Uttar Pradesh

StateCommission

A/1226/2017

Panchimanchal Vidyut Vitaran Nigam - Complainant(s)

Versus

Mukesh Sharma - Opp.Party(s)

Isar Husain

06 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1226/2017
( Date of Filing : 10 Jul 2017 )
(Arisen out of Order Dated 31/03/2017 in Case No. C/53/2015 of District Shambhal)
 
1. Panchimanchal Vidyut Vitaran Nigam
Victoria Park MeerutThrough its M.D.
...........Appellant(s)
Versus
1. Mukesh Sharma
S/O Sri Jagdish Saran Sharma R/O Vill. Isapur Sunvari Thana Nakhasa Distt. Sambhal
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Dec 2021
Final Order / Judgement

        (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1226/2017

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सम्‍भल द्वारा परिवाद संख्‍या-53/2015 में पारित निणय/आदेश दिनांक 21.03.2017 के विरूद्ध)

                                    

1. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विक्‍टोरिया पार्क, मेरठ, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

2. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत वितरण खण्‍ड, फजल पुर, गजरौला, जिला अमरोहा, द्वारा एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

मुकेश शर्मा पुत्र श्री जगदीश सरन शर्मा, निवासी ग्राम ईसापुर सुनवारी, थाना नखासा, जिला सम्‍भल।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित          : श्री इसार हुसैन, विद्वान

                                                                 अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : श्री ए0के0 पाण्‍डेय, विद्वान                

                                                       अधिवक्‍ता।

दिनांक: 06.12.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-53/2015, मुकेश शर्मा बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, सम्‍भल द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.03.2017 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया :-

 

 

-2-

           '' परिवाद आंशिक रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह बतौर क्षतिपूर्ति 5,00,000/- (पांच लाख) रूपया परिवादी को तीन माह में अदा करें। अन्‍यथा विपक्षीगण 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दौरान मुकदमा ता वसूली अदायगी के लिए जिम्‍मेदार होंगे। विपक्षीगण 2500/- रूपया वाद व्‍यय भी परिवादी को अदा करेंगे। ''

2.             परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के घर के पास ट्रांसफर लगा हुआ था और उसका तार टूट कर गिरा हुआ था। एक सप्‍ताह से टूटे हुए तार से करण्‍ट आ रहा था। विपक्षीगण को तार हटाने के लिए कई बार सूचित किया गया। दिनांक 21.12.2014 को परिवादी के गांव के राजीव शर्मा ने विपक्षी के सरकारी नम्‍बर पर एस0एस0ओ0 धर्मवीर सिंह तथा राजपाल सिंह जे0ई0 से तार हटाने के लिए सटडाउन लेना कहा गया। करीब 2.20 बजे दोपहर सटडाउन लेने के पश्‍चात परिवादी खम्‍भे पर चढ़ गया, उसी समय विपक्षी एस0एस0ओ0 धर्मवीर सिंह ने लाईन पर पुन: विद्युत सप्‍लाई छोड़ दी। विपक्षीगण के इस लापरवाही और उपेक्षा के कारण करण्‍ट लगने से परिवादी घायल हो गया। इलाज पर अंकन 4,00,000/- रूपये से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है तथा कार्य क्षमता शून्‍य हो चुकी है। अत: प्रतिकर प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.             विपक्षीगण का कथन है कि टूटे हुए तार की कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई। परिवाद पत्र में वर्णित तरीके से सट डाउन नहीं दिया जा सकता। परिवाद पत्र में वर्णित मोबाईल नम्‍बर ढबारसी विद्युत केन्‍द्र का नहीं है। परिवादी को स्‍वंय विद्युत पोल पर चढ़कर तार काटने का अधिकार नहीं है। उसके इस कृत्‍य के लिए विभाग के कर्मचारी उत्‍तरदायी नहीं है।

-3-

4.             दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी अपने पिता के साथ खेती करता है। परिवादी के पिता कृषक हैं, उसके पास निजी विद्युत नलकूप है और घरेलू विद्युत कनेक्‍शन भी है, इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है। विपक्षीगण द्वारा लापरवाही कारित की गई है, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया है।    

