(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :448/2020
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्धितीय, बरेली द्वारा परिवाद संख्या-49/2020 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09-10-2020 के विरूद्ध)
पंजाब नेशनल बैंक, पटेल चौक, बरेली।
अपीलार्थी/विपक्षी
मुख्तार वसीम पुत्र श्री मुख्तार नईम निवासी 294 किशोर बाजार, बिहारीपुर, बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री साकेत श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 14-11-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-49/2020 मुख्तार वसीम बनाम पंजाब नेशनल बैंक में जिला उपभोक्ता आयोग, द्धितीय, बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 09-10-2020 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी प्रतिपक्षी से रू0 590/- प्राप्त करने का अधिकारी है। मानसिक कष्ट हेतु परिवादी प्रतिपक्षी से रू0 3,000/-प्राप्त करने का अधिकारी है। उपरोक्त धनराशियों का भुगतान दो माह के अन्तर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षी से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से उनके भुगतान तक उस पर 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। वाद व्यय के रूप में परिवादी प्रतिपक्षी से रू0 3,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री साकेत श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का विपक्षी बैंक में एक बचत खाता संख्या-3647 0001 0094 0949 एवं गृह ऋण खाता संख्या-3647 00NC 0000 0449 संचालित है। परिवादी के उक्त बचत खाते में रू0 8,02,165.37 पैसे जमा थे। परिवादी द्वारा विदेश जाने के लिए पैसीफिक ट्रेवर्ल्स, नई दिल्ली नामक संस्था को भुगतान करना था। उक्त बचत खाते से परिवादी ने चेक संख्या-208236 द्वारा रू0 5,00,000/- का जारी किया गया। दिनांक 05-05-2018 को उक्त चेक प्रतिपक्षी बैंक में भुगतान हेतु प्रस्तुत हुआ उस समय उक्त खाते में रू0 7,52,254.44 पैसे जमा थे। प्रतिपक्षी बैंक द्वारा उक्त चेक पर Kindly contact drawer/drawee Bank and please present again की आपत्ति लगाकर चेक को
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वापस कर दिया गया। प्रतिपक्षी बैंक द्वारा परिवादी के खाते में पर्याप्त धनराशि जमा होने के बावजूद उसके द्वारा चेक का भुगतान नहीं किया गया। दिनांक 07-05-2018 को प्रतिपक्षी बैंक द्वारा उक्त चेक भुगतान न किये जाने का शुल्क रू0 590/- SHOTY-REC-Inw Rtn. Charges 208236 के नाम पर परिवादी के खाते से काट लिया जोकि गलत है। परिवादी ने इस संबंध में प्रतिपक्षी बैंक को प्रसूचना पत्र दिया परन्तु वह निरर्थक रहा। इस प्रकार प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कमी की गयी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
प्रतिपक्षी पर प्रसूचना पत्र की तामीला पर्याप्त रूप से हुई है। प्रतिपक्षी न ही उपस्थित हुआ और न ही उनकी ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। अत: दिनांक 18-09-2020 को प्रतिपक्षी के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय रूप से अग्रसर किये जाने का आदेश पारित किया गया।
विद्धान जिला आयोग ने परिवादी को विस्तारपूर्वक सुनने तथा समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के पश्चात विपक्षी की सेवा में कमी पाते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री साकेत श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
पत्रावली के परिशीलन से यह विदित होता है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है वह विधि अनुसार है जिसमें हस्तक्षेप हेतु आधार नहीं है किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा जो 3,000/-
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रू0 मानसिक कष्ट के मद में क्षतिपूर्ति दिये जाने का आदेश पारित किया गया है वह तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उचित प्रतीत नहीं होता है और समाप्त किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए मानसिक कष्ट 3,000/-रू0 के मद में पारित आदेश निरस्त किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) ( सुशील कुमार )
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1