Uttar Pradesh

StateCommission

A/700/2016

Sri Ram Transport Finance Co Ltd - Complainant(s)

Versus

Mukesh Kumar - Opp.Party(s)

Manu Dixit

25 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/700/2016
( Date of Filing : 07 Apr 2016 )
(Arisen out of Order Dated 04/02/2016 in Case No. C/186/2015 of District Auraiya)
 
1. Sri Ram Transport Finance Co Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Mukesh Kumar
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 700/2016

Shri Ram Transport Finance Company Limited, Suraj Deep Complex, E-Block, First Floor, 01-Jopling Road, Lucknow (U.P.), Through Its Authorized Representative.

                                                                                    …….Appellant

 

Versus

 

Mukesh Kumar, S/o Mevaram R/o Village and Post Bela, Tirwa Road, Bela Chauraha, Pargana Bidhuna, District- Auraiya.

                                                                                   ……Respondent   

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित के सहयोगी

                           अधिवक्‍ता श्री अभिषेक सिंह।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्रीए0के0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।                               

दिनांक:- 25.01.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 186/2015 मुकेश कुमार बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 व 02 अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, औरैया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 04.02.2016 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने जहां एकतरफा परिवाद स्‍वीकार किया है और मानसिक प्रताड़ना के मद में 15,000/-रू0 एवं परिवाद खर्च के मद में 5,000/-रू0 अपीलार्थी के विरुद्ध अधिरोपित किए हैं वहीं प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अंकन 8,160/-रू0 प्रतिमाह की दर से अदा करने का आदेश दिया है। साथ ही गारण्‍टर महेश के स्‍थान पर दूसरा गारण्‍टर स्‍वीकार करने के लिए भी आदेशित किया है।

3.        इस निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी डिफाल्‍टर रहा है, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी के स्‍तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।   

4.        हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनु दीक्षित के सहयोगी अधिवक्‍ता श्री अभिषेक सिंह तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 पाण्‍डेय को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

5.        प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसका वाहन परिवाद के विपक्षीगण द्वारा ले लिया गया। इस कथन को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के प्रस्‍तर 8, 9 तथा 10 में कथन किया है, जब कि अपीलार्थी/विपक्षी का इसके विपरीत यह कथन है कि प्रश्‍नगत वाहन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कब्‍जे में ही है और उसके द्वारा प्रश्‍नगत वाहन का  कब्‍जा नहीं लिया गया है। अत: यह बिन्‍दु विवाद का विषय अवश्‍य है, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पूरे परिवाद पत्र में ऐसा कोई कथन नहीं किया गया है कि यह किस तिथि पर परिवाद के विपक्षीगण द्वारा वाहन को अपने कब्‍जे में लिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन को वापस लिए जाने के लिए क्‍या पत्राचार किया गया अथवा क्‍या प्रयत्‍न किया गया यह भी अभिलेख पर नहीं है? यह अस्‍वाभाविक है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन यदि अपने कब्‍जे में ले लिया गया तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा इस सम्‍बन्‍ध में कोई भी विरोध अथवा विरोध स्‍वरूप कार्यवाही न की जाए। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन विश्‍वास योग्‍य प्रतीत नहीं होता है कि प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी/विपक्षी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 के कब्‍जे में है, क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस परिवाद पत्र में वाहन के कब्‍जे हेतु अनुतोष मांगा था, किन्‍तु इस अनुतोष की प्राप्ति न होने के बावजूद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोई भी अपील नहीं की जो स्‍वत: दर्शाता है कि प्रश्‍नगत वाहन प्रत्‍यर्थी/परिवादी से अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जबर्दस्‍ती नहीं लिया गया है।

6.        अपीलार्थी/विपक्षी का कथन यह आया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी डिफाल्‍टर रहा है और इस कारण उसके विरुद्ध वसूली की कार्यवाही की जा रही है। इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 8,160/-रू0 की प्रतिमाह की किश्‍तें लिए जाने और दण्‍ड ब्‍याज न लिए जाने का आदेश पारित किया गया है जो एक पर्याप्‍त अनुतोष है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक प्रताड़ना एवं वाद व्‍यय की धनराशि दिलायी गई है जो उचित नहीं है, क्‍योंकि स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी डिफाल्‍टर रहा है। तदनुसार अपील आज्ञप्‍त होने योग्‍य है।         

7.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने निर्णय में यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अंकन 8,160/-रू0 प्रतिमाह की दर से अपीलार्थी/विपक्षी को अदा करेंगे। यद्यपि दण्‍ड ब्‍याज न देने के लिए आदेशित किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध अंकन 15,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना के रूप में एवं 5,000/-रू0 वाद व्‍यय के रूप में अदा करने का आदेश देना उचित नहीं है, अत: य‍ह आदेश अपास्‍त होने योग्‍य तथा शेष निर्णय एवं आदेश पुष्‍ट होने योग्‍य एवं अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

8.       अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को  मानसि‍क प्रताड़ना के रूप में अंकन 15,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 देय नहीं होगा। यहां यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत आदेश के अनुपालन में 8,160/-रू0 की किश्‍त नियमित रूप से अपीलार्थी/विपक्षी के यहां जमा नहीं की गई है, अत: अपीलार्थी/विपक्षी 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक अतिरिक्‍त ब्‍याज डिफाल्‍ट की गई धनराशि पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से पाने का उत्‍तरदायी है। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।         

 

   (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                   सदस्‍य 

                                

शेर सिंह, आशु0, कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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