये जाने का प्राविधान है जबकि प्रस्तुत मामले में परिवादी ने अपने प्रार्थना पत्र दिनांकित 22-6-2016 द्वारा बिन्दुवार सूचना- जनपद चन्दौली में नगरीय स्वास्थ्य केन्द्र कहाॅं-कहाॅं खोले गये है और इनमे कौन-कौन चिकित्सक एवं अन्य कर्मचारी पदस्थापित है,उनका अलग-अलग नाम,पदनाम,नियुक्ति का दिनांक,प्रत्येक केन्द्र पर सरकार द्वारा पिछले 2 वर्ष में कितना खर्च वहन किया गया, वित्तीय बजट एवं समस्त व्यय के बिल की छायाप्रति, इन केन्द्रों पर किस तरह की स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है, इनके खोलने व बन्द होने का समय क्या है, अवकाश लेने के सम्बन्ध में क्या उपबंध है, वर्षवार कितने अवकाश निर्धारित है,गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों को किस दण्ड का प्राविधान है,कर्मचारियों के तैनाती के पूर्व 
2
शैक्षणिक व अनुभव प्रमाण पत्र के सत्यापन की क्या प्रक्रिया है, यदि प्रमाण पत्र लिये गये है तो उनकी जांच किसके द्वारा करायी गयी है, चिकित्सक डा0 मनीष चैधरी व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती के पूर्व लिये गये शैक्षणिक एवं अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति उपलब्ध कराये जाने, संविदा पर कार्यरत चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के अनुबंध पत्र की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध कराये जाने,प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पराहुपुर के प्रारम्भ से लेकर 31 मार्च 2016 तक कितने प्रसव कराये गये, प्रसूताओं का नाम व पता तथा इस अवधि में कितनी बार टीकाकरण हुआ और कितने लोगों को कब-कब कौन-कौन सा टीका लगाये गये आदि के सम्बन्ध में सूचना मांगी गयी है।
    इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी ने किसी दस्तावेज की नकल नहीं मांगा है बल्कि तमाम बिन्दुओं पर सूचना मांगी गयी है जिसमे बजट,बिल,स्वास्थ केन्द्रों की संख्या,उनमें नियुक्त कर्मचारियों की संख्या, उपलब्ध की जा रही सेवाएं,अवकाश उपबंध,आदि शामिल है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि इनके सम्बन्ध में किसी दस्तावेज की नकल जारी नहीं की जा सकती बल्कि इनके सम्बन्ध में प्रश्नों का उत्तर ही दिया जा सकता है जो कि फोरम की राय में जन सूचना अधिकार के तहत ही सम्भव है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 76 के तहत केवल दस्तावेजों की सत्य प्रतिलिपि दिलायी जा सकती है। अतः उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी का परिवाद पोषणीय न होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
                               आदेश
    परिवादी का परिवाद पोषणीय न होने के कारण निरस्त किया जाता है।

सदस्या                                                              अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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