5.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा तथ्‍यों एवं विधि के विपरीत जाकर निर्णय पारित किया गया है। मीटरिंग प्‍वाइंट के बाहर दुर्घटना होने पर विद्युत विभाग उत्‍तरदायी नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस तथ्‍य को विचार में नहीं लिया है। यह भी उल्‍लेख किया गया है कि स्‍वंय परिवादी विद्युत तार हटाने के लिए पोल पर चढ़ा था, उसे विद्युत पोल पर चढ़ने का कोई अधिकार नहीं था, इसलिए विद्युत विभाग इस दुर्घटना के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 पाण्‍डेय की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उनके द्वारा अपील में सुनवाई के दौरान अपने कथन को सा‍बित करने के लिए दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए हैं। अत: इन दस्‍तावेजों को विचार में लिया जाना चाहिए। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से नजीर सनातन फाइनेन्‍सर एण्‍ड रियल इस्‍टेट प्रा0लि0 बनाम सुरिन्‍दर सिंह घल्‍ली तथा अन्‍य I (2006) CPJ 127 (NC) प्रस्‍तुत की गई है,  जिसमें  यह व्‍यवस्‍था दी

 

 

-4-

गई है कि यदि कोई दस्‍तावेज किसी पक्षकार के ज्ञान एवं कब्‍जे में हैं और प्रारम्भिक अवसर पर प्रस्‍तुत नहीं किए गए हैं तब अंतिम अवसर के समय प्रस्‍तुत नहीं किए जा सकते। उपरेक्‍त नजीर प्रस्‍तुत केस के लिए पूर्णतया सुसंगत है, क्‍योंकि जो भी दस्‍तावेज अपीलीय स्‍तर पर प्रस्‍तुत किए गए हैं, वे सभी दस्‍तावेज अपीलार्थीगण के ज्ञान एवं कब्‍जे में मौजूद थे तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किए जा सकते थे। अत: इस अवसर पर इन दस्‍तावेजों पर विचार नहीं किया जा सकता।

8.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस की गई है कि परिवादी स्‍वंय पोल पर चढ़ा था, जबकि उसे पोल पर चढ़ने का अधिकार प्राप्‍त नहीं था, इसलिए स्‍वंय उसके द्वारा लापरवाही बरती गई है, परन्‍तु इस लापरवाही को बरतने का कारण उस समय उत्‍पन्‍न हुआ, जिस समय विपक्षीगण की गंभीर लापरवाही के कारण विद्युत तार सही नहीं किए गए, इसलिए यदि माना जाए कि स्‍वंय परिवादी के स्‍तर से विद्युत पोल पर चढ़कर कोई लापरवाही की गई है तब यह लापरवाही स्‍वंय विपक्षीगण की गंभीर लापरवाही के कारण उत्‍पन्‍न हुई है।

9.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी बहस की गई है कि मीटरिंग प्‍वाइंट के बाहर घटित किसी दुर्घटना के लिए विद्युत विभाग उत्‍तरदायी नहीं है। प्रस्‍तुत केस में परिवादी का नलकूप कनेक्‍शन है और इसी ट्रांसफार्मर से जहां पर विद्युत तार टूटे हुए थे, परिवादी के नलकूप को विद्युत कनेक्‍शन मिला हुआ है, इसलिए घटनास्‍थल से मीटरिंग प्‍वांइट के बाहर का घटनास्‍थल नहीं माना जा सकता।

10.        हमारा ध्‍यान अपीलार्थीगण ने उत्‍तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 के कार्यालय आज्ञप्‍त 13 अक्‍टूबर 2016 की ओर आकृष्‍ट किया, जिसमें ऐसी दुर्घटना के लिए विभिन्‍न श्रेणियों में क्षतिपूर्ति की बात लिखी है।  इसमें  लिखा है कि दुर्घटना में अंकन 5,00,000/- रूपये के स्‍थान पर

-5-

अब 4,00,000/- रूपये अनुमन्‍य किया जाएगा। इस कार्यालय आज्ञप्‍त पर विपक्षीगण की ओर से कोई आपत्‍ति‍ नहीं की गई, क्‍योंकि यह विभागीय धनराशि किसी को विधिक रूप से प्राप्‍त होना है, उससे कम देकर यह लिखवाया जाए कि उसे यह धनराशि अंतिम रूप से स्‍वीकार है। यद्यपि यह उस पर बाध्‍य नहीं है और वह शेष धनराशि के लिए अपना पक्ष रख सकता है। वर्तमान मामला भी इसी श्रेणी का है। अत: वर्तमान अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

11.        प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.03.2017 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बतौर क्षतिपूर्ति अंकन 5,00,000/- रूपये के स्‍थान पर अंकन 4,00,000/- रूपये की धनराशि परिवादी को अदा की जाए। शेष आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

  (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 

                                              

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